Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
12-28-2018, 12:43 PM,
#17
RE: Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
तभी माँ कुर्सी से नीचे गिर पड़ी. मैं भागकर माँ के पास गया. माँ की आँखे बंद थी, मुझे लगा जैसे वो साँस नही ले रही है. मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ. मैने माँ को अपनी बाहों में उठाया, और उसे हॉल में चारपाई पर लिटाकर उसका चेहरा थपथपाया. रसोई से भागकर जग मे पानी लाया, माँ के मुँह पर छींटे मारे तो उसने आँखे खोल दीं. एक पल के लिए उसके चेहरे से ऐसे लगा जैसे वो सपने से जागी हो, लेकिन अगले ही पल उसकी नज़र मेरे घबराए चेहरे पर पड़ी तो उसे उस कड़वी सच्चाई का अहसास हुआ. माँ ने चेहरा एक तरफ मोड़ लिया और फिर से सुबकने लगी. 

मैने माँ को सहारा देकर उठाया, उसे एक ग्लास मे पानी डालकर पकड़ाया तो उसने लेने से इनकार कर दिया. मैने ग्लास उसके होंठो से लगाया. पहले तो उसने पानी नही पिया, मगर मेरे चेहरे का भाव देखकर आख़िर वो धीरे से पानी का घूँट भरने लगी.

"घबराओ मत माँ. ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रही हो. हमरे सिवा उसका कौन है इस दुनियाँ में, कहाँ जाएगी वो, किसके पास जाएगी. ज़रूर उसने कोई बेहूदा मज़ाक करने की सोची है, आने दो उसे ज़रा, देखना मैं उसकी कैसी खबर लेता हूँ" माँ फिर से रोने लगी. मैं माँ को कम खुद को ज़्यादा धाँढस बँधा रहा था. मगर माँ अच्छी तरह से जानती थी, बहन कभी ऐसा मज़ाक करने वाली नही थी. माँ मेरी ओर मूडी और मेरे कंधो को थाम लिया

"बेटा....बेटा.. ....वो चली गयी....वो चली गयी....उसने ...उसने लिखा वो अब नही आएगी....वो लौट कर कभी नही आएगी" माँ फिर से बेहोश सी हो गयी. मैने माँ का चेहरा रगड़ा, उसके चेहरे पर पानी डाला. लाख कोशिश करने के बाद भी मैं अपनी रुलाई ना रोक सका. मेरी हिम्मत हौसला जबाव दे गये, और मैं फूटफूट कर रो पड़ा. माँ जल्द ही दोबारा होश मे आ गयी. मगर उसका रोना बदस्तूर जारी था. 

"माँ हिम्मत करो, कुछ नही हुआ, मैं उसे ढूँढ कर ले आउन्गा. मैं उसे ले आउन्गा माँ, कैसे भी, कहीं से भी मगर मैं उसे ढूंढकर ले आउन्गा माँ. देखो अगर तुम इस तेरह हौंसला छोड़ दोगि तो मेरा क्या होगा" 

