RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैं- तू टेंशन ना ले , कुछ नहीं होगा
वो- टेंशन नहीं ले रही हु बस तुझे समझ रही हु की किसी से भी दुश्मनी ठीक नहीं है प्यारे
मैं- चल ये सब छोड़ और बता
वो- बताना क्या है , तुझे तो सब पता ही है ना परसों लड़के वाले आ रहे है फोटो तो पसंद आ गयी थी उनको क्या पता अब सगाई ही हो जाये
पिस्ता के रिश्ते की बात सुनते ही मेरा दिमाग ख़राब होने लगता था पर उसकी अपनी निजी जिन्दगी भी तो बस .......
मैं- ये तो अच्छी खबर है , सगाई के बाद तो तू बस कुछ दिन की ही मेहमान रहेगी यहाँ पर
पिस्ता- हम्म्म , कुछ दिन रहू या एक इन भी नहीं रहू पर तेरे साथ हमेशा रहूंगी, खयालो में यादो में , मेरा जिस्म ही तो जायेगा पर अपनी यादे दे कर जाउंगी तुझे , याद आती रहूंगी तुझे
और वैसे भी हम कहा इस दुनिया के बंधन में बंधे है , मैं तू हु तू मैं हु अपना किसी ने क्या बांटा है
मेरा दिल तो चाह रहा था की दिलरुबा को बाहों में भर लू पर नजाकत इस बात की इजाजत दे नहीं रही थी हाँ पर पिस्ता को देख कर दिल को इतना अहसास था की कोई अपना है जो अपनी फ़िक्र करता है , कोई है जो दुआ में मुझे भी याद करता है , दरअसल बस कुछ फीलिंग्स ही होती है जो हमे टच कर जाती है बाकि सब तो बस टाइम पास करने वाली बात होती है
पिस्ता से मिलके दिल जैसे झूम सा उठा था पर इस बात का अहसास भी था की अब वो जल्दी ही मुझे छोड़ कर चली जाएगी पर यही तो जिंदगी होती है , अपनी मर्ज़ी से कोई कैसे जी सकता है बस जिंदगी है जो कथ्पुतिली की तरह कभी इधर कभी उधर करती रहती है बस अपनी अपनी हकीकत है अपने अपने फ़साने है
पता नहीं दिल में ये सुकून सा था या कोई पुराना दर्द फिर से उभर आया था जैसे कोई अपना दूर जा रहा हो जैसे कुछ छुट रहा हो, दिल में दर्द सा होने लगा था मेरी वो बेचैनी फिर से आज मेरे साथ थी मैं वापिस घर आया पर घर भी खाली था कोई था नहीं तो क्या करू, भरी दोपहर का टाइम काश पिस्ता थोड़ी देर और रुक जाती तो दो चार बाते और कर लेता पर बातो का क्या जितनी करो उतना थोडा , फिर सोचा गीता ताई से मिल आऊ, तो उनके घर की तरफ चल दिया फिर ध्यान आया की ताऊ भी होगा वहा फिर कुछ सोच कर एक बोतल दारू की ली और पहुच गया उनके घर
ताऊ सामने ही खाट पर बैठा था ताई नहाने की बाल्टी लेकर बाथरूम की तरफ जा रही थी अब चोरी तो चोरी ही होती है ताऊ के सामने ताई मुझे देख कर थोडा सा ठीक फील नहीं कर रही थी पर मैं मुस्कुराते हुए ताऊ के पास बैठ गया और बात चीत करने लगा ताई ने मुझे पानी का गिलास पकडाया तो उनकी उंगलियों को दबा दिया मैंने तो ताई थोडा सा हडबडा गयी , ताऊ से थोड़ी बहुत बात चित करके मैंने चुपके से बोतल ताऊ के तकिये के निचे रख दी वो खुश हो गया
और ताऊ अन्दर चला गया शायद गिलास लाने को
