Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:26 PM,
#7
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
पर मैं कहा मानने वाला था मैंने फिर से उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया और दबा दिया वो धीरे धीरे फिर स उसको हिलाने लगी अब मैंने भी अपने हाथ को उसकी जांघो पर रखा और सहलाने लगा उसकी टाँगे अब खुलने लगी थी और बिना देर किये साड़ी को घुटनों तक उठा कर मैं उसकी कच्ची के ऊपर से ही चूत को मसलने लगा बिमला का खुद पर काबू रखना मुश्किल हो गया तो वो थोडा गुस्से से बोली पागल हो गए हो क्या बस में बेइज्जती करवानी हैं क्या चलो अब चुप चाप सो जाओ तो उसके बाद अपनी आँख सीधा अपने सहर ही खुली 

सुबह के ५ बजे हम लोग अपने घर पहचे भाभी ने गेट खोला मैं तो सीधा पड़ते ही सो गया बस में वैसे भी परेशां होना था और क्या

फिर मेरी नींद सीधा दोपहर को ही खुली, अंगडाई लेते हुवे मैं बाहर आया तो देखा बिमला आँगन में अपने बाल सुखा रही थी उसने एक ढीली सी मैक्सी पहनी हुई थी, शायद थोड़ी देर पहले ही नाहा कर ई थी, उसने मेरी और देखा और कहा की उठ गए मैंने कहा हां बस अभी उठा बाल सुखाने को थोडा सा वो झुकी और उसके बोबे बहार को लटक आये अन्दर ब्रा नहीं डाली थी उसने अपना लंड तो पल भर में ही तन गया और मैंने उसी पल कुछ करने का सोचा 
मैं बिमला के पास गया और उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसको किस करने लगा बिमला बोली- क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे 
मैं- नहीं भाभी अब नहीं अब आपको अपना बनाके ही रहूँगा अभी मुझे मत रोको 
मैंने उसको अपनी बाहों में कस लिया और चूमने लगा ताजा पानी की सोंधी सोंधी सी खुशबू बिमला के बदन से आ रही थी मैं पागलो की तरह उसकी माथे, गालो और होटो को चूम रहा था धीरे धीरे वो भी मेरा साथ देने लगी थी अब मैंने उसको अपनी गोदी में उठाया और अन्दर कमरे में ले आया और उस पर टूट पड़ा उसकी मैक्सी पल भर में ही उसके बदन से जुदा हो गयी थी ब्रा तो वैसे भी नहीं थी बड़ी सेक्सी लग रही थी बिमला उस टाइम पर इस से पहले की मैं कुछ कर पता बहार से किसी ने गेट खडकाया तो हम अलग हो गए उसने जल्दी से मैक्सी डाली और बाहर चली गयी 

उसके बच्चे स्कूल से लोट आये थे, मैंने माथे पर हाथ पीटा और अपने घर पर आ गया , अब कल से मुझे भी पढाई फिर से शुरू करनी थी तो बस्ता सेट किया वैसे भी रात को बिमला के घर पर ही सोना था तो फिर रात अपनी ही थी, इसी उधेड़बुन में बाकि का टाइम कटा जैसे तैसे करके खाना वाना खाके बस जाने ही वाला था बिमला के घर पर की चाची मेरे कमरे में आई और बोली – एक काम कर आज तू खेत पर चला जा सोने को आवारा गाय बहुत घुमती हैं उधर कई दिनों से अपनी फसल का नुक्सान हो रहा हैं जरा देख ले उधर जाके ये सुनते ही मेरा दिमाग बहुत तेजी से ख़राब हो गया 

घर में चाची का राज चलता था तो फिर क्या था अपनी साइकिल उठाई और चल दिया मन में हजार गालिया बकती हुए, इस घर में गुलामो सी ज़िन्दगी थी अपनी कोई कुछ समझता ही नहीं था खेत वैसे ज्यादा दूर नहीं था बस्ती से करीब कोस भर ही दूर था , मैंने वहा जाकर कुवे पर बना कमरा खोला और साइकिल अन्दर खड़ी की, चारपाई को बहार निकला और उस पर बैठ कर सोचने लगा सारे प्लान का तो बिस्तर गोल हो गया था अपने रेडियो को लगाया और सोच विचार करने लगा 


करीब घंटे भर बाद मुझे कुछ आहट सुनाई दी तो मैं भी खड़ा हुआ और देखने लगा कही कोई पशु तो नहीं आ निकला पर खेत के परले तरफ मुझे कोई लालटेन लिए दिखा तो मैंने अपना लट्ठ संभाला और उस तरफ चल निकला तो पता चला की ये तो हमारे मोहल्ले की ही पिस्ता हैं, मेरा इस से कभी ज्यादा वास्ता नहीं पड़ा था क्योंकि उसकी छवि थोड़ी ठीक नहीं थी गाँव में उसके कांड की कई किस्से मशहूर थे और उनका घर भी बस्ती के परली तरफ था तो बस कभी राह में आते जाते देख लिया इस से ज्यादा कभी कुछ था नहीं 

वैसे तो पिस्ता अपने खेत में खड़ी थी फिर भी मैंने उस से पूछ ही लिया की वो रात को इधर क्या कर रही हैं , उसने मुझे ऐसे देखा की जैसे मैं कोई विचित्र गृह का प्राणी होंवु , अपनी बड़ी बड़ी गोल आँखों को घुमाते हुए उसने कहा की अपने खेत में रखवाली कर रही हूँ और क्या , 

मैं- अरे वो तो ठीक हैं पर घर से और कोई नहीं आ सकता था क्या तुम रात में अकेली
पिस्ता- और कोण करेगा, भाई तो नोकरी पर रहता हैं साल में दो बार ही आता हैं , माँ सारा दिन घर का काम करके परेशां हो जाती हैं तो मैं ही कर लेती हूँ वैसे मैं आती नहीं पर वो क्या हैं न की सब्जियों में पानी देना था तो इसलिए आना ही पड़ा 
मैं-पर आज तो लाइट आ ही नहीं रही 
पिस्ता- आज का सारा तो था पर पता नहीं क्यों कट कर दी वैसे तुम सवाल बहुत पूछते हो पिछले जनम में वकील थे क्या 
मैं- अरे नहीं, वो तो तुम्हे ऐसे देखा तो बस पूछ लिया अच्छा तो मैं चलता हूँ
पिस्ता- रुको मैं भी चलती हूँ तुम्हारे साथ, 
मैं- पर क्यों रहो अपने खेत में
पिस्ता- अब लाइट तो हैं नहीं तो थोड़ी देर तुमसे ही बाते करके टाइमपास कर लुंगी, 
मैंने सोचा ठीक ही हैं मेरा भी टाइम कट जायेगा तो वो मेरे साथ कुए पर आ गयी और मेरी खाट पर बैठ गयी मैं जमीं पर बैठ गया तो उसने कहा अरे तुम भी ऊपर ही बैठ जाओ 
मैं- नहीं मैं ठीक ही हु उधर
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