मैने माँ को आलिंगन में लिया तो माँ ने भी मुझे कस कर अपनी बाहों में जाकड़ लिया. हम दोनो रो रहे थे. मैं माँ की पीठ पर हाथ फेरता उसे कुछ राहत देने की कोशिस कर रहा था. आख़िरकार ना जाने कितना समय उसी तरह रोते रोते जब हमारी आँखो से आँसू ख़तम हो गये तो माँ ने आलिंगन को तोड़ा. धीरे से वो उठी और अपना मुँह धोने लगी. मैने किचन मे से वो खत उठाया. मेरे हाथ ऐसे कांप रहे थे जैसे मैं जलते हुए शोलों को छूने जा रहा था. खत पर जगह जगह उसके आँसू गिरे हुए थे. उसने बस इतना लिखा था, कि वो कुछ बनाना चाहती है, इस गाँव मे रहकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद नही करना चाहती, इसीलिए वो हमें छोड़कर जा रही है. इस बात के डर से कि हम उसे पूछने पर शायद जाने की इज़ाज़त नही देंगे , इसीलिए वो बिना बताए जा रही थी. और उसने ये भी लिखा था कि अगर वो अपने मकसद में कामयाब ना हो सकी तो शायद वो कभी वापस नही आ सकेगी. सफलता ही उसके वापस लौटने की शर्त थी. और उसने उसकी सफलता के लिए हमारी सूभकामनाएँ माँगी थी और कहा था कि हम उसके लिए प्रार्थना करें कि वो अपने मकसद में कामयाब हो सके. और उसने बार बार हम दोनो को एक दूसरे का ख़याल रखने की ताकीद की थी. अंत में उसने इस तरह हमारा दिल दुखाने के लिए हम से माफी माँगी थी और लिखा था कि यह कदम वो मजबूरी में उठा रही है, इसके सिवा उसके पास और कोई चारा नही है. कि हमे छोड़ कर जाते हुए उसे बेहद तकलीफ़ हो रही है, उसने भगवान से प्रार्थना की थी कि हम सदा खुश रहें और उसके लिए परेशान ना हों और उसने हमे उसको ना ढूँडने के लिए भी ताकीद की थी.

आधी रात गुज़र चुकी थी. दीवार से टेक लगाए बेड पर बैठा मैं कमरे के गहरे अंधेरे में खुद को छुपाने की कोशिश कर रहा था. रोशनी अब आँखो को चुभती थी, उजाला उस भयानक सच्चाई की तकलीफ़ को और बढ़ा देता. अंधेरे में अपनी तन्हाई में, उस अकेलेपन में, उसके साथ बिताए एक एक पल को मैं याद कर रहा था. 

दो दिन गुज़र चुके थे बहन को गये हुए. उस दिन सुबह खत पढ़ने के बाद मैं सबसे पहले बहन के कमरे मे गया और उसकी अलमारी मे उसकी वो ख़ुफ़िया जगह देखी जहाँ वो अपनी बचत छिपा कर रखती थी. वहाँ कुछ भी नही था. रकम गायब थी. मेरी रही सही उम्मीद भी मिट गयी. मुझे लगा था शायद वो मुझे जलाने के लिए कोई नाटक खेल रही है, लेकिन उसकी कमाई वहाँ मौजूद ना होने का सॉफ मतलब था कि वो वाकाई मे मुझे छोड़कर चली गयी है. दिमाग़ ये बात मान चुका था,मगर दिल अब भी मानने को तैयार नही था. दिल कह रहा था वो यहीं है, इसी घर में, वो अभी मेरे सामने आएगी और मुझसे लिपट जाएगी, वो मुझसे पहले की तरह प्यार करेगी, मुझे पहले की तरह दुलारेगी. मगर ना वो आने वाली थी, ना वो आई. मेरी दुनिया उजड़ चुकी थी. 

माँ के बहुत कहने पर मैने चाय के दो घूँट भरे और गाँव के बस स्टेशन की ओर चल पड़ा. हमारे गाँव में एक ही बस आती थी जो दस किलोमेटेर दूर एक बड़े गाँव तक जाती थी और फिर वहाँ से सूरत जाने के लिए दूसरी बस पकड़नी पड़ती थी. गाँव का बस स्टेशन गाँव से थोड़ा बाहर की ओर था क्यॉंके पक्की सड़क हमारे गाँव से होकर नही गुज़रती थी. मैं बस स्टेशन पहुँचा और बस का इंतज़ार करने लगा. बस स्टेशन के सामने एक पॅनवाडी की दुकान थी, जो हमारे गाँव से ही था. उसने मेरी ओर देखकर हाथ हिलाया. मैं उससे जाकर पूछना चाहता था कि उसने मेरी बहन को बस में चढ़ते देखा था या नही, मगर मैं ऐसा कर ना सका. वो पूरे गाँव में धिंडोरा पीट देता. 

