RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
एक तकिये को उनकी गांड के नीचे दिया और चूत पर थूक लगा के उनकी टांगो को अपनी टांगो पर चढ़ा लिया और अपने सुपाडे को उनकी कामुक चूत पर रगड़ने लगा , ताई मुह से कुछ बोल नहीं रही थी पर उनका पूरा चेहरा लाल हो गया था एकदम , गीता का पूरा बदन कांप रहा था
मैं- ताईजी डालू
ताई कुछ ना बोली तो मैंने मजे लेने की सोची और बस हलके हलके से अपने लंड को उनकी चूत के मुहाने पर रगड़ना चालू कर दिया ताई तो अब लंड लेने के लिए मरी जा रही थी पर वो खुद कह नहीं रही थी तो मैं भी जल्दी नहीं दिखा रहा था एक हाथ से लंड को चूत पे रगड़ते हुए दुसरे हाथ से मैं उनकी छाती से खेलने लगा तो ताई अब बुरी तरह से उत्तेजित होने लगी, ताई के चुतड हिलने लगे और तभी ताई ने अपने गांड को उचका कर मुझे इशारा दिया और तभी मैंने अपने लंड को आगे को सरका दिया
मेरा लंड चूत की मुलायम पंखुडियो को चूमते हुए चूत में घुसने लगा ,ताई की चूत लंड की मोटाई के हिसाब से फैलने लगी
ताई- आआह्ह्ह्ह आराम से, पता नहीं कितने दिन बाद चुद रही हूँ दर्द हो गया थोडा आराम से
एक चालीस इकतालीस साल की महिला के मुह से ये सुनके की दर्द हो गया मुझे बहुत अच्छा लगा तो मैंने जोश में आके एक तेज झटका और मारा और मेरा आधा लंड गीता की चूत में घुस गया
ताई- aaahhhhhhhhhhhhh ओफफ्फ्फ्फ़ धीरे
पर मैं अब कहा धीरे होने वाला था मैं ताई के ऊपर झुकने लगा और इस बार जैसे ही मैंने अपने होंथो में गीता के रस से भरे होंठो को दबाया एक जोर का धक्का लगाया और मेरे अंडकोष उनकी जांघो के निचले हिस्से से टकरा गए पूरा लंड ताई की चूत में समा गया था ताई की चीख मेरे मुह में ही घुट के रह गयी ताई के ऊपर पड़े पड़े ही करीब दो मिनट तक उनके लबो को चुस्ता रहा मैं
ताई का बदन कांप रहा था अब मैंने धक्के लगाने शुरू किये और ताई के मुह को आजाद कर दिया
वो- बड़ा जुल्मी है तू तो रे
मैं- अब आप जैसे माल को तो जुल्म करके ही चोदा जा सकता है न
ताई शरमा गयी
मैं- कैसा लग रहा है मेरा लंड लेके
वो कुछ नहीं बोली- मैं ताई बात नहीं करोगे क्या अब बताओ भी ना
ताई- अच्छा लग रहा है, काफ़ी दिनों में चुद रही हूँ, तेरे ताऊ को तो मेरी सुध नहीं है बस दारू ही जिंदगी बन गयी है
मैं ताई को चोदते हुए- बस मेरी जान, अब मैं हूँ ना जब जब मौका मिलेगा आपकी चूत को अपने पानी से भर दिया करूँगा , पर ऐसे काम नहीं चलेगा आप भी चुदाई में सहयोग करो थोडा,
ताई ने मेरी बात सुनकर अपनी बाहे मेरी पीठ पर कस दी और नीचे से अपने चुतड ऊपर कर कर के मेरे धक्को का जवाब देने लगी , मैंने इस बात पर गौर किया की ताई की चूत बेहद कसी हुई थी बिल्ल्कुल भी ढीली नहीं थी तो लंड को ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा था ताई की चूत पर
