RE: Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
उसी ने मुझे उस दूबिधा से उभारा. जब उसने अपनी घड़ी देखी तो एकदम से सीधी होकर बैठ गयी. "उफफफ्फ़ तुम्हारी बस निकल जाएगी. कितना समय हो गया है. चलो, चलो उठो जल्दी से" वो बेंच से उठती हुई बोली. मगर मैं हिल भी ना सका. वो पल बहुत भारी थे.
"उठो भी बाबा.......कितना समय हो गया है......बाद मैं पैदल जाना पड़ेगा...चलो उठो जल्दी से" उसने मेरे हाथ पकड़ मुझे उठाते हुए कहा. मैं लंबी साँस लेता धीरे से उठ खड़ा हुआ. उसने बेंच से अपना बॅग उठाया. हम दोनो पार्क से बाहर की ओर चल पड़े. वो कुछ बोल रही थी मगर मुझे कुछ सुनाई नही दे रहा था, अगर सुनाई दे रहा था तो समझ नही आ रहा था. पार्क से बाहर हम बस स्टॅंड की ओर जाने वाली सड़क पर आकर खड़े हो गये. मैने उसे देखा. मेरा मन बहुत उदास हो उठा था.
"जी छोटा मत करो. समझो हमारी परीक्षा है. हमे धीरज रखना ही होगा. यह वक़्त भी कट जाएगा, हौसला रखो" उस पल उसे देख मुझे हैरत हो रही थी क्या यह वही है जो पहले ऐसे सूबक सूबक कर रोरही थी. कमाल की हिम्मत थी उसमे.
"तुम्हे ऐसे अंजाने लोगों के बीच अकेला छोड़ने को दिल नही मानता"
"मैं अब अकेली कहाँ हूँ.....पहले थी अब नही हूँ" उसने अपने दुपट्टे के नीचे से मंगलसूत्र निकाला और उसे चूमा. "तुम सदैव मेरे साथ ही रहोगे, अब मुझे किसी बात की चिंता नही है"
मेरे चेहरे से शायद कुछ ज़यादा ही उदासी झलक रही थी. उसने मेरा हाथ दबाया. "चिंता मत करो. वो दिन दूर नही है जब हम साथ साथ रहेंगे.; हमेशा हमेशा के लिए. बस थोड़ा सा इंतज़ार और है" वो एक पल के लिए चुप हो गयी "और अपना ख़याल रखना. बहुत दुबले हो गये हो. इतना काम करते हो, अपनी सेहत का बी ख़याल रखा करो. इस बार माँ मुझसे मिलने आएगी तो उसे बोलूँगी मैं"
"तुम भी तो कितनी दुबली हो गयी हो, रंग भी कितना पीला पड़ गया है" मैं उसके चेहरे को देखता उदासी से बोला.
"अब नही होगा. अगली बार आओगे तो देखना" उसकी बात से मेरे होंठो पर मुस्कराहट आ गयी. "दीदी आप अब पार्लर पर जाओगी?"
"नही...अब जाने का फ़ायदा नही. अब मैं हॉस्टिल जाकर खाना बनाकर खाउन्गी और घोड़े बेचकर सोउंगी" उस बात से हम दोनो हंस पड़े.
"माँ ने मुझे बताया था तुमने कितना अनाज उगाया है और कितना पैसा कमाया है, माँ को तुम पर बहुत फख्र है, मुझे भी. वो बहुत खुश थी बोल रही थी इतनी उपज और कमाई देखकर गाँव वाले दंग रह गये हैं. मैने कभी माँ को कभी इतना खुश नही देख जितना वो उस दिन थी"
"हां इस बार फसल काफ़ी अच्छी हो गयी थी, कमाई भी खूब हुई है और अभी मुर्गियों की खेप तैयार है. उम्मीद है दो साल के भीतर मैं इतना पैसा जमा कर लूँगा कि तुम्हे यहाँ से दूर कहीं ले जाकर अपना घर बसा सकूँ" मैने भविष्य की कल्पना करते हुए कहा. "मगर तुम तो मुझसे भी ज़यादा मेहनत करती हो ...पहले फॅक्टरी में नौकरी फिर यह ब्यूटी पार्लर"
"अर्रे नही...फॅक्टरी की नौकरी इतनी मुश्किल नही है बस कभी कभी टाइम पास नही होता. हां पार्लार का काम थोड़ा थकने वाला ज़रूर है. बहुत औरतें आती हैं. मगर अब मैं लगभग काम सीख चुकी हूँ इसलिए उन लोगों ने मुझे थोड़े थोड़े पैसे भी देने सुरू कर दिए हैं, जल्द ही पार्लर की मालकिन ने कहा है वो मुझे पर लेडी के हिसाब से पैसे देंगी. तनख़्वा मिलाकर बहुत अच्छी कमाई हो जाती है"
"दीदी अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं तो कहता हूँ तुम मेरे साथ चलो, खेतों से बहुत कमाई हो रही है, क्या ज़रूरत है...."
