Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:27 PM,
#9
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
फिर ना जाने कब नींद आगई आँख खुली तो धुप सर पर पड़ रही थी बिस्तर को कुएँ पर बने कमरे में पटका और तेजीसे भगा घर ओर कॉलेज के लिए लेट हो गया था बिना नहाये ही पंहूँचा जैसे तैसे करके क्लास लग गयी थी पर मास्टर जी की दो डांट सुन ने के बाद बैठ गया थोड़ी देर बाद नीनू से आँखे चार हूँई पर बस आँखे ही मिल कर रह गयी आधी छुट्टी में पूछा उसने की कॉलेज क्यों नहीं आ रहे थे मैंने कहा – बहार गया हूआ था और एक दिन जान कर घर पर ही रुक गया था 

नीनू- पर तुम्हारे चक्कर में मेरे मैथ का तो नुक्सान हो गया ना 

मैं- वो क्यों भला 
नीनू- तुमने कहा जो था की छुट्टी के बाद तुम पढ़ा दिया करोगे भूल गए क्या तुम
मैं- अरे हाँ , आज से करवा दूंगा तुम्हे और बताओ क्या चल रहा हैं 
नीनू- अपना क्या चलना हैं वो ही इधर से घर घर से इधर तुम मजे में हो चंडीगढ़ घूम आये सुना बहुत हैं उधर के बारे में , तुम भी बताओ कुछ 
मैं- हाँ, सहर तो जबरदस्त हैं, और वहा की रात की बात तो बहुत निराली हैं 
नीनू- ऐसा क्या हैं 
मैं- अरे बस वो न पूछो तुम वहा का रहन सहन गाँवो से तो बहुत ही अलग हैं किसी पर कोई पाबन्दी नहीं सब मस्त हैं अपने आप में, लड़के लडकिय ओपन में साथ घूमते हैं वहा की तो हर बात ही निराली हैं 
नीनू- बड़े शहरों की बड़ी बाते , वैसे तुमने बस यही नोटिस किया की लड़के लडकिया साथ घूमते-फिरते हैं इसके आलावा कुछ 

मैं- और भी बहुत कुछ था पर फिर कभी बताऊंगा अभी चलता हूँ और स्टूडेंट्स सोचेंगे इतनी देर से क्या बात चीत कर रहे है वो हंस पड़ी 

कॉलेज के बाद करीब घंटा भर नीनू के मैथ ने ले लिया पर पता नहीं क्यों उसके साथ समय बिताना थोडा अच्छा सा लगा घर पंहूँचा , खाना खाया और सीधा बिमला के घर का रास्ता नाप लिया , वो अकेली ही थी सीधा उसको अपनी बाहों में घर लिया और उसके भरे भरे गालो को चूमने लगा तो वो बोली क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे पर मैं कहा मानने वाला था उसको कस लिया अपनी मजबूत बाँहों में और उसके अधरों का रस पीने लगा 

बिमला- क्यों तंग कर रहे हो 
मैं- और जो मुझ पर गुजर रही है उसका क्या भाभी
मैं क्या जानू बोली वो
अच्छा जी कहकर उसकी चूची को कस कर दबा दिया मैंने तो वो दर्द से बिलबिला उठी और अपने हाथ से मेरे लंड को कस कर मसल दिया पर उसकी इस हरकत ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया मैंने तुरंत उसका ब्लाउस खोला और ब्रा को थोडा सा ऊपर करके उसकी चूची पर अपने होठ लगा दिए नमकीन सा स्वाद मेरे मुह में भर गया तक़रीबन आधी चूची को मुह में ले लिया औ चूसने लगा थोड़ी देर बाद बिमला खुद मेरे सर को अपनी चूची पर दबाने लगी बहुत मजा आ रहा था मेरी पेंट की ज़िप खोल कर उसने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और उसको सहलाने लगी मेरे तन बदन में जैसे बिजलिया सी रेंगने लगी 


काफ़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा और फिर अचानक से भाभी अपने घुटनों के बल बैठी और मेरे लंड को सीधे अपने मुह के अन्दर ले लिया मेरे को कसम से इतना मजा आया की बस पूछो ही मत मेरा आधा लंड उनके मुह में था उनके होटो ने जैसे लंड पर ताला सा लगा दिया था और उनकी गरम जीभ जो लंड के सुपाडे पर जो गोल गोल घूम रही थी मेरा तो हाल बुरा हो गया पूरा बदन मस्ती से भर गया और कांपने लगा था मेरे घुटने ऐसे हिल रहे थे की उनकी कटोरिया बस अब बाहर को गिरने ही वाली थी अपने आप मेरे हाथ भाभी के सर पर कसते चले गए 
ohhhhhhhhhhhhh भाभी ये क्या गजब कर दिया आपने ओह भाभी ओह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह रुक जाओ न पर उन्होंने थोड़े से लंड को और मुह के अन्दर कर लिया और साथ ही साथ मेरी गोटियो को भी अपने हाथ से मसलने लगी थी मुझे अब दुगना मजा आने लगा था मेरी कमर अपने आप हिलने लगी थी जैसे उनका मुह ही चूत हो बिमला भी पुरे जोश से मेरे लंड को चूस रही थी मेरे साथ पहली बार ऐसा हो रहा था आँखे अपने आप बंद होती चली गयी मस्ती के मारे और फिर कुछ याद नहीं रहा , कुछ याद था तो की बस पूरा जिस्म किसी सूखे पत्ते की तरह कामपा और भाभी के मुह में लंड से निकलती धार गिरने लगी जिसे बिना किसी परेशानी के उन्होंने अपने गले में उतार लिया 

