RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैं- चाची क्या हाल चाल
वो- बस दिन कट जाय किसी तरह से
मैं- वो तो कट ही जाना है
मैं उनके पास गया और चाची को अपनी बाहों में घर के उनके गालो को चूमने लगा
चाची- छोड़ कोई आ जायेगा
मैं- कौन आ जायेगा वैसे ही आजकल आपसे मिल नहीं पा रहा हूँ
वो०- मेरे बिना कौन सा काम अटका पड़ा है तेरा
मैं उनकी गांड को सहलाते हुए , आपको नहीं पता किया मैं अपनी ऊँगली उनकी गांड की दरार में डालने लगा तो वो मुझसे अलग हो गयी और बोली- कपडे बदल ले कही बीमार न हो जाए
पर मैंने उनको फिर से पकड़ लिया और उनके बोबे दबाते हुए बोला- बीमार होने से कौन डरता है जब इलाज आपके पास है
चाची- आः दर्द होता है ना
मैं- तो होने दो
वो- चल अब जाने दे रसोई में काम पड़ा है
तो वो नीचे चली गयी थोड़ी देर बाद मैं भी नीचे आ गया और बाते सुन ने लगा ये तो पक्का था की परिवार चुनाव लडेगा ही लडेगा , अब पिताजी और चाचा तो सरकारी नौकरी में तो वो तो लड़ नहीं सकते बचे ताऊ जी तो वो ही हिम्मत करेंगे , अपने को इस मामले में क्या रिस्क लेना तो मैं घर से बाहर निकल गया पर तभी मुझे कुछ याद आया तो मैं वापिस और जो पैसे मंजू ने दिए थे वो जेब में डाल लिए बारिश बस बूँद बूँद करके हो रही थी मेरे दिमाग में एक विचार चल रहा था पर उसे कामयाब करने का रास्ता बड़ा मुश्किल हो रहा था
पर करना तो था ही , बारिश का सा मौसम होने के कारण हल्का सा अँधेरा हो रहा था मैं थोड़ी देर मंजू के बाप की दूकान पर बैठा कुछ लोग ताश खेल रहे थे तो मैं देखने लगा , ताश खेलने की मन में तो बहुत आती थी पर बाप का डर था तो बस देख ही लिया करता था , तो मैंने देखा की गीता ताई दूकान पे सामान लेने आई तो रतिया काका ने उसे फिर से पैसो के लिए कहा , गीता ताई बड़ी परेशान दिख रही थी जबकि मुझे ये अंदाजा हो गया था की इसी परेशानी में मेरे लिए चूत का रास्ता छुपा हुआ है ताई वापिस मुड गयी सामान लेकर मेरी नजर तो बस उनकी 61-62 करती हुई गांड पर जम ही गयी थी
मन भी नहीं लग रहा था तो मैंने सोचा की अड्डे की तरफ चक्कर लगा आऊ, जा ही रहा था की मैंने देखा पिस्ता अपने दरवाजे पर ही कुर्सी डाल के बैठी ही उसने मुझे देखा और पिछली गली में आने का इशारा किया तो मैं घूम गया , थोड़ी देर बाद वो छत पर आई और बोली- कहा जा रहा था
मैं- बस ऐसे ही
उसने एक पैकेट मेरी तरफ उछाला और बोली- ले तेरा काम कर दिया है
मैं- पर अभी जरुरत नहीं है
वो- रख ले , अब तूने एक काम बोला ना करती तो अच्छा नहीं लगता ,मिलती हूँ दो चार दिन में तुझसे
