RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैं- कोई ना आएगा बस थोड़ी देर की तो बात है
पर वो ना मानी , मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और बिमला के हाथ में दे दिया बिमला बड़े प्यार से
उसको अपनी मुट्ठी में भर कर हिलाने लगी मैं फिर से उसको किस करने लगा काफ़ी देर तक जी भर कर उसके
लबो का रसपान करने के बाद, मैंने उसको खाट पर लिटा दिया और उसके घाघरे को कमर तक उठा दिया
बिमला ने कच्छी पहनी नहीं थी तो टांगो को खोलते ही उसकी काली चूत मेरी नजरो के सामने थी बिमला
की चूत के काले होंठ बहुत ही ज्यादा पसंद थे मुझे , बिमला का काला रंग , उसकी कामुकता को और भी
ज्यादा बढ़ा देता था
मैंने अपने होठो पर जीभ फेरी और अपने मुह को उसकी टांगो के बिच घुसा दिया उसकी मस्त चूत की
नमकीन खुशबू मुझे मस्ताना करने लगी मेरी गरम साँसे जो उसकी चूत पर पड़ी बिमला ने एक आह भारी
और अपने हाथो से चूत की पंखुडियो को फैलाया उसकी चूत के अंदर का लाल लाल भाग दिखने लगा , मैंने
झट से बिमला की चूत पर अपने होठ सटा दिए बिमला की टाँगे कांप उठी , “ओह ओह आह आह ”
उसकी टाँगे मचलने लगी , चूत का नमकीन पण बढ़ने लगा , मेरी लम्बी जीभ surpppppppppppp
सुर्प्पप्प्प्पप्प्प करते हुए उसकी चूत के अनमोल रस को चख रही थी बिमला की आहे पल पल बढती ही
रही थीइधर मैं अपनी जीभ चला रहा था उधर बिमला अपनी गांड हिलाने लगी थी पर उसने ज्यादा देर चूत
न चुस्वाई वो बोली- बस अब जल्दी से अंदर डाल दो और फटाफट से कर लो कही कोई आ ना निकले,
मैं- भाभी, ऐसे मजा नहीं आता
वो- अभी करलो रात को छत पर आ जाउंगी फिर रगड़ लेना अभी जल्दी से कर लो
बात तो उसकी सही थी , कोई भी आ निकले , मैंने लंड पर थूक लगाया और भाभी की चूत से रगड़ने लगा
बिमला की चूत को काफ़ी दिन बाद लंड मिल रहा था चूत ने लंड का स्वागत किया मैंने बिमला की एक टांग
को कंधे पर रखा और लंड को चूत में सरका दिया
आह , थोडा धीरे
मैं- क्या भाभी आप भी
वो- अरे काफ़ी दिन में इसमें कुछ गया है ना
मैं- किस्मे क्या क्या गया भाभी
वो- हट गंदे, मुझसे बुलवाना चाहता है
मैं- अन्दर ले सकती हो बोल नहीं सकती
वो- मुझे लाज आती है
मैं- करती हो जब लाज नहीं आती चलो बताओ किस्मे क्या गया
भाभी- बड़े शैतान हो तुम, चूत , चूत में लंड गया और क्या
मैं- जियो भाभी
कहते ही मैंने पूरा लंड बिमला की चूत में उतार दिया और धक्के मारने लगा बिमला प्यार से मेरी तरफ
देखते हुए चुदने लगी मैंने उसकी टांग को सहलाते हुए चूत में लंड अन्दर बहार करने लगा “ओह, भाभी,
कितनी गरम चूत है तुम्हारी, मजा ही आ गया ”
बिमला – मेरे उपर आ जाओ पूरी तरह से
मैं बिमला के ऊपर आकर चोदने लगा उसने अपनी टांगो को ऊपर कर लिया और अपनी कमर को उचकते हुए
चूत में लंड लेने लगी , उसका बदन वास्तव् में ही बहुत गरम था एक नंबर की गरम औरत थी वो मैं उसके
गालो को खाने लगा तो वो मना करने लगी- बोली=निशाँ पड़ जायेंगे पर मैं कहा रुकने वाला था वो भी जब
ऐसी गरम चुदाई चल रही हो , फुच फुच फुच फुच करते हुए चूत क पानी से सना हुआ मेरा लंड लगातार चूत
की गहराइया नाप रही थी बिमला बोली होठ चूसो मेरे
तो मैं उसको किस करते हुए चूत पर धक्के मारने लगा बिमला में पूरी तरह समा कर हम दोनों स्वर्गिक
आनंद को भोग रहे थे लापा लापा चूत और लंड का खेल चल रहा था बिमला मेरे बालो को सहला रही थी और
फिर बिमला कस के मुझ से चिपक गयी बदन पसीने पसीने हो उठा और उसके झड़ते झड़ते ही मैंने भी
उसके काम रस से अपने वीर्य को मिला दिया और बिमला की चूत को भरने लगा .