ताई- अभी क्यों आया है
मैं- बस दिल कर रहा था तो आ गया
वो- अभी जा, तेरा ताऊ घर है
मैं- उसको बोतल दी ना वो फिट हो जायेगा थोड़ी देर में
ताई- तू मरवाएगा मुझे
मैं- अभी तो मारनी है आपकी, मैंने आँख मारी ताई को
तभी ताऊ आ गया तो ताई ने तौलिया लिया और अपनी गांड को मटकाते हुए बाथरूम की तरफ चली गयी कसम से ताई की गांड को देख कर ही तो मर मिटा था मैं उस पर लंड बुरी तरह से फडफडा रहा था उसे बस गीता की चूत चाहिए थी, जब से गीता ताई से नाता जुड़ा था , तब से और किसी को चोदने में मजा आता ही नहीं था , इधर ताऊ पेग लगाते हुए मुझसे बात करने लगा जबकि मैं मौका देख रहा था की किसी तरह से बाथरूम में घुस जाऊ और ताई की चूत में लंड घुसा दू , पर ताऊ साला पूरा नशेडी , मैंने सोचा था की फ़ैल हो जायेगा पर आज तक़दीर में चूत थी ही नहीं तो कई देर तक बैठने के बाद मैं वापिस घर आ गया सोचा की मुठ मार लू पर जिसको चूत का स्वाद मुह लगा हो उसको मुठ मारने से चैन कैसे मिले , शाम को मैं अपने दोस्तों के साथ गाँव की चौपाल पर बैठा हुआ था तो मित्र मण्डली के एक सदस्य ने सुझाव दिया की क्यों ना गाँव में एक रागनी का प्रोग्राम करवाया जाये, वैसे भी मीठी ग्यारस को गाँव में मीठा पानी पीने का प्रोग्राम तो होता ही था तो ये तय कर लिया की उसी रात को रागनी प्रोग्राम करवाया जाये
पर इसमें पैसा बहुत लगने वाला था तो मैंने सुझाव दिया की गाँव में दो कैंडिडेट है सरपंची के दोनों की पर्ची काट दो और दोनों को अतिथि के रूप में बुला लो , तो सबको बात जंच गयी मैंने कहा आप लोग रात को घर आ जाना , वैसे भी मेरी बड़ी इच्छा रहती थी की गाँव में जब भी कोई प्रोग्राम हो तो देखने जाऊ, किसी के यहाँ विडियो आता या कोई भजन मण्डली पर पिताजी बहुत कण्ट्रोल करते थे पर अब चुनावी मौसम था तो अपना काम भी हो जाना था इसी बहाने से
रात को चाचा ने 31हज़ार की पर्ची कटवाई तो मैंने चाची से कहा देख लो थारे कसम की करतुते
तो चाची ताना मारते हुए बोली- देख रही हु, परायी नारी के लिए जो प्यार उमड़ रहा है कर लेने दे जो करना है वैसे भी छह महीने में तलाक हो जाना ही है , फिर ये कही भी मुह मारे मुझे क्या
मैं चाची के मन को खूब समझता था तो मैंने कहा – आज रात चाचा के पास जाओ क्या पता बुरा समय बीत ही जाये
चाची- भाड़ में जाए वो , मुझे उसकी कोई परवाह नहीं है बिमला के साथ ही सोये वो जाके मैं खुश हु
तभी मम्मी आ गयी तो हम लोग चुप हो गए , रात को अक्सर देर तक मीटिंग होती थी वोटो की हर एक वोट को अपनी तरफ खीचने की पूरी सेटिंग हो रही थी , सब लोगो ने पूरी तयारी कर ली थी बिमला को जिताने की पर मेरी गांड बहुत जलती थी पर मज़बूरी ये थी की अगर वो हार जाती है तो परिवार की हार होती तो मैं बीच मंझधार में फंसा हुआ था , पैसा पानी की तरह बह रहा था किसी को नकद किसी को दारू तो किसी को ठंडा , सब अपने अपने विचारो में डूबे थे जबकि पिताजी को ये सवाल सता रहा था की रतिया काका को किसने टक्कर मारी क्योंकि खूब ढूंढें पर वो साधन नहीं मारा था जबकि डॉक्टर के अनुसार किसी बड़ी गाडी ने टक्कर मारी थी
