Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:35 PM,
#63
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैं चौंक गया क्योंकि चाचा इस से पहले खेत में तभी जाते थे जब फस जाते थे वो वर्ना कभी काम का कभी थकन का बहाना मार देते थे, मेरे अन्दर का जासूस जागने लगा मैंने साइकिल को अन्दर कर दिया और अपने कमरे में आ गया घंटे भर में सब लोग सो गए थे घर में घोर अँधेरा छाया हुआ था मेरे मन में बहुत कुछ चल रहा था एक बार फिर से वोही छत थी वो ही चाँद था और वो ही मैं था रात फिर से खामोश थी मेरे मन में भावनाए उमड़ रही थी कुछ सोच कर मैं घर से बाहर आया और अपने खेत की तरफ चल पड़ा दबे पांव मैं कुएँ पर गया तो मैंने देखा की कुएँ पर कमरे में ताला लगा था चाचा तो थे नहीं यहाँ पर 


अब ये कहा गए, दूर दूर तक बस ख़ामोशी की चादर फैली हुई थी , मेरे दिमाग में तभी जैसे लट्टू जल गया मैं वहा से तेजी से बिमला के घर की तरफ चला, मेन गेट अन्दर से बंद था मैं अपनी छत से उसकी छत पर उतर गया सब कुछ शांत ही लग रहा था मैं नीचे की तरफ गया ख़ामोशी जो थी वो मुझे बड़ा परेशान कर रही थी मैं अन्दर को पंहूँचा चारो तरफ अँधेरा था हर बल्ब बुझा हुआ था , मेरा दिल बड़ी जोर जोर से धड़क रहा था सब ठीक ही लग रहा था मैंने सोचा खामखा ऐसे ही शक नहीं करना चाहिए था चल अब घर तो मैं वापिस सीढियों की तरफ बढ़ा ही था की मेरे कानो में जो खनक गूंजी उसे मैं बहुत अच्छे से पहचानता था आऔच ”

ओह आह , क्या करते है थोडा आराम से चूसिये ना 

ये शब्द सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए , कमरे का दरवाजा तो बंद था पर खिड़की खुली थी अँधेरे से कुछ दिख तो रहा नहीं था पर सुन तो सकता ही था 

चाचा- ओह बिमला कितना कसा हुआ माल हो तुम , तुम्हारा पति एक नुम्बर का गांडू है जो तुम्हे यहाँ छोड़ कर कमाने चला गया वहा पर 

बिमला- चाचा जी, आह्ह्ह्हह्ह मैं चिंता करू आप हैं ना मेरा ख्याल रखने को आह थोडा सा आराम से चूसिये ना बोबो पर निशाँ हो जायेंगे 

चाचा- आज मत रोक मुझे मेरी जान आज पूरी रात तबियत से चोदुंगा तुझे जरा मेरे लंड को अपने हाथ में तो ले 

मुझे समझ नहीं आ रहा था की ये क्या हो रहा है , दिल तो कर रहा था की दोनों की गांड पर एक एक लात दू पर मैं चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता था पर उसी टाइम सोच लिया था की बिमला की तो गांड लाल करूँगा ही जरुर , पता था की बस अब चुदाई ही चलेगी पूरी रात मुझमे और वहा पर खड़े रहने की शक्ति नहीं थी मुझे पता नहीं क्यों विशवास नहीं हो रहा था की चाचा ऐसे निकलेंगे मैं वहा से खिसक लिया और वापिस घर आ गया दिल में पता नहीं क्यों ऐसे लगता था की जैसे ज़माने भर का दुःख भर दिया हो किसी ने 


