Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:28 PM,
#17
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
उसको बिस्तर पर पटका मैंने उसने बस इतना कहा – अब देर ना करो जल रही हूँ मैं देर न करो मैंने उसकी सुडोल टांगो को फैलाया और अपने लंड को चूत के मुहाने पर सटा दिया हमारी आँखे मिली उसने मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया और मेरे थोड़े से आगे बढ़ते ही मेरे लंड का सुपाडा थोडा सा उसके अन्दर सरक गया उसके बदन ने झटका सा खाया उसने मेरे हाथो को पकड लिया और रुकने का इशारा किया पर शायद मेरे लिए रुकना मुमकिन नहीं था चूत देखते ही मैं खुद पर काबू कर ही नहीं पाता था 

मैंने हल्का सा गैप लिया और फिर धीरे धीरे उसपर झुकने लगा उसकी जांघो को अपनी जांघो पर चढ़ाया और अबकी बार जो तगड़ा वाला धक्का लगाया और लगभग आधा लंड उस गुलाबी चूत के छेद को फैलाते हुए अपना रास्ता बनाते हुए अन्दर को जाने लगा पिस्ता ने अपने दांतों को भीच लिया और अपने बदन को टाइट कर लिया शायद उसको थोडा दर्द सा हो रहा था मेरा लगभग पूरा वजन उस पर पड़ने ही वाला था बस एक या दो धक्को की ही कसर और थी और मैं उसमे पूरी तरह से समा जाता पिस्ता के लब थोडा सा खुल गए थे बिलकुल किसी तजा गुलाब की पंखुडियो की तरह से






मैंने पूरी ताकत से एक और धक्का लगाया और मेरा लंड जड़ तक पिस्ता की टाइट तंग चूत को चीरता हुआ अन्दर को घुस गया उसके होंठो से क करह फूट पड़ी मेरा जिस्म उसके जिस्म से जा टकराया पिस्ता ने कुछ कहने के लिए अपना मुह खोला ही था की मैंने उसकी आवाज को अपने होंठो की कैद में दबा दिया हम दोनों के जिस्मो से गर्मी फूटने लगी थी जो ठंडक पानी में मिली थी वो खो गयी थी करीब ५ मिनट बाद मैंने उसके लबो को अपने शिकंजे से आजाद किया तो वो बोली – उफ्फ्फ्फ़ कितना मोटा है तुम्हारा दर्द हो गया मुझे 






मैं- पहली बार करवा रही हो क्या 
वो- पहली तो नहीं है पर इतना दर्द तो तब भी नहीं हुआ था जब मैंने अपनी सील तुडवाई थी 
मैं- तो अब क्यों दर्द हो रहा हैं 
वो-मुझे क्या पता और ऊपर से कितने भारी हो तुम , बोझ से ही मरगयी मैं तो, जरा उठो ना मेरे उपर से 

मैं- ना बाबा ना 
वो- बस एक बार 
मैं- दो मिनट की बात है यार एक बार तुम्हारी मुनिया सेट हो जाये मेरे मुसल के साइज़ के हिसाब से फिर तो मजे ही मजे है

मेरी बात सुनकर पिस्ता बरबस ही मुस्कुरा पड़ी और बोली- ठीक हैं कर लो अपनी मनमानी 
मैं उसकी चूची से खेलते हुए बोला- डार्लिंग मनमानी की बात नहीं है तुम तो पहले भी कर चुकी हो फिर क्यों घबराती हो 

पिस्ता बोली- हम्म्म्म घबरा कौन कमबख्त रहा हैं बस एक बार थोड़ी एडजस्ट हो जाऊ फिर तुम्हे दिखाती हूँ नज़ारे
उसकी बात सुनकर मैंने अपने लंड को चूत के मुहाने तक खीचा और फिर एक ही झटके में जड़ तक वापिस अन्दर दाल दिया पिस्ता बोलि- आः रे जालिम मार ही डाला रे तूने तो 







मैंने अब बिना उसकी बात सुने धीरे धीरे चूत में घस्से मारने शुरू कर दिए पिस्ता की तानी हुई छातिया मेरे लंड के अन्दर बाहर होने की वजह से बुरी तरह से हिल रही थी पिस्ता ने अपनी टांगो को अब ऊपर उठा कर ऍम शेप में कर लिया और मेरे बालो में हाथ फिराते हुए बोली- अब थोडा ठीक हैं अब आएगा मजा और अपनी टांगो को मेरी कमर पर किसी नागिन की कुंडली की तरह से लपेट लिया उसने अपने चेहरे को थोडा सा ऊपर करके मेरे होंतो को आमंत्रण दिया जिसमे मैंने तुरंत ही स्वीकार कर लिया 


