Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:29 PM,
#23
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
रस्ते में चाची आगे आगे चल रही थी मैं पीछे- पीछे तो मेरी निघाह उनकी गांड पर पड़ गयी दो तीन दिन पहले ही उनको बाथरूम में नंगी देखा था वो बात फट से मेरे जेहन में आ गया बिना बात के ही मैं उन्हें ताड़ने लगा मेरे मन में ख्याल आया की चाची भी मस्त माल है देख कितनी बड़ी गांड है इनकी ऐसे ही मेरे मन में गलत विचार आने लगे मेरे बदन में रोमांच सा भरने लगा मेरे दिल दिमाग में चाची की कामुक छवि बनने लगी 

खैर, खेतो तक पहूँचे और फटाफट से घास की पोट बना ली मैंने उसको चाची के सर पर रख वाया तो वो बोली- अँधेरा होने वाला है शॉर्टकट से चलते हैं मैंने कहा ठीक हैं और चल पड़े अब हम खेतो को पगडण्डी से होकर आ रहे थे दो तीन खेत आगे पानी का पाइप टूटा पड़ा था जिस से पूरी पगडण्डी पर कीचड हो गया था तो हम थोडा बच के चल रहे थे पर चाची के सर पे बोझ था तो उनका बैलेंस बिगड़ गया और वो धम्म से जा गिरी कीचड़ में 
अब ये नयी मुसीबत आन पड़ी चाची धडाम से गिरी कीचड में घास गयी किधर वो किधर मुझे हंसी आ गयी तो वो मेरी तरफ जलती नजरो दे देखते हुए बोली- कमबख्त हस रहा हैं इधर मेरा सत्यानाश हो गया लगता है मेरी कमर तो गयी जरा आ उठा मुझे 

मैं-जी चाची ,

और मैंने उनको उठाया पूरी साडी कीचड में सन गयी थी वो एक हाथ से मेरे कंधे को पकडे थी दुसरे हाथ से अपनी कमर और पीठ पर हाथ फिरा रही थी बोली- लगता है पीठ गयी मेरी तो अच्छा शॉर्टकट लिया लग गयी मेरी तो कपडे ख़राब हुए सो अलग अब घर कैसे जाऊ ऐसे कपड़ो में 

मैं- कुए पर चलो इनको साफ़ करलेना फिर चलना घर वैसे भी इस हाल में कोई देखेगा तो लगेगा की कौन पागल औरत जा रही हैं 

चाची मेरी तरफ ऐसे देखने लगी जैसे की आज तो खा ही जाएँगी मुझे , पर उन्हने खुद के गुस्से को कण्ट्रोल किया और बोली हम्म, कुए पर ही चलके सोचेंगे 

मैंने घास की पोटली अपने सर पे लादी और लचकती मचकती चाची के साथ वापिस कुए पर आ गया 

मैंने पानी चला दिया और उनसे कहा साफ़ कर लो खुद को 

चाची- साफ़ कैसे करू पूरी साडी ही कीचड से ख़राब हो गयी हैं इसको तो धोना ही पड़ेगा लगता हैं 

मैं- तो धो लो न पानी की कौन सी कमी है साबुन अन्दर होगा मैं ला देता हूँऔर इर देर भी कितनी लगनी है इस काम में

चाची- बात वो नहीं है साडी तो मैं धो लुंगी पर फिर मैं पहनूंगी क्या इधर मेरे दुसरे कपडे भी नहीं हैं 


मैं- आप भी कमाल ही करती हो साड़ी सूखने में कोनसा बरस लगेंगे जैसे ही थोड़ी सूख जाये पहन लेना घर जाते ही कपडे चेंज कर लेना 

वो- वो तो है पर जब तक साडी सूखेगी नहीं तब तक मैं कैसे रहूंगी 

मैं- मुझे क्या पता आप देख लो जो भी करना है वैसे भी अँधेरा होने वाला है घर भी चलना है 

चाची- पर मुझे ठीक नहीं लग रहा ऊपर से तू भी है लाज आएगी मुझे 

मैं- तो अब मैं कहा चला जाऊ मेरा तो मूड ही नहीं था आप के साथ आने का ऊपर से अब आप के नाटक तो फिर ऐसे ही चलो घर पे 

वो- ठीक है मर मन तो नहीं करता पर मज़बूरी है 

कहकर चाची ने अपनी साड़ी उतारना शुरू कर दिया जैसे ही उनका आँचल सरका उनके रसीले आम देख कर मेरा मन ललचा गया पर मैं उनके आगे कुछ भी शो नहीं करना चाहता था वर्ना मेरे लिए मुसीबत बढ़ सकती थी धीरे धीरे वो अपनी साडी उतार रही थी उनकी पतली कमर गोरा रूप देख कर मेरे लंड ने पेंट में डिंग दोंग करना शुरू कर दिया था अब इसको समझाऊ भी तो क्या इसको तो बस नजरे लुभाने से मतलब 

चाची अब ब्लाउस और पेटीकोट में ही थी बड़ी क़यामत लगी मुझे मेरी नजरे तहर सी गयी उन पर 

