non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:47 AM,
#36
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति जैसे कहीं खोई सी थी और ख्वाबो से निकल कर आई थी.... "नही कहीं नही, बस सुन रही थी आप सब को. वैसे आज हादसा होते-होते टल गया.


सैली... हादसा, वो तो भला हो उस लड़के का जो आसिड की जगह कुछ और रख दिया, यदि कहीं सच-मच की आसिड होती तब इस इंदु की बच्ची को पता चलता.


रीति... नाना, दोस्त हैं वो हमारी, ऐसी बातें सोचते भी नही.


वासू... ओ' गाँधी जी, बंद करो अहिन्सावदी का पाठ, क्या कह रही थी इंदु, "डफर ही होगा कोई जो इस मज़ाक को सच मानेगा". पर ये कहाँ की बात हुई किसी लड़के को, उसके साथ रात बिताने का ऑफर देकर आने की, कोई भी पागल होगा ही ना.


रीति.... वासू, तो इस ग़लती के लिए आप भी ज़िम्मेदार हुई ना, आप ने भी तो उसे, उस वक़्त सपोर्ट कर रही थी.


सैली.... अब बस भी करो, मैं बोर हो रही हूँ एक ही बात सुन-सुन के, जो हो गया सो हो गया. 


वासू.... हां ये भी सही है, अब जो हो गया उस पर बहस क्यों करे, वो जाने और उसका काम. मैं अब उसके किसी भी पागलपन मे सपोर्ट नही करूँगी.


सैली.... आप सब बातें करो, मैं चली ज़रा अपने क्रेज़ी बॉय को छेड़ने.


वासू... वो कैसे ?


सैली.... मैं कहूँगी तुम्हारे (वासू) और उसके बीच कुछ लफडा चल रहा है.


रीति थोड़ी मायूस होकर... ये इत्ति भी प्राइवेट बात तो नही की अकेले मे कि जाए.


वासू... हां, हां, सैली ज़रा हमे भी तो सुना, बड़ा मज़ा आएगा...


सैली "ठीक है" बोलती हुई, स्पेअकर ऑन कर के, कॉल गौरव को लगा दी .....


गौरव...... 

आअह !! उन की ये आहट क्या हुई,
लगा रिंगटोन नही मेरा दिल बज रहा है.


रीति और वासू को काफ़ी तेज हसी आ गयी इस बात पर, सैली हाथो का इशारा कर के चुप रहने का इशारा की.


सैली..... मेरा क्रेज़ी बॉय कैसा है, आज सुबह से नही मिल पाई सॉली...


गौरव.... आररी कोई बात नही पर कल की बात मुझे रह-रह कर याद आ रही है, मेरा एक बार और मन कर रहा है रॉयल प्लेस चलने का.


रीति और वासू के कान खड़े हो गये, दोनो घुरती नज़रों से सैली की ओर देखने लगे, और एक दूसरे को देख कर हँसने लगी.


सैली हड़बड़ाती हुई.... बस-बस, रोज बाहर डिन्नर अच्छी बात नही है.


गौरव.... अर्रे डिन्नर करना भी कौन चाहता है, मुझे तो बस वो झटके वाली स्पेशल डिश खाना है.


सैली.... हुन्न्ं ! बकवास बंद करो अपनी और जो-जो पुच्छ रही हूँ उसका सही-सही जबाव दो.


गौरव.... अजी पुच्छ लीजिए, हम तो गुलाम है आपके 24 घंटे आप की ही सेवा मे हाजिर हैं.


रीति और वासू के लिए छोटे पॅक मे बड़ा धमाल था. दोनो काफ़ी मज़े के साथ सुन रही थी. दोनो को रह-रह कर हँसी इस बात पर आ रही थी...."कि कहाँ सैली, गौरव को परेशान कर रही थी, और खुद घबराई हुई सी लग रही है"


सैली.... मुझे ये बताओ कि तुम्हारे और वासू के बीच मे ये क्या चल रहा है ?


गौरव.... अजी आप मालकिन हैं, आप कुछ भी चला कर कर रूठ जाइए हम से, हम तो कब से बेचैन है आप कब रूठे , और हम मनाने आए.


दोनो हंस-हंस कर बिस्तर पर लोटपोट हुए जा रही थी.....