बस आई और मैं उसमे सवार हो सहर की ओर चल दिया. फिर सुरू हुआ मेरा सफ़र. सूरत के बस स्टेशनो से लेकर रेलवे स्टेशनो तक. मैं जहाँ जहाँ ढूँढ सकता था, उसे ढूँढा मगर वो ना मिली. सुबह से दोपहर हो गई, दुपहर से शाम, और शाम से रात. मैने वो ठंडी रात रेलवे स्टेशन के एक बेंच पर लेटकर गुज़ारी. अगली सुबह फिर से मैं अपनी तलाश में जुट गया. केयी सस्ते होटलों में गया, पैसे दे देकर उन लोगों से अपनी बहन के बारे में पूछा मगर कुछ पता ना चल सका. मेरा अंदाज़ा था शायद वो किसी सस्ते होटेल में रुकी हो. कुछ लोग मेरी हालत देखकर मुझे पैसे वापस कर देते और मुझे किसी और जगह देखने की सलाह देते. शाम होते होते हर जगह से निराश होकर मैने घर का रुख़ किया. जेब में इतने पैसे ही बचे थे कि सहर से एक बस का सफ़र कर सकता, दूसरी बस के लिए कुछ नही था. मैने पैदल गाँव का रास्ता पकड़ा. सर झुकाए ये सोचता कि वो कहाँ चली गयी थी, क्यों चली गयी थी, किसके लिए चली गई थी, मैं चला जा रहा था. मुश्किल से एक किलोमेटेर चला हुंगा कि बरसात सुरू हो गयी. कुछ ही मिंटो में मेरे पूरे कपड़े भीग गये, हवा बहुत ठंडी थी. मगर मुझे कोई अहसास नही था. मुझे कुछ मालूम नही था मेरे आसपास क्या हो रहा है. मैं बस अपनी बेदना से पीड़ित, निराशा के विशाल सागर में गोते लगाता चला जा रहा था. 

इसीलिए जब एक कार मेरे पास से गुज़रकर थोड़ा आयेज रुकी तो मैने कोई ध्यान नही दिया. मगर जब मैं चलता हुआ उसके पास से गुज़रा तो कार का शीसा नीचे हुआ और किसी ने मेरा नाम लेकर ज़ोर से मुझे पुकारा. मैने देखा मगर आँसुओं और बरसात के पानी से भरी अपनी आँखो से कुछ देख ना सका. जब मैने हाथ से आँखे पोन्छि तो जाना वो देविका थी. कभी हमारे गाँव के बीच उनकी बड़ी सी हवेली थी जिन्हे वो अब छोड़ चुके थे. गाँव से बाहर उनकी एक लकड़ी की फॅक्टरी थी और उसके साथ उनका एक घर जिसमे वो कभी कभार छुट्टियाँ काटने के लिए आते थे. वो अब सहर में रहते थे.

"अरे इतनी बारिश में कहाँ से चल कर आ रहे हो?" देखो कितने भीग गये हो. गाड़ी में आ जाओ"

"नही, मैं ठीक हूँ. वो...वो बस नही आई, इसीलिए पैदल जा रहा था......कोई बात नही मैं आ जाउन्गा आप लोग चलिए" मैने उसे टालने की कोशिस की. 