मैं भी कट लिया वहा से तो आलम हुआ ये की मेरी दोनों जेबों में नोटों की गड्डी थी , पुरे बीस हजार रूपये एक दम से अमीरी का अहसास हुआ , पर मेरे दिमाग में लक्ष्य साफ था की करना क्या है अब जब ठरक सर चढ़ी हो तो मन साला लगे कहा घर आया खाना खाके अपने कमरे में बैठ कर बचा काम कर रहा था की चाची आके बोली- आज भी तुम्हे कुएँ पर ही रहना है , बारिश आने की पूरी सम्भावना है जो नयी बाड़ी लगायी है उसका ध्यान करना अगर मेह आ जाये तो
मैं- बस यही काम है मेरा हर रात खेत में मच्छरों के बीच पडू मैं , मुझे नहीं जाना
वो- नहीं जाना तो अपने पिताजी से बात कर लो
मैं-ठीक है जा रहा हूँ
मैंने सोचा था की चाची मेरे कमरे में रहेगी तो चोदने का मौका तो रहेगा ही रहेगा पर जब से वो वापिस आई थी साला अपना खेत पर टाइम बीत रहा था तो अपने अरमानो को मार कर एक चद्दर और बैटरी लेकर मैं दुखी मन से चल पड़ा खेत की और मेरे मन में ख्याल आ रहा था की जब पिताजी ने बंटवारा कर ही दिया है तो मैं क्यों चौकीदार बनू ,जिसकी जमीं वो संभाले आधा रास्ता पार किया था की बूंदा बंदी शुरू हो गयी तो मैंने अपने कदम तेज कर दिए बारिश भी तेज होने लगी अब मैं लगभग भागने ही लगा था क्योकि मेरे पास बैटरी थी जो गीली नहीं होनी चाहिए थी
मैं गीता ताई के घर के पास से गुजरा तो मैंने देखा की ताई घर के चबूतरे पर ही बैठी थी मुझे सही मौका लगा
मैं- राम राम ताई जी
वो- खुश रहो बेटा, कहा जा रहे हो बारिश में
मैंने सोचा की बात करने का सही मौका है तो मैं भी चबूतरे पर चला गया और बोला- बस ताई जी वोही कुएँ पर जाके सोना है नयी बाड़ी लगायी है तो थोडा देखना होगा की कही बारिश में गड़बड़ न हो जाये
ताईजी- अभी से इतना काम करने लगा है तू
मैं- बस ताई जी , करना पड़ता है
मुझे ना गीता ताई से बात करते हुए ऐसा लग रहा था की जैसे अभी इसी वक़्त उसको चोद दू , बस इसी ख्याल से मेरा लंड खड़ा होने लगा पर थोडा देखना भी था की लाइन पे आएगी या नहीं
मैं- ताऊ न दिख रहा
रिश्तेदारी में ब्याह है उधर ही गया है , उसको क्या चिंता फ्री की मिलेगी पीने को तो आएगा आराम से ,
मैं- आप रोकती क्यों नहीं उनको पीने से
वो- बहुत कोशिश की रोकने की , पर अब मैं भी हार गयी हूँ
ताईजी थोड़ी दुखी होने लगी थी मुझे लगा यही सही मौका है चोट करने का
मैं- ताई जी कुछ परेशान दीखते हो आप , मैंने उस दिन भी देखा था और आज भी देखा था दूकान पे आपको , जब रतिया काका थोड़ी सख्ती से आपसे बात कर रहा था
ताई - बेटा वो , थोडा कर्जा लिया था बानिये से तो टाइम पे चूका नहीं पा रही हूँ तो बस उसी की चिंता है
मैं- तो ताई जी, उसमे इतना दुखी होने की क्या बात है लो अभी हो जायेगा समाधान
वो- कैसे बेटा
मैं- मैं हूँ ना ताई जी ,
मैंने जेब से एक गड्डी निकाली और गीता के हाथ में रख दी और बोला
“लो, ताई जी , इन पैसो में रतिया काका का पूरा हिसाब किताब हो जायेगा ”
गीता ताई मेरे मुह को ताकती रही फिर बोली- नहीं बेटा, मैं तुझसे ये पैसे नहीं ले सकती तुम्हारे घर वालो को पता चलेगा तो वो बुरा मानेंगे
