Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:44 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
चाची मेरे बालो में अपनी उंगलिया चला रही थी मेरे सर को अपनी टांगो के बीच दबा रही थी एक हाथ से मैं अपने लंड को सहला रहा था जो बस फटने को तैयार खड़ा था चाची की गांड को चाटते चाटते मैं मैं उनकी चूत में ऊँगली करने लगा तो उन्होंने अपने बदन को सिकोड़ना शुरू कर दिया मेरी दो उंगलिया उनकी चूत में तेजी से बाहर हो रही थी और जीभ गांड को चाट रही थी चाची कभी मेरे सर को दबाये कभी अपने बोबो को मसले उतेजना में उल जुलूल हरकते करे चाची की चूत और गांड दोनों में थिरकन हो रही थी 


चाची अब कितनी देर सहती कभी चूत को भींचे कभी गांड को , मुझे उन्हें इस तरह से देखते हुए बड़ा अच्छा लग रहा था और मैं तेजी से अपने हाथ और जीभ चलाने लगा था मेरे इन प्रहारों को वो जायदा देर तक नहीं सह पायी और अजीब सी आवाजे करते हुए झड़ने लगी एक बार से मैं चूत के अमृत को पीने लगा

चाची झड़ कर सोफे पर ही पस्त हो गयी थी जबकि मेरे लंड को चूत की सख्त जरुरत थी तो मैंने चाची को सोफे पर ही घोड़ी बना दिया और लंड को चूत पर लगा दिया 

चाची – ठहर जा थोड़ी देर 

पर अब रुकना नामुमकिन था तो मैंने उनकी कमर को जकड़ा और धक्का लगाते हुए चूत में लंड को ठेल दिया 

चाची- आहह , रुक जा ना बिलकुल भी गीली नहीं है जलन हो रही है 

मैं- समझा करो अब नहीं रुक पाउँगा 

चाची- दर्द हो रहा है 

मैं- दर्द में ही मजा है मेरी जान 

मैं तेजी से लंड को अन्दर बाहर करने लगा , उनके मांसल चुतड हिलने लगे घस्सो की थाप से चाची की चौड़ी गांड देख कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था चाची घोड़ी बनी हुई चुद रही थी , मैं अपना हाथ उनकी टांगो के बीच ले गया और चूत के दाने को ऊँगली से सहलाने लगा तो चाची के बदन में हरकत होने लगी और वो गरम होने लगी उन्होंने अपनी जांघो को आपस में जोड़ लिया था तो चूत मारने में और मजा आने लगा था 


वो दर्द से परेशान हो रही थी पर मुझे इस समय बस खुद की पड़ी थी अपनी प्यास की पड़ी थी मैं तेज तेज धक्के लगा रहा था और दाने को भी सहला रहा था तो करीब तीन चार मिनट बात चाची की चूत का गीलापन बढ़ने लगा और वो चिप्चिपने लगी तो लंड को भी थोड़ी राहत मिली और चाची को भी , मैं उनको ऐसे चोद रहा था की जैसे आज के बाद वो मुझे देंगी ही नहीं , उनकी टाँगे मेरे झटको के कारण बुरी तरह से हिल रही थी पल पल मेरे लंड की ऐंठन और बढ़ रही थी आज चाची की चूत को पूरी तरह अपना बना लेने का इरादा था उसका 

चाची ने अपने सर को को सोफे के कुशन पर टिका लिया जिस से उनके चुतड और ऊपर को हो गए और मुझे बेहद आसानी होने लगी चाची को चोदने में चौड़े चौड़े कुलहो को कभी मैं सहलाता तो कभी उनपर चपत लगाते हुए चाची के यौवन रस को मैं पी रहा था पूरी उन्मुक्ता से , इस रस की बूँद को भी तरसता था मैं और आज तो साक्षात पूरी बोतल ही खुली पड़ी थी मेरे लिए शायद इस लिए ही मेरा लंड आज शांत होने का नाम नहीं ले रहा था चाची का हाल बुरा हुआ पड़ा था बडबडा रही थी वो कुछ कुछ 

पर मैं उनको चोदे जा रहा था , कुछ देर बाद मैं उनके ऊपर से उतरा चाची को पलटा और फिर से धक्कम पेल शुरू कर दी चाची की सिस्कारिया मेरे कानो में घुल रही थी वो तो जैसे आज बावली ही हो गयी थी धक्के पे धक्के , धक्के पे धक्के चूत के होंठ खुलते बंद होते खुलते बंद होते मेरा दिल आज बहुत खुश था , चाची ने अब अपनी आँखों को बंद कर लिया था और चुदाई का आनंद ले रही थी चूत से इतना पानी बह रहा था की मैं कटोरी भर सकता था , वो अपने लम्बे नाखुनो को मेरी पीठ पर रगड़ रही थी जैसे की छील देना चाहती हो मेरी पीठ को 

