Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:52 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
नीनू-अरे मैं इस से मिलवाना तो भूल ही गयी मेरा बेटा आर्यन


शायद एक झटका सा लगा था पर सम्भलना भी जरुरी था पिस्ता ने आर्यन को विश किया फिर मैंने भी विश किया 

मैं-तुमने शादी करली 

नीनू-तभी तो बेटा हुआ 

मैं मुस्कुरा कर रह गया पता नहीं क्यों मेरी नजर आर्यन की आँखों पे अटैक सी गयी ऐसा लगा की कहीं ना कहीं ऐसी आँखे देखि होंगी बड़ा ही प्यारा था वो पर अफ़सोस मेरे पास उसको देने को कुछ नहीं था 

तभी मुझे कुछ ध्यान आया मैंने अपने गले से लॉकेट उतारा और आर्यन को देते हुए बोला- बेटे इसे कभी अपने से अलग मत होने देना ये सदा तुम्हारी रक्षा करेगा 

नीनू-ये तो वोही लॉकेट है ना 

मैं-हां 

खाना खाते हुए मन भटक सा रहा था 

मैं- नीनू तुम्हारे पतिदेव कहा है 

वो-वो हमारे साथ नहीं रहते पर ठीक है 

पता नहीं क्यों वो बेगानी सी लगने लगी थी बड़ी ख़ामोशी से खाना खाया जी कर रहा था कि रो लू पर मर्द ठहरा जब इतना जहर पिया था तो ये भी झेल ही लेना था और वैसे भी ख़ुशी कहा रास आया करती थी हमे

आते समय रास्ते भर एक ख़ामोशी थी पिस्ता ने शायद मेरे मन को समझ लिया था कभी कभी लगता था कि साला मर ही जाए तो चैन पाये 

घर आते ही मैं बिस्तर पर पड़ गया और सोने की कोशिश करने लगा पर नींद कोसो दूर थी पिस्ता मेरी बगल में लेट गयी कुछ देर बाद बोली सो गए क्या 

मैं-नींद ना आरी

वो-देखो कभी ना कभी तो उसे अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ना ही था भला कब तक इंतजार करती वो 

मैं-पर मेरा क्या दोष 

वो-नसीब का तो है पर तुम्हे खुश होना चाहिए उसके लिए 


मैं-खुश हूं 

वो-तो सो जाओ 

पिस्ता मुझसे चिपक गयी और मुझे सुलाने लगी पर साला हमे नींद कहा आये इधर गाज़ी की गांड जल रही थी पर नीनू ने सख्त रवैया अपनाया हुआ था पर मैं जानता था कि ये बस तूफ़ान से पहले का सन्नाटा है 

सुबह कृष्णा जी का फ़ोन आ चुका था कि वो ठीक टाइम पे मिलेंगी वैसे देखा जाये तो नीनू ने सही कहा था ये मेरी भूख ही तो थी बीते सालों में मैने इस पर काबू पा लिया था पर पिस्ता के फिर से आने से मैं बेकाबू होने लगा था 


और कभी कभी बात सही भी लगती थी वो मैं ही तो था जिसकी वजह से सब बर्बाद हो गया था और ये ही वो वजह थी की मैं गाँव नहीं जाना चाहता था 

ये मेरी आग ही थी मेरी हवस ही थी मैं ही बिमला की लेना चाहता था मैंने ही उसको उकसाया था अपने साथ सम्बन्ध बनाने को और फिर एक के बाद एक औरते आती गयी और आज भी देखो कृष्णा जी से मिलने जा रहा था 

सच कहूं तो ये एक लत लग चुकी थी मुंझे बस भागते ही जा रहा था पता नहीं कहा जाके रुकना था खैर मैं दिए एड्रेस पे पंहुचा कृष्णा जी ने मुस्कुरा के मेरा स्वागत किया 

हम दोनों कमरे में पहुचे , कृष्ना की आँखों में एक चमक साफ़ दिख रही थी ऊपर से उसका हुस्न भी तो जोरदार था मैं उसके पीछे जाखड़ा हुआ और उसको अपनी और खींच लिया 