मैं- ताई जी , अगर आपने पैसे नहीं लिए तो मैं बुरा मान जाऊंगा , और वैसे भी घरवालो को कौन बताएगा और फिर हम सब एक गाँव एक समाज में ही तो रहते है एक दुसरे के सुख को जब अपनाते है तो दुःख को भी अपनाना चाहिए ना ,
ताई- बेटा, तू मेरे बुरे समय में मदद कर रहा है , तेरा अहसान रहेगा और हां, तेरे पैसे भी मैं जल्दी ही वापिस लौटने की कोशिश करुँगी
मैं- ताईजी आप तो ऐसे बात कर रही हो जैसे की मैं कोई पराया हूँ, एक बात बताओ कभी अगर मुझे मदद की जरुरत पड़ेगी तो क्या आप मेरी मदद नहीं करोगे
ताई- क्यों नहीं करुँगी, तू जो चाहे मांग के देख लेना
मैं- अच्छा तो चलो अब आप मुस्कुराओ इस सुन्दर चेहरे पर ये हताशा अच्छी नहीं लगती है
ताई- हँसते हुए, अब कहा सुन्दरता बची है अब तो बस दिन कट रहे है
मैं- किसने कहा आपसे, देखो मुझे तो बड़ी सुन्दर लगती हो आप
वो- अच्छा,
मैं- और नहीं तो क्या , ये तो आपने अपने ऊपर थोडा ध्यान देना छोड़ दिया वर्ना आजकल की बहुए तो फीकी चाय है आपके आगे,
औरत कोई भी हो अपनी तारीफ़ की सदा भूखी होती है ताई का हाल भी कुछ वैसा ही था अपनी तारीफ़ सुनकर उनके अन्दर की औरत मचलने लगी थी इधर बारिश अब थोड़ी ज्यादा तेज हो गयी थी तो मैंने ऐसे ही कहा – ताईजी , बारिश तेज हो गयी मुझे अब चलना चाहिए
ताई- बेटा, खेत दूर है वहा जायेगा तब तक तो पूरा भीग जायेगा कही तेरी तबियत ख़राब ना हो जाये ,
मैं- ताई जी खेत पर जाना तो है ही
ताई जी- बेटा, ये भी तो तेरा ही घर है इधर ही ठहर जब तक बारिश हलकी न हो जाती मेरा भी मन लगा रहेगा अब अकेली हूँ थोड़ी बात करके मेरा भी टाइम कट जायेगा
मुझे और क्या चाहिए था बरसात की रात और चूत का साथ बस कुछ भी जुगाड़ करके ताई को बिस्तर पर लाना था पर कैसे वो ही सोचने लगा था ताई बोली- क्या हुआ किस सोच में गुम हो
मैं- कुछ नहीं ताईजी बस आपके बारे में ही सोच रहा था
वो- क्या सोच रहा है
मैं- यही की आप इतनी खूबसूरत हो, फिर भी ताऊ आपकी कोई कदर नहीं करता , अगर ताऊ दारू ना पिए और सही से रहे तो आपको किसी सुख की कोई कमी ना रहे
ताई- बेटा इस जनम में तो मिल लिया सुख मुझे
मैं- ऐसा क्यों सोचते हो आप
वो- और क्या कहू बेटा,
मैं- कहना क्या, मस्त रहो जिंदगी को जियो
वो- परेशानिया बहुत है बेटा , बस टाइमपास हो जाये वो ही बहुत है
मैं- ताई जी आप खुश रहो बस मेरी तो इतनी ही इच्छा है , मैं तो सबको अपने घर का सदस्य ही मानके चलता हूँ , अब कोई एक सदस्य दुखी रहे तो फिर बताओ कैसे पार पड़ेगी
ताई- चल तू कहता है तो कल से मैं सज संवर के ही रहा करुँगी
मैं- ये हुई ना बात , और बताओ क्या चल रहा है
ताई- सब तेरे आगे ही है तुम बताओ कुछ
मैं- बस अपना हाल भी आप जैसे ही है
वो- तुझे क्या दुःख हो गया अभी से
मैं- सोचा जाये तो कुछ दुःख नहीं है और सोचु तो बहुत बड़ा दुःख है
वो- क्या दुख है ऐसा