वो- क्या घूर रहा है मुझे 

मैं सकपकाते हुए- कुछ नहीं चाची जी 

वो- बेटा तेरा दोष नहीं है उम्र ही ऐसी है और हंस पड़ी 

अब कौन समझाए उनको दोष तो बस हमारी इन ठरकी नजरो का ही हैं जो अपनी चाची पर ही फ़िदा होने लगी उनके रूप की ज्वाला में झुलसने से लगे थे , तो करे भी क्या ये जिस्म हर पल सुलगता ही रहता था नया नया खून मुह लगा था मोटी मोटी छातियो पर कसा हुआ ब्लाउस गला भी कुछ खुला खुला था उसका चाची की आधे से ज्यादा चूचिया नुमाया हो रही थी मेरी नजर चूची पर उस काले तिल पे जो पड़ी कसम से दिल साला ठहर सा ही गया 

अब हम तो ठहरे आवारा , अपनी फितरत जुदा जुदा सी ताड़ने लगे चाची की जवानी को वो जल्दी जल्दी साडी धो रही थी घर जाने में वैसे ही देर हो रखी थी ऊपर से उनकी कमर में शायद मोच सी आ गयी थी कपडे धोते समय उनका पेटीकोट भी भीग सा गया था और उनकी मांसल टांगो से चिपक सा गया था जिस से मुझे उनका पूरा वी शेप दिख रहा था समझ चाची भी रही थी पर अब किया क्या जाए आँख थोड़ी ना मूँद लू मैं , खड़े लंड के उभार को मैं छुपा न अपया उन्होंने अपनी भरपूर नजर उस पर डाली पर कहा कुछ नहीं 

उफ़ ये हालात हमारे, सब इन लम्हों का ही तो खेल होती हैं , उन्होंने साडी को पास तार पर सुखा दिया जब वो साडी सुखा रही थी उनकी पीठ मेरी तरफ थी , तो पीछे का हिस्सा देख कर मैं तो जैसे मर ही गया हॉट कितनी थी वो पेटीकोट उनके कुलहो में फंसा पड़ा था कितने विशाल नितम्ब थे उनके पहले मैं कभी उनके बारे में नहीं सोचता था पर आज पता नहीं क्यों मैं बेईमान होने लगा था , पशुओ के लिए घास भी ले जानी जरुरी थी अब चाची की कमर में मोच थी तो वो तो उठाने से रही तो मैंने कमरे से साइकिल निकाली और पीछे स्टैंड पर लाद दी पोटली को 

मैं- चाची देखो न साडी, थोड़ी बहुत सूख गयी हो तो पहन लो अँधेरा होने लगा हैं लेट हो रहा हैं 

वो- अभी भी काफी गीली हैं 

मैं- लपेट लो ना उसको घर पे चेंज तो करना ही है 

वो- हम्म , ठीक है वैसे भी लेट काफी हो गए हैं 

तो उन्होंने जल्दी से वो गीली साडी ही पहनी मैंने कहा आप साइकिल पे आगे डंडे पर बैठ जाओ पीछे घास है फटाफट से पहूँच जायेंगे वो ना नुकुर करने लगी पर अँधेरा हो रहा था तो वो मान गयी इतना जबर माल मेरी साइकिल पे आगे बैठा वो बोली- आराम से चलाना वैसे ही मुझे चोट लगी हैं कही गिरा ना देना 

मैं- बैठो तो सही 

मैं साइकिल चलाने लगा जब मैं पैडल मारता तो मेरे पाँव चाची की टांगो से रगड़ खाते मुझे बहुत मजा आता वो कुछ कह भी नहीं सकती थी मैंने अपने आप को आगे को झुका लिया उनकी पीठ पर रगड़ खाती मेरी छाती मजा आ रहा था , उनके बदन से आती मनमोहक महक मेरा हाल बुरा कर रही थी उनके नितम्बो में फंसा साइकिल का आगे वाला डंडा अब और क्या बताऊ मैं घर आते आते पुरे रस्ते फुल मजे लिए मैंने एक बार तो उनकी कमर पर भी हाथ फेर दिया चाची मन मसोस कर रह गयी 

घर आके मैंने खाना खाया और अपने कमरे में आ गया थोडा पढाई का काम पेंडिंग था तो उसको रहने ही दिया मेरा मन पिस्ता की तरफ घुमा, मैं सोचा यार आज उसका भाई आ गया होगा उस साले को भी अबी आना था थोडा बातचीत ही कर लेते मिल लेता उस से तो ठीक रहता पर अपने चाहने से क्या होता है रात हो चुकी थी मैं अपने घर के बाहर नीम के पेड़ के नीचे अपनी चारपाई पर पड़ा आसमान की और देख रहा था रेडियो पर धीमी आवाज में बजते रोमांटिक गाने मेरा और दिमाग ख़राब कर रहे थे 

ये रात और ये दूरी, साला थोड़े दिन पहले तक सब सही था बस लंड हिला के चुपचाप सो जाते थे अब ज़िन्दगी ने ऐसी करवट ले डाली थी की बस पूछो ही ना, न इधर के थे ना उधर के कुछ हम शरीफ ना थे कुछ वो बेईमान थी धड़कने जवान बेबसी का आलम कुछ शोले फड़क रहे थे चिंगारी अपना काम कर चुकी थी रात आधी से ज्यादा बस इसी कशमकश में कट गयी पर दिल को करार नहीं आया बस आई तो नींद जो फिर सुबह ही टूटी
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:29 PM

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