सैली थोड़े गुस्से मे.... जो पुच्छ रही हूँ वो बताओ ना, इधर उधर की बातें ना करो...


गौरव.... तुम्हारी कसम, हम दोनो के बीच कुछ भी नही. और मैने तुम्हारी कसम ली है, यदि इसके बाद भी कोई सवाल की तो मैं बात नही करने वाला.


ले सैली क्या सोची थी, और क्या हो गया. अब तो उसके पास कुछ बचा ही नही था कहने को.


गौरव... क्या हो गया, तुम चुप क्यों हो गयी. अर्रे छोड़ो ये सब, लगता है तुम्हारा मूड ऑफ हो गया, चलो ना चलते हैं वहीं, जहाँ कल...


गौरव इतना बोला ही था कि कॉल कट कर दी सैली ने. रीति और वासू, सैली को देख कर बस हसे ही जा रही थी. दोनो की हसी रुक ही नही रही थी.


सैली अपना दोनो हाथो को उठा कर .... क्य्ाआअ ? चुप भी करो अब प्लीज़.


इतना कही ही थी कि सैली के फोन की घंटी बजी, कॉल गौरव का था. सैली पिक करती हुई गौरव को "बाद मे कॉल करती हूँ" कहती हुई, कॉल डिसकनेक्ट कर दी.


वासू..... सैली झूठी, ये कल रात का चक्कर क्या था.


रीति.... हुन्न्ं-हुन्न्ं, बताओ-बताओ मेडम


सैली थोड़ी शरमाती हुई..... अर्रे वो ड्रेस कोड बताया था ना, तो मैं जब कपड़े बदल रही थी तब उसने मुझे एक बार पूरा देख लिया था.


रीति अपने मुँह पर हाथ रकति..... हूऊ ! मतलब कुछ नही पहनी थी उस वक़्त आप.


सैली "हाँ" मे अपना सिर हिला दी.


वासू.... ओ' मेरी भोली रीति, तुम इतना आश्चर्य क्यों कर रही है, और सैली तू क्या झूट पर झूट बोल रही है.


सैली.... मैं साची बोल रही हूँ.


वासू.... पहली बात तो ये कि क्या होटेल वालों ने तुम्हे ब्रा और पैंटी भी दिया था बदलने के लिए जो पूरी नंगी थी, और दूसरी बात कि तू खा ले अपने क्रेज़ी बॉय की कसम मैं मान लूँगी.


सैली.... क्यों तंग कर रहे हो तुम दोनो.


रीति एक बार फिर अपने मुँह पर हाथ रखती.... तो क्या सब हो गया.


वासू.... ये भी ना बात-बात पर इतना शॉक होती है, कि ऐसा लगता है जैसे कोई पहाड़ टूट गया हो. हां सैली बता ना, बता ना प्लीज़, कल क्या सब हुआ.


सैली.... मैं जा रही हूँ, तुम सब मुझे छेड़ रही हो.


वासू.... अर्रे यही तो गर्ल्स हॉस्टिल के खास बात है, खुल कर जियो. लाइफ बहुत बिज़ी है पगली, यही वो समय है जब खुल कर जियो.


सैली.... हां सब हो गया, अब तो खुश ना.


रीति.... ये दोनो तो यहाँ पहले दिन भी हॉस्टिल मे...... वो गौरव केवल तौलिए मे था और दोनो साथ बिस्तर पर लेटे थे.


सैली.... नही-नही उस दिन कुछ नही हुआ था, कसम से.


वासू.... अर्रे तो कल क्या-क्या हुआ वो तो बता.


सैली.... मुझे शरम आती है, मैं नही बताती.


वासू.... अब तू भाव खा रही है, बता ना प्लीज़.


सैली.... ठीक है, ठीक है बाबा, पर तुम सब को भी अपने-अपने बारे मे बताना होगा.


रीति.... पर....


इतना ही बोली थी कि वासू उसकी बात को काट'ती हुई.... हां पता है, तुम क्या कहना चाहती हो, पर कुछ तो होगा कहने के लिए, हम उसी को मान लेंगे. ठीक है सैली डन, अब तू बोलना शुरू कर, कल क्या-क्या हुआ था.