मैं- ताईजी , बस कुछ बाते है आप नहीं समझोगे
वो- तुम बताओगे तो समझ लुंगी
हम बात कर रहे थे की तभी बारिश और तेज हो गयी और पछाड़ चबूतरे तक आने लगी तो ताई बोली- बेटा बारिश इधर तक आ गयी है अब तो अन्दर ही चलते है , क्या फायदा भीगने का
तो मैं और ताई घर के अन्दर आ गए ताई ने मेन गेट बंद किया और मैं उनके साथ उनके कमरे में आ गया तभी मैंने देखा की बिस्तर पर ऐसे ही ताई की ब्रा पड़ी थी , मैं उसे देख के मुस्करा दिया तो ताई उसे जल्दी से हटाने लगी
मैं- कोई बात नहीं ताई जी कपडा ही तो है
वो- वो, अब घर में कोई और तो है नहीं तो ऐसे ही रख दी थी
मैं- कहा न कोई बात नहीं
मैं पलंग पर बैठ गया ताई झुक कर कुछ कर रही थी तो मेरी नजर उनकी गांड पर पड़ी मोटे मोटे चुतड उफ्फ्फ लंड खड़ा हो गया , मैंने सोचा आज की रात किस्मत वाली है अगर आज ताई को नहीं चोद पाया तो कभी नहीं चोद पायेगा जो दिल में है ताई को बोल दे और बाकि सब तक़दीर पर छोड़ दे
ताई- ये आजकल के नौजवान भी ना ,
मैं उनकी आँखों में आखे डालते हुए –ताई जी आप बुरा ना माने तो एक बात कहू आपसे
वो- कहो, बुरा क्या मानना है
मैं- मैं कुछ कहना चाहता हूँ आपसे
वो- कहोगे तभी तो मुझे पता चलेगा
मैं- ताईजी आप मुझे बहुत अच्छी लगती है
ताई जो चाय बना रही थी उन्होंने चीनी के डिब्बे को स्लैब पर रखा और मेरी और मुड़ी और मुझे देखने लगी
मैंने अपने मन में सोच लिया था की साफ़ साफ़ कहना ही उचीत रहेगा , क्योंकि इसके सिवा मेरे पास और कोई तरीका था भी नहीं ,
वो- मैं इस बुढ़ापे में क्या अच्छी लगूंगी किसी को
मैं- आप कहा से बुड्ढी हो गयी आप क्या हो ये मुझ से पूछो , ताई जी मैं झूठ नहीं बोलूँगा पर पता नही कैसे मुझे आपसे लगाव हो गया है , और मैं आपको पाना चाहता हूँ
मेरी बात सुन कर ताई गीता हक्की बक्की रह गयी और कुछ बोलने ही वाली थी की मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया और ताई की होंठो पर एक किस कर दिया
ताई को थोडा गुस्सा आ गया वो बोली- तेरी हिम्मत कैसे होई, अपनी उम्र देख और मेरी उम्र देख
मैंने ताई को आजाद कर दिया और उनके कंधे पकड़ कर बोला- ताई जी , मैं चाहता तो आपसे झूठ भी बोल सकता था पर मैंने अपने दिल में जो था वो आपको बता दिया है , मुझे आपकी चाहत है मैं आपको चोदना चाहता हूँ
गीता ताई का चेहरा लाल हो गया था वो बोली- बिलकुल भी शर्म नहीं आती तुझे
मैं- दिल की बात बताने में कैसी शर्म
वो- कम से कम तेरा मेरा नाता तो देख लेता तुझ से बड़ी तो मेरी बेटी है वो भी ब्याही हुई
मैं- किन रिश्ते नातो की बात करती हो एक आपका नाकारा पति जो बस पीकर पड़ा रहता है आप जैसा गरम माल है पर उसको कोई फिकर ही नहीं है , क्या आपके मन में सेक्स की नहीं आती , जब आप मटक मटक कर चलती है तो मेरा लंड कच्छे को फाड़कर आपकी गांड में घुसने को बेताब हो जाता है , आपकी ये मस्त चूचिया जी करता है खूब दबाऊ इनको