जैसे जैसे मेरी रफ़्तार बढती जा रही थी वैसे वैसे ही ताई भी अपनी गांड को ऊपर की और उचका रही थी कभी मैं उनके बाल चूसता कभी होंठ कभी वो मेरे गालो को किस करती बाहर की बारिश का शोर भी जैसे ताई की मादक सिस्कारियो के आगे दब सा गया था बस वो चुद रही थी मैं चोद रहा था उनकी चूत इस हद तक गीली हो गयी थी की मेरा लंड जैसे किसी नदी में फिसल रहा हो दो जिस्म एक होकर बिस्तर पर घमासान मचाये हुए थे
ताई की दोनों टाँगे अब उपर को उठी हुई थी , बहुत देर तक मैं उनको चोदता रहा , ताई के होंतो को मैंने ऐसे चूसा की वो सूज गए पर अरमानो की आग भड़क रही थी ताई ने मेरा भरपूर साथ दिया , करीब आधे घंटे तक हम दोनों हमबिस्तर होते रहे, मेरा झड़ने का समय हो गया था मैंने पूरी ताकत लगाते हुए ताई की चूत पर कुछ अंतिम प्रहार किये और फिर अपना वीर्य चूत में गिरा दिया,
ताई को चोद के ऐसे लगा की जैसे सारे जहाँ को ही पा लिया हो मैंने कुछ देर हम लेटे रहे फिर ताई उठ कर सलवार पहनने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया
ताई- अब क्या कर तो ली तूने अपनी मनमानी
मैं- अभी तो रात बाकी है मेरी जान,
ताई मुस्कुराई और बोली- पेशाब करके आती हूँ
मैं- नंगी ही चली जावो , वैसे भी बारिश आ रही है तो आँगन में ही मूत लो
ताई मूत कर आई ही थी की बिजली चली गयी ताई ने लालटेन जलाई उस समय उनकी गांड मेरी तरफ थी मैं उठा और ताई को पीछे से अपने आगोश में ले लिया और उनके बोबो को दबाने लगा ताई मेरे लंड पर अपनी गांड को घिसने लगी
मैं- ओह गीता, कितनी जबर माल है तू
ताई- ताई जी से सीधा गीता
मैं- अब तो तू मेरी जान बन गयी है
मैं गीता की गर्दन के पिछले हिस्से पर किस करते हुए उसके दोनों बोबो को अपनी मुट्ठी में भर के भींच रहा था ताई ने अपनी जांघो में मेरे लंड को ले लिया और चूतडो को हिलाने लगी , बरसात की रात में कमरे में लालटेन की हलकी सी रौशनी में ताई और मैं नंगे एक दुसरे के जिस्म से अपने जिस्म को रगड़ रहे थे, एक तूफ़ान फिर से आने वाला था गीता की चुचिया एक दम से तन गयी थी ,
मैं अब उसके गालो पर अपनी थूक से सनी जीभ फिरा रहा था उफ्फ्फ ये उत्तेजना ये दीवानगी ये मस्ती ये प्यास इन जिस्मो की अब मैंने बोबो को आजाद किया और ताई की चूत को मुट्ठी में भर लिया ताई ने जांघो को कस लिया और खुद को एक बार फिर से चुदने के लिए तैयार करने लगी , ताई के रूप की आंच में आज मैं पिघल जाने वाला था मैंने ताई को वाही खड़े खड़े ही अपने पांवो पर झुका दिया ताई ने अपने हाथ घुटनों पर टिका लिए और अपनी गांड को मेरी तरफ उभार लिया
मैंने चूतडो को थोडा सा एडजस्ट किया और फिर से अपने लंड को गीता की मस्त चूत में पेल दिया झुकने से ताई के चुतड बहुत उभर आये थे मेरा तो दिल ही आ गया था ताई की गांड पर जी कर रहा था की बस उम्र भर मेरा लंड गीता की गांड में ही घुसा रहे मैंने अब अपने हाथो से ताई की कमर पकड़ी और कर दी दे दनादन चुदाई ताई की शुरू ताई की आहे फिर से मुझे पागल करने लगी
उफ़ उफ़ ufffffffffffffffffffffffffffffffff aaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh
