Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:47 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मामी और मैं कुछ देर के लिए तृप्त हो गए थे पर अरमानो की आग के कुछ शोले अभी बाकी थे जिन्हें बस एक हवा की जरुरत थी मामी मेरी बाहों में पड़ी थी उनके बदन की खुसबू बड़ी मनमोहक थी और चुदाई के बाद तो जैसे वो महक ही उठी थी


अपनी सांसो को सँभालने के बाद मैंने मामी को फिर से अपने बदन से चिपका लिया और उनके कुल्हो को सहलाने लगा एक जानी पहचानी खुमारी फिर से हम पर चढ़ने लगी और कुछ पलो बाद मामी मेरी गोद में चढ़ी हुई थी


गोद में चढ़के मामी ने अपनी टांगो को मेरी कमर पर लपेट लिया और मेरी गर्दन पर अपने हाथ रखते हुए मेरे चेहरे को चूमने लगी मेरा आधा खड़ा लण्ड उनकी गांड की दरार में रगड़ पैदा करने लगा मामी के होंठ से बहता थूक मेरे चेहरे को भिगो रहा था 


उत्तेजना से वशिभूत वो बहुत जोरो से किस्स कर रही थी अपने दोनों कुल्हो के बीच दबाये मेरे लण्ड में वो आग भर रही थी अब मामी ने अपने चेहरे को हटाया और मेरे मुह में अपनी एक चूची दे दी जोश में आके 


मैंने निप्पल पर जोर से काट लिया तो वो सिसक उठी "आह:" पर उनको भी पता था की इन हरकतों का भी अपना ही मजा था मामी की पीठ को रगड़ते हुए मैं बारी बारी उनके दोनों उभारो को निचोड़ रहा था


अपनी उत्तेजना को अरमानो के पंख दिए मामी फिर से तैयार हो रही थी वासना के आकाश में उड़ने के लिए दोनों बोबे जगह जगह से लाल हो गए थे साथ ही थोड़े फ़ूल गए थे मामी ने मेरे सीने पर किस किया और मेरी गोद से उठ गयी


मेरा लण्ड जो अब पूरी तरह से तैयार था एक बार फिर से उनकी चूत में खुदाई के लिए मामी ने उसे देख कर अपने होंठो पर जीभ फ़िराई और अपने लाल सुर्ख होंठो को मेरे लण्ड पर रख दिया मेरे सुपाड़े पर हुए इस चुम्बन से तन बदन में खलबली मच गयी


लण्ड से जो प्री कम निकल रहा था वो अपनी जीभ से उसे चाट रही थी बल्कि उनकी कोशिश थी की जीभ को उस छेद में घुसा सके लगभग आधा लण्ड उनके मुह में था और हाथ दोनों अन्डकोशों पर जिसे वो बड़े प्यार से सहला रही थी 


मैं तो पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूब गया था अनुभवी औरतो के साथ सेक्स का यहितो सबसे बड़ा फायदा होता है की वो पल भर में ही समझ जाती है की बन्दे को क्या चाहिए अब उन्होंने पुरे लण्ड को अपने गले तक ले लिया था और मुझे मुख मैथुन का पूरा मजा दे रही थी


पर साथ ही अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था तो वैसे भी वो कई देर से चूस ही रही थी तो अब उनके कुल्हो को थपथपाया और उनको फिर से घोड़ी बना दिया मामी की बड़ी सी गांड मेरे सामने थी मैंने अपने दोनों हाथो से कुल्हो को थाम लिया हाय कितने मुलायम थे 


मैं बारी बारी से मामी के सुडोल चूतड़ो पर किस्स करने लगा कसम से बहुत मजा आ रहा था कई बार मैंने काटा उनको तो मामी बस चिहुंक कर रह गयी चूमते चूमते मेरी नाक मामी की चूत से टकराई उफ्फ्फ्फ़ क्या गजब खुसबू आ रही थी मैंने अपने चेहरे को चूतड़ो के बीच दे दिया 


और चूत को अपने मुह में भर लिया ढेर सारा गाढ़ा खारा खट्टा पानी मेरे मुह में भर गया जिसे मैं गटकने लगा इधर मामी के बदन में खलबली सी मच गयी थी अब उनकी आहे बाहूत तेज हो गयी थी बदन झटके खाने लगा था उनके चूतड़ जैसे थिरक रहे थे मेरी जीभ अब अंदर के लाल वाले हिस्से पर रगड़ पैदा कर रही तो जिस से मामी मस्ती की लहरो पर सवारी कर रही थी