अब सवाल भी जायज था , रतिया काका पिताजी के बचपन के दोस्त जो रह गए और ऊपर से वो चुनाव में पैसा भी लगा रहे थे और वोटो की सेटिंग भी कर रहे थे पर अब एक्सीडेंट चूँकि मेन रोड पे हुआ था तो मैं ये सोच रहा था की किसी ने टक्कर मारी और फिर घबरा के भाग गया तो सब लोग अपने अपने तरीके से संभावना ही ढूंढ रहे थे , रात वैसे तो काफी हो गयी थी करीब 11 बज गए थे , मैं सोने की तयारी कर ही रहा था की गीता ताई का पति आ निकला, अब पियक्कड़ो की तो ऐसे सीजन में मौज ही मौज होती है , पहले से ही वो टुन्न था तो पिताजी ने कहा की इसको एक बोतल दे कर रवाना कर देना तो मैंने कहा की मैं कुवे पर जा रहा हु इसको छोड़ता हुआ जाऊंगा वर्ना पड़ जायेगा कही पर टुन्न होके
मैं दो बोतल लेकर आया एक ताऊ को दी और एक अपने तौलिये में लपेट ली और घर से बाहर आ गए ताऊ ने ढक्कन खोला और एक सांस में ही दारू को गटकने लगा
मैं- ताऊ , आराम से पानी ला देता हु सुखी ही खीच रहा है
ताऊ-अरे बेटा क्या सूखी, क्या गीली
ताऊ ने बोतल बंद की और हम साथ साथ चलने लगे कुछ दूर चलके हम एक पीपल के पेड़ के निचे बैठ गए और बाते करने लगे
मैं- ताऊ, पीते बहुत हो आप , मेरी ताई दिन रात मेहनत करती है और आप पीने से रुकते ही नहीं
ताऊ कुछ नहीं बोला बल्कि एक दो घूँट और लगा ली
मैं- ताऊ , क्या कोई गम है जो इतना पीते हो
ताऊ कुछ नहीं बोला तो मैं समझ गया की कुछ तो दिक्कत है इस बन्दे को मैंने ताऊ का हाथ पकड़ा और बोला- ताऊ मैं भी तेरा ही बेटा हु ना, कोई परेशानी है तो मुझे बता सकते हो
ताऊ की आँखों में पानी आ गया और वो बोला- बेटे, ऐसे ही नहीं पीता हु , सब लोग मेरे को नाकारा समझते है और मैं हु भी नाकारा, मुझे ना फौज की नोकरी मिल गयी थी पर मैं छोड़ कर भाग आया , कुछ छोटा मोटा काम धंधा किया पर सब फ़ैल हो गया फिर दारु की लत लग गयी
मैं- और आपकी लत के कारण जो घर बर्बाद हो रहा है उसका क्या
ताऊ कुछ नहीं बोला
मैं- कुछ काम धंधा फिर से शुरू कर लो
ताऊ- मुझे काम कौन देगा
मैं- ताऊ अगर दारू को छोड़ दो तो हज़ार काम है , देखो अपनी ओर जरा कितनी बदबू आती है तुमसे, दाढ़ी बढ़ी हुई है , सब लोग बस आपको फ़ालतू आदमी समझते है , हर कोई कुछ भी बोलके जाता है , अपना नहीं तो कम से कम ताई के बारे में सोचो , बस पीके पड़ जाते हो कभी देखा है घर में क्या सामान है क्या नहीं है , ताई को क्या जरुरत है , आटा है घर में , और कुछ है
ताऊ ने गर्दन झुका ली,
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