RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
कुछ दिन और गुजर गए ऐसे ही शांति मैडम ने घर आने को कहा था पर मेरे पास टाइम था नहीं तो जा नहीं पाया , गीता ताई से भी बस आँखे चार ही हो रही थी बस पेपर ख़तम हो जाये फिर फ्री ही हो जाना था , तो उस दिन आखिरी पेपर के बाद मैं और नीनू एक पेड़ के नीचे बैठे थे , बाते कर रहे थे
नीनू- अब मैं कल या परसों ही डेल्ही चली जाउंगी फिर तो फाइनल पेपर देने ही आउंगी
मैं- हम्म्म
वो- क्या इतनी देर से बस हाँ , हूँ ही कर रहे हो
मैं- यार मत जा ना
वो- तू समझता क्यों नहीं , मेरा जाना जरुरी है और फिर तू भी तो बोल रहा है ना की तू भी जल्दी ही डेल्ही आ जायेगा तो फिर क्या दिक्कत है हम उधर भी साथ ही रहेंगे
मैं- तुजे सब पता है नीनू, देख कितना मुश्किल टाइम है मेरे लिए अभी परिवार चुनावो में उतर गया है तो वो मेटर भी देखना है ऊपर से बिमला जीत जाये तो भी मेरी दिक्कत बढ़ जाएगी , तू साथ रहती तो काफी हौंसला मिलता , नीनू जब से तुम इस तरह मेरी लाइफ में आई को तुमसे दूर जाने का सोच भी नहीं सकता मैं , दूर होक भी कितनी पास लगती हो तुम , हर पल जब तुम होती हो , जब तुम नहीं होती हो ये तुम्हारा ही तो असर है न मुझ पर जो खुद को इस तरह सुलझा हुआ पाता हूँ मैं
तुम बस एक दोस्त ही नहीं हो बल्कि .............
नीनू- बल्कि ,,,,,,,,,,,,,
मैंने नीनू का हाथ पकड़ा और कहा – नीनू, पता नहीं ये सही समय है या नहीं पर तुमने जबसे जाने की बात कही है मन नहीं लगता है मेरा , मैं तुमसे दूर होके जीने की सोच नहीं सकता , तुम हो तो मैं हूँ , मैं बस तुम्हारे ही साथ रहना चाहता हूँ , नीनू आई लव यू
नीनू- क्या कहा
मैं- हां नीनू , मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ
नीनू- वैसे तुम्हे नहीं लगता की तुम्हारे इस डायलॉग से मैं पकने लगी हूँ अब
मैं- मेरी आँखों में देख जरा, मेरी धडकनों से पूछ जरा , नीनू यही सच है की मैं तुम्हे चाहने लगा हूँ
नीनू कुछ देर तक शांत रही फिर बोली- पर प्यार से पेट तो नहीं भरेगा ना, प्यार से जिंदगी नहीं चलेगी ना , तुम बात को समझो जरा, मैं कौन सा हमेशा के लिए जा रही हूँ, तुम्हे बताया ना, की कांटेक्ट में रहूंगी देखो मेरे पांवो में बेडिया मत बांधो जाने दो ना मुझे
मैं- ठीक है तुम्हे जाना है तो जाओ पर क्या तुम तुम्हारे और मेरे रिश्ते को नाम देकर जाओगी
नीनू ने कुछ पल मेरी आँखों में देखा और फिर अचानक से ही मुझे किस करने लगी .