"ज़रूरत है...अभी नही शायद बाद मे. एक दिन हमे गाँव छोड़ना है...ज़मीन भी. फिर सहर मे हमे कैसे गुज़र बसर करना है इसका अभी से ख़याल करना है. तुम चिंता मत करो. वैसे भी डेविका यहाँ मेरा ख्याल रखती है. उसने वॉर्डन को भी बोला है. तनख़्वा भी औरों से ज़्यादा है, वो बहुत अच्छी है भाई, बहुत अच्छी"
"जानता हूँ, जानता हूँ" बहन से नज़र चुराते मेने कहा. लगता था उसने बहन को कुछ भी नही बताया था और इससे मेरे दिल में उसकी इज़्ज़त और भी बढ़ गयी थी.
"अच्छा अब वक़्त बहुत हो गया है, तुम्हे जाना चाहिए" वो मेरे चेहरे को देखते बोली.
"हुन्न्ं. ठीक है मैं चलता हूँ" मैने खुद को मन ही मन तैयार करते कहा.
"भाई एक बात और.....देखो मेरी बात का बुरा मत मानना, प्लीज़" वो मेरे हाथ दबाते बोली. "क्या" मैं थोड़ा सा आश्चर्यचकित होता बोला, ऐसी कोन्सि बात थी उसकी जिससे मैं बुरा मान जाता, ऐसा तो असंभव था.
"भाई माँ का ख़याल रखना......वो बहुत अकेली है.....कभी कभी मैं सोचती हूँ कि उसने कैसी एकाकी, नीरस ज़िंदगी गुज़ारी है...भाई वो मुँह से नही बोली मगर मैं जानती हूँ........पिताजी ने भी शायद ही उन्हे कभी कोई खुशी दी हो...भाई तुम माँ को खुश रखना"
"हुम्म जानता हुन्न्ं......मैं कोशिश भी करता हूँ......जबसे मैं कमाने लगा हूँ वो थोड़ी खुश तो रहने लगी है.....मगर मैं ध्यान रखूँगा.......और भी कोशिस करूँगा.......पर यह तो बताओ इसमे बुरा मानने की कौन सी बात है?"
"भाई मैं दूसरे तरीके से.........वो बहुत अकेली है.........समझते हो ना......उसकी भी तो इच्छाएँ होंगी ना......" अब मुझे उसकी बात समझ आ गयी थी वो क्या कहना चाहती थी. मेने चेहरा झुका लिया.
"तुम जानती हो....जिस दिन.....तुम वहाँ से आई थी......उस दिन......."
"मुझे मालूम है...मैं जानती हूँ" वो मेरी बात बीच मे काटती हुई बोली.
"तुम्हे मालूम है?" मैं हैरानी से बोला
"हां....मुझे माँ ने बताया था वैसे भी उस समय मैने देखा था तुम और माँ कितने करीब थे....मुझे अंदाज़ा हो गया था कि तुम्हारे बीच संबंध बन ही जाएगा सिर्फ़ समय की ज़रूरत थी"
"तुम्हे माँ ने खुद ही बताया था?" मैं असचर्यचकित था.
"हां.....उसने खुद मुझे बताया था जब मैने उसके सामने कबूल किया था कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ और तुम्हारे सिवा किसी और के बारे में सोच भी सकती. वो हमारे बारे में सुरू से जानती थी मगर उसने कहा था कि वो हमारी खुशी देखकर चुप रही"
"तुम्हे बुरा नही लगा कि मैने तुम्हारे साथ धोखा......"
"मुझे कोई बुरा नही लगा.......और उस समय तो हमने साथ निभाने का फ़ैसला भी नही किया था......भाई हमारे सामने पूरी ज़िंदगी पड़ी है मगर माँ की ज़िंदगी से बाहर की रूठ जाने वाली है.......इसीलिए कहती हूँ तुम उसे खुश रखना....मैं खुद तुम्हे बोल रही हूँ.....मेरी बात मनोगे ना?"
"मगर मैं ऐसा कैसे कर पाउन्गा जब मैने तुम्हे अपनी पत्नी स्वीकार किया है तो?"
"वो मेरा ही हिस्सा है भाई.....वो तुम्हारा भी हिस्सा है.......हम उसके बिना और वो हमारे बिना अधूरी है....भाई ज़रा सोचकर तो देखो उसने कितना दुख भोगा है"
"ठीक है ठीक है...मैं कोशिश करूँगा" मैने उसे कहा. बहन का दिल कितना बड़ा था, सोचकर मुझे खुद पर शरम सी आ गयी. वो जो भी करती थी अपने परिवार के लिए, हम सबकी खुशी के लिए मगर मैं ऐसा स्वार्थी था जो हमेशा अपनी जिंदगी के बारे में ही सोचता था.
"भाई माँ खुश होगी तो समझ लेना मैं भी खुश हूँ" हम दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा. "और हां यह छूट सिर्फ़ माँ के लिए है, कहीं ऐसा मत समझना मेने तुम्हे गाँव की औरतों के साथ भी छूट दे दी है" मैं मुस्करा पड़ा.
"अच्छा अब जाओ. यहाँ से रिक्शा ले लेना, नही तो बस छूट जाएगी...बातों बातों में देखो तुम कितना लेट हो गये हो....अब जाओ जल्दी से"
"अपना ख़याल रखना दीदी.....मुझे तुम्हे ऐसे छोड़ कर जाते अच्छा नही लगता"
"मैने तुम्हे कहा ना यह हमारी परीक्षा है, और इसमे हमे पास होना है अगर हमे साथ जीवन बिताना है तो"
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