Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:30 PM,
#28
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
धुप में छाँव का अहसास करवाती उसकी मोजुदगी जब वो खिलखिलाए तो लगे की जसे बागो में कोई कोयल कूकने लगी हो , खैर टाइम था बीत गया नियत समय से कुछ लेट चली रेल जोधपुर की तरफ गाडी में जबरदस्त भीड़ थी तो जगह मिली नहीं तो वाही दरवाजे के पास ही बैठ गए ठंडी हवा में लहराती उसकी वो घनी जुल्फे खाए हिचकोले मारा मन , ये मन भी बड़ा बावला सा ना वो कुछ कहे ना मैं बस मुस्कुराये एक दूजे को देख देख कर , ट्रेन में एक बंजारों का समूह सफ़र कर रहा था , शायद नाचने गाने वाले थे 

सफर शुरू हुआ तो एक लड़की ने छेड़ दिया तराना अक्य गाना गा रही थी वो “साथ छोडू ना तेरा चाहे दुनिया जो जुदा ”
ऐसा ही कुछ गाना था पर कसम से समा से बाँध दिया था उसने सभी मुसाफिरों को मन मोह लिया उन्होंने नीनू ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा और हल्का सा दबा दिया मैंने पूछा- कुछ कहना है है उसने बस ना में गर्दन हिला दी पर आँखे बहुत कुछ कह गयी थी रास्ता लम्बा स्टेशन आये जाये पर जाने हमारा सफ़र कब ख़तम होगा कभी इतना लम्बा सफ़र किया तो था नहीं तो थोड़ी परेशानी सी होने लगी पर अपने बस में क्या था , रात हो गयी थी ठण्ड सी भी हो गयी थी कुछ नीनू बोली- मैं तो मामा के घर चली जाउंगी पर तुम कहा रुकोगेमैं- बार बार एक ही सवाल ना पूछ 

वो- पर फिर मुझे नींद नहीं आएगी वहा 
मैं- क्यों ना आएगी भला 
वो- ख्यालो पर तो कब्ज़ा तुमने कर लिया है 
मैं- ये इल्जाम गलत है तुम्हारा 
वो- अच्छा जी उल्टा चोर कोतवाल को डांटे 

ऐसे ही हमारी नोक-झोंक चलती रही और हम लोग पहूँच गए रजवाडो की नगरी में ट्रेन से उतर कर ऐसी फीलिंग आई जैसे की कोई जंग ही जीत ली हो रात आधी से ऊपर हो गयी थी पर स्टेशन पर रोनके आबाद थी, मैं और नीनू ने पकड़ी एक बेंच और कर लिया कब्ज़ा, 
वो- मैं तुम्हारे साथ ही रूकती हूँ रात भर सुबह होते ही मामा के घर जाउंगी 
मै- रात अभी बाकी पड़ी है एसटीडी से मिलाओ फ़ोन और चली जाओ 
वो- तुम्हे छोड़ के जाने का जी नहीं कर रहा 
मैं- तो फिर एक काम करो जाओ ही मत ना 
वो- जाना तो पड़ेगा ही ना 
मैं – तो जाओ फिर 
वो- जाना भी नहीं चाहती 
मैं- तो मुझे भी ले चलो 
वो- टांग ना खीचो बार बार 
मैं- तुम टेंशन ना लो, मैं कर लूँगा जुगाड़ कुछ न कुछ मैंने सुना है की बड़े शहरों में धर्मशाला भी तो होती है उधर ही देखूंगा क्या होता है आज की रात तो इधर ही काट लूँगा कल का कल देख्नेगे 
वो- हम्म
मैं- पर हम मिलेंगे कैसे 
वो- तुम उसका मत सोचो देखो कल तो मैं बिजी रहूंगी , मामा मामी दोनों मास्टर है तो वो जायेंगे स्कूल और मैं आ जाउंगी तुम्हारे साथ गलिया नापने 
मैं- कामिनी हो पक्की वाली 
वो- सब तुम्हारी सोहबत का असर हैं जनाब 
मैं- तो फिर दूर क्यों नहीं जाती 
वो- जिस दिन जाउंगी तकलीफ होगी तुम्हे 
मैं- मैं जाने ही ना दूंगा 
वो- रोक भी तो ना पाओगे 
मैं- तब की तब देखेंगे 
वो- तुम्हारे बड़े सपने 
मैं- साथ दोगी मेरा 
वो- किस चीज़ में 
मैं- तुम्हे सब है पता 
वो- तुम्हारी बाते तुम ही जानो 
मैं- तो फिर जीकर क्यों करती हो 
वो- बस ऐसे ही 
मैं- यु कहर ना ढाया करो 
वो- मैंने क्या किया 
मैं- अपने आप से पूछो 
वो- तुम ही बता दो 
मैं- चलो फिर जाने दो
सफर की थकन बोझिल जिस्म रात का समय आँखों में चढ़ने लगी नींद की खुमारी पर सुबह होने में कुछ ही घंटे बचे थे तो सोना किसे था वोस अमे भी नीनू के साथ सची झूठी बाते करके गुजर गया भोर हुई दिन निकला अब हमे हम लोग अलग नीनू ने ऑटो लिया और चली गयी मामा की घर मैंने अपने बैग को टंका कंधे पर और ढूँढने लगा कोई धरमशाला , अजनबी सहर अनजान लोग दोपहर हो गयी एक दो जगह ट्राई किया पर पता चला की आई डी के बिना कमरा किराये पर नहीं मिला करता है अब हुई परेशानी जोर की एक तो वैसे ही आँखों में बड़ी नींद उमड़ रही थी ऊपर से कोई जुगाड़ हो नहीं रहा था अब किया तो क्या जाये नीनू के सामने तो बड़ी बड़ी डींगे मारी थी पर हकीकत में अब बैंड बजने वाला था 