एक लम्बे किस में बाद नीनू बस इतना बोली- शायद मुझे अब कुछ कहने की जरूरत नहीं है
उसके इकरार करने का भी अंदाज अलग था , कुछ देर तक मेरे सीने से लगी रही वो सुकून सा आ रहा था
पर उसको भी जाना था , मुझसे जुदा होकर तुम्हे दूर जाना है , एक अजीब सी फीलिंग हो रही थी मुझे वो आज इस पल मुझसे रूह की तरह जुडी थी या फिर किसी अजनबी की तरह दूर हो जाने वाली थी , घर आके भी बस मैं ख्यालो में खोया हुआ था आँखों के सामने अचानक से ही कुछ ख्वाब जैसे जी उठे थे दिल पहली बार नहीं धडक रहा था पर कुछ धडकनों के भी भाव बढे हुए थे ,
शाम को हम सारे घरवाले बैठे हुए थे , खाना हो गया था बस बाते चल रही थी मेरे मन में ख्याल चल रही थी की मेरे और नीनू के बारे में घरवालो को बता दू या नहीं , कशमकश जारी थी विचारो की पर फिर जाने दिया की थोडा टाइम और लेता हूँ , वैसे ही तो घर की गाड़ी मुश्किल से पटरी पर आई है क्या पता मेरी बात का कैसा रिएक्शन हो मेरी बात का , पेपर खतम होने से वैसे भी थोड़ी बेफिक्री आ गयी थी सावन का मौसम चल रहा था तो हवा में कुछ तो बात थी ही ,
तो पारिवारिक बातो के बाद, बस सोना ही था तो मैं कमरे में आ गया एक साइड में बेड था मेरा दुसरे साइड में चाची का पलंग था , मैंने रेडियो चलाया काफ़ी दिनों बाद आज बाहर खिड़की में से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी जो मेरे मन को महका रही थी , कुछ देर बाद चाची भी आ गयी चाची ने साड़ी चेंज करके एक मैक्सी पहन ली थी काफ़ी दिनों बाद फुर्सत से देखा था उन्हें , तो दिल गुस्ताखी करने लगा मेरा जैसे ही चाची ने कुण्डी लगाई मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया
चाची- क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है चाची पर
मैं- प्यार तो हमेशा ही रहा है , बस जाता आज रहा हूँ
मैं अपने हाथ उनकी गोल मटोल गांड पर फिराने लगा चाची मीठी आहे भरने लगी
वो- छोड़ ना मुझे, थक गयी हूँ नींद आ रही है
मैं- चाची थोड़ी देर रुको ना
मैंने चाची की गालो की पुप्पी ली और फिर होंठो को किस करने लगा चाची भी मेरा साथ देने लगी चाची ने अपने मुह को खोल दिया मैंने अपनी जीभ चाची के मुह में सरका दी वो मेरी जीभ को चूसने लगी मेरे बदन में लहर दोड़ने लगी किस करते करते मैंने उनकी मैक्सी को पीछे से ऊपर किया और उनकी मांसल गांड को मसलने लगा चाची ने बहुत छोटी सी कच्छी पहनी हुई थी जिस कारण चूतडो का बहुत सा हिस्सा बिना ढका हुआ था मेरा लंड तन कर उनकी चूत वाली जगह पर रगड़ खा रहा था
मैंने चाची की मैक्सी को उतार कर फेक दिया सफ़ेद ब्रा में क्या मस्त लग रही थी वो उनकी भारी भारी छातिया मैं चाची को पुरे बदन पर किस करने लगा धीरे धीरे चाची भी गरम होने लगी मैं अपना हाथ पीछे ले गया और ब्रा के हूँको को खोल दिया , गोरे गोरे स्तन देख कर मैं तो पागल ही होने लगा था, मैंने एक चूची को मुह में ले लिया और चाची के निप्पल को चूसने लगा , चाची अपने हाथ को मेरे सीने पर फिराने लगी कमरे का माहौल गरम होने लगा
मैंने चाची को अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया बस एक छोटी सी पेंटी में उनका हिलोरे मारता यौवन मेरे सामने खुला पड़ा था जितना चाहो लूट लो, मैं चाची के ऊपर लेट गया और फिर से उनके बोबो को पीने लगा चाची मस्त होने करीब पंद्रह मिनट तक बस मैं बोबो को चूसता ही रहा जब तक की वो लाल न हो गए थे, चाची की आँन्खो में न जाने कितनी बोतलों का नशा उतर गया था अपना हाल भी कहा उनसे जुदा था मैंने अपने कच्छे को नीचे किया और चाची का हाथ अपने लंड पर रख दिया
