Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:46 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
फिर मैं शाम को ही ताई के घर से वापिस आया आज उसने बुरी तरह से निचोड़ दिया था मुझे पर सुकून भी था जो सुख गीता ताई प्रदान करती थी उसके आगे सब फेल था

इधर मैं उलझा हुआ था अपनी परेशानियों में उधर चुनाव की सरगर्मियॉ बढ़ रही थी गांव में तना तनी का माहौल तो था ही इधर बिमला हर तरह से जीतने को बेताब थी

अब इन सब चीज़ों का प्रेशर पड़ रहा था मुझ पर ,पर किया भी तो क्या जाये मम्मी या चाची चुनाव लड़ती तो बाय ही अलग थी अब बिमला का पंगा मेरे गले की फांस बन गया था 

शाम को मुझे याद आया की आज तो पिस्ता के साथ बाजार जाना था पर मैं ताई के साथ बिजी था अब उसको मनाना पड़ेगा आजकल पता नहीं मुझे क्या हो गया था बातो का ध्यान रहता ही नहीं था

मैं बैठा विचार कर रहा था की फोन की घण्टी बजी मेरे दिल में आया की नीनू है पर वो किसी और का निकला तो दिल में एक टीस सी होने लगी 

मन कही पर भी लग नहीं रहा था पर मन का क्या मन तो लगाने से लगता है फिर देर रात तक बस गाँव में ही घूमना रहा इसी चक्कर में रात आधी से ज्यादा बीत गयी थी 


मैं पैदल ही घर की तरफ आ रहा था की मैंने देखा पिस्ता लड़खड़ाते हुए कदमो से मेरी तरफ ही आ रही थी उसके हाथ में बोतल थी उफ्फ्फ ये लड़की भी ना बस गजब ही थी 


जैसे आवारगी की हर हद को पार कर जाना चाहती थी ये वरना कौन लड़की बेवक्त इस तरह गलियों में घुमटी वो भी शराब के नशे में 

मुझे देख कर उसके कदम रुक गये ,मैं उसकी ओर बढ़ा 

वो- आया नहीं तू आज मेरे साथ 

मैं-यार माफ़ करदे आज फसा पड़ा था काम में 

वो-मेरी तो कुछ इज्जत ही न रही हिछह

मैं- तू दारू भी पीती है 

वो- मैं गांड भी मरवाती हु तुझे नहीं पता क्या 
मैं-चुप कर और मेरे साथ चल 
वो-नहीं जाना मुझे कही भी,तू भी औरो की तरह निकला

मैं-मानता हु गलती हुई 

वो-अब हम पराये जो हुए 
मैं- तू जो पराई है तो अपना कौन है 

वो-तो फिर आया क्यों नहीं पता है किन्ना इंतजारकिया पर तू नहीं आया 

मैं-अब मेरी भी तो सुन यार 

वो-क्या सुने हम अब तुम्हारी साला दिल भी आजकल हमारे काबू में रहता नहीं 

आज पिस्ता बडे अजीब मूड में थी ,अब उसका और मेरा रिश्ता भी थोडा अजीब किस्म का था मैं मुसाफिर किस्म का था वो अल्हड मस्तानी थी जैसे आग पानी साथ हो पर फिर भी अपनी थी वो

उसने बोतल अपने होंठो से लगायी और गटकने लगी पता नहीं नशे में क्या क्या बोल रही थी मैं किसी तरह उसको समझा रहा था पर आज की रात बड़ी अलग होने वाली थी

अचानक वो मेरा हाथ छुड़ाकर भागी सड़क की तरफ मैं उसके पीछे भगा अब ये मेरे लिए सरदर्द होने वाला था सच में चुनाव का टाइम था तो रात बेरात कोई न कोई तो घूमता ही रहता था 

अब पिस्ता वैसे ही बदनाम गाँव में ऊपर से ब्याह सर पे उसका और वो नशे में टल्ली होके घूम रही अब ये कहा समझदारी की बात थी 

जैसे तैसे करके उसको अपने खेत में लाया और खीच कर एक रेहप्ता दिया तो उसकी आँखों के आगे तारे नाच गए मैंने उसको खाट पर बिठाया और पानी दिया 

पिस्ता को बहूत नशा हो रहा था पर अपन अब क्या करे कैसे उतारू उसका नशा इधर मुझे नींद भी आ रही थी पर सो नहीं सकता था तो पूरी रात बस उसको लिए बैठे रहा 


सुबह पांच बजे के करीब उसको नींद आ गयी कुछ देर बाद मैं उसको सोती छोड़कर घर आ गया और सो गया, फिर दोपहर को ही उठा तो निचे आते ही मैंने बिमला को देखा 


हलके सफ़ेद जरी की साडी में क्या मस्त माल लग रही थी मेरा लण्ड खड़ा हो गया पर अब ये चूत नसीब में कहा थी तो उसको इग्नोर करके घर से बाहर आया तो मंजू मिली 

आज हो क्या रहा था तो पता चला की अब मतदान के कुछ ही दिन बचे थे तो गाँव की हर महिला को पर्सनली मिलना था पूरा जोर लगा देना था बिमला की जीत के लिये


घरवाले खर्च भी बहुत कर रहे थे मुझे कभी कभी आत्मग्लानि होती थी पर अपनी भी मज़बूरी थी मैं वापिस अंदर आ गया और फिर से लेट गया पर दिल अनजानी शंका से धड़क रहा था

जैसे जैसे समय बीत रहा था घरवालो को तनाव होने लगा था पिताजी ने मुझे सख्त हिदायत दी थी की वोटिंग वाले दिन मैं घर पर ही रहूँगा क्योंकि उस दिन पंगा होने की पूरी संभावना थी

अब आई कतल की रात यानि वोटिंग से पहले वाली रात आज की रात किसी को भी चैन नहीं था सब अपना अपना जुगाड़ लगा रहे थे आज इतनी दारू और पैसे बांटने थे जितने की पुरे प्रचार में लगे थे 


पर मैं घर में कैद था अब पिताजी की बात को काट भी नहीं सकता था तो मन मसोस कर रह गया सुबह सात बजे से वोटिंग शुरू हो गयी थी 

आज का दिन बड़ा भारी था सबपे एक एक मिनट जैसे की सदी लग रही थी दोपहर हुई फिर शाम हुई और फिर वोटिंग बंद अब बस गिनती करनी थी सिचुएशन बड़ी टाइट थी 

और फिर रिजल्ट तो आना ही था अवंतिका मात्र एक वोट से जीत गयी थी बिमला ने फिर से काउंटिंग की मांग की पर उसकी किस्मत में जीतना था ही नहीं


निराशा से भरे सारे घरवाले घर आये,ऐसा लग रहा था की जैसे किसी की मौत हो गयी हो,उस रात हमारे घर में चूल्हा नहीं जला 

पता नहीं क्यों बिमला के हारने पर मुझे ख़ुशी नहीं हुई उसने रो रो कर सारा घर सर पर उठा लिया और फिर जैसे की मुझे उम्मीद थी 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:46 PM

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