RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति थोड़ी गंभीरता से कहती हुई.... अच्छा सच बताइए यदि हालत ऐसे हुए ... तो आप क्या करेंगे...
नैन.... मैं... तुमसे बात करता रहूँगा ... प्यार से मुस्कुराते हुए ... तबतक जबतक तुम विदा नही हो जाती....
रीति... फिर
नैन.... फिर क्या करूँगा ... वही जो लूटा-पिटा सच्चा आशिक़ करता है... इस प्यार को दिल मे बसाए अलविदा कह दूँगा सबको ... तुम्हारी कसम...
रीति... झूठे ....
नैन... हां झूट कह सकती हो तुम ... क्योंकि जब ये होगा तब शायद तुम अपनी खुशियों की दुनिया होगी... और उसके बाद फिर सयद मेरी कोई खबर नही होगी तुम्हे ... तो तुम इसे झूट ही मान'ना...
रीति, नैन की बातें सुन कर थोड़ी शांत ही गयी.... और बस चुप-चाप नैन के चेहरा देख कर उसे पढ़ने की कोशिस करने लगी... पहली बार उसे ये लगा कि कोई उसे इतना प्यार भी कर सकता है, कि उसके लिए वाकई अपनी जान दे देगा.
नैन की बातों मे सच्चाई नज़र आ रही थी, वो सॉफ देख सकती थी, कैसे उसका चेहरा उतरा हुआ था... रीति गहरी सांस लेती हुई अपने चेहरे पर मुस्कान लाई, और अपनी बाहें एसपी साब के गले मे डाल कहने लगी.....
"मायूसी इस चेहरे पर अच्छी नही लगती, कभी कभी आप भी मुस्कुरा लिया करो... क्या मुझ से ही कहते रहोगे मुकुराने या खुद भी मुस्कुराओगे"
नैन, रीति की बात सुनकर मुस्कुराने लगता है... और दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखते हुए... एक दूसरे मे खोते चले गये .... प्यार के ये अनमोल पल थे और दोनो एक दूसरे मे डूब कर प्यार से एक दूसरे के होठ चूम रहे थे.... प्यार से बिल्कुल धीमे-धीमे... कभी रीति के होठ नैन के होठों के बीच .. तो कभी नैन के होठ, रीति के होठ के बीच.....
"अब दोनो को अकेला भी छोड़ दो और चलो भी".... "रूको तो अनु, वॉवव यार .. क्या डूब कर एक दूसरे को चूम रहे हैं, मन मे एमोशन जगा रीए"
अनु.... चलो भी वैसे भी तुम्हे अपना वादा पूरा करना है...
वासू... कौन सा वादा अनु, ज़रा बताना
अनु... अच्छा इत्ति जल्दी भूल भी गयी... वही वादा मेडम ... जब हम मिलेंगे .. तो आप वही आक्ट करेंगी जो मैने सुनाया था....
वासू.... हटत्त.. मैं नही करती, वो तो फोन पर ऐसे ही कह दी थी...
अनु.... ज़रा देखो तो, वासू का चेहरा तो शर्म से लाल हो गया... अच्छा चलो हम दोनो मिलकर वैसा ही आक्ट करेंगे...
वासू... धत्त.. जब देखो तब एक ही ख्याल मन मे घूमता है...
अनु.... पर ये भी तो एक्सप्रेशन ऑफ लव ही है ना... एग्ज़ोटिक लव
वासू कुच्छ नही बोली और शर्मा कर चुप-चाप वहाँ से चलती बनी....
इधर प्यार मे डूबे एसपी साहब अपनी शहज़ादी को गोद मे उठाए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे. कुच्छ दूर आगे जाकर नैन इशारों मे सामने देखने को कहता है... रीति जब सामने देखती है तो खुशी से नैन के गाल चूम लेती है...
"वॉवववव ! आप को याद था, मुझे माता मनसा देवी के मंदिर आना है"
नैन... पागल कहीं की, तुम से जुड़ी मुझे हर बात याद रहेगी... तुम एक बार भूल सकती हो मैं नही...
दोनो मनसा देवी के मंदिर घूम कर वापस लौटे... रीति काफ़ी खुश थी आज .... अपने लिए जो रेस्पेक्ट और प्यार चाहिए था, उसे आज सब मिल गया था...
अपने हाथों मे नैन का हाथ कस कर थामते हुए.. रीति बस कदम से कदम मिला कर चल रही थी.... उन प्यारी सी वादियों मे ... एक हसीन शाम मे ....
वासू और अनु भी उन दोनो से अलग होकर ... एक रोमॅंटिक सफ़ारी पर निकल चुके थे..... हर कोई सम ढलते ही वापस आ गये...
होटेल के रेस्तरा मे बैठे... दोनो प्रेमी अपने-अपने प्रेमिका को ... प्यार से अपने हाथों से खिला रहे थे.. और वो दोनो भी उन दोनो को प्यार से खिला रही थी, इस बात की परवाह किए बगैर कि वहाँ बैठे सभी लोग उन्हे ही देख रहे हैं...