कुछ ही देर में उसकी चूत लंड के हिसाब से फ़ैल गयी थी और अपनी चिकनी छोड़ने लगी जिस से लंड सरलता से उसकी चूत की सैर करने लगा पिस्ता का सारा थूक मेरे मुहं में घुल रहा था होंठ ऐसे जुड़ गए थे जैसे की किसी ने फेविकोल से चिपका दिया हो दोनों के बदन की समस्त ऊर्जा एक दुसरे से जुड़ गयी थी कमरे में अजीब सी ख़ामोशी थी पर बिस्तर पर तूफ़ान मचा पड़ा था मैं हूँमच हूँमच कर उसकी मचलती जवानी का रसपान कर रहा था योवन का जाम वो मुझे आज परोस रही थी 

अब पिस्ता ने खाई पलटी चूत रस से सना हुआ मेरा लंड चूत से बाहर आते ही गुस्से से फेन फ़ना ने लगा पिस्ता ने नजर भर कर उसकी तरफ देखा और अपने बालो को पीछे की तरफ बांधते हुए अपनी लाल जीभ को बाहर निकाला और लंड पर टूट पड़ी चूत के नमकीन पानी को चख कर पिस्ता और भी मादक हो गयी पर उसने ज्यादा देर नहीं चूसा और फिर लंड को चूत पर रख कर उस पर बैठ गयी तो आलम ये था की देखने से लगता की वो मुझे छोड़ रही हैं अपनी गांड को जब वो लंड पर रगडती तो कसम से इतना मजा आ रहा था की क्या बताऊ 






हम दोनों की साँसों की रफ़्तार कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी थी जब जब वो उचालती उसकी छातिया मेरे मुह से टकराती तो मैंने उसकी एक चूची को अपने मुह में भर लिया और चूसने लगा बस मेरी इसी हरकत ने उसके अन्दर आग लगा दी पिस्ता की घायल शेरनी की तरह हो गयी उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था ना वो हार मान रही थी ना मैं बस आँखे अड़ गयी थी आँखों से कभी वो ऊपर कभी मैं पता नहीं कहा कहा चूमा मैंने उसको उसने मुझे बिमला को दो तीन बार चोदा था पिस्ता तो एक आग थी 


अब उसने अपनी टांगो को बिलकुल सीध कर के लंड को बुरी तरह से कस लिया और मुझ से चिपक गयी उसकी आहे बढती ही जा रही थी इधर मुझे भी महसूस होने लग गया था की मेरी मंजिल बस आने ही वाली है तभी पिस्ता ने अपनी बाहें मेरे इर्द गिर्द कस ली और उसके चूत के होंठ एक दम से फाड़ फाड़ा उठे वहा पर चिकनाई बहुत बढ़ गयी थी गहरी गहरी साँसे लेते हुए पिस्ता अपने चरम सुख को प्राप्त हो गयी थी वो अब बिलकुल शांत पड़ गयी थी मैंने भी जल्दी जल्दी कुछ घस्से और लगाये और अपना पानी चूत में ही निकाल दिया 

बिस्तर पर एक तूफ़ान आकर गुजर गया था चादर की सिलवटे अभी अभी मुकम्मल हुई कहानी की गवाही दे रही थी पिस्ता मेरी बाँहों में बाहे डाले मेरे आगोश में सिमटी पड़ी थी उसकी महकती साँसे जैसे मीठे शरबत की सुगंध की तरह मेरे चेहरे पर फ़ैल रही थी मैं अपने हाथो से उसकी मुलायम पीठ को सहलाने लगा हमारे रिश्ते ने एक नए मोड़ की शुरुआत कर दी थी काफ़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही एक दुसरे की बाहों में पड़े रहे न कोई चिंता थी न कोई फिकर बस वो थी बस मैं था धड़कने खामोश थी लबो ना कोई बात भी बस ये कमबख्त दिल ही था जो उसके दिल से न जाने क्या बाते कर रहा था चुप वो थी खामोश मैं था कमरे में अगर कुछ था तो हमारी सांसो की आवाज जो पता नहीं क्यों कुछ तेजी से चलने लगी थी 




