Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
12-28-2018, 12:39 PM,
#8
RE: Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
यह कहना कि उज्ज्वल भविष्य की कल्पनाओं ने मुझे अतिउत्तेजित कर दिया था, अति कथनी नही होगा. मुझमे अविश्वसनीय जोश था. अपनी जिंदगी में कुछ हासिल कर लेने के ख़याल से मुझमे जोश के साथ साथ कामोत्तजना भी आ गयी थी. मेरे दिमाग़ में एक उद्देश्य पल रहा था, जिसने 'मुझे इस हद तक आनंदित कर दिया था कि यह आनंद धरती पर मौजूद दुनिया की सबसे सुंदर, मनमोहक और प्यारी युवती के साथ संभोग से प्राप्त होने वाले आनंद से भी बढ़कर था. उस रात जब मैने अपनी बेहन को अपनी बाहों में थमा हुआ था तो मेरे जिस्म और मेरा दिमाग़ दोनो अलग अलग जाँघो पर थे. मैने उसके अंदर दाखिल होने की कोई जल्दबाज़ी नही की. मैने खुद को कंट्रोल करते हुए उसके पूरे जिस्म को प्यार से सहलाया, उसके हर अंग को चूमा. शुरुआत में मैने हल्के हल्के धक्के लगाए मगर जब दिन भर के ख़याली पुलाबों की खुशी और उफनता जोश मेरे दिमाग़ से निकलकर मेरे लंड में घुस गया तो मैं उसे तेज़ तेज़ और प्रचंड धक्कों से जड़ तक चोदते हुए अपना सारा जोश अपने लंड के ज़रिए उसकी चूत में पहुँचने लगा . जब तक मेरे स्खलन का समय आया, तो मेरे उस आवेश, उस जोश के कीड़े ने उसे भी काट लिया था. मेरे प्रचंड धक्कों का ज्वाब उसने भी पूरे जोश से अपने कूल्हे उछाल उछाल कर दिया. 

अगले दिन मैने दुकान से एक नोट बुक और कुछ पेन उधार लिए जिसे मैं भविष्य में खेतो से दुकान को होने वाली सप्लाइ से चुकता करने वाला था. मैं पूरी गंभीरता से योजनाएँ बनाने लगा.

सबसे पहले मैने खेतों के हर हिस्से हर कोने मे घूमकर यह पता लगाया कि हमारी ज़मीन लगभग कितनी है और किस हालत में है. यह देखकर मुझे अत्यंत खुशी हुई कि हमारे पास इतनी ज़मीन थी जिसमे ना सिरफ़ मैं अपनी योजनाओं अनुसार फसलें उगा सकता था, बल्कि गायों के अलावा दूसरे जानवरों के एक बड़े झुंड को भी पाल सकता था. मगर निराश करने वाली बात यह थी कि ज़मीन का ज़्यादातर हिस्सा घनी गहरी घास और कंटीली झाड़ियों से भरा पड़ा था. मगर कुछ छोटे छोटे हिस्से ऐसे थे जिनमे थोड़ा घास था या जहाँ तहाँ कुछ पेड़ उगे हुए थे. मैं उन कुछ हिस्सों को सॉफ करके बारिश आने से पहले फसल बीजने के लिए तैयार कर सकता था. समय मेरे पास था, कठोर परिश्रम करने के लिए मैं तैयार था मगर बारिश के बारे मे पूर्व अनुमान लगाना बेहद मुश्किल था, बारिश का मौसम मन्मोजि था. 