चाची की टाँगे एक दम सीढ़ी मेरे निचे दबी हुई थी मेरे ताबड़तोड़ धक्को को सहते हुए चाची स्वर्गिक आनंद को प्राप्त कर रही थी इधर मेरे बदन में भी उन्माद बढ़ता जा रहा था झड़ने का मीठा मीठा सा अहसास मुझे होने लगा था तो मैं अपनी पूरी जान लगाते हुए चाची की बजाने लगा चाची गहरी गहरी साँसे लेने लगी थी उन्होंने मुझे अपनी बाहों में बुरी तरह से कस लिया और मेरे होंठो को चूसने लगी 


हम दोनों एक दुसरे में समाये हुए कामसुख की तलाश कर रहे थे मेरे लंड में ऐंठन इतनी ज्यादा थी उस पल की मेरे लंड में दर्द होने लगा था पर जोश भी था तो लास्ट के ४-५ मिनट में तो बिस्तर में आग ही लग गयी थी हम दोनों एक दुसरे के दम को निकालने में जुटे हुए थे और फिर चाची ने मैदान छोड़ दिया , चूत एक दम से ढीली पड़ गयी चाची आहे भरते हुए मुझसे लिपट गयी मैंने दो चार घस्से और मारे और उन पर ही ढह गया मेरा काम भी तमाम हो गया था 

मैं सोफे से निचे गिर पड़ा और फर्श पर ही लेट गया मेरी धड़कन बढ़ गयी थी गला सुख गया था कुछ देर पड़े रहने के बाद मैं उठा और रसोई से पानी की बोतल लाया एक सांस में ही आधी पी गया मैंने चाची की तरफ देखा वो सोफे पर पस्त हुई पड़ी थी थोडा पानी उनको पिलाया और उनके पास ही बैठ गया चाची ने मेरी गोद में सर रखा और लेट गयी मैं उसके स्तनों पर पेट पर हाथ फिराने लगा 

मैं- मजा आया मेरी जान 

चाची- हद से ज्यादा 

मैं-अभी तो रात बाकी है बात बाकी है पूरी 

वो- मैं तो बुरी तरह से थक गयी हु 

मैं- आज तो अपनी सुहागरात है अभी से थक गयी 

चाची बुरी तरह से शर्मा गयी मेरा लंड उनके गाल को छु रहा था तो मैंने कहा चुसो ना इसे आपके मुह में जाने को बेताब हो रहा है 

चाची- क्या हो तुम अभी अभी तो करके हटे हो फिर से मस्ती सूझ रही है 

मैं- अब जब आप यु साथ है तो फिर मस्ती तो होगी ही ना 

चाची मेरी गोद से उठ गयी और बैठ की मेरे लंड से खेलने लगी , चाची के हाथो के कोमल अहसास से वो फिर से रोल में आने लगा , कुछ समय बाद चाची ने अपना मुह खोला और चूत रस से सने हुए लंड को पीने लगी उनके होंठो में सच में जादू ही लंड महाराज फिर से तैयार होने लगे चूत को पीटने के लिए , मैं उनके सर को अपने लंड पर दबाने लगा तो उन्होंने ऐसा करने से मना किया और बोली की मुझे अपनी मर्ज़ी से चूसने दे 

चाची मेरे सुपाडे पर अपनी जीभ को गोल गोल करके घुमाने लगी तो मेरे होश फाख्ता होने लगे उफ्फ्फ क्या बात थी उनके गरम लबो में मेरा लंड आज जल जाने को ही तैयार था कई देर तक उन्होंने अपने होंठो की प्यास बुझाई फिर चाची खड़ी हुई और अपनी चूत पर थूक लगा के मेरे लंड पर बैठ गयी घप्प से पूरा लंड चूत में समा गया और फिर चाची बिना किसी जल्दी के आराम से अपने कुलहो को हिलाने लगी एक बार फिर से हमारी चुदाई शुरू हो गयी थी 

चाची मेरी आँखों में आंखे डाले अपनी कुलहो को मेरे लंड पर उचका रही थी फिर उन्होंने मुझे सोफे पर और पीठ टिकाने को कहा तो मैं वैसे ही हो गया चाची अब मेरे ऊपर झुक गयी और मेरे सीने पर किस करने लगी जीभ फिराने लगी फिर उन्होंने मेरी छाती के निप्पल पर अपने होठ रख दिए एक गरमा गरम अहसास हुआ मुझे अब वो मेरी छाती को पिने लगी मैं तो मस्त गया बुरी तरह से चाची अपने दांतों से वहा पर निशान बनाने लगी तो मैंने भी उनके चूतडो से छेड़खानी करनी शुरू कर दिया और अपनी ऊँगली चाची की गांड में घुसा दी चाची ने अपने चूतडो को टाइट कर लिया और जोश में आ गयी 