"अरे इतनी दूर पैदल कैसे जाओगे? इतनी ठंडी हवा है बीमार पड़ जाओगे. आओ हम तुम्हें छोड़ देंगे. जल्दी करो" 

"जी पर...पर मेरे कपड़े पूरे भीगे हुए हैं. आपकी गाड़ी खराब हो जाएगी. कोई बात नही शायद बस आएगी तो मैं उसमे आ जाउन्गा" 

"कोई गाड़ी वाडी खराब नही होगी, मालूम है गाँव से अभी कितना दूर हो. चलो आओ बैठो" 

इस बार उसका स्वर कुछ हुकुम देने वाला था. बहुत बड़े रईस थे वो लोग. मुझे कुछ हिच्किचाह्ट हो रही थी, मगर जब उसने इतना ज़ोर दिया और फिर थोड़ा खिसक कर मेरे लिए जगह खाली की तो मेरे लिए कोई रास्ता ना बचा. मैं गाड़ी में बैठ गया. गाड़ी में सिर्फ़ ड्राइवर और वो थी. और उसने मुझे बिठाया भी पीछे की सीट पर था.

"सहर गये थे" उसने जैसे पुष्टि करने के लिए पूछा. 

"जी?...........जी हां.... सहर गया था. फसल तैयार है उसका मोल भाव पता करने के लिए गया था" मैने झूठ बोल दिया.

"ओह हाँ. कल मैं बच्चों को लेकर हमारी गाँव वाली पुश्तैनी हवेली देखने के लिए गयी थे तो तुम्हारी दुकान पर भी गयी थी. तुम्हारी बहन से पता चला था. कह रही थी तुमने खेतों में जादू कर दिया है. बहुत मेहनत कर रहे हो. तुम्हारे पिता अगर इतनी मेहनत करते तो शायद तुम्हारा आज कुछ और होता. खैर, सब नसीबो की बात है" वो थोड़े चिंतत स्वर में बोल रही थी. उसके चेहरे से लग रहा था जैसे वो भी मेरी ही तरह किसी बात से परेशान है. 

"तुम्हारी बहन बहुत समझदार है, अगर पढ़ी लिखी होती तो बहुत आगे जाती. वो भी तुम्हारी तरह कुछ करना चाहती है, लेकिन इस गाँव में रहकर कुछ कर पाना, कुछ बन कर दिखना लगभग असम्भव ही है मुझे वो अच्छी लगती है, इस पूरे गाँव में एक वोही है जिससे बात करने को दिल करता है. तुम उसे परेशान तो नही करते? ............. उसका ख़याल रखते हो ना?"

"जी" बड़ी मुश्किल से मैं कह पाया. मेरे लाख रोकने पर भी मेरा गला भर आया था. आँखो में आँसू तैरने लगे थे. देविका से छुपाने के लिए मैने चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया, और बाहर देखने लगा. 

"बहुत ठंड है, तुम यह ओढ़ लो" वो मुझे बॅग से एक नया शॉल देते हुए बोली. मैने उसे मना करना चाहा लेकिन वो ना मानी. उसका इतना स्नेह दिखाना, मेरे लिए उसकी चिंता मुझे बहुत अटपटी सी लगी. कोई और मौका होता तो शायद मैं इस बारे में सोचता मगर उस समय मेरी हालत एसी नही थी कि मैं इस बात पर ज़यादा ध्यान देता. 