इधर मेरे लण्ड में हो रही ऐंठन परेशान कर रही थी तो मैंने लंड पर थूक लगाया और मामी की चूत पर लगा दिया मैंने अपने हाथ चूतड़ो पर रखे और मामी की चूत में लण्ड घुसाने लगा मामी आगे को सरकी पर मैंने। उन्हें फिर से पीछे कर लिया और धक्कमपेल चालू कर दी


मामी की कद काठी वास्तव में ही बहूत सेक्सी थी बेशक वो थोड़ी पतली टाइप थी पर कामुकता छलकती थी अंग अंग से और ये आज उन्होंने प्रूव भी कर दिया था की बिस्तर पर वो किसी से कम नहीं है 

चुदाई की थाप गूँज रही थी कमरे में सर्दी के मौसम में भी पसीना चल पड़ा था बदन से बहकर करीब दस मिनट तक वो घोड़ी बने चुदती रही फिर झटके से मैंने लण्ड को बाहर निकाल लिया वो हवा में झूलने लगा मामी मेरी और देखने लगी


मैंने उन्हें लिटाया और उनकी टांगो को अपने कंधे पर रखते हुए फिर से चोदना शुरू कर दिया मामी की छातियाँ बुरी तरह से हिल रही थी चिकनी चुत मे मेरा तूफानी लण्ड आतंक मचाये हुआ था मामी भी पूरी तरह मस्ती से भरी हुई थी लिहाज़ा अब उन्होंने 


मुझे पूरी तरह अपने उपर खीच लिया और अपने होंठो की शबनम मुझे पिलाते हुए चूत मरवा रही थी उन्होंने अपने चूतड़ पूरी तरह से ऊपर उठा रखे थे इधर मेरे धक्के चालू थे उधर उनके परिणाम स्वरूप अब गाड़ी मंजिल पर पहुंचने ही वाली थी


मामी का हाल तो नहीं पता पर मैं अब झड़ने ही वाला था तो मैं तेज तेज करने लगा उन्होंने कस के मुझे अपनी बाहो में जकड़। रखा था और जैसे ही मेरा वीर्य उनकी चूत को गीली करने लगा मामी भी अपने चरम पर पहुच गयी और मेरी बाहों में झूल गया

उस रात हम दोनों ने अपनी प्यास जी भर के मिटाइ सुबह कुछ हलकी हलकी सी लग रही थी मैं उठके रसोई में चाय लेने गया तो मामी ने मुझे दूध का गिलास दिया और बोली-तुम्हे इसकी जरुरत है 

मैं-पर मुझे चाय ही पीनी है 

वो- समझा करो तुम दूध पियोगे तभी तो मैं मलाई खा पाऊँगी ये बोलकर हँसते हुए उन्होंने मुझे गिलास पकड़ा दिया और फिर अपना काम करने लगी 


मैं कुछ कह ही नहीं लाया जबकि वो पूरी एडवांटेज ले रही थी दूध पीके मैं बैठक में आया तो नाना और उनके दोस्त नाश्ता कर रहे थे तो मैं इंदु के कमरे में आकर बैठ गया पर आज मैंने देखा की वो किताबो से चिपटी नहीं थी 


बल्कि आराम से बैठ कर डेक चला के गाने सुन रही थी मैने देखा उसके बालो से पानी झर रहा था शायद कुछ देर पहले ही नहा के आई थी अब इतनी जोर की सर्दी पड रही थी और ये नहाने में लगी थी 

उसने मुझे देखा और बोली-उठ गए तुम मैं जगाने आ ही रही थी मेरी एक सहेली के घर चलना है

मैं-तुम्हारी सहेली तुम जानो मेरा क्या काम 

वो- अरे चल ना जल्दी ही आ जायेंगे 


मैं- चल तो पडूंगा पर एक किस्स दो तो 

इंदु अपनी आँखे फाड़े मेरी तरफ देखने लगी 

मैं-ऐसे क्या देख रही हो अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो की नहीं

वो-तो क्या हर बात के लिए ऐसे शर्ते रखोगे 

मैं- नाराज हो गयी तुम तो 

वो-तो और क्या करू 

मैं-किस्स करो मुझे और क्या करोगी 

इंदु के बदन से पानी की महक आ रही थी और वो लग भी तो रही थी कितनी ताज़ा जैसे किसी गुलाब पर पड़ी ओस की बूंदे उसकी आँखों में हां पढ़ कर मैंने अपने होंठ आगे बढ़ाये और उसके नरम होंठो को मसलने लगा जैसे गुलकन्द घुलने लगी हो मेरे मुह में 

