Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:48 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैं उसपे चढ़ा हुआ उसको जन्नत की सैर करवा रहा था मैंने अब उसकी चूची पर जीभ फिरानी शुरू की रवीना मेरे इस वार को नही झेल पायी और मुझे अपनी बाहों में कसते हुए झड़ने लगी 

उसके गर्म बदन की खुमारी अब मुझे भी मंजिल की ओर ले जा रही थी और फिर मेरा टाइम भी आ ही गया मैंने लण्ड को बाहर खींच लिया और उसके पेट पे अपना पानी छोड़ दिया


हम दोनों एक दूसरे के अगल बगल लेटे हुए थे रवीना मुझ से सट गयी उसने अपनी जांघ मेरी टांग पर रख दी और लण्ड से खेलने लगी मैंने कहा मुह में लो तो वो उसको चूसते हुए उसको जगाने लगी वो इस तरह थी की उसके चूतड़ मेरी तरफ थे मैं उन गोल मटोल मांस के टुकड़ो को सहलाने लगा 

इधर वो मजे से लण्ड चूसे जा रही थी तो मैंने उसको 69 में ले लिया उसके बदन से उठती गंध बहुत कामुक थी और उसके कामरस का स्वाद भी अच्छा था तो पिने का मजा बढ़ गया उसके नितम्बो का कम्पन बता रहा था की किस हद तक वो फिर से गर्म हो चुकी है


मैंने अब उसे अपने ऊपर से हटाया और उसको घोड़ी बनाया उसके बाहर को निकले चूतड़ गजब लग रहे थे मैंने एक बार फिर से उसकी चूत पे किस्स किया और अब अपने लण्ड को फिर से चूत पे लगा दिया रवीना ने अपनी गांड को एडजस्ट किया 


और मैंने उसको चोदना शुरू किया उसकी पतली कमर को थामे हुए मैं रसीली चूत का मजा ले रहा था कुछ समय बाद मेरे हाथ उसकी कमर से हट कर उसके बोबो पर पहुच गया मैं बहुत टाइट से दबा रहा था उनको अँधेरी रात में सुलगती सांसे अब मैं लेट गया और रवीना मेरे ऊपर आके अपना काम करने लगी


मजे में डूबे हुए हम लोग एक बार फिर से एक दूसरे को तड़पाते हुए झड़ गए उस रात मैने रवीना के अंग अंग को हिला के रख दिया सुबह चार बजे वो लड़खड़ाते हुए कदमो से अपने घर गयी और थकन से बेहाल मैं नींद के आगोश में चला गया

मजे में डूबे हुए हम लोग एक बार फिर से एक दूसरे को तड़पाते हुए झड़ गए उस रात मैने रवीना के अंग अंग को हिला के रख दिया सुबह चार बजे वो लड़खड़ाते हुए कदमो से अपने घर गयी और थकन से बेहाल मैं नींद के आगोश में चला गया


अगले दिन दोपहर को ही आँख खुली शारीर मीठा मीठा सा दुःख रहा था उठ के मैं घर में गया तो बस मामी ही थी मैंने पुछा इंदु कहा है तो पता चला की वो कालिज गयी है और नानी किसी काम से ,मामा भी अपने काम पर आज सुबह ही निकल गए थे तो मामी के लिए पूरा मौका था 


और वो ऐसे किसी भी मौके को कैसे छोड़ सकती थी मामी मुझसे चिपकने लगी पर मैंने उस टाइम मना कर दिया पर उन्होंने रात को सेवा के लिए बोल दिया मैं कुछ समय बन्टी के साथ घूमता फिर रहा ले देके एक वो ही तो दोस्त था इधर 


आज नाना समय से पहले ही बैंक से आ गए थे और आते ही उन्होंने कहा की कल इंदु को देखने लड़के वाले आ रहे है एकदम से उन्होंने कहा तो सब लोग हैरान रह गए पर ये उनका मामला था अपन क्या बोल सकते थे 

तो उस पूरा दिन बस तयारी चलती रही शाम को वो लोग आये उनका आदर सत्कार किया गया कुल मिला के मुझे लग रहा था की मामला जम ही जाएगा और ऐसा ही हुआ तो ये तय हुआ की अगले रविवार को सगाई की रस्म होगी


मैं इंदु से बात करना चाह रहा था पर मुझे मौका नहीं मिल पाया तो मैंने अपना ध्यान मामी पर लगा दिया जो अपनी नसिली जवानी के तीरो से मुझे घायल कर रही थी गुलाबी लहंगे और ब्लाउज़ में क्या गजब लग रही थी वो आज मेरा लण्ड भी कुछ खुराक मांग रहा था 

काम समेटने में ही 11 से ऊपर हो गए थे मैं और मामी बस गाहे बगाहे इंतज़ार कर रहे थे की कब घरवाले सोये और हम एक दूसरे को बाहों में भर ले जैसे ही मैंने सुनिश्चित किया की सब लोग सो गए है मैं मामी के कमरे की और बढ़ चला दरवाजा खुल्ला ही रखा था उन्होंने

मैंने किवाड़ बन्द किया और देखा तो मामी रज़ाई ओढ़े लेटी हुई थी उन्होने मुस्कुराते हुए मुझे रज़ाई में आने को कहा तो मैंने जल्दी से अपने कपडे उतारे और रज़ाई में घुस गया पर मेरे आश्चर्य की सीमा नहीं रही मामी को छूते ही मैं जान गया की वो भी नंगी है


मामी मुझसे ऐसे लिपट गयी जैसे की कोई शाख किसी तने से मामी की गुलाबी लिपस्टिक मेरे होंठो पे अपनी छाप छोडने लगी थी उनका हाथ मेरे लण्ड पर पहुच चूका था सर्दी के मौसम में आज एक गरम रात गुजरने वाली तभी मामी ने करवट ली