औऊऊ औऊउ हां शाबाश शाबाश ओह्ह्ह्हह
करते हुए ताई अपनी गांड को पीछे धकेल रही थी उनकी नंगी पीठ को चुमते हुए मैं ताई की मस्त चूत मार रहा था जब जब ताई अपनी चूत को सिकोड़ती तो मेरा मजा काफ़ी गुना जयादा हो जाता था हमारे बदन पसीने से भर गए थे शरीर चिप चिप करने लगा था पर चुदाई कहा इन चीजों से रुकने वाली थी , दरवाजे के पास झुकी हुई ताई मेरे लंड को अपनी चूत में गपा गप ले रही थी काफ़ी देर तक वैसे ही चोदने के कारण पैर दुखने लगे तो मैं उनसे अलग हो गया और हम बिस्तर पर आ गए
मैं लेट गया और मैंने ताई को लंड पर बिठा लिया गीता ताई अब मेरे लंड पर धीरे धीरे से ऊपर नीचे होने लगी मैं उनकी पीठ को सहलाने लगा हर पल मेरे लंड की नसे और भी फूलती जा रही थी , ताई के नितम्बो की थिरकन मेरी आवारगी को हवा दे रही थी ताई के पपीते सी चूचिया मेरे चेहरे पर झूल रही थी तो मैंने अपने मुह में लेकर उनको बारी बारी से चुसना शुरू कर दिया ताई तो जैसे पागल ही होने लगी थी अब वो पुरे दम से मेरे लंड पर कूद रही थी
मैं ताई की गांड के छेद पर ऊँगली रगड़ते हुए- कैसा लग रहा है
ताई मेरे लंड पर उचकते हुए- बहुत अच्छा, इतने दिनों बाद चुद के लग रहा है की जैसे कोई कमी पूरी हो गयी हो पुरे बदन में ठंडक आ गयी है
मैं- बस अब तुम मेरे साथ ही रहना, जिंदगी गुलजार हो जाएगी
ताई- चिंता मत कर , अब तेरा लंड ही मेरी चूत की खेती को हरा भरा करेगा
मैं- ताई तू सच में बहुत गरम माल है ,ना जाने कितने आदमी तेरी मटकती गांड को देख कर लंड हिलाते होंगे
ताई- सच में
मैं- और नहीं तो क्या मैं खुद मर मिटा तुझ पर तुझे मालूम नहीं तू इतनी गरम है की काफ़ी लोग तो तुझे नंगी देख कर ही झड जाये
ताई ऐसी अश्लील बाते सुनके और जोश में आने लगी और बोली- चल अब तू मेरे ऊपर चढ़ जा
तो मैंने ताई की टांगो को अपने कंधो पर रखा और ताई को पेलने लगा ताई के खरबूजे बुरी तरह से हिल रहे थे
मैं- ताई मेरे लौड़े का रस पीयेगी
ताई- जब तेरा होने लगे तो बता दिए
सतासत मेरा लंड चूत को चौड़ा करते हुए अंदर बाहर हो रहा था ताई अपने हाथो से अपने बोबो को दबा रही थी ताई के झांट पूरी तरह से चूत के पानी में भीग गए थे ताई आज इस तरह से मुझ में समा गयी थी की क्या कहू मैं शब्द कम पड़ जाये कुछ देर वैसे ही चोदने के बाद मैंने अपने लंड को ताई के मुह में दे दिया चूत से सने लंड को बड़े चाव से ताई चाटने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा था ताई इधर मेरा लंड चूस रही थी उधर अपने हाथ से चूत के दाने को रगड़ रही थी
ताई के होंठो से बहता थूक बिस्तर पर गिर रहा था थोड़ी देर तक लंड चूसने के बाद ताई ने फिर से अपनी जांघे फैला दी लपलपाती हुई चूत मेरी आँखों के सामने थी बस लंड घुसाने की देर थी , एक बार फिर से लंड और चूत में रस्सा-कसी शुरू हो गयी गीता के होंठो को पीते हुए मैं बस उलझा पड़ा था उसके जिस्म में, ताई की साँस मेरी साँसों में घुल गयी थी , ताई जो इस बाद झड़ी बिस्तर पर आग ही लगा दी उसने , इतना पानी बह रहा था चूत से की क्या बताऊ मैं भी बस किनारे पर ही था तो मैंने ताई के मुह में लंड दे दिया