इस तरह के प्यार मे अपना ही कुच्छ आनंद था... लेकिन प्यार के इस पल मे विधान डालता नैन का फोन... वो अचानक से बज उठा... कॉल देख कर नैन कॉल पिक करता वहाँ से निकल गया.... रीति इतने प्यार से खिला रही थी... और नैन का यूँ अचानक जाना ... रीति का दिमाग़ ही खराब हो गया...
उधर जब नैन बात करना शुरू किया ... तो बात खिचती ही चली गयी ... उसके केस मे एक दिन मे इत्ति जानकारी आज तक कभी नही मिली थी.... ऐसा लगा जैसे बस अब जीत करीब है.... नैन खुश होता वापस आया... और वापस आकर टेबल का जब हाल देखा तो देख कर समझ गया.... लग गयी अब तो, फिर से गुस्सा दिला दिया"
सभी थके थे इसलिए खाने के बाद सब सोने चले गये. रात को तकरीबन 2.30एएम बजे नैन धीरे से उठा, और बाहर आकर अपने एक खबरी को कॉल लगाया...
नैन..... सब रेडी है ना, मैं बाहर आ रहा हूँ...
दूसरी ओर से... हां सर सब रेडी है .... आप आ जाइए.....
नैन होटेल के पार्किंग मे पहुँचा, खबरी रूपक से मिलने के लिए...
नैन.... रूपक तुम्हारी खबर तो पक्की है ना....
रूपक.... सर जी कोई ग़लती हो तो, आप की बंदूक और मेरा सर...
नैन.... ह्म्म्मो ! तो चलो फिर...
दोनो बंद पड़ी एक फॅक्टरी के पास पहुँचे... उसके पिच्छले वाले हिसे से दोनो दाखिल हुए.. और एक कोने मे छिप्कर इंतज़ार करने लगे..... जब रूपक और नैन किसी की ताक मे दोनो शांत बैठे थे... तभी दोनो ने किसी की के रोने की आवाज़ सुनाई दी....
दोनो हैरान हो गये, पहले तो दोनो को लगा किसी को यहाँ बंधक बना कर रखा गया है, लेकिन जब आवाज़ के पिछे गये तो नैन काफ़ी हैरान हो गया....
नैन.... ओफफफ्फ़ ओ... डफर तुम्हे यहाँ मेरे पिछे किसने कहा था आने के लिए, और रो क्यों रही हो..
रीति थोड़ी और ज़ोर से रोती हुई.... "एक तो अंधेरे मे मुझे चोट लग गयी और उपर से डाँट रहे हो"
नैन ने रीति के मुँह को बंद किया... और बिकुल शांत होने का इशारा करने लगा... अब दो के बजे तीन लोग थे... किसी की घात लगाए इंतज़ार मे...
थोड़ी देर बाद ... उस जगह पर एक आदमी आया... और तीन बार लाइट ऑन-ऑफ किया... उसके ऐसा करते ही अंदर से कुच्छ लोग निकले... उनकी आपस मे कुच्छ बात चीत हुई... फिर वो आदमी जो आया था.. उनलोगों के पास से एक बॅग लेकर निकल गया...
नैन भी रूपक और रीति के साथ वहाँ से निकला...
नैन... रूपक मैं चाहता हूँ ... तुम इसका पिछा करो और बिना इसकी जानकारी के बगैर उसके बॅग मे क्या है उसकी पूरी डीटेल निकालो..
रूपक हामी भर-कर निकल गया वहाँ से अब बस नैन और रीति रह गये...
नैन.... रीति तुम्हे यहाँ किसने कहा था आने के लिए, पागल हो गयी हो क्या ?...
रीति... हां हो गयी हूँ पागल ... पहले ही कह देते काम से जा रहा हूँ, झूट क्यों बोले .. घूमने चलते हैं...
नैन... साची घूमने ही आया हूँ... अब इत्ति रात गये सोने का टाइम होता है और मैं उसी वक़्त काम कर रहा हूँ...
रीति... हुहह ! झूठे कहीं के, जब से मिले हो कुच्छ भी सच बताया है...
नैन..... लेकिन सब सच ही तो कहा है....
रीति..... क्या.. क्या सच कहा है...
नैन..... आइ लव यू... आइ लव यू .... ईईईईईईईईईई ..... लॉवीईईई ...... ऊउउउउउउउउउउ
रीति..... मुझे बातों मे नही उलझाओ... अभी मुझे काफ़ी गुस्सा आ रहा है...
नैन..... सूऊ सोल्लय्यी ... लो अब कान भी पकड़े .... तुम प्लीज़ गुस्सा ना किया करो मेरा दिल बैठ जाता है...
रीति.... आप ही तो हैं जिसपर गुस्सा कर सकती हूँ... बाकी किसी ने वो हक़ दिया ही नही ....