उसका पिछवाड़ा मेरे अगले हिस्से से चिपका हुआ था मैं कपड़ो के ऊपर से ही उसके बदन को सहलाने लगा वो पिघलने लगी सांसे भारी होने लगी उसकी गांड बिलकुल मेरे लण्ड के अगले भाग से चिपकी हुई थी

मैंने अब उसकी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार उसके पांवो में आ गिरी उसने खुद अपनी कुर्ती को उतार दिया कछी और ब्रा में वो मेरी बाहों में झूलने लगी

मैं ब्रा के उपर से ही उसकी छातियों से खेलने लगा कृष्णा सिसकने लगी ब्रा खुल के नीचे गिर चुकी थी छातियों को बड़े प्यार से दबाते हुए मैं कृष्णा के कान को चबाने लगा वो पागल होने लगी थी 

जिस्मो की भूख भड़क रही थी कृष्णा में वो भूख तो थी ही पर एक अलग सी नजाकत भी थी जैसे जैसे मैं उसकी गर्दन के पिछले हिस्से को चूम रहा था कृष्णा का हाथ पीछे मेरे लण्ड पर पहुच गया था 

उसने मेरी पेंट की चेन खोली और उसको बाहर निकाल लिया अपनी मुट्ठी में दबाने लगी जबकि मैं उसकी छातियों को फुला रहा था कुछ देर बाद मैंने उसको पलटा और अपनी और किया उसके ब्राउन लिपस्टिक में लिपटे होंठ मुझे आमंत्रण दे रहे थे

कृष्णा ने अपनी जीभ् होंठो पर फेरी मैंने उसे अपने स जोड़ लिया होंठो से होंठ जुड़ते चले गए लिपस्टिक का स्वाद मेरे मुह में घुलने लगा मेरे हाथ उसकी चौड़ी गांड पर कस्ते चले गए उफ्फ्फ कितनी मांसल गांड थी कृष्णा की

लबो से लब टकराये तो फिर छोड़ने को जी न किया मैं अपनी जीभ् उसके मुह में फिरा रहा था उसकी पैंटी घुटनो तक सरक चुकी थी मेरी उंगलिया उसकी गांड के छेद को टटोल रही थी जबकि मेरा लण्ड उसकी चूत में घुसने को बेताब हो रहा था 


जब तक साँसे काबू से बाहर ना हो गयी चूमा चाटी चलती रही किस्स टूटते ही मैंने उसकी चूची को मुह में भर लिया कृष्णा का बदन तपने लगा था चुत का गीलापन इतना बढ़ गया था कि जांघो का कुछ हिस्सा भी गीला हो गया था

वो मेरे सुपाड़े को चुत के दाने पे रगड़ रही थी उत्तेजना से वशिभूत मैंने अपनी एक ऊँगली चूतड़ो में घुसा दी वो कराही औऔर अपने चूतड़ो को भींच लिया पर मैंने उ गली ना निकाली बस धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा कृष्णा उत्तेजना की लहर पर सवार थी

कृष्ना अब मेरे पांवो के पास बैठ गयी मैंने पेंट उत्तर दी उसने लण्ड को पकड़ा और गप्प से अपने मुह में ले लिया उसकी गीली जीभ और मेरा गर्म लण्ड आग लगने लगे मेरा बदन कांपने सा लगा था 

कृष्णा जी की लंबी जीभ् मेरे लण्ड पे गोल गोल घूम रही थी कुछ देर लण्ड चूसने के बाद अब उसने अंडकोषों को मुह मेंलेलिया और अपना थूक उनपर उड़ेलने लगी


मेरा तन बदन मस्ती में भर चूका था मैंने उसे हटने को कहा वो बेड पर लेट गयी और अपनी टाँगे फैला के लेट गयी
कृष्णा ने अपनी टांगो को फैला लिया और उसकी लपलपाती चूत मेरे लण्ड को बुला रही थी वैसे भी अब देर करना कहा जायज थी मैंने उसकी टांगो को अपनी टांगो पे चढ़ाया और कृष्णा में समाता चला गया लण्ड अंदर और अंदर सरकता जा रहा था मेरी हथेलियां उसकी हथेलियों को जकड़ने लगी थी बदन से बदन टकराने लगा था उसकी साँसे मेरे गालो को जैसे चुम रही थी लण्ड उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था 