हमारे इलाक़े में लगभग सभी लोग बारिश के समय खेतीबाड़ी करते थे. जब बारिश होती तो वो बीज धरती मे डाल देते और फिर और बारिश का इंतज़ार करते जिससे बीज से पोध निकलकर फलफूल सके. सिंचाई का और कोई साधन मौजूद नही था और अगर बारिश समय पर ना आए तो धरती में डाला बीज या उससे निकले छोटे छोटे पोधे मर जाते. अगर कुछ पोधे बच जाते और फसल काटने तक बढ़ते रहते तो उनका पूरा रखरखाव ना होता. केयी बार सिरफ़ पोधे बढ़ जाते मगर उनमे कुछ ही पोधे अनाज देने लायक होते. जो ज़्यादातर मामलो में एक दो महीने तक चलता और फिर लोगों को पेट भरने के लिए दूसरे साधनो की ओर देखना पड़ता. असल बात यह थी कि श्रम शक्ति नही थी इतने लोग नही थे जो खेतों को अच्छे से खोदकर उन्हे तैयार कर सके या फिर उनकी बिजायी कर सके और इस बात ने हालातों को बुरी तरह से बिगड़ दिया था. कुछेक बार कई लोगों ने ट्रॅक्टर किराए पर लेकर खेतों की अच्छे से जुताई की और बीज बोया मगर उस साल के भयंकर सूखे के कारण वो प्रयास भी असफल हो गया. ज़्यादातर लोग अपने बेटे बेटियों की कमाई पर निर्भर थे जो गाँव को अलविदा कह चुके थे और सहरों में रहकर अच्छी कमाई कर रहे थे या कुछ अपने रिश्तेदारों पर जो उनपर तरस खाकर उनको कुछ मदद या अनाज दे देते. 

हमारा परिवार आमतौर पर दुकान से होने वाली आमदनी पर निर्भर था. लोग दूध, परचून और पेट्रोल तक हमारी दुकान से खरीदते थे. हम कुछ कपड़े और हार्डवेर का समान भी बेचते थे मगर उन वस्तुओं की उस गाँव में कोई ज़्यादा ज़रूरत नही थी. जहाँ तक खेतीबाड़ी का संबंध है, हमारी माँ चाह कर भी कुछ नही कर सकती थी और मुझे तो याद भी नही पड़ता था आख़िरी बार हमारी ज़मीन में बीज कब बोया गया था. अतीत में मैं सिर्फ़ जानवरों की देखभाल करता था मगर अब जब मेरा इरादा अपने खेतों में फ़ासले उगाने का था तो सिंचाई के पानी की मुश्किल मुँह बाएँ सामने खड़ी थी. मैं अपनी सारी ऊर्जा और मेहनत को बेकार नही करना चाहता था कि इतनी मेहनत से फसले उगाकर बाद में उन्हे पानी के अभाव में मिट्टी में मिलते हुए देखूं. 

खेतों में एक हिस्सा एसा भी था जो बाकी ज़मीन से उँचा था और जिस पर बड़े बड़े पेड़ उगे हुए थे. वो पेड़ उस हिस्से में एक गोलाकार घेरा बनाते थे जिसके अंदर काफ़ी ज़मीन थी जिस पर बड़ी बड़ी हरी घास उगी हुई थी. उस हिस्से के विपरीत दिशा में हमारा एक बड़ा सा शेड था या यूँ कहिए एक छोटा सा टूटा फूटा ज़रज़र शेड था जिसमे एक कमरा कुछ अच्छी हालत में था और बाकी हिस्सा पूरा खुला हुआ था यानी स्तंभों पर केवल छत थी. यह शायद मेरे दादा ने या परदादा ने या उनके पिता ने किसी पिछले युग में बनवाया था. कमरा इसलिए था कि बारिश या किन्ही बदतर हालातों में आदमी वहाँ आराम कर सकता था हालाँकि वो शायद कभी इस्तेमाल में नही आया था.


मेरे पिताजी उस बाडे के गिर्द अपना समय काम करने का बहाना करके ब्यतीत करते थे या यूँ कहें कि आवारगार्दी करते हुए समय नष्ट करते थे. अब वो बाड़ा मेरी माँ के टहलने या समय नष्ट करने के काम आता था जब वो कुछ समय के लिए खेओं में आती थी. खेर अब तो उसने आना भी बंद कर दिया था. मैं अपना जायदातर समय उस पेड़ों वाले उँचे हिस्से मे ब्यतीत करता था और शेड से दूर रहता था. अब उस दूबिधा में फंसकर जो मेरे कुछ कर दिखाने के सपने को बड़ी आसानी से चकनाचूर कर सकती थी, मैने शेड मे छान बीन करने का फ़ैसला किया.