मुट्ठी तो बहुत मारी थी पर आज जो मजा आया था उसके आगे तो सब फेल था , मैंने सोचा चूत मारूंगा तो कितना मजा आएगा , अपनी उखड ती सांसो को संभाला ही था की बिमला ने कहा अब तुम्हे भी ऐसे करना है और खड़ी हो कर अपनी साडी को कमर तक ऊपर को उठा लिया अन्दर से वो नंगी थी काली चूत मेरी आँखों के सामने लपलपा रही थी खीच रही थी मुझे अपनी और को , मैं अपना मुह उसकी तरफ ले गया एक बेहद ही अजीब सी खुशबू मेरी नाक में उतरती चली गयी भाभी ने कहा चलो चूसो इसको और अपनी जांघो को उन्होंने खोल दिया मैं टांगो के बीच आ गया और अपने होंठो को उस गरम चूत पर रख दिए 

मेरी सांसो की गर्मी से भाभी का पूरा शरिर दहक उठा बिमला की चूत थर थारा गयी बिमला ने मेरे सर को अपनी चूत पर कस कर दबा दिया और दीवार से लग गयी मैंने अपनी जीभ को बाहर निकाला और ऊपर से नीचे तक पूरी चूत पर एकबार जो फेरा तो बिमला के जिस्म में गरम तंदूर भड़क गया मेरे सर के बालो में अपनी उंगलिया फिराने लगी वो उसके चुतड हौले हौले से हिलने लगे वो अपने दांतों से अपने होटो को काट रही थी मैंने हाथ से चूत की फांको को अलग अलग किया तो अन्दर से लाल लाल हिस्सा दिखने लगा उसकी चूत थोडा थोडा सा कांप रही थी जो मुझे मदहोश कर रही थी मैं लगातार चूत पर अपनी जीभ को ऊपर नीचे कर रहा था बिमला की चूत से चिपचिपा सा रस सा बहने लगा था जिसका स्वाद कुछ नमकीन कुछ खट्टा सा था 


लम्बी लम्बी सांसे लेते हूँए बिमला मेरे सर को बार बार अपनी चूत पर रगड़ रही थी कमरे में उस वक़्त अगर कुछ था तो बस हमारी गरम सांसे जो आज और भी गरम होकर शोलो में बदल जाने वाली थी बिमला ने अपनी टांगो को थोडा और खोल लिया और मुझे बोली की जीभ को अन्दर डाल कर चूसो उसने अपने हाथो से चूत की पंखुडियो को खोला और मैंने एक बार फिर से अपने होटो को रस से भरी उस गरम चूत पर रख दिए उसका नमकीन रस की एक एक बूँद मेरे मुह में टपक रही थी कुछ देर में मुझे भी चूत का रस पीना आचा लगने लगा तो मैं भी जोश से भरके चूत के रस को निचोड़ने लगा बिमला की आँखे बंद हो गयी थी और उसकी कमर अब हिलने लगी थी चूत के पानी से मेरा पूरा मुह गीला हो गया था 

थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही चूत की चुसाई करता रहा और फिर बिमला ने मेरे से पर अपना पूरा दवाब दे दिया और काफी सारा चिपचिपा पानी मेरे मुह में भर गया दो- चार मिनट तक बिमला ने मेरे सर को अपनी योनी पर दबाये रखा और फिर वो अलग हो गयी हम दोनों एक दुसरे को देखने लगे और फिर मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसके होटो को अपने मुह में भर लिया और चूमने लगा उसने अपने आप को मेरी बहो में सुपुर्द कर दिया और मेरा साथ देने लगी हमारे होठ एक दुसरे से मदहोशी भरी बाते कर रहे थे मैंने अपनी जीभ को उसके मुह में सरका दिया जिसे वो चूस रही थी मेरा लंड कब फिर से खड़ा हो गया था पता ही नहीं चला बस अब उसको चोदना था मुझे पर हाय रे किस्मत चूमा चाटी चल ही रही थी की

