Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:50 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
पिस्ता और मैं बस्ती आ गए थे 
मैं-तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था
वो-तू फ़िक्र मत कर वैसे भी तेरा मेरा किसने बांटा 

मैं-तू जानती है ना किस राह पर चल रहा हु 

वो-इस आग में तू अकेला नही चलेगा और कितना सहेगा बस कर अब 

मैं-मेरी मंजिल कहा 

वो-इतनी बड़ी दुनिया है कही भी शिफ्ट हो जायेंगे

मैं-घर की याद आती है 

वो-तो फिर चलते क्यों नहीं गाँव 

मैं- अब कोई नहीं उधर

वो- हैं सब है कहानी अभी खत्म नहीं हुई 

मैं-वो तो है बस जितना टल जाए उतना सही 

वो-कम से कम वहां के हाल तो पता कर लो 

मैं- बस जल्दी ही जाऊंगा 

वो- तुम बैठो मैं नहां के आती हु 

मैं बिस्तर पे लेट गया ऐसा लगा की बरसो बाद पनाह मिली हो नींद सी आने लगी की पिस्ता आ गयी 

मैं-यार तू मेरे साथ आ गयी मास्टर जी का क्या होगा 

वो-अरे तू चिंता कर उसको कोई फर्क नही। पड़ेगा 

मैं-वोक्यों

वो-सुन,मास्टर जी के भी अपने किस्से है उस दिन मैंने तुझसे झूठ बोल दिया था पर वो कम नहीं है उनके स्टाफ में कोई है उस से टांका भिड़ा रखा है 

मैं- तूने पकड़ा नही उनको 

वो-यार इस खेल में हम सब नंगे तो क्या टेंशन लेनी

मैं-तू नहीं सुधरेगी कभी 

वो- पहले ठीक से बिगड़ने तो दे 

पिस्ता पलँग पे चढ़ गई सीने से लग गयी पता नही मेरा और उसका कैसा नाता था जिसका कोई नाम नही था पर हम जानते थे इस अनोखे बंधन को

मेरे हाथ अपने आप उसके स्तनों पे पहुच गए थे नाइटी के अंदर ब्रा नही थी मुझे पता चल गया था मैं धीरे धीरे उसके स्तनों को दबाने लगा 

वो शांत पड़ी रही कुछ देर स्तनों को दबाने के बाद मैंने उसकी मोटी मोटी जांघो को सहलाना शुरू किया उसकी नाइटी ऊपर सरकने लगी 

कुछ देर मैं ऐसे ही मस्ती करता रहा फिर वो मेरी तरफ पलट गयी 

पिस्ता-याद है हम गाँव में कितनी मस्ती किया करते थे वो भी क्या दिन थे 

मैं-हां तब की बात ही अलग थी अब सब बदल गया है मैं तुम्हे चोरी छिपे देखता था जब तुम भैंसों को पानी पिलाने खेली पे आया करती थी

और कितनी जल्दी पट गयी थी जैसे कहने की ही देर थी

वो- अरे वो तो मैंने सोचा छोरा तडप रहा है निकाल दे गर्मी 

मैं-अच्छा जी हम तो सोचे की आग बराबर लगी है

वो-आग की बात ना ही करो तो अच्छा है

मैं-तू कबसे ठंडी होने लगी 

वो- कभी कभी मूड नहीं होता है 

मैं-चल कोई ना 

वो-गाँव कब चलोगे

मैं- यहाँ से निपट लू फिर चलते है कब तक यु भागता रहूँगा 

वो-अच्छा ही है पर ये बता तूने शादी क्यों न की 

मैं-तेरे बाद कोई मिली नहीं ,

वो-पर तेरा तो किसी और से चक्कर था न 

मैं-हम्म ,सब नसीब की बात है उसका साथ ऐसा छूट गया कि बस अब हम ही है 

पर अब तू साथ है तो ज़िन्दगी कट ही जायेगी ये सब छोड़ भूख लगी है यार सुबह से कुछ ना खाया गालियो के सिवा

