RE: Chudai Story लौड़ा साला गरम गच्क्का
एक अधेड़ हट्टा कट्टा मर्द और एक सुकुमार बदन की तनु नाम की मादा !
लालटेन की पीली रौशनी अभी भी धीरे धीरे कांप रही थी !
हवा के कुछ नन्हे झोंके खिड़की के रास्ते दीवार के पास आ कर उस लालटेन की रौशनी से
छेड़छाड़ कर रहे थे !
कमरे में एक अजीब सा मौन था !
एक ऐसा मौन जिसके इर्दगिर्द काफी था !
और वो तनाव मादा के चेहरे पर स्पष्ट था !
घबराहट , व्याकुलता .डर . हिचकिचाहट .संकोच कुछ तूफानी होने का डर ...जिसमे रोमांच भरा था !
उसकी दिल की धडकने धाड धाड़ कर धड़क रही थी !
मानो हर धड़कन ये पूछ रही थी की " अब आगे क्या होगा ?"
" में आपको क्या बुलाऊ ...?" तनु ने बड़ी हिम्मत करके झोंपड़े में छाई मौनता को भंग कीया !
नर ने पत्री से अपनी नजरें हटाये बिना कहा ;-"पंडित ओमकार शास्त्री मेरा नाम हे ...आप पंडित जी कह सकती हे ....!"
तनु ने फिर संकोच में पूछा -
" में आपको ओ ...ओम जी कह सकती हु ?...."
जो भी आपकी इच्छा ...किसी पुरुष के नाम चयन का अधिकार ....हमेशा एक स्त्री के पास सरंक्षित रहता हे !"
इतना बोल कर उसने एक नजर तनु पर डाली पर फिर पत्रांग पर !
"और कितना समय लगेगा ..?"
" देखिये ...अभी तो शुभारम्भ हे ...!"
तनु बात तो कर रही थी पर बात का सूत्र उसके पकड़ में नहीं आ रहा था !
हर बार उसे नए प्रश्नों का सहारा लेना पड़ रहा था बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए !
तकरीबन दो मिनिट कमरे में मौन ही सरसराता रहा !
फिर -
"कुंडली के मुताबिक तो संतान योग हे ...पर मध्य में राहू बेठा हे ....जिसकी वजह से विलम्ब हो रहा हे .....
अब राहू का क्या हल निकलेगा ...ये आपकी हाथ की रेखाएं देखने पर पता चलेगा ..."
इतना बोल कर वो अधेड़ नर उठा और मादा की बगल में चारपाई पर आकर बेठ गया !
तनु का दिल धाड़ धाड़ कर धडकने लगा !
उसे जिस पल का इन्तजार था , वो धीरे धीरे पास आ रहा था , शरीर में रोमांच की लहरे दौड़ रही थी !
तनु की दोनों हथेलिया मेहंदी के लाल सुर्ख रंग से सजी हुई थी !
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