मैंने उसको वापिस किनारे तक खींच लिया और फिर से झटके से घुसा दिया ऐसा तीन चार बार किया कृष्णा की चूत झर झर के रस टपका रही थी चिकनी चूत को चोदने का मजा भी अलग ही होता था कृष्णा ने अपनी बाहो में मुझे भर लिया और मैं अब धक्के लगाने लगा जैसे जैसे चुदाई आगे बढ़ने लगी उत्तेजना बेकाबू होने लगी थी 

कृष्णा की दोनों टाँगे हवा में उठी हुई थी मैं उसके पैर के अंगूठे को चूसते हुए चोद रहा था कृष्णा की आहो ने पूरे कमरे को सर पे उठाया हुआ था मेरी पकड़ उसकी जांघो पर मजबूत होती जा रही थी उसका सुडौल बदन झटके पे झटके खा रहा था कृष्णा की नशीली आँखे कभी खुलती कभी बंद होती अब मैंने उसको पलट दिया 

सुडौल चूतड़ मेरी आँखों के सामने थे और चूत से बहता वो रस जिसका नशा ही अलग था ऊपर से उसकी गांड मैंने आज सोच लिया था कि वहाँ भी लण्ड डाल के रहूँगा वो कसमसाने लगी थी तो मैंने फिर से लण्ड को अंदर धकेल दिया और ताबड़तोड़ तरीके से उसको रगड़ने लगा मैं चाहता था कि वो जल्दी से झड़ जाए एक के बाद एक करारे प्रहार उसकी चूत पे होने लगे

उसकी चूचियो को बेरहमी से दबाते हुए मैं उसे मंजिल की और ले जा रहा था 5-7 मिनट तक उसको ऐसे ही तेज तेज चोदा कृष्ना निढाल होम लगी थी उसकी टाँगे थरथरा रही थी और फिर एक तेज आअह भरते हुए वो झड़ने लगी मैं तेज धक्के लगाते हुए उसके मजे को बढाने लगा उसके झडते ही मैंने अपने लण्ड को चूत से बाहर निकाल लिया 


और उसको औंधी लिटा दिया और उसकी गांड पर थूक लगाने लगा 

कृष्ना- क्या कर रहे हो 

मैं- गांड मारने की तैयारी 

वो-आराम से करना फाड़ मत डालना घर भी जाना है 

मैं-हम्म 
मैंने थोड़ा सा थूक अपने लण्ड पर भी लगाया और उसे टिका दिया कृष्णा की गांड पर थोड़ा खींच के जोर लगाया तो मेरा सुपाडा उसके छल्ले में फंस गया और उसको फ़ैलाने लगा उसका बदन टाइट होने लगा और होंठो से दर्द भरी कराह फुट पड़ी इस दर्द के मजे का भी उसको पता था मैंने अपने पैरों को एडजस्ट किया और अब पूरा दवाब उसकी गांड पे डालने लगा 

छेद खुलने लगा और लण्ड अंदर को सरकने लगा कृष्णा के माथे पे पसीना छलकने लगा और मेरा आधा लण्ड अंदर पहुच चूका था वैसे भी जो औरते रेगुलर गांड मरवाती है उनकी बात ही अलग होती है थोड़ा थोड़ा करके मैंने पूरा लण्ड घुस ही दिया 

कुछ देर मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा गांड के छल्ले ने बुरी तरह से लण्ड को कसा हुआ था काफी प्रेसर पड़ रहा था मैंने धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाना शुरू किया कुछ देर तो वो कराहती रही फिर उसकी सिसकिया मस्ती भरी आहो में बदल गयी मुलायम चूतडो से रगड़ खाता मेरा लण्ड जन्नत के मजे ले रहा था 
कृष्ना ऊई ऊई कर रही थी मैं धक्के मारता रहा करीब5 मिनट बाद शरीर में सुरसुराहट होने लगी तो मैंने लण्ड निकाला और उसके मुह में दे दिया वो जोर जोर से अपना मुह चलाने लगी साथ ही गोलियों को भी दबाने लगी मैं तो जैसे बस काम से गया 