वो-खाना बना दू

मैं-इधर कुछ नहीं है चल कही बाहर चलते है

वो-कपडे पहन लू

कुछ देर बाद हम लोग सड़क पर घूम रहे थे आज बरसात नहीं थी पर ठंडी हवा चल रही थी हाथो में हाथ थामे हम लोग बस घूम रहे थे एक जगह एक रेहड़ी देख कर वो रुक गयी

मैं-क्या हुआ 

वो-छोले भटूरे 

मैं-तुझे आज भी पसंद है 

वो-बहुत 

मैं-तो चल फिर देर कैसी

उसकी यही बाते तो मुझे बहुत पसंद थी चाहे हम कही चले जाए पर जड़ो से जुड़ा रहना बहुत जरुरी है जिसमें ये छोटी बाते बहुत मैटर करती है

सच कहूं तो उसको खाते देखकर ही भूख मिट गयी थी कोई इंसान इतना बेतकल्लुफ कैसे हो सकता है अपने जैसा बस वो एक ही पीस थी इस दुनिया में 

उसके मोटे गालो पे जो वो बालो की लट आती थी किसी का भी दिल धड़का दे हमारी तो बिसात ही क्या थी बस ये धड़कने ही थी आजकल गुस्ताख़ होने लगी थी


आँखों से दो बूंदे चुपचाप गिर गयी जब उसने एक निवाला अपने हाथों से मुझे खिलाया ज़माना ही गुजर गया था वो भी क्या दिन थे पर अब बस यादे ही थी


सड़क किनारे बैठे हम दोनों वो अपने हाथों से मुझे खिला रही थी कौन था मैं और कौन थी वो ये कैसा बंधन था या संकेत था उस ऊपरवाले का जो इशारा कर रहा था किसी और

खाना खाके बस चले ही थे की हलकी हलकी बूनदे गिरने लगी ये सावन का मौसम भी अजीब होता है जब देखो झड़ी लग जाती है 

मैंने छतरी खोल ली पर उसका मन भीगने का था पानी की बूंदों में उसकी पायल की छम छम मुझ पर जादू सा कर रही थी जी कर रहा था कि उसे अभी बाहों में भर लू

ईस बरसात से भी ना जाने कितनी यादे जुडी हुई थी पर ज़िन्दगी यादो के साहरे तो नहीं चलती इतना तो सीख लिया था मैंने

देर रात हम कमरे पे आये पिस्ता मेरे पास ही सोयी पड़ी थी पर इन आँखों में नींद नहीं थी ,थी तो बस एक बरसो पुराणी बेचैनी 

मैंने पिस्ता को अपनी और खींचा और सोने की कोशिश करने लगा आँख खुली तो देखा आसमान पूरा काला हुआ पड़ा है घनघोर बरसात हो रही थी 

पिस्ता कुर्सी पे बैठी थी मैं हाथ मुह धोके आया फिर बस्ती के एक लड़के को फ़ोन किया कुछ नाश्ता पानी भेजने के लिए हम बाते कर रहे थे की माधुरी का फ़ोन आ गया 

वो मिलने आना चाहती थी पर मैने मना कर दिया उसकी सुरक्षा में कोई चूक नहीं चाहता था बहुत मुश्किल से रोका उसको 

नाश्ता आ ही गया था मैं और पिस्ता नाश्ता करने बैठे थे की कुछ लड़के भागते हुए आये और बोले-पुलिस ,भाई पुलिस आयी है
कुछ लड़के भागते हुए आये और बोले-पुलिस ,भाई पुलिस आयी है 
Reply


Messages In This Thread
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:50 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,990 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,216,389 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 919,911 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,630,671 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,062,362 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,919,637 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,953,233 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,991,710 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,183 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Incest Kahani पापा की दुलारी जवान बेटियाँ sexstories 231 6,301,374 10-14-2023, 03:46 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 21 Guest(s)