इस बार हम बस इस तरह से कर रहे थे की कयामत की हद तक समा जाना चाहते थे एक दुसरे में मैं अपनी ऊँगली को बार बार घुमाता वो अपने चूतडो को भीचती और मेरे लंड पर और जोश में आके घस्से मारती मेरे बदन में जैसे सैकड़ो चींटी रेंगने लगी थी तो मैंने अब चाची को फिर से सोफे पर पटका और उनकी दोनों टांगो को कंधे पर रख कर लगा पेलने उनको चाची की चिकनी चूत में मेरा मस्ताना लंड एक बार फिर से चल पड़ा था अपना परचम लहराने को 

चाची भी मेरा पूरा साथ दे रही थी तो आधे घंटे पर जी भर कर पेला उनको जब मेरा होने वाला था तो वो बोली मुझे तुम्हारा रस पीना है तो मैंने अपने लंड को उनके मुह में दे दिया और चाची बड़े चाव से मेरे सफ़ेद रस को गटकने लगी
उस रात चाची की तीन बार लेने के बाद हम दोनों बुरी तरह से थक गए थे तो थकान के मारे आँख लग गयी जब होश आया तो मैंने खुद को बेड पर नंगा सोते हुए पाया पास में पड़े अपने कचछे को पहना घडी में देखा दोपहर के दो बज रहे थे मतलब खूब सोया था मैं बाहर आया तो देखा की बारिश अभी भी आ रही थी सावन के मोसम का यही तो मजा है कल पूरी रात और अब भी बरसात आ रही थी 

चाची में मुझे देखा और कहा फ्रेश हो जाओ मैं खाना लाती हु तुम्हारे लिए तो करीब आधे घंटे बाद हम दोनों खाना खा रहे थे , कल की चुदाई के बाद अब चाची के चेहरे पर एक शोखियत आ गयी थी चहकने सी लगी थी वो मैं रसोई में बर्तन रखने चला गया फिर पानी वानी पीकर आया तो मैंने देखा की चाची बस ब्रा-पेंटी में ही आँगन में नहा रही है तो मैं पास राखी कुर्सी पे बैठ के उनको देखने लगा 

बरसात में उनके बदन पर गीले अंडरगारमेंट बिलकुल चिपके हुए थे चाची की पेंटी से चूत का फुला हुआ उभार साफ़ दिख रहा था पेट पर पड़ती बारिश की बूंदे क्या गजब ढा रही थी मेरा लन्ड खड़ा हो गया तो मैं उसको सहलाने लगा अब चाची ने मुह दूसरी तरफ फेर लिया उनकी गांड का कटाव देख कर मुझे अब बर्दाश्त नहीं हुआ मैंने अपने कच्चे को उतारा और नंगा हो कर चल दिया उनकी तरफ 

चाची ने मुझे अपनी तरफ आते हुए देखा मुस्कुराने लगी , मैंने जाते ही अपनी दिलरुबा को अपनी बाहो में भर लिया और उनके रसीले होंटो पर गिरी बारिश की बूंदों को चाटने लगा चाची ने खुद में मेरे हवाले कर दिया और मेरे लंड को हाथ में लेते हुए किस करने लगी किस करते करते ही मेरे हाथ पीछे गए और मैंने ब्रा को खोल दिया चाची की मखमली छातिया मेरे सीने से टकरा ने लगे वो मेरे लंड को मुठीयाने लगी 

बरसात में भी जिस्मो की आग फिर से फड़कने लगी थी मैंने बिना कोई देर किये अपनी रानी को वाही पंजो के बल झुका दिया चाची ने अपने घुटनों पर हाथ रख लिए और तैयार हो गयी , मैंने लंड पर थोडा सा थूक लगा कर उसको चिकना किया और चाची की मस्तानी चूत से सटा दिया , गोरी गोरी जांघो में मध्य चाची की काले रंग की चूत क्या गजब लग रही थी मैंने अपना लंड चूत पर सटा या और चाची की बलखाती कमर को पकड़ते हुए लंड को अन्दर सरकाने लगा तो प्राणप्यारी चाची ने भी गांड को पीछे को किया ताकि मैं आराम से चूत में लंड को घुसा सकू 
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