पर उसने मुझे हटा दिया और बोली-ब्रश नहीं किया न तूने 

अब किस्स में ब्रश कहा से आ गया उसने कहा जल्दी से तैयार हो जाऊ तो मैं नहाने के लिए आ गया गरम पानी रख के बस तौलिया लेके घुस ही रहा था की मामी मेरे पास आई और बोली- आराम से नहाना पानी थोडा ज्यादा गरम है और हां अब तुम्हे मेरी पेंटी ख़राब करने की जरुरत नहीं है 


मामी ने हस्ते हुए कहा और ठुमकते हुए चली गयी मैं दो पल उनकी गांड को निहारता रहा फिर नहाने लगा तैयार होक मैं और इंदु उसकी दोस्त के घर की और चल दिया जो थोड़ी दूर था रस्ते में मेरा पूरा ध्यान इंदु की और था हल्का गुलाबी रंग उसके गोरे बदन पर खूब जन्च रहा था 


मेरे मन में बस उसकी लेने का ही विचार आ रहा था उस टाइम और वो थी भी इतनी खूबसूरत की हर कोई उसको पाना चाहे तो थोड़ी देर बाद हम पहुच गए उसकी दोस्त ने हमारा खूब सत्कार किया पर मैं उसको जानता नहीं था तो अब मैं क्या बात करता खैर वहाँ हमे कई देर लगी और दोपहर का खाना खाकर ही हैं लोग आये 

घर आने के बाद इंदु ऊपर चली गयी मैं टीवी देखने लगा कुछ देर बाद नानी ने कहा की जरा इंदु को बुला के ला तो मैं चौबारे में गया और यही गजब हो गया दरवाजे पर खड़े खड़े ही मेरा बुरा हाल हुआ दरअसल उस टाइम इंदु कपडे बदल रही थी

वो बस ब्रा और सलवार में खड़ी थी उसको उस अवस्था में देख कर मेरा सब्र टूटने लगा काली ब्रा में कैद उसके उभार जिनका बोझ वो ब्रा उठा नहीं पा रहा था वो भी मुझे देख कर चोंक गयी और जल्दी से अपनी कुर्ती को पहनने लगी पर उस से पहले ही मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसको किस्स करने लगा 


साथ ही उसकी चूचियो को मसलने लगा सम्भवत ये उसके अंगो पर पहला पुरुष स्पर्श था मैं जितना जोर से उसके उभारो को दबाता वो उतना ही उत्तेजित हो रही थी उसके होंठ चूसते हुए मैं अब सलवार के ऊपर से ही उसकी योनि को सहलाने लगा कुछ पलो के लिए हम लोग दुनियादारी छोड़ एक दूसरे में खोने लगे थे


पर जैसे ही मैंने सलवार के अंदर हाथ डालना चाहा उसने मुझे परे धकेल दिया और अपनी कुर्ती पहन ने लगी मैंने उसे बताया की नानी बुला रही है कुछ देर बाद हम लोग निचे आ गए अब बार बार हमारी नजर टकरा रही थी इंदु को इन सब चीज़ों की आदत नहीं थी तो वो असहज महसूस कर रही थी

इधर पड़ोस में ही एक लड़का बंटी मेरा दोस्त बन गया था तो मैंने सोचा उसके घर हो आता हु तो मैं उसके घर गया पर वो नहीं मिला वहाँ बस उसकी बहन मिली वो भी इंदु की तरह एक मस्त भरी हुई लड़की थी जवानी में चूर अल्हड एक दम मुझसे बहुत हँसी ठठोली करती थी वो 



पर मैं ऐसे ही जाने देता था तो उस दिन मैं गया पर बंटी मिला नहीं 

मैं- कब तक आएगा 

वो-तू बस उस से ही मिलने आता है कभी मुझसे मिलने भी आया कर

मैं-आपसे मिलके क्या करूँगा 

वो-क्यों कुछ करने के लिए ही मिलते है क्या आजा चाय बनायीं है पिके जाना 

मैंने सोचा की कही इसको बुरा न लगे तो मैं घर के अन्दर चला गया उसकी बड़ी सी गांड को देखते हुए मैं सोचने लगा की माल तो मस्त है जल्दी ही वो चाय ले आई और मुझे पकड़ाने लगी तभी उसके हाथ से कप छूट गया और 
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