सैली.... ओह्ह्ह हूओ ! छुपी रुस्तम, तो तुम्हारी भी ओपनिंग हो ही गयी है.


वासू.... हहे, तो क्या तुम्हे ही आग लगती है, अब ज़रा बता भी, कल हुआ क्या था...


सैली.... हम यहाँ से निकले डिस्को जाने के लिए.....


वासू बीच मे बात काट'ती हुई..... डिस्को के लिए निकली और पहुँची होटेल. ये सब बॅक ग्राउंड छोड़, ये बता कौन फिसला और कहानी शुरू कैसे हुई, बॅकग्राउंड सुना कर बोर मत कर.


सैली.... वो, फिसली तो मैं ही थी. मुझे कल पता नही क्या हो गया, ऐसा लगा जैसे अंदर कोई आग भड़की हो, इसलिए मैने होटेल जाने का फ़ैसला किया. पहले तो गौरव राज़ी नही था, फिर मैने उसके सामने ही अपने कपड़े उतार दिए और, बाथरूम खोल कर नहाने लगी. उसकी भी आग भड़क गयी और वो भी पहुँच गया बाथरूम. और फिर सब हो गया.


वासू.... ईश्ह्ह ! इसमे क्या था, क्या रेप हो गया था तेरा. थोड़ी फीलिंग के साथ सुना, जब कपड़े उतारी तो उसकी नज़रें कैसी थी, और जब बाथरूम मे गया तो कहाँ-कहाँ हाथ लगाया और तेरे अंदर कैसी-कैसी आग भड़की.....


सैली एक ठंडी आह भरती हुई, पूरी सांस अंदर खींची, अपने आँखे थोड़ी मूंदी और चेहरे पर एक प्यारी मुस्कान लाते अपनी फीलिंग बयान करना शुरू की...........

रीति को थोड़ा डाउट हुआ और उसने अपनी शंका उन दोनो से बताई.. वो सब भी हॉस्टिल पहुँच गयी. तीनो सीधा वासू के कमरे घुसी, जहाँ इंदु पेट पकड़ कर बस हसे ही जा रही थी. इंदु को हँसता देख तीनो के मन मे बस यही ख़याल आया, "हो ना हो ज़रूर कोई कांड कर आई है".


वासू.... इंदु, अमर कहाँ है, और तुम फिर कोई मुसीबत मोल लेकर आई.


अभी इतनी ही बात हुई थी कि..... तेज आवाज़ रूम मे बाहर से सुनाई दी....


"छोड़ो मुझे तुम दोनो, आज तो मैं इस लड़की को सबक सीखा के रहूँगा, सारा मज़ाक करना भूल जाएगी"


"पर हुआ क्या है ये तो बताओ"


"मेरा दिमाग़ खिसक गया है, छोड़ दो तुम दोनो मुझे, नही तो पहले तुम दोनो को ही भुगतना पड़ेगा"


आवाज़ सुनकर चारो लड़कियाँ बाहर आई, गौरव और नीरज, अमर को पकड़ने की कोशिस कर रहे थे और, अमर अपने हाथ पाँव मारता उन से छूटने की कोशिस मे लगा था.


रीति.... बंद करो ऐसे पागलों की तरह करना, सब मुँह बंद कर के चुप-चाप अंदर आओ.


रीति के तेज स्वर से वहाँ का महॉल खामोसी मे बदल गया. सब अंदर आए, और चुप-चाप खामोश बैठ गये.


वासू.... तुम सब शांति से मामला निपटाओ, मैं सब के लिए चाय लाती हूँ.


रीति..... अब कोई कुछ बोलेगा भी, क्या हुआ था. मुझे ये झगड़ा-लड़ाई बिल्कुल पसंद नही.


अमर.... रीति जी, मैं इसका खून कर दूँगा, मज़ाक की भी हद होती है.


सैली.... पर हुआ क्या...


अमर.... हम गये थे कनाट प्लेस घूमने, वहाँ मैने इस से कहा तुम घुमाने लाई हो तुम दो टॅक्सी के पैसे ...


इतना ही बोला था की बीच मे शैली टपक पड़ी.... हुहह ! बदतमीज़ लड़के एक खूबसूरत लड़की के साथ जाते हो और टॅक्सी का किराया भी नही दे सकते.


