RE: Chudai Story लौड़ा साला गरम गच्क्का
हथेली की गोराई पर लाल रंग बहुत ही फब रहा था !
जेसे ही पंडित जी ने तनु की हथेली पकड़ी -
"तुम्हारा शरीर तो बहुत गरम हे ...शायद ठंडी हवा से ज्वर चढ़ गया होगा ...!"
तनु खुद को बोलने से नहीं रोक पाई और उसकी नशीली आवाज़ गूंजी -
"मुझे काफी ठण्ड लग रही हे ...आप ये दरवाज़ा बंद कर दीजिये !"
" यहीं उचित रहेगा ....आप शहर वालो को इतनी ठंडी हवा की आदत नहीं होगी !"
वह दरवाज़ा बंद करके वापिस चारपाई पर आ बेठा !
" अपनी दोनों हथेलिया कर मेरे सामने फेलाइए ..!"
तनु ने वेसा ही किया !
दोनों हथेलियों के मिलने से एक दिल का आकर उभरा जो मेहंदी
से रचा गया था !
:सुन्दर आकृति हे ...!" अधेड़ नर ने दोनों हथेलियों को थामते हुए कहा !
" ये मेने खुद बनाया हे ...!- तनु हलके से सकुचा गई !
" अति सुन्दर ...भाग्य की रेखा तो काफी प्रबल हे .....संतान का योग तो शीघ्र दिख रहा हे ......
पर एक बात हे .....!" शास्त्री की आवाज़ विचारपूर्ण थी !
"क्या ...?"
"पहले आप को कुछ प्रश्नों के उत्तर देने पड़ेंगे .....!" वो बिना सकुचाये बोला !
"जी पूछिए ...." तनु का दिल अब जोर जोर से धडकने लगा था !
" माहवारी का काल चक्र क्या हे ?"....अधेड़ ने तनु की तरफ बहुत गहरी नज़रों से देखते हुए पूछा !
" बताना जरुरी हे ...?" तनु को पता नहीं क्यूँ नहीं चाहते हुए भी संकोच लग रहा था
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