बिमला के बचे बाहर से आ गया और दरवाजा खोलने को आवाज देने लगे वो झट से मुझसे अलग हूँई और अपनी सलवार को सँभालते हूँए बाहर चाय गयी अब तो चुदाई हो नहीं सकती थी तो फिर मैं भी वहा से कट लिया और घुमने को चल दिया ,चूत बस मिलने ही वाली थी और बीच में अडंगा लग गया तो फिर दिमाग थोडा सा ख़राब हो गया था तो सोचा की थोड़ी नमकीन खा लू दुकान पर गया तो देखा की पिस्ता भी आई हूँई है सामान लेने को हमारी नजरे मिली वो मेरी और देख कर मुस्कुराई मैं भी मुस्कुरा दिया , दुकानदार अन्दर को सामान लाने गया हूँआ था पता नहीं मुझे क्या सूझा मैंने उस से पूछ लिया की क्या वो आज भी खेत में आएगी 
पिस्ता-मेरे मन में तो नहीं है पर तुम कहो तो आज आ जाऊ, वैसे क्या जरुरत आन पड़ी तुम्हे मेरी हँसते हूँए पुचा उसने
मैं- वो क्या हैं न , की मुझे भी आज जाना होगा खेत पर तो अगर तुम भी आ रही हो तो बाते हो जाएँगी कल अच्छा लगा तुमसे बाते करके 
पिस्ता-अच्छा, जी ऐसा तो कुछ कहा भी नहीं मैंने, फिर क्या अच्छा लग गया तुम्हे 
मैं- पता नहीं पर कुछ तो अच्छा लगा मुझे तुम में, देख लो अगर टाइम हो तो आ जाना 
पिस्ता- देखूंगी 
उसने अपना सामान लिया और चली गयी मेरी नजरे उसे देखती रही , क्यों मिलना चाहता था मैं उस से, मेरा तो कोई लेना देना नहीं था उस से, जबकि उसके करैक्टर के बारे में भी पता था मुझे फिर क्यों मुझे उस से बाते करने का जी कर रहा था ये बात सोची मैंने पर कोई जवाब नहीं मिला मुझे घूम फिर कर जब मैं घर आया तो थोड़ी देर घरवालो से बात चीत करी और फिर मैंने चाचा से कहा की आप परेशां ना होना मैं खेत पर चला जाऊंगा मुझ से ऐसी जिम्मेदारी भरी बात सुन कर वो खुश हो गए और एक बीस का नोट निकल कर मुझे दिया मैं भी खुश वैसे तो रात को मुझे पूरा मोका मिलना था बिमला को छोड़ने का पर मेरा दिल मुझे पिस्ता की और ले जा रहा था तो मैंने दिल की सुनी और खाना खा कर अपना सामान उठाया और पहूँच गया खेत में 

एक चक्कर उसके खेत पर भी काट दिया पर मोहतरमा का कोई अता पता नहीं था थोड़ी देर इंतज़ार किया फिर चारपाई पर लेट गया थोड़ी देर सोया सा था की किसी ने जगाया तो आँखों से जो चेहरा देखा वो पिस्ता का था , कब आई तुम पुछा मैंने, बस अभी अभी वो मेरे पास बैठते हूँए बोली , नींद भरी आँखों से जो सूरत देखि उसकी बड़ी ही मन मोहनी लगी वो मुझे अपना मुह धोया मैंने ताकि आलस दूर हो जाये
बड़ी देर लगायी आने में कहा मैंने
पिस्ता- टीवी देख रही थी तो बाद में ध्यान आया तुम्हारा सो बस आई ही हूँ , तुम्हे बड़ी जल्दी नींद आ गयी 
मैं- हां आंख लग गयी थी 
पिस्ता- कहो, क्यों बुलाया मुझे क्या बात करनी थी 
मैं- सच कहू तो पता नहीं क्या कहना था तुमसे दुकान पर तुम्हे देखते ही दिल से मिलने की बात आई तो पुच लिया तुमसे , दिल कह रहा हैं बस तुम सामने बैठी रहो मैं तुम्हे देखता रहूँ 

पिस्ता- ओह हो, मैं क्या ऐश्वर्या हूँ जो मुझे देखोगे मैं तो सोची पता नहीं क्या काम होगा फालतू में टाइम ख़राब किया जाती हूँ मैं और जाने को कड़ी हो गयी
मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी और खीच लिया वो मेरी और खीचती आई, 
छोड़ो मेरा हाथ- कहा उसने एक लड़की का हाथ पकड़ने का मतलब पता हैं तुम्हे
मैं- मतलब तो पता नहीं पर कुछ देर रुक जाओ न 
पिस्ता अपनी नशीली आँखे मेरी आँखों से मिलते हूँवे – क्या करोगे मुझे रोक कर आग हूँ मैं दूर रहो कब जल गए पता भी नहीं चलेगा 
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