और अब वो मेरे ऊपर आ गयी और मेरे चेहरे को चूमने लगी उनके कोमल होंठ मेरे होंठो से रगड़ खाने लगे थे मैं अपने हाथो से मामी के सुकोमल चूतड़ो को सहलाने लगा आज तो वो कतई चिकनी हुई पड़ी थी मेरा लण्ड उनके पेट पे चुभ रहा था 


तो अब उन्होंने उसे अपनी योनि पर रगड़ना चालु किया उनके रूप का नशा मेरे अंग अंग में घुलने लगा मैं अपनी ऊँगली से गांड के छेद को सहलाने लगा तो वो और झूमने लगी मामी अब अपने भगनसे पर मेरे सुपाड़े को रगड़ रही थी मैं बस अब उनमे समा जाना चाहता था 

तो मैंने उनके चूतड़ो को थपथपा के इशारा किया और मामी अपनी जांघो को फैलाते हुए लण्ड पे बैठने लगी गप्प से पूरा अंदर घुस गया मामी मुझ पर झुकी और अपनी गांड को उचकाते हुए घस्से मारने लगी 

उनके दोनों हाथ मेरे सीने पर रेंग रहे थे और फिर वो जोर जोर से मेरे सीने को दबाने लगी तो मैं मस्त होने लगा मामी धीरे से अपने कुल्हो को ऊपर उठती फिर जोर से वापिस निचे आती सच में किसी ने सही ही कहा है की खेली खाई औरत को चोदने में जो मजा है वो कहि नहीं


कुछ ऐसा ही हाल मामी का था चूत से टपकता पानी लण्ड को पूरी तरह से भिगो चुकी थी उपर से वो कभी तेज कभी धीरे ऊपर निचे जो हो रही थी चुदाई में अरसे बाद आज मजा आ रहा था पर जल्दी ही मामी का दम फूलने लगा 

तो मैंने उनको अपनी निचे ले लिया और प्रेम की नैया को पार लगाने की तरफ बढ़ चला
मामी ने अपनी जीभ मेरे मुह में डाल रखी थी उनके मुखरस को अपने मुह में भरते हुए मैं मामी पे ऊपर निचे हो रहा था 

मेरे धक्को की थाप से मामी बिस्तर पर मचल रही थी कमरे में एक शांति छाई हुई थी बस सांसो की सरगर्मी ही थी जो अपनी कहानी कह रही थी अब मैंने प्यारी मामी को साइड में किया और उनकी टांग को उठाके पीछे से चोदना शुरू किया 

मामी की चूत मे फिर से उछलकूद शुरू हो गयी मैं दोनो हाथो से मामी के उभारो का मर्दन कर रहा था समय के साथ उत्तेजना के शोले और भड़कते जा रहे थे ऐसे ही पता नहीं कितनी देर तक मैं मामी के साथ शारीरिक सुख भोगता रहा 


उस रात मामी को खूब निचोड़ा था मैंने सुबह मामी का चेहरा एक दम खिला हुआ था जिसकी रंगत का राज़ मैं ही जानता था ऐसे ही दिन गुजर गए और इंदु की सगाई का दिन आ गया सुबह से ही तैयारियां चल रही थी एक बड़ा सा टेंट लगाया गया था काफी मेहमान आये हुए थे 


शाम को जश्न का भी इंतज़ाम था सगाई की रस्मे शुरू होने में बस कुछ ही देर की बात थी मैं तैयार तैयार होकर आया ही था की मामा मेरे पास आया और बोला की यार एक काम कर शाम को जश्न मनाना है और काम की उलझनों में दारू का इंतजाम करना भूल गया 


तू एक काम कर नेशनल हाईवे वाले ठेके से दारू का स्टॉक उठा ला मामा ने नोटों की गड्डी मेरे हाथ में रखी और बोला मेरी गाड़ी ले जाना ,मेरे दिमाग में आया की आज इतना मीठा कैसे बोल रहा है पर फिर सोचा की काम है इसलिए तो मैंने कार ली और 


चल पड़ा हाइवे की ओर जो की करीब10 किलोमीटर के लगभग था कई दिनों बाद गाड़ी चला रहा था तो मैं कुछ तेज उड़ रहा था ठेके पे जाके स्टॉक लोड किया और वापिस चल पड़ा करीब 5 मिनट बाद ही गाडी झटका खाने लगी और फीफा बन्द हो गयी मेरा दिमाग खराब होने लगा 

मुझे टाइम से पहुचना था और ये गाडी ख़राब ऊपर से अँधेरा घिरने लगा था पता नहीं क्यों मेरा दिल ज्यादा जोर से धड़कने लगा था मैं सोच रहा था की कैसे अब जाऊंगा की तभी एक काली गाडी मेरे पास आकर रुकी शीशा निचे हुआ और जो चेहरा मैंने देखा मुझे विश्वास ही नहीं हुआ

मैं कुछ समझ पत उस से पहले ही उसने गन निकली और धाँय की आवाज सन्नाटे को चीरती चली गयी मैं कुछ करता उस से पहले ही गोली मेरी जैकेट को चीरते हुए मेरी मांसपेशियों में घुस गयी ऐसा लगा की किसी ने पिघला लोहा मेरे शरीर में घुसेड़ दिया हो 

दो बार और गन गूंजी और बस फिर किसी टूटी लकड़ी की तरह मैं गिर पड़ा क्यों क्यों किया बस ये ही निकला मुह से फिर अँधेरा छाता चला गया
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