हालाँकि कायदे की बात तो ये थी की बिमला की अपनी मर्ज़ी थी की वो किसी से भी चुदे, पर चाचा जो धोखा चाची को दे रहे थे वो गलत था , मेरी आँखों के सामने मेरा ही अक्स आ गया मैं जो पिस्ता के साथ करता था मैंने जो रति के साथ किया वो भी तो किसी और की अमानत थी ना शायद दुनिया का कुछ ऐसा ही दस्तूर रहा हो आज जब खुद को दर्द हुआ तो अच्छे बुरे का ख्याल आया मैं रगड़ रगड़ कर पिस्ता को चोदता तह उसकी कल को शादी होगी वो क्या सोचेगा जब उसको पता चलेगा की उसके चेक पर कोई और साइन कर गया , रति को भी मैं खूब चोदा था मेरे मन में तमाम वो लोग घुमने लगी सर फटने को आया कहा तक भागता मैं सच तो यही था बदलने वाला नहीं था जरा सा भी 


मैं क्या कर सकता था बिमला की चूत में आग लगी थी , उसके शरीर की जरूरते थी , वो बहार भी चुदवा सकती थी पर ठीक था की घर की भीत घर में ही गिर रही थी , पर मुझे उस बात का डर था जब ये बात खुलेगी मुश्क कभी छुपते भी तो नहीं मैं उस चाँद को घूर रहा था बिना बात के , मेरी तन्हाइयो का वो ही तो साथी था कभी कुछ बोलता नहीं था पर फिर भी मेरा साथी था 


“लगता है अभी तक तुम्हारी उलझन सुलझी नहीं है ” मैंने पलट कर देखा तो चाची खड़ी थी बदन पर ढीली सी मैक्सी खुले बाल कमर तक आते हुए, ऊपर से चांदनी रात 

मैं- क्या करू चाची, ये नींद भी मेरी दुश्मन होई पड़ी है , कमबख्त आती ही नहीं 

वो- ये लगातार तीसरी रात है जब मैंने तुम्हे यहाँ देखा है 

मैं- जी सो जाऊंगा थोड़ी देर में 

चाची- मेरे साथ आओ 

मैं उनके कमरे में आ गया उन्होंने मुझे बेड पर बिठाया और बोली- मुझे अपनी चाची नहीं दोस्त समझो और बताओ की वास्तव में तुम्हे क्या परेशानी है 

मैं- मुझे नहीं पता 

वो- क्या गर्लफ्रेंड से कुछ बोल चाल हुई 

मैं- मेरी कोई गर्लफ्रेंड है ही नहीं 

वो- झूट मत बोलो 

मैं- सच हो बोल रहा हूँ 

वो- चलो मान लिया फिर क्यों परेशानी है क्यों जागते हो रातो को 

मैं- बस ऐसे ही 

वो- ऐसे ही क्यों , मैं तो नहीं जागती ऐसे ही किसी और घरवाले को देखा है ऐसे ही जागते हुए 

मैं चुप रहा 

वो- मुझे तुमपे पूरा विशवास है , पर तुम बताओ की क्या तुम्हे ऐसा लगता है की तुम्हे किसी से प्यार हो गया है 

मैं- कभी लगता है कभी नहीं लगता 

वो- मतलब तुम किसी लड़की की वजह से परेशान हो 

मैं- बिलकुल नहीं 

अब मैं उनको क्या बताता की समस्या उनकी है समाधान वो मुझे बता रही है 

वो- तो पढाई का टेंशन है 

मैं- नहीं जी नहीं है 

वो- कोई भूत प्रेत का पंगा है क्या , कोई दीखता है क्या 

मैं- आजतक तो नहीं दिखा 

वो- बेटे, तुम मेरी बात को समझो पहले इस तरह सी जागना गलत है शरीर को नींद की भी आवश्यकता होती है कल को तुम्हारी मम्मी पिताजी जो पता चलेगा तो क्या सोचेंगे और फिर तुम डांट खाओगे वो अलग 

मैं- अब नींद नहीं आती तो मैं क्या करू 

वो- तो ठीक है दिन उगते ही तैयार रहना तुम्हे डॉक्टर को दिखाउंगी 

मैं- उसकी जरुरत नहीं है 

वो- तुम कल चल रहे हो बस और अभी तुम इधर ही सो जाओ मेरे पास में ही क्या पता फिर से बची खुची रात को भटकते फिरोगे 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:35 PM

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