मैने बड़ी शेड में छानबीन करने का फ़ैसला किया, प्रार्थना करते हुए इस उम्मीद से वहाँ से मुझे कुछ एसा उपयोगी समान मिल जाएगा जिससे मैं अपनी ज़मीन में कुछ कर सकूँ. कम से कम वहाँ से मुझे कोई पुराना हल या खेतीबाड़ी के कुछ दूसरे औज़ार मिलने की आशा थी जिनसे मैं घास की सफाई कर सकूँ या कुछ बेल्चे, कुल्हाड़ी या फावडे जैसा, कुछ भी जिससे मैं झाड़ियों को उखाड़ सकूँ.

मैने कुछ पुराने जंग लगे औज़ार ढूँढ निकाले जिनके हॅंडल टूटे हुए थे, बाड़ करने की कंटीली तार थी, कुछ इंट थी और कुछ सीमेंट के बोरे थे जो जम चुके थे और अब पूरी तरह से बकार थे. एक छोटी बैलगाड़ी का ढाँचा था जो किसी समय में बहुत उपयोगी रहा होगा. लगभग सभी चीज़ों की काफ़ी मरूमत करने की ज़रूरत थी, इससे पहले कि मैं उनसे कुछ काम कर पाता. क्योंकि वो सब चीज़ें आपस में मिक्स हुई पड़ी थी, मैने उन्हे एक एक कर बाहर निकालने का फ़ैसला किया ताकि काम लायक समान का निरीक्षण कर सकूँ इससे पहले कि औज़ारों के अभाव मे मैं अपने प्रयास को बीच में अधूरा छोड़ दूं. 

मुझे लगभग डेढ़ हफ़्ता लगा सब कुछ वर्गीकृत करने में. इस समय के दौरान मैने पूरी शेड की अच्छे से सफाई की और जितनी मरम्मत मैं कर सकता था, मैने की जैसे जितने होल वग़ैरहा भरने की ज़रूरत थी, मैने भर दिए. जीतने उपयोगी औज़ार मैने ढूँढे थे मैं उन सब को उस पेधों वाली उँची जगह पर ले गया और जो चीज़ें अब किसी काम की नही थी या जिनकी मरम्मत संभव नही थी, मैने फेंक दिए. इतना काम निपटाने के बाद अब मेरे पास एक पूरी सॉफ सुथरी बड़ी सी शेड थी, कुछ औज़ार थे जिनके हॅंडल नये थे और जिनको मैने खूब नुकीला कर दिया था, मेरे पास एक बैलगाड़ी थी जिसको नये पहियों की ज़रूरत थी और तीन हल थे जिनके हत्थे लगाने की ज़रूरत थी.

सबसे अच्छी चीज़ जो मुझे शेड की सफाई के दौरान मिली वो एक डीजल जेनरेटर था जिसकी एक बेल्ट गुम थी मगर वो बेहद अच्छी हालत में था क्यॉंके वो शेड मे एकलौते कमरे मे ढक कर रखा हुआ था. मेरे लिए जैसे वो मुझे मेरे पिता जी का छोड़ा हुआ उपहार था, जो उनकी जुए की कभी ना ख़तम होने वाली रातों से ना जाने कैसे बच गया था, शायद उन्होने उसे इसलिए जुए में इस्तेमाल किया हो क्यॉंके उसके बाद तो उनका जुआ खेलना ही रुक जाता.

बहरहाल, जेनरेटर ने मुझे एक नयी आशा बँधा दी थी, अब शायद मेरी सिंचाई की मुश्किल का हलनिकल सकता था.
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