ताई तेजी से लंड को चूसने लगी और फिर मेरे पानी की धार उनके गले से जा टकराई ताई के मुह में एक के बाद एक वीर्य की पिचकारिया गिरती गयी जिसे बिना किसी शिकायत के ताई ने अपने गले में उतार लिया
घनघोर बादल की तरह ताई पर बरसने के बाद मैं बिस्तर पर पड़ गया ताई ने कपडे पहने और बाहर चली गयी मैं नंगा ही लेता करीब पंद्रह मिनट बाद ताई एक गिलास लेकर आई और मुझे दिया – दूध पि लो
मैं- दूध की क्या जरुरत है
वो- इतनी मेहनत की है थकन हो हो गयी होगी
मैं- मेरी जान , तुम कहो तो पूरी रात अपने लंड पर बिठाये रखु तुमको
ताई- ना अब हिम्मत है मुझमे सुजा दिया है तुमने
मैं – मैं तो सोच रहा था की दिन निकलने तक लूँगा
ताई- अब मैं कहा जाउंगी तुमसे दूर, मौका मिलते ही फिर आ जाना
मैं अपने लंड को सहलाते हुए ताई एक बार और इसको अपनी चूत में गोता खिलादो
ताई- समझा करो , सूज गयी है मूतने में भी जलन हो रही है और मैं मना कहा कर रही हूँ तुझे ले दूध पि ले
मैंने कुछ घूंट में ही दूध का गिलास खाली कर दिया ताई बोली- ये बात किसी को कहना मत गाँव बस्ती में रहना है
मैं- विश्वाश करो मेरा बस चूत का ही रिश्ता नहीं जोड़ा है आपसे
बारिश कुछ मंदी सी होने लगी थी मैंने घडी में देखा सुबह के चार बजने को थे तो ताई को चूम के बोबे भींच के मैं खेत की और चल दिया दिल में बड़ी तसल्ली थी गीता को अपना बनाने की ,
बिजली थी नहीं , तो बैटरी से बाड़ी को देखा सब जगह पानी भरा था नुक्सान पक्का था पर मेरे पास बहाना था की तेज बारिश थी क्या करता , कस्सी लगा के पानी को निकाला पर नुक्सान तो हो ही गया था , खेत से फ्री हुआ तो करीब सुबह के आठ बज गए थे थका मांदा और घर की और चला भूख लगी पड़ी थी
जबरदस्त तो मैंने देखा की ताई गीता चौपाल के नलके पर पानी भर रही थी हमारी आँखे मिली वो हल्का सा मुस्कुराई मैं हस्ते हुए आगे बढ़ गया
घर गया जाके खाना खाया दिल में बस इतनी बात थी की सो जाऊ पर इस जिंदगी में चैन कहा मम्मी का फरमान था की जंगल से कुछ लकडिया काट लाउ तो उन्हें समझाया की पूरी रात बरसात हुई है कैसे ला पाउँगा पर फिर भी काफ़ी काम बता दिए करने को , उनमे उलझा ऐसा की दोपहर हो गयी आँखे नींद की वजह से भारी हो रही थी , बदन टूट रहा था पर जी को सकूँ कहा कुछ कापी- वगैरा खरीदनी थी तो दूकान पर गया तो पिस्ता से मुलाकात हो गयी उसने इशारे से मुझे आने को कहा
तो मैं उसके पीछे उसके घर तक आ गया पिस्ता ने मुझे पानी पिलया और बोली- एक बात बतानी थी तुझे
मैं- हां
वो- मुझे ना लड़के वाले देखने को आ रहे है
पता नहीं सुनके कुछ अच्छा सा नहीं लगा
पिस्ता- तुझे क्या लगता है
मैं- मेरे लगने से क्या होना है , बात तेरी है तू हां कहेगी तो ठीक ना कहेगी तो ठीक
वो- तुझे कोई फरक नहीं पड़ेगा