मेरी बाते सुनकर गीता ताई का चेहरा शर्म से लाल हो गया था मैंने ताई को फिर से अपनी बाहों में ले लिया और उनकी गांड को मसलने लगा तो वो विरोध करने लगी ,
मैं- ताई जी बस एक बार दे दो
वो- नहीं , देख मुझे अपनी इज्जत का लिहाज है इसलिए कह रही हूँ की चला जा मेरे घर से
मैं- कैसी इज्जत आपकी , वो आपके नाकारा पति के कारण दुःख भरा जीवन जी रही है ताई जी मैं आपको विश्वास देता हूँ इस रात की बात आपके और मेरे बीच ही रहेगी, मुझे बस आपके जिस्म की चाह ही नहीं बल्कि आपके प्यार की चाह भी है ,
दूसरी बात देखो, कर्जे वाले सर पर खड़े है , क्या पता कल रतिया काका भी पैसो के जगह आपसे ऐसा ही कुछ मांगले तो क्या तब आप मन कर पाओगे उसको , तब कहा जाएगी आपकी इज्जत
वो चुप रही
मैं- ताई जी मैं आपसे जबरदस्ती नहीं करना चाह्ता बस आपसे प्यार करना चाहता हूँ , आप सच में मुझे बहुत अच्छी लगती हो ,
वो- पर ये घरवाले के साथ धोखा होगा
ताई की ये बात सुनते ही मैं समझ गया की लाइन पे आ रही है
मैं- जब उसको आपकी फ़िक्र नहीं तो आप भी क्यों करो , देखो वैसे भी किसी को कुछ पता नहीं चलेगा देखो मेरा लंड आपके लिए कैसे बेताब हो रहा है मैंने अपनी निक्कर को नीचे कर दिया , ताई की नजर मेरे लंड पर पड़ी , जवानी से भरपूर लंड को देख कर उनके मन में हलचल मचने लगी
वो- ये क्या कर रहा है, निक्कर को ऊपर कर
मैं ताई के पास जाके- ताई एक बार इसको छु लो ना
वो थोडा सा और पीछे हो गयी
मैंने गीता का हाथ पकड़ा और उसको अपने लंड पर रख दिया वो हाथ को हटाना चाहती थी पर मेरी पकड़ मजबूत थी
वो- मुझे मजबूर मत कर
मैं- ताई जी आपकी हर ख़ुशी की मेरी गारंटी , बस एक बार मेरी हो के तो देखो
मैंने अपनी जेब से दूसरी गड्डी निकाली और ताई के हाथ में देते हुए बोला- ताई अगर प्यार से ना मानो तो ये पैसे रख लो जो आपको अच्छा लगे बस एक बार आपकी चूत दे दो मुझे
ताई- तुझे क्या लगता है औरत बिकाऊ है
मैं- तो प्यार भी तो नहीं मान रही हो आप
मैंने ताई को अपने आगोश में जकड लिया वो विरोध कर रही थी मैं दोनों हाथो से उनकी गांड को दबाने लगा उनकी चूचिया मेरे सीने से टकराने लगी
मैं- मान भी जाओ ना ताई जी बस एक बार
मेरा लंड ताई की चूत वाले हिस्से से बार बार टकरा रहा था पर ताई हां कह नहीं रही थी तो मैंने आखिरी दांव खेलते हुए ताई को अपने आगोश से छोड़ दिया और बोला- ताई जी आप को मैं दवाब नहीं डालूँगा आप नहीं देना चाहती तो कोई बात नहीं पर क्या आप एक बार मुझे चूत दिखा दोगे
ताई के चेहरे पर असमंजस के भाव आ गए थे , कशमकश में फसी गीता,
मैंने अपने लंड को हाथ से हिलाते हुए- बस ताईजी एक बार इस जन्नत के दरवाजे के दर्शन करवा दो
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