मेरा गर्म पानी उसके मुह में गिरने लगा जिसे वो अपने गले से नीचे उतारने लगी एक के बाद एक धार गिरती गयी जब उसने एक एक बूँद को निचोड़ लिया तो उसने उसे मुह से निकाला और फिर पास में ही लेट गयी हम दोनो कुछ देर के लिए लेट गए 

कृष्ना-दर्द कर दिया अब तो चला भी नहीं जायेगा 

मैं-थोड़ी देर में सही हो जायेगा और वैसे भी इतनी मस्त गांड में लण्ड नहीं डाला तो क्या फायदा 

उसने अपना हाथ लण्ड पे रखा और उसे फिर से तैयार करने लगी की तभी घंटी बज उठी फ्लैट की कृष्णा बोली कौन हो सकता है मैं देखती हूं उसने अपने कपडे पहने और की होल से देखा तो उसकी गांड फट गयी बाहर पूजा खड़ी थी 

कृष्ना थर थर कांपने लगी पूजा घण्टी बजाए जा रही थी इधर कृष्ना की फटी पड़ी थी और कोई रास्ता भी नहीं था जिस से वो निकल जाए तो मैंने भी कपडे पहने और दरवाजा खोल दिया वो अंदर आयी अब वो कोई नादान तो थी नहीं 

पूजा-ओह तो यहाँ ये मीटिंग हो रही है 
मैं- पूजा मेरी बात सुनो 

वो- मैं तो बस छोटी भाभी को ही ऐसी समझती थी बड़ी भाभी भी वाह क्या बात है 

कृष्णा-पूजा इस बात को अपने तक ही रखना मेरी लाइफ बर्बाद हो जायेगी अगर किसी को पता चला तो 

पूजा- आप घर जाओ मुझे इस से कुछ बात करनी है 

मैने कृष्ना को इशारा किया तो वो फ्लैट से निकल गयी बचे मैं और पूजा

मैं-देखो पूजा मैं कुछ छुपाने की कोशिश नहीं करूँगा पर मैं चाहता हु की ये बात बस यही रहे 

वो- ठीक है पर मेरी एक शर्त है 

मैं-क्या 
वो- मुझे भी तुम्हारे साथ करना है 
मैं-पागल हुई हो क्या 
वो-हाँ पागल हुई हु मुझे बस करना है तुम्हारे साथ और इस राज़ की इतनी कीमत घाटे का सौदा तो नहीं है ना और थोड़ा मजा मुझे भी दो हमारा भी नमक खाया है तुमने 

मैं सोच में पड गया उसकी बात माननी ही होगी वर्ना वो घर जाके हंगामा करेगी जो कृष्णा की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा करे तो क्या करे दिलवाला

पूजा ने अपनी चाल चल दी थी अब बारी मेरी थी ना करने की हालत मेरी नहीं थी क्योंकि कृष्णा का सवाल था तो सोचा की चूत मिल रही है मार लेता हूं पर इसके नखरे को भी झाड़ना है आज
पूजा अपनी होंठो पर जीभ् फेरते हुए मेरी और देख रही थी उसको मेरे जवाब का इंतज़ार था 
मैं-कैसे चुदना पसंद करोगी तुम 
वो- जैसे तुम चोद सको 
वो मेरी आँखों में देखने लगी मैं आगे बढ़ा और उसको अपनी और खींच लिया बिना कुछ कहे उसको किस्स करने लगा उसके सुतवां होंठ मेरे होंठो से चिपकने लगे मैंने एक हाथ उसकी कमर में डाला पूजा मुझसे चिपक गयी अब मैं फुर्सत से उसके होंठो का रसपान करने लगा 