जल्दबाजी भरी चुदाई के बाद हमने अपनी सांसो को संयंत किया बिमला ने बिस्तर की चादर से अपनी चूत
को साफ़ चूत से मेरा वीर्य बह रहा था , देख कर मैं मुस्कुरा पड़ा बिमला बोली- “रात को छत पर मिलना , तब रही सही कसर पूरी कर दूंगी ”
मैं- ठीक है भाभी
बिमला फिर अपने घर चली गयी मैं नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया चुदाई के बाद ठन्डे पानी से नहाने का भी अपना मजा होता है , तरो ताज़ा होकर मैं आया तो मम्मी चाची दोनों घर आ चुकी थी, मम्मी ने मुझसे पूछा-
“तो, कैसा रहा, तुम्हारा टूर, ”
मैं- जी बहुत बढ़िया
मम्मी- घर सेबाहर जाते ही तुम लापरवाह हो गये , कम से कम फ़ोन तो कर सकते थे न ,
मैं- जी, मुझे ध्यान नहीं रहा
वो- ओह! तो ध्यान नहीं रहा , वैसे भी घरवालो को कुछ समझते तो तुम हो नहीं बड़े जो हो गए हो
मैं- मम्मी, सच में समय ही नहीं मिला , वह जाकर मैं बहुत बिजी हो गया था
वो- क्या हमे भी पता चलेगा की वहा कौन से तुम्हारे कारखाने चल रहे थे जो माँ- बाप से दो पल बात करने की फुर्सत न मिली तुम्हे
मैं-मम्मी आप भी शुरू हो गए, इस घर से मैं हूँ , मुझ से ये घर थोड़ी न कुछ पल जी लिए अपने लिए बस इतनी सी बात है
मम्मी- तुझसे तो बात करना बेकार है , इस बात को तू तब समझेगा जब तू बाप बनेगा चल जाने दे , घुमाई फिराई बहुत हुई, अब थोडा घर के कामो पे ध्यान देना , तुम नहीं थे तो काफ़ी काम अधूरे पड़े है
मैं- कल कर दूंगा
फिर चाय पीकर मैं घर से बहार निकल पड़ा , मोहल्ले में आया तो पानी की टंकी के पास खेली पर पिस्ता को देखा , भैंसों को पानी पिला रही थी इधर उधर देख कर मैं उसके पास चला गया उसने मुझे देखा मैंने उसको देखा पानी पीने के बहाने से मैंने धीरे से उस से पुछा- “कैसी हो ”
वो- जीयु या मरू तुमसे मतलब
मैं- तो किस से मतलब
वो- कितने दिन बाद आज शकल दिखा रहे हो, तुम्हारा काम निकल गया तो मुझे भुला दिया
मैं- कुछ भी बोल देती है , मेरी तो सुन
वो- क्या सुनु तुम्हारी
मैं- सुनेगी तो पता चलेगी ना
वो- मेरे पास टाइम ना है
मैं- फ़ालतू में गुस्सा ना हो यार , बात तो सुन
वो- मेरा मूड ना हैं तू जा अभी यहाँ से
अब इस को क्या हुआ, ये क्यों खफा हो गयी , जो भी हो मानना तो पड़ेगा ना
मैं- रात को तेरा इंतज़ार करूँगा कुएँ पर
वो- मेरा भाई है मैं ना आ सकुंगी
मैं- तो कब मिलोगी
वो- घर आजा फुर्सत से सुनूंगी तेरी कहानी
मैं- घर भाई न होगा के
वो- डर लगे है
मैं- तेरे लिए कैसा डर , तू जहा कहे वहा आ जाउंगा
वो- तो ठीक है मेरे चोबारे में मिलते है रात को
ये भी साली गजब थी, भाई तो घर पे ही होगा , मरवाने का पूरा जुगाड़ कर रखा था पर उसकी नारजगी को दूर करना भी जरुरी था , ध्यान आया की बिमला ने भी रात को छत पर मिलने को कहा था दोनों का एक समय इक्कारार चुनु भी तो किसे पर पिस्ता बस मेरी हवस ही नहीं थी वो मेरी दोस्त भी थी तो बस हो गया फैसला थोड़ी बहुत घुमाई के बाद घर वापसी हो गयी , पता नहीं क्यों मन लग नहीं रहा था घर पर , पर इसके सिवा जाना भी कहा था
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