भूख भी लग आई थी तो पहले दबा कर भोजन किया बेस्वाद सा कुछ मजा नहीं आया पेट तो भर गया था पर जीभ नहीं मान रही थी शाम होने को आई सहर को नाप रहे इधर से उधर दो चार और धरमशाला के चक्कर लगाये पर वो कहते है न की जब तकदीर हो गांडू तो क्या करे पांडू तो बस वही हाल अपना , किसी ने बताया की सहर में जो फोर्ट बना हुआ है न उधर टूरिस्ट बहुत आते है कुछ लोग वहा पर भी रात- दो रात के लिए कमरे दे देते है उधर देख ले क्या पता तेरा काम बन जाये अब अनजान सहर ऊपर से रात होने वाली कुछ पैसे मेरे पास डर सताए की कही कोई लूट ना ले समस्या बड़ी विकट होती जा रही 


ऐसे ही रात के दस से ऊपर ह गए शारीर मेरा दर्द से बुरी तरह फट रहा नींद सताए वो अलग से रोड किनारे बने फुटपाथ पर बैठा मैं गहन सोच में डूबा था की तभी मैंने देखा एक स्कूटी को कार वाले ने साइड मार दी और भाग गया ओह तेरी ये क्या हुआ , अब सुनसान सड़क ऊपर से ये घटना मैं दोड़ता हुआ भगा स्कूटी की तरफ तो देखा की एक महिला रोड के साइड में गिरी हुई थी गनीमत थी की होश में थी मैंने उसको जी तैसे उठाया और पुछा – ठीक हो आप पर वो बहुत ही घबराई सी हो रही थी अब चोट भी लगी उसका मुझे अंदाजा नहीं था 


मेरा पैर मेरा पैर दर्द से रोते हुए बोली वो – मैंने देखा की उसके पैर से खून निकल रहा है उसकी सलवार खून से लाल हो रही थी , मैंने कहा- आप घबराओ मत सब ठीक हो जायेगा लो पहले थोडा सा पानी पियो मैंने बैग से पानी को बोतल दी उसको तब जाके वो थोड़ी सी संयंत हुई 


मैंने पुछा- पैर को देखू, उसने हां में सर हिलाया मैंने उसके पैर को सीधा किया और देखा जांघ के ऊपर और पिंडलियों पर चोट लगी थी वो दर्द से बेहाल हो रही थी मैंने कहा आप हिम्मत रखिये मैं अभी आपको हॉस्पिटल ले चलता हूँ , अब मैंने कह तो दिया की हॉस्पिटल पर अजनबी सहर का मुझे क्या पता 


तभी वो औरत बोली- इधर पास में ही एक प्राइवेट नर्सिंग होम है वहा तक पंहूँचा दो मुझे मैंने स्कूटी को उठाया डेंट पड़ गया था लाइट टूट गयी थी पर किस्मत की बात स्टार्ट हो गयी मैंने उस महिला को मस्सक्त करके एडजस्ट किया और उसके बताये रस्ते प् चल दिया अब स्कूटर तो खूब छापा हुआ था पर ये स्कूटी जिसमे गियर ही न था चलाने में अजक सी आये पर उसको पंहूँचा ही दिया डॉक्टर ने उसको कर लिया एडमिट मैं वाही पर बैठ गया एक तो वैसे ही थका हुआ मैं नींद करे परेशान अलग से करीब आधे घंटे बाद डॉक्टर ने मुझे बुलाया और कहा की आप के साथ जो लेडी थी उनकी ड्रेसिंग कर दी हैं हमने शुकर है उनको ज्यादा चोट नहीं लगी जांघ पर खाल चिल गयी थी उधर पट्टी बाँध दी है हां पर कमर पर ज्यादा लगी है 


तो उधर का थोडा ध्यान देना होगा , मैंने दवाई लिख दी है मेडिकल से ले लेना और एक घंटे बाद आप उन्हें घर ले जा सकते है मैंने पर्ची ली और मेडकल पे दवाई लेकर आया इलाज का खर्च और दवाई इनसब में २२०० रूपये लग गए , फिर मैं अन्दर गया उस औरत के पास वो लेती हुई थी मैंने- कहा अब ठीक है आप 

वो- हां थैंक्स आपने हेल्प की 

मैं- ये तो मेरा फ़र्ज़ था अभी आप ज्यादा स्ट्रेस ना लो डॉक्टर ने बोल दिया है की बस थोड़ी देर मं् आप घर जा सकती है वो मुस्कुराई और बोली- सच में मेरे लिए तो आप किसी फ़रिश्ते से कम नहीं है अगर राईट टाइम पर आप मेरी हेल्प को नहीं आते तो पता नहीं क्या होता मैं आप खामखा ही ऐसे बोल रही है बस आपकी किस्मत अच्छी है की ज्यादा चोट नहीं लगी 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:30 PM

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