Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:45 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
चाची ने अपनी कच्छी को उतार कर साइड वाली सीट पर रखा और फिर चुपके से मेरे लंड पर बैठ गयी मेरी गोद में और ऊपर निचे होने लगी अब किसे फिल्म का ध्यान था बस चूत मारनी थी अपनी प्यारी चाची की थोड़ी देर बाद वो भी जोश में आ गयी और तेजी कूदने लगी अब घर तो था नहीं तो बस ऐसे ही चुदाई कर सकते थे हम लोग पर जूनून भी कुछ होता है चाची अब अगली सीट पकड़ कर थोडा सा झुक सी गयी ताकि मैं फुल स्पीड में उनको चोद सकू , चाची अपने होंठो को दांतों में दबाते हुए अपनी आहो को रोकने का प्रयास कर रही थी मैं जानता था की अब इंटरवेल होने वाला है तो मैं तेजी से चोदने लगा और जैसे ही इंटरवेल की लाइट्स जली मैंने अपना पानी चूत में छोड़ दिया , घबरायी चाची जल्दी से अपनी सीट पर बैठ गयी 

मैं बाहर गया कुछ खाने के लिए ले आया फिर उन्होंने मुझे कुछ शरारत नहीं करने दी बस चुपचाप फिल्म ही देखते रहे उसके बाद हमने कुछ घरेलु सामान ख़रीदा चाची ने अपने लिए कुछ कपडे ख़रीदे और कुछ मुझे भी दिलवाए इन सब में शाम हो गयी थी मोसम एक बार फिर से अपना रुख बदलने लगा था तो हम तेजी से उस तरफ चले जहा गाँव की जीप लगती थी 

पर वहा जाकर पता चला की लास्ट जीप जस्ट अभी निकली है कोई दो मिनट पहले ही , अब हम क्या करे कुछ देर इंतज़ार करते रहे तभी किसी ने चाची को आवाज दी तो मैंने देखा एक महिला है स्कूटी पे , तो पता चला की चाची के पड़ोस में ही रहती है और एक अध्यापिका है मैंने नमस्ते वगैरा की कुछ बातो के बाद उसने कहा की मेरी स्कूटी पे चलो अब हमे तो जाना ही था तो चाची ने मुझे मुझे कहा की बेटा तू चला क्योंकि तीन सवारिय जो थी 

मेरे पीछे पड़ोसन बैठी फिर चाची और हम चल पड़े गाँव की और शहर से कुछ बाहर आते ही बरसात शुरू हो गयी हलकी हलकी मैंने रुकने को बोला पर वो आंटी ने कहा की घर तो जाना ही है तेज बारिश आएगी तब देखेंगे तो हम चल पड़े गाँव को बरसात का लुत्फ़ उठाते हुए

पड़ोसन की छातिया मेरी पीठ पर चुभ रही थी ऊपर से जब कभी रास्ता ख़राब होता तो मुझे ब्रेक मारने पड़ते तो तीन सवारी होने के कारण वो मुझ पर अपना पूरा भार डाल रही थी ऊपर से वो बारिश की बूंदे मेरा मन फिर से मचलने लगा था , बरसात के कारण रोड पर कुछ फिसलन सी हो रही थी तो गाँव आने में थोडा समय फ़ालतू लग गया, गाँव में घुसे ही थे की बरसात एकाएक तेज हो गयी अब भीगे हुए तो थे ही और भीग गए घर आये मैं स्कूटी से उतरा मेरे पीछे वो लोग भी उतर गए अब मैंने गौर से मास्टरनी को देखा उसकी कुर्ती गीली होकर उसके बदन से चिपकी पड़ी थी ब्रा में कैद उसकी चूचियो का कटाव बड़ा सेक्सी लग रहा था मेरा तो लंड खड़ा हो गया उधर ही 

फिर चाची ने उसको धन्यावाद कहा , मास्टरनी ने कहा वो बाद में मिलने आएगी फिर वो अपने घर में घुस गयी और हम अपने घर में पर मेरा दिल उस पर अटक गया था उस पर पर कैसे चोदु उसको अब चूत कोई हाथ पर तो रखी नहीं होती , कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा घर जाते ही हमने सबसे पहले गीले कपड़ो को चेंज किया फिर चाची चाय बना लायी , चाय पीते पीट हम लोग बाते करने लगे 

मैं- चाची , आज मजा आया 

वो- मजा तो ठीक पर तुझे मेरी इज्जत की बिलकूल परवाह नहीं है 

मैं- चाची ऐसे मौको पर जब भी चांस मिले मजा लेने का तो एन्जॉय कर लेना चाहिए सच बताओ चुदने में मजा आया की नहीं 

वो- चुदने में तो हमेशा ही मजा आता है मेरे प्यारे 

मैं- तो आओ एक राउंड और खेलते है 

वो- नहीं अब तो रात को ही वो भी बस एक बार 

मैं- चाची बुरा ना मानो तो एक बात कहू 

वो- क्या 

मैं- ये जो मास्टरनी हैं ना इसकी चूत मारनी है मुझे 

चाचि- हाय राम , कैसी बाते करता है , क्या मेरे से जी भर गया तेरा 

मैं- अप तो सदाबहार हो , पर मेरे लंड में आग लग गयी है मास्टरनी को देख के आपकी तोदोस्त है जुगाड़ करवा दो 