पिस्ता अब खड़ी हुई और सामने लगे शीशे में खुद को निहारने लगी उसकी पीठ मेरी तरफ थी अपने आप में सच में ही किसी क़यामत से कम नहीं थी वो दिलकश हँसीना सच ही तो कहा था उसने की वो नशे की बोतल है दूर रहू उस से , पर मैं कहा मान ने वाला था मैं खड़ा हुआ और उसको पीछे स अपनी बाहों में जकड लिया उसके मांसल कुल्हे मेरे अगले हिस्से से रगड़ खाने लगे पर उस बेफिक्र को परवाह ही कहा थी उसके गीले बालो से आती हो सौंधी सी खुसबू मेरे नाक के रस्ते से होकर फेफड़ो में समाने लगी मैंने उसके कंधे पर हलके से किस किया पिस्ता के बदन में हुई उस कम्पन को महसूस किया मैंने बहुत हलके से अपने प्यासे होंठो को उसके कंधो पर रगड़ रहा था मैं 




हरकत बहुत छोटी सी थी पर उसकी दिल में हलचल सी मचने लगी थी पिस्ता ने भी शरारत करते हुए अपने कुलहो को मेरे लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया मस्तिया धीरे धीरे उफान पर आने लगी थी उसकी उस हरकत ने जादू सा किया मेरे लंड में फिर से सिरहन होने लगी उसके कान के पिछले वाले हिस्से को जब मैंने अपने दांतों से काटा तो पिस्ता ने कामुकता से अपनी आँखों को बंद कर लिया उसने मेरे हाथ को पकड़ा और अपनी चूची पर रख दिया और हलके हलके से दबाने लगी पिस्ता के कुलहो की थिरकन को महसूस करते हुए मेरा लंड धीरे धीरे जोश में आने लगा था 



उफफ्फ्फ्फ़ कही मैं पागल ना हो जाऊ इस मस्तानी लड़की की सच में बात ही निराली थी अब वो पलटी और मेरी तरफ हो गयी उसकी नुकीली छातिया मेरे सीने में दबने लगी कितनी मुलायम थी वो मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और उसको चिपका लिया अपने से पिस्ता न बिना देर किये अपने गुलाबी लबो को मुझ से जोड़ दिया मैंने थोडा सा मुह खोला और उसने अपनी जीभ मेरे मुह में सरका दी मेरा लंड उसके पेट से टकरा रहा था चूत में घुसने को बेताब हो रहा था किस करते करते मैंने उस के चुतड को मसलना शुरू कर दिया सरगर्मियआ फिर से सर चढ़ने लगी थी 



उस बेहद ही गीले और शानदार रसभरे चुम्बन के बाद हम अलग हुए पर बस कुछ पालो के लिए ही पिस्ता ने अपनी टांगो को मेरी पीठ पर लपेटा और मेरी गोद में चढ़ गयी और लगी पागलो की तरह मेरे चेहरे को चूमने , आज दीवानगी की हर हद टूटने वाली थी ना को कम थी ना मैं , मेरा पूरा चेहरा उसके थूक से , उसकी लार से सन चूका था अब मैंने उसे गोद से नीचे उतरा और पास ही खिड़की पर खड़ी कर दिया उसने अपने दोनों हाथो को खिड़की पर रखा और झुक गयी अपने कुलहो को बाहर की तरफ निकाल कर जब वो झुकी तो कसम से मर ही गया मैं तो उस पर 




मैंने उसकी टांगो को थोडा सा और फैलाया और अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगा ते हुए उसको पिस्ता की चूत के मुहाने पर रख दिया एक हाथ से उसकी कमर को थमा और दुसरे हाथ से उसकी गर्दन को पकड़ा और लगा दिया जोर चूत की बेहद मुलायम रसदार पंखुड़ियों को चीरते हुए लंड महाराज फिर से अपनी साथी में समाते चले गए पिस्ता की पीठ को कस कर जकड लिया मैंने उसने भी दिलदारी दिखाते हुए अपने शारीर को और झुका लिया जल्दी ही लंड को जड़ तक अन्दर उतार दिया मैंने हमारा खेल फिर से शुरू हो चूका था थोड़ी देर बाद उसकी कमर को पकडे हुए मैं तेजी से चोद रहा था उसको 
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