साथ ही मेरे हाथ उसकी स्कर्ट में घुस चुके थे और कछी के ऊपर से उसके मीडियम साइज के कूल्हों को मसल रहे थे मैंने उसके निचले होनट को अपने दांतों में दबा लिया और फिर चबाने लगा तो वहां से खून निकल आया 

"आह, वो चिल्लाई होंठ जो कट गया था पर ये तो बस शुरुआत थी बड़ी मैडम बनी फिरती थी आज उसकी हेकड़ी निकालनी थी मुझे होंठ से जो एक पतली धार फुट चली थी खून की मैं उसको चूसने लगा पूजा के तन में एक अलग सा नशा चढ़ने लगा 

उधर होंठो का रस निचुड़ रहा था इधर मैं उसके चूतड़ो से खेल रहा था उसके हाथ मुझे जकड़ रहे थे जब तक उसके होंठ सूज ना गए मैं चूसता ही रहा उसकी छातिया ऊपर नीचे हो रही थी मेरे सीने से रगड़ खाते हुए 

अब मैं उस से अलग हुआ और उसके टॉप को उतार दिया ब्रा और स्कर्ट में एक दम टँच लग रही थी मैंने अपने कपडे उतारने शुरू किये पूजा बड़ी बारीकी से मेरे जिस्म का निरीक्षण कर रही थी और फिर उसकी नजरे मेरे लण्ड पर आकर रुक गयी जो की फिर से उत्तेजित हो चूका था 
मैंने पूजा का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया जैसे ही उसने अपनी मुट्ठी उसपे कसी वो फड़फड़ा गया ब्रा के ऊपर से ही मैंने अपने दांत उसकी छाती पे लगा दिए तो वो एकदम से सिसक उठी "आह, आई 


पर मैं कहा मानने वाला था ब्रा को हटा के मैंने उसकी एक चूची को मुह में ले लिया और दूसरी को दाबने लगा पूजा मस्ती से भर गयी और आहे भरने लगी आअह सीई मत काटो ना ओप्फ 

वो मेरे लण्ड को हिलाने लगी थी और मैं उसके बोबो को फुलाने में मस्त था उसकी आँखे लाल हो गयी थी सांस फूली हुई मेरे चूसने से छातियों पे निशान हो गए थे मैं उसे आज हद से ज्यादा तड़पाना चाहता था मैं उसकी निप्पल्स को दांतों से काटने लगा वो दर्द से तड़पने लगी

जब उसके बर्दास्त से बाहर हो गयी तो मैंने वहां से अपना मुह हटा लिया उसने एक नजर अपने बोबो पे डाली और बोली-जुल्मी हो
उसने खुद ही अपनी स्कर्ट और कच्छी उतार दी क्या शानदार नजारा था गोरी गोरी टांगो के बीच एक छोटी सी हलके काले रंग की बिना बालो की चूत मैंने खड़े खड़े ही उसकी टांगो को चौड़ा किया और उसके पांवो के बीच बैठ गया 

उसकी जांघो पर अपने हाथ जमाये और अपनी लंबी जीभ् से उसकी चुत को छूने लगा खुरदरी जीभ् के अहसास से ही पूजा सिहर उठी उसके पैर कांप गए चूतड़ थिरक उठे होंठो से मस्तीभरी आह फुट पड़ी मैंने ऊपर से नीचे तक चुत पर जीभ् को फेरा

और फिर उंगलियों की सहायता से चुत की फांको को खोल दिया अंदर का लालिमा लिए हिस्सा दिखने लगा मैं वहां जीभ फिराने लगा पूजा ने अपने हाथ मेरे कंधो पे टिका दिए और गहरी सांस लेने लगी बदन की आग अब लपटों में जलने लगी थी
पूजा के बदन की बढ़ती कंपकंपी उसे पागल कर रही थी चुत से टपकता रस मेरे होंठो से होकर मुह में जा रहा था अब मैं उसे और तड़पाते हुए तेजी से जीभ् को उसके दाने पे रगड़ने लगा पूजा के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था थिरकती गांड और होंठो से फूटती सिसकारियां उसकी हