Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:50 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैंने सेठ के घर और होटल की सिक्योरिटी को अपने हिसाब से खूब मजबूत किया था मैं नहीं चाहता था कि उन लोगो पे कोई आंच आये

शहर में आग लगी हुई थी बाहुबली गाज़ी के पोते की हत्या हुई थी और मैं ये भी जानता था कि वो ज्यादा देर चुप नही बैठेगा पर मुझे उस से पहले कई उलझने सुलझानी थी


अपने हुलिए को दुरुस्त करके मैं सीधा सेठ के घर गया पर वहां कुछ भी सही नहीं था सब लोग ऐसे बैठे थे की जैसे मौत हो गयी हो

पूजा- देखो , भोले भाले दिलवाले जी आये है 

मैं चुप चाप खड़ा रहा 

पूजा- पापा, देखो तो सही इस इंसान को जिसे हम अपने घर में पाले हुए थे वो कितना बड़ा गुंडा है जिसने किसे मारा है पता है इसकी वजह से अब हम सब लोग मुसीबत में आ गए है मैंने तो पहले ही कहा था की इसको मत रखो


माधुरी की आँखों से आंसू गिर चले मैं आगे बढ़ा और उसके आंसू पोंछे 

पूजा-ओह ओह देखो तो कितना अपना बन रहा है कलयुग का भाई 

माधुरी-दीदी आप चुप रहो आपने तो देखा था न की भाई ने जो किया मेरी इज्जत बचाने के लिए किया 

पूजा- और जो हम सब को इस मुसीबत में डाल दिया उसका क्या 

माधुरी-कैसी मुसीबत दीदी, जानती हो मैं कितना डर डर के जी रही हु अगर वो गुंडे मुझे उठा के ले जाते आप लोग तब भी कुछ नहीं करते 

पूजा-मुझे कुछ नहीं पता ,ये आदमी जिसे दुनिया दिलवाले भाई के नाम से जानती है मुझे अपने घर से बाहर चाहिए मैं किसी अपराधी को अपने घर में नही देखना चाहती
आज किसी को मारा है कल किसी को 

कृष्णा का पति-पूजा ठीक कह रही है , माधुरी को बचाके अहसान किया है पर हम अपनी समस्या खुद सुलझा लेंगे पर अब इसको अपने घर रखना ठीक नहीं 

माधुरी-भाई कही नहीं जाएगा, तुम लोग तो मेरे सगे भाई हो हर साल तुम्हारी कलाई पे राखी बांधी है मैंने पर तुम सब मुझे कभी समझ नहीं पाए , मेरी आँखों के आंसू कभी नही दिखे तुम लोगो को 

पर ये इंसान जिसे तुम लोग जलील कर रहे हो मैं पूछती हु की क्या रिश्ता है इसका मुझ से मालकिन और नौकर का नहीं इसने समझा मेरे दर्द को मैं दिन भर रोती पर इस घर में किसी ने नहीं समझा 


पर इसने इस परायी के लिए अपनी जान दांव पे लगादी भाई बहन का रिश्ता बस खून का ही नहीं होता क्या तुम्हारी तरह मैंने इसकी कलाई पे राखी बांधी , नहीं ना जो काम तुम 

लोगो को करना चाहिए था वो इसने किया क्योंकि एक बहन की आत्मा की चीख एक भाई के कलेजे को ही छलनी करती है तुम जैसे लोगो को नहीं जिनकी आत्मा मर चुकी है 


पूजा-तू अपनी बकवास बंद कर और जिसकी शान में तू कसीदे पढ़ रही है हम उसके बारे में जानते ही क्या है एक दिन बस आ गया कही से एक नोकर में ऐसा क्या है जिसे सबने इतना सर चढ़ा रखा है 


मैं कहती हूं लात मारके निकालो इसको यहाँ इसके लिए कोई जगह नहीं आज बाहर क़त्ल किया है कल क्या पता हमे मार दे मुझे तो घिन्न आ रही है इस से


जुबान को लगाम दो पूजा, एक दहाड़ सी सुनी सबने और मैंने अपना माथा पीट लिया मैंने , सबकी नजरें उसकी तरफ घूम गयी

पिस्ता-पूजा जिस बारे में पता नही हो मुह नहीं खोलना चाहिए , जिसके बारे में तुम इतनी गालिया दे रही हो जिस से तुम्हे घिन्न आ रही है तुम जानती भी हो वो कौन है 

सब लोग पिस्ता को ऐसे देख रहे थी मानो कोई अजूबा वो

पूजा- आप बीच में ना पडो भाभी, और वैसे भी मैं जानती हु आप इसकी इतनी फेवर क्यों करती हो 

पिस्ता- चुप बस चुप, अगर अब तेरे मुह से एक शब्द और निकला तो मैं मर्यादा भूल जाउंगी और क्या कहा तूने फेवर करती हूं तो सुन, अगर इसकी असलियत तू जान जायेगी तो पाँव पकड़ लेगी इस इंसान के


पूजा-आप तो ऐसे बोल रही हो जैसे बरसो से जानती हो क्या रिश्ता है इस से

पिस्ता-मेरा रिश्ता हां हाँ हां ,मेरा रिश्ता नादान लड़की तू क्या समझेगी जैसे राधा श्याम का जैसे मीरा कृष्ण का जिस दिलवाले को तुम नोकर समझते हो जो दो कौड़ी का दिलवाला तुम्हारे आगे पीछे जी हजूरी करता है


तुम सब लोग उसकी धुल भी नहीं, जिस दौलत का तुम्हे घमण्ड है उतने रूपये तो ये किसी की झोली में डाल दिया करता है जिस बुंगले में तुम रहते हो पल भर में खरीद ले 

पर तुम क्या समझोगे आँखों पे पट्टी जो बंधी है तुम्हारे 
ये दिलवाला जो खुद किसी राजा से कम नही क्यों ऐसे रहता है तुम जानना चाहोगे मैंने पिस्ता को चुप करवाना चाहा पर वो किसकी सुनने वाली थी

पिस्ता उन्हें वो सब बताती चली गयी जो शायद नहीं बताना चाहिए था क्योंकि उसकी ग्रहस्थी पे अब तलवार लटक जानी थी 

पर कभी ना कभी ये राज खुल ही जाना था पर वो तो बस वो थी शुक्र कभी उसने ये नहीं कहा था कि मोहब्बत है वर्ना वो क्या कर जाती 

पिस्ता ने मेरा हाथ पकड़ा और बोली-चलो यहाँ से ये फरेब भरी दुनिया कभी नहीं समझेगी ना तुम्हे ना मुझे

मैं-पिस्ता ये घर तुम्हारा है तुम यही रहोगी 

वो- नही, जहाँ तुम वही मैं बहुत नकाब ओढ़ लिया मैंने पर अब नही बहुत घुट लिए तुम अब नही। बहुत घुट लिए तुम अब नहीं बस चलो यहाँ से

मैं-नही पिस्ता मैं तुम्हारा जीवन बर्बाद नहीं कर सकता 

वो-बर्बाद ,मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहती बस मेरे रहते तुम्हारी बेइज्जती कोई नही कर सकता 

पिस्ता ने मेरा हाथ पकड़ा और उसी पल हम उस घर से निकल गए
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:50 PM

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