चाची मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में दबाने लगी उनके हाथ का अहसास पाकर वो और भी ज्यदा गरम होने लगा मैं चाची की बगल में लेटे हुए उनके रसीले होंठो को पीते हुए उनकी कच्छी के ऊपर से ही गर्म चूत को मसल रहा था फिर मैंने धीरे से कच्छी को भी उनके बदन से अलग कर दिया चाची और मैं दोनों नंगे एक दुसरे से चिपके हुए थे मैंने अपनी ऊँगली चाची की चूत में घुसा दी तो चाची और गरम हो गयी
अब मैं चाची के फुले हुए नरम पेट को चूमने लगा उनकी नाभि में जीभ घुसाने लगा तो चाची सिसकने लगी कामाग्नि उनके रोम रोम को जलाने लगी थी चाची के झांटो पर उंगलिया फिराते हुए बड़ा मजा आ रहा था मुझे उनकी नाभि को चुमते हुए मांसल जांघो को सहला ने में बहुत मजा आ रहा था पर असली मजा तो अभी बाकी थी मैंने धीरे से चाची को लंड चूसने को कहा तो वो अपनी कजरारी आँखों को ततेरते हुए हँसी और फिर बिस्तर पर झुक गयी मैं खड़ा हो गया चाची ने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया
और उसको अपने चेहरे की तरफ ले गयी कुछ देर उसको अपनी नाक से सूंघ उनकी गरम साँसे मेरे लंड पर पड़ने लगी फिर उन्होंने अपने मुह को खोला और मेरे आधे लंड को मुह में डाल लिया , कसम से एक पल में ही पूरा बदन कांप गया मेरा , मेरी टांगे कांप गयी चाची तो इस खेल की माहिर खिलाड़िन थी ये और बात थी की आजकल उनका समय ठीक नहीं था पर फिर भी, चाची बड़ी अदा से मेरे लंड को चूसने लगी मेरी कमर अपने आप हिलने लगी थी
मैं चाची के बालो को सहलाते हुए, जो बार बार उनके चेहरे पर आ जाते थे उनको हटाते हुए अपना लंड चुसवा रहा था पर तभी, नीचे से पिताजी की आवाज आई , मुझे बुला रहे थे अब इतनी रात को क्या पंगा हो गया पिताजी तेज आवाज में मुझे बुला रहे थे लंड का सारा तनाव एक मिनट में गायब हो गया मैंने जल्दी से कपडे पहने और नीचे को भगा ,
पिताजी- बेटा अभी हॉस्पिटल चलना पड़ेगा
मैं- पर हुआ क्या
पिताजी- तू चल तो सही रस्ते में बताता हूँ
मैं पिताजी के साथ घर से बाहर आया तो मैंने देखा की चाचा और ताऊ भी खड़े थे , ताऊ ने कार स्टार्ट की और हम शहर की तरफ चल दिए रस्ते में पता चला की रतिया काका का एक्सीडेंट हो गया था पिताजी ने इतना ही बताया करीब बीस मिनट बाद हम लोग वहा पहूँचे तो लगभग पूरा गाँव ही मोजूद था वहा पर , पता चला की काका रात को वोटो की सेटिंग करके आ रहे थे तभी किसी वाहन ने टक्कर मार दी , मेरा तो दिमाग बुरी तरह से खराब हो गया था
मैं अन्दर गया काका ऑपरेशन थेयटर थे, हालात बहुत खराब हो गए थे , मैंने देखा की एक बेंच पर काकी और मंजू बैठे हुए थे, जैसे ही मंजू ने मुझे देखा उसकी रुलाई छुट पड़ी मेरी आँखों में भी आंसू आ गये मंजू मेरे गले लग कर सुबकने लगी मैं अब कहता भी तो क्या बस आंसू ही थे मेरे पास पर मंजू को समझाना भी तो था मैंने डबडबाई आँखों से काकी की तरफ देखा उनकी आँखों में भी आंसू थे , मैं मंजू को समझाने लगा थोडा पानी वगैरा पिलाया पर जिसका बाप इस हालात में हो वो अब समझे भी तो क्या दिल भर आया था मेरा , मंजू का भाई किसी पत्थर की तरह हो गया था उसको मैं लेके बाहर आया
और समझाया की हम सब, उसके साथ है काका को कुछ नहीं होगा भगवान पर भरोसा रखे तभी नर्स आई उसने बताया की खून की जरुरत होगी काफ़ी लोग खून देने को तैयार हो गए उस दिन मैंने महसूस किया की भाईचारा असल में होता है क्या , दिमाग की हर नस बुरी तरह से भड़क रही थी ऐसे लग रहा था की जैसे दिमाग फट ही ना जाये हर तरफ बस टेंशन ही टेंशन थी ऐसे लग रहा था की जैसे हॉस्पिटल नहीं होके किसी छावनी में तब्दील हो गया हो , डॉक्टर थोड़ी देर बाहर आया कुछ पेपर्स पर ससाइन करने थे , पिताजी ने साइन किये और कहा डॉक्टर जितना पैसा लगे , जो साधन चाहे मंगवा लो पर भाई को कुछ होना नहीं चाहिए
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