मैं- तुझे नहीं पता क्या
पिस्ता झट से मेरे गले लग गयी ना जाने क्यों मेरी आँखों से आंसू गिर पड़े , दरअसल उसके दूर हो जाने का ख्याल मन में आते ही एक डर सा लगने लगा था मुझे
मैं- अभी तो तुझसे जी भरके बाते भी ना की , तुझे समझा भी नहीं और तू इतनी जल्दी चली भी जाएगी
पिस्ता- आज नहीं तो कल रिश्ता तो करवाना पड़ेगा ना , वैसे भी हम बस दोस्त ही तो है ना दोस्ती तो उम्र भर रहती है ना मैं तुझे भूलूंगी ना तू मुझे
मैं- पिस्ता, पता नहीं क्यों रोने को जी चाह रहा है
पिस्ता- डर सा लगता है तुझसे दूर होके मैं कैसे जिउंगी
मैं- तो फिर मत करवा न रिश्ता, रिश्ता होगा फिर थोड़े दिन में ब्याह हो जायेगा तेरा
वो- जोर भी तो नही चलता मेरा
मैं- क्या तू भी मेरा हाथ छोड़ जायेगी
वो- पगले, तेरा मेरा रिश्ता क्या इतना कमजोर है जो दूरी से टूट जायेगा वैसे भी तू इतना मत सोच अभी तो बस देखने ही आ रहे है क्या पता मैं पसंद आऊ या ना आऊ , सब बाद की बाते है
मैं- तू इतनी प्यारी है किसी को भी पसंद आ जाएगी
पिस्ता एक फीकी सी हँसी हस्ते हुए, पर कभी ना कभी तो जाना होगा ना
मैं- हां जाना तो होगा, वैसे भी मेरे रोकने से कौन सा रुक जाओगी
वो- क्या तुम रोक पाओगे
मैं- तुम रुक जाओगी
वो- मत बांधो मुझे बंधन में
मैं- तो तोड़ दो इस डोर को
वो- रुसवा कर रहे हो मुझे
मैं- अब क्या कहू मैं
पिस्ता मेरी गोद में बैठते हुए- यार, मैं सोचा तुमसे इस बारे में बात करुँगी एक तुम ही तो हो जो मुझे इस तरह से समझते हो, अब देखो काफ़ी बात है मेरा रिकॉर्ड भी ठीक नहीं है माँ तो बस पिंड छुटाना चाहती है किसी तरह से, फिर भाई का रिश्ता भी कर दिया है तो घरवाले सोच रहे है की आगे पीछे ब्याह कर दे मैं जाऊ भाभी आये वैसे भी तेईस पार कर गयी हूँ मैं , आज नहीं तो कल ब्याह तो करना ही है
मैं- जो तुझे ठीक लगे वो कर वैसे भी तूने सोच लिया है तो फिर ठीक है
पिस्ता- तू मेरे नजरिये से देख ना
मैं- पिस्ता अब मैं क्या कहू
पिस्ता- यार तू ही तो मेरा दोस्त है तू ही नाराज हो रहा है
मैं- नाराज़ और तुझसे .....................
पिस्ता- क्या मेरी ख़ुशी में तेरी खुशी नहीं होगी
मै- तू खुश रहे इस से ज्यादा मेरी दुआ क्या होगी
पिस्ता मुस्कुरा पड़ी
मैं- एक बात कहू,
वो- हां
मैं- क्या तू मेरे से ब्याह करेगी
वो- पागल है क्या
मैं- हां या ना
पिस्ता- क्या कुछ भी बोलते हो, गाँव की गाँव में , पता है कितना बड़ा पंगा होगा
मैं- तू क्यों डरती है
पिस्ता- डरती तो मैं किसी के बाप से भी नहीं , पर बात कुछ ऐसी है की तुम न बड़े भोले टाइप इंसान हो , मेरा क्या है ब्याह करवाके चूल्हा चौका कर लुंगी ऐसे ही टाइम पास हो जायेगा मेरा पर तुम्हारे सामने तो सब कुछ पड़ा है पढाई करनी है , नौकरी तलाशनी है अब मैं इतनी खुदगर्ज़ नहीं हूँ की तुम्हारी जिंदगी से खेल जाऊ
पिस्ता- और वैसे भी तुम अभी टेंशन मत लो वो बस अभी मुझे देखने आ रहे है
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