कुछ ही समय में हम गाँव पहुँच गये, उनकी फेक्टरी और घर गाँव के रास्ते में था, मैं वहीं उतार गया हालाँकि देविका ने बहुत ज़ोर दिया कि उसका ड्राइवर मुझे घर छोड़ देगा लेकिन मैने मना कर दिया. बारिश अभी भी हो रही थी. जब मैने उससे विदा लेकर घर की ओर रुख़ किया तो कुछ ही कदम चलने पर उसने मुझे पुकारा. "किसी बात की चिंता मत करो. भगवान पर भरोसा रखो वो सब ठीक करेंगे" उसने ऐसे कहा जैसे वो मेरी व्यथा जानती हो. मेने उसकी ओर मुड़कर देखा तो वो अपने घर की ओर मूड चुकी थी. मैं भी घर की ओर चलने लगा. माँ को घर छोड़े दो दिन हो गये थे. मालूम नही उसकी कैसी हालत होगी. मुझे फिर से चिन्ताओ ने घेर लिया. फिर मेरे मन में ना जाने कहाँ से एक विचार आया, शायद वो मूड आई हो, शायद उसने अपना फ़ैसला बदल लिया हो. या शायद वो हम से बिछड़ कर रह ना पाई हो और लौट आई हो. शायद....शायद......शायद वो माँ के साथ मेरे लौट आने की राह देख रही हो, मैं अपने मन को फिर से तस्सली देने लगा, जानता था झूठी उम्मीद लगा रहा हूँ जो कुछ ही पलों में टूट जाएगी. घर का गेट खोल कर जैसे ही मैं अंदर दाखिल हुआ तो सामने घर के बरामदे में एक पिल्लर से टेक लगाए माँ को खड़े देखा जो गेट खुलने की आवाज़ सुनकर भागकर बाहर आँगन में आई. मगर जब उसने मुझे अकेले को खाली हाथ, निराश लौटते देखा तो वो वहीं आँगन में बैठ गयी. मैं उसके पास गया. उसके चेहरा रो रोकर सूज गया था. आँखो के नीचे काले धब्बे उभर आए थे. मैने माँ को अपनी बाहों में भर लिया और बिना कुछ कहे उसकी पीठ सहलाने लगा. आँगन में बरसाती बारिश के बीच हम दोनो कमोशी से रो रहे थे, खामोशी से चीख रहे रहे थे.

दो दिन सहर की खाक छानने के बाद भी मैं बहन का कुछ अता पता ना लगा सका. मुझे उम्मीद थी शायद माँ को मेरी अनुपस्थिति में कुछ जानकारी मिली हो. लेकिन नही, बहन के बारे में हम कोई सुराग नही ढूँढ सके. मैने कमरे में जाकर कपड़े पहने तो माँ खाना लेकर आ गयी. खाना देखकर मुझे पहली बार अहसास हुआ कि मैने पिछले दो दिनो से कुछ खाया नही है. और ना ही मैं अब खाना चाहता था. मुझे कोई भूख नही थी, प्यास नही थी. अगर कोई भूख थी, कोई प्यास थी तो वो बहन को वापस पाने की थी. मैने मना किया तो माँ की आँखे भर आई, वो मिन्नत करने लगी. मैं माँ को और दुख नही देना चाहता था, इसीलिए ना चाहत हुए भी खाने लगा. 

उस रात नीम अंधेरे में अपने बेड के कोने पर बैठा मैं पिछले दो दिनो के बारे में सोच रहा था. कितना कुछ बदल गया था दो दिनो मैं. बड़ी मुश्किल से इतनी मेहनत करने के बाद अच्छे दिनो के आसार बने थे, लगता था अब हम बेहतर ज़िंदगी जी सकेंगे. बहन संग कैसे कैसे सपने देखे थे, कैसी कैसी योजनाएँ बनाई थी, भविष्य कितना सुखद लगने लगा था. और फिर एक ही झटके में सब सपने टूट गये, सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया, जैसे किसी ने आसमान से ज़मीन पर पटक दिया था. जिसके लिए सब कुछ कर रहा था वोही छोड़ कर चली गयी थी. 

आँखे लगातार रोने और जागने से लाल हो गयी थी, दिमाग़ में तूफान चल रहा था, जिस्म थक कर चूर हो चुका था मगर नींद का कोई नामो निशान नही था. अंधेरे में देखता मैं कल्पना करता शायद वो अभी आ जाएगी जैसे वो उन प्यारी रातों को माँ के सोने के बाद चुपके से मेरे रूम में आ जाती थी. 
Reply


Messages In This Thread
RE: Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें - by sexstories - 12-28-2018, 12:43 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,572,994 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 552,552 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,263,838 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 955,602 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,694,751 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,115,454 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,011,063 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,258,008 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,102,729 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 291,792 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 10 Guest(s)