वो- मैं कैसे करवा सकती हु 

मैं- चाची , एक बार दिलवा को ना उसकी 

चाची- देख मैं पक्का तो नहीं कह सकती पर हां कोशिश कर सकती हु , उसका पति ना फौज में है कई कई दिन में आता है तो अब चूत में तो सबी को खुजली मचती है , क्या पता तैयार हो जाये पर अभी मैं कुछ नहीं कह सकती 

उस रात को मैंने चाची को दो बार चोदा पर मेंरे ख्यालो में वो पड़ोसन ही थी , अब कुछ भी करके मास्टरनी को तो चोदना ही था सुबह नहा धोके मैं तैयार था आज मेरा विचार था की नदी पर जाया जाए कुछ मछलिया पकड़ लू और चाची को जब उधर नहीं चोद पाया था तो अब पानी में ही पेलूँगा , वैसे भी आज मोसम भी चकाचक था एक दम से कम से कम उस टाइम तो ऐसा ही था तो मैंने चाची को अपना प्लान बताया तो वो तैयार हो गए, हम लोग घर से निकल ही रहे थे की पड़ोसन आ गयी 

तो हम लोग वापिस अन्दर आ गए और बात करने लगे 

चाची- और सुमन क्या हाल चाल तेरे 

सुमन- बस कट रही है घर से स्कूल , स्कूल से घर तू बता 

चाची- मेरा तो तुझे पता है ही 


सुमन- मेरा हाल भी तेरे जैसे ही है आजकल 

चाचि- वो कैसे, 

सुमन- अरे क्या बताऊ यार, तुम्हारे भैया का तो पता ही है तुम्हे कई कई दिनों में आना होता है , ऊपर से सास ससुर भी आजकल छोटे वाले के पास है तो बस अकेलापन कुछ ज्यादा हो गया है 

चाची- वो तो है ही , तू फ़ालतू में नोकरी के चक्कर में पड़ी है छोड़ इसको और भैया के साथ रह बाहर 

सुमन-मैं तो कई बार बोल चुकी हु पर वो माने तब न ये लड़का कौन है 

चाची- मेरा भतीजा है , जेठानी का लड़का 

सुमन- काफी बड़ा हो गया है 

चाची- हां 

चाची ने मुझे इशारा किया तो मैं वहा से उठ के चला गया और दरवाजे की साइड से उनकी बाते सुनने लगा 
उनकी बाते सुनके पता चला की वो काफी पक्की सहेलिया है 

चाची कुछ देर ऐसे ही बाते घुमाती रही फिर बोली- तो सुमन, तेरा काम कैसे चलता है 

सुमन- कौन सा काम 

चाची- अरे वो रात वाला 

तो सुमन थोडा सा शरमा गयी और बोली- कैसा चलना है जब ये आते है तब तो मौज रहती है दिन में तीन चार बार पिलाई हो जाती है पर जब नहीं होते तो परेशानी होती है कभी ऊँगली तो कभी मोमबत्ती का ही सहारा लेना पड़ता है

चाची- तू पटाखा औरत है लाइन दे दे किसी को 

सुमन- अरे नहीं यार, इधर का माहौल तो तुझे पता ही हैं , कई बार मन तो करता है की सेटिंग कर लू किसीसे पर रिस्क है यार बदनामी का पंगा तो रहता ही है , चल मेरी छोड़ तू बता तेरा क्या चल रहा है 
चाची- तुझे तो पता ही है की मैं तलाक ले रही हु , तो बस वो ही है 

वो- तो तू भी मेरी तरह आजकल उंगलियों पर ही जी रही है 

चाची- छोड़ ना इन बातो को , अब जो है वो है हम लोग नदी पर जा रहे है तू भी चल मेरा मन भी लगा रहेगा 

तो सुमन भी तैयार हो गयी मैं समझ गया था की चाची जल्दी ही इसको तैयार कर देंगी ऐसा मेरा दिल कह रहा था हमने कुछ सामान लिया और नदी की तरफ चल पड़े , इस बार हम लोग चाची के बाग़ की तरफ से ना होकर एक नए रस्ते से गए थे दरसल ये रास्ता बाग़ के पीछे वाले किनारे पर ना जाकर और दूसरी तरफ जंगल की गहराइयों में जाता था करीब आधे पौने घंटे बाद हम लोग उधर पहुच गए इस तरह जंगल खूब गहरा था दूर दूर तक बस शांति ही पसरी पड़ी थी 

नदी किनारे के पेड़ निचे हमने अपना सामान रखा और बाते करने लगे 

मैं-चाची इस तरफ क्यों आये है 

चाची- अब सुमन की नहीं लेनी क्या तुझे तो इधर मौका बनाते है तू एक काम कर पानी में जाके नहा हम लोग आते है कुछ देर में
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