कितनी मासूमियत से मुस्कुराते हुए रीति ने अपनी बात कही.... नैन बस उसे नज़र भर देखते लिपट गया....
चाँदनी रात मे दोनो प्रेमी ... बाहों मे बाहें डाल... प्यार भरी बातों के साथ अपने एक-एक कदम बढ़ाते हुए ... वापस होटेल तक आ गये....
वासू और अनु की नींद सुबह जल्दी खुल गयी.... चुकी आज शाम सबको वापस लौटना था, इसलिए सुबह से ही घूमने का प्रोग्राम बना रखा था.... पर रीति और नैन सोए इतने देर से थे, कि वो नही उठे ....
अनु और वासू उन दोनो को सोता छोड़ घूमने चले आए .... जंगल और पहाड़ों का दृश्य मनमोहक था, दोनो को अपना पहला मिलन याद आ गया....
अनु.... इन वादियों से कुच्छ याद आया... वासू
वासू.... हान्न्न ... कितना प्यारा और खिला मौसम है यहाँ का... जगह बहुत ही मस्त है अनु..
अनु.... और तुम भी बहुत मस्त लग रही हो वासू, इन शॉर्ट्स और टी-शर्ट मे.... मुझे तो एकदम हॉट दिख रही हो
वासू.... इष्ह ! आज तुम्हारे इरादे नेक तो है ना अनु
अनु.... हां बिल्कुल वासू... इरादे पूरे नेक हैं ... तुम्हे अपने बाहों मे भर कर... तुम्हारे होठों को ज़ोर से चूसने का... उसे अपने दांतो के बीच लेकर हल्का काटने का...
वासू ये सब सुनकर थोड़ा शर्मा गयी ... उसके अंदर से बस ... "ईश्ह्ह" की आवाज़ ही आई ... उसे भी सुन'ना अच्छा लग रहा था.. इसलिए चुप-चाप वो आगे चल रही थी....
अनु अब भी अपनी पॅशनेट इच्छा को जाहिर करने मे ही लगा था...... धीरे से टुमरे कानो को मुँह मे भर कर ... उन्हे वेट करूँगा .... इन हाथों से तुम्हारे बदन के हर अंग को चुमूंगा .... हौले से दाँतों मे दबा कर ... तुम्हारी टी-शर्ट को पहले उपर खीचुँगा ..... और प्यार से इस सफेद मखमली कमर को चूम लूँगा..... हौले से होंठो के साथ जीभ फिराते हुए उपर ले जाउन्गा ....
सुनते-सुनते हे वासू की साँसें चढ़ने लगी....... "हॅट गंदे... तुम्हे तो बस मौका मिला नही कि शुरू"...
अनु थोड़ा आगे बढ़ते हुए... वासू की कमर मे हाथ डाल कर उसे अपनी ओर खींच लिया... अनु, वासू की तेज चलती सांसो को महसूस कर सकता था... अपने दाँतों को वासू के निचले होठ मे फसा कर उसे हल्के से खींचा... उसे अपने होटो के बीच मे दबा कर उसे चूसने लगा....
वासू की आँखें बंद हो गयी, उसकी जीभ मचलने लगी और अपनी जीभ को अनु की जीभ पर फिराती, वो भी होंठो का रस्पान करने लगी..... अनु ने टी-शर्ट के अंदर से अपना एक हाथ वासू के बूब्स पर रख कर .. उसे हल्के से दबाया...... हल्की आवाज़ मे "इस्शह" करती वासू.. अनु के होंठो को चूसने लगी....
अनु तो जैसे कितने जन्मों का भूखा हो.... अपना दूसरा हाथ वासू के शॉर्ट्स मे डाल कर... उसकी योनि पर पाँचो उंगलियाँ फिराने लगा... और एक उंगली को उसकी योनि के अंदर डाल दिया..... एक बार फिर वासू के मुँह से "आहह" निकल गयी... हल्की सिसकती वो अनु को धक्का दी ... और गुस्से मे कहने लगी....
"ना वक़्त देखते हो ना महॉल, अपने साथ मुझे भी बहका देते हो.... अब दो फीट की दूरी पर रहो... यदि मुझे छुआ तो देख लेना"
झूठे गुस्से के साथ ... अनु ने भी सॉरी कहा और चुप चाप आगे चलने लगा.... अनु गुस्से मे मुँह फुलाए बस चुप चाप चला जा रहा था... उसे लगा वासू प्यार से अब कुच्छ कहेगी... अब कुच्छ कहेगी... पर मामला पूरा शांत...
अनु ने अपने चारो ओर देखा... पर वासू का कोई पता ही नही था... अनु घबरा गया और बेचैनी के साथ वासू को तलाशने लगा.... वासू ... वासू कर के ज़ोर से चिल्लाने रहा था और जंगल मे इधर उधर भटकने लगा....
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