अमर.... क्यों पे करूँ, मैने कहा था घूमने चलना है. खूबसूरती के चक्कर मे दो बार मामू बन गया. साला इन लड़कियों की बात पर पिघलना ही नही चाहिए, हमारी कमज़ोरी जान कर हमारा फ़ायदा उठा लेती हैं.


रीति... बस करो दोनो इधर-उधर की बातें करना, हां बोलिए अमर, फिर क्या हुआ..


अमर.... हट जाइए आप रीति जी, मैं पहले इसका गला घोंट दूं, फिर बताता हूँ क्या हुआ....


सैली और रीति दोनो आँखें दिखाती हुई ...... अब बोलो भी...


इतने मे वासू भी आ गयी, सबको चाय दी और वो भी वहीं बैठ गयी, चाय की चुस्कियाँ लेते सब अमर को देख रहे थे...... अमर ने फिर एक हास्य-प्रद दुखद घटना का विवरण कुछ इस तरह किया....


"मुझे कनाट प्लेस ले गयी, इसने कही कि मुझे शॉपिंग करनी है, तो मैं भी इसके साथ गया माल मे. पहले फ्लोर पर चढ़े ही थे, कि इसके फोन की घंटी बजी, और "हां, हूँ, अभी भेजती हूँ" बस ये तीन लाइन बात कर के फोन काट दी"


"फिर मुझ से कहने लगी 'लक्स के एग्ज़िक्युटिव मॅनेजर का फोन था, उसे अपनी चड्डी की एड के लिए कोई नया मॉडेल चाहिए, तुम्हारे पास है क्या कोई चड्डी वाली फोटो'. मैने "ना" मे सिर हिलाया. मैं उस वक़्त मना करता रहा कि नही मुझे मॉडेल नही चुनेगे, फिर भी इस इंदु ने ज़बरदस्ती मुझे चड्डी दी और भेज दी चेन्जिन्ग रूम मे"


"मैने वहाँ से अपनी एक पिक निकाली, तो मुझ से बोलती है, नही ये बंद कमरे मे पूरा लुक नही आया, तुम एक काम करो, बाहर आओ मैं पिक निकालती हूँ. मैने मना किया तो हँसने लगी. कहने लगी मॉडेल बनेगा और शरमा रहा है, चल बाहर आ और पिक खिंचवा".


"और भी बहुत कुछ टॉंट मे बोली. जैसे कि फटतू लड़का, शर्मिला, लड़कियाँ भी आज कल इतना ना शरमाये यदि उसे कोई मॉडलिंग का ऑफर आता है तो. अब लड़की से मैं बातें सुन रहा था, मेरा ईगो हर्ट कर गया और मैने भी हामी भर दी और पिक खिंचवाने बाहर आ गया. फिर इसने मुझे दूसरी चड्डी दी, और कहा इसे पहन कर आओ, दो तीन कलर मे ले लूँ ताकि सेलेक्षन पक्का हो".

"इसकी इत्ति कॉन्फिडेंट बातें सुनकर मुझे लगा, कि अब तो मैं मॉडेल बन ही गया. मेरा वाला चेंजिंग रूम मे कोई और घुस गया था, तो मैं दूसरे मे चला गया, और जब बाहर आया तो ये गायब थी. और साथ मे गायब थे मेरा कपड़े, जो बगल वाले चेंजिंग रूम मे थे.

"चड्डी मे मुझे घुमा दी शॉपिंग माल. ना तो फोन था और ना ही पैसे. हरमखोर माल वाले वो, उनकी दुकान की पहनी चड्डी भी उतरवाने पर आतुर थे".

"पैर पकड़े, गिडगिडाया-, भीख तक माँगी लोगों से, कि मदद कर दो, मैं उसके पैसे रिटर्न कर दूँगा, तब जाकर तरस खा कर वहाँ के मेनेज़र ने एक कॉल करने दिया और भला हो नीरज का जिसने मुझ नंगे को कपड़ा दिया. तुम सब छोड़ दो मैं इसका खून कर दूँगा".


किसी तरह दोनो का मामला शांत किया गया. बात जो कुछ भी हो पर लोग हंस-हंस के पागल हो गये. पिच्छली रात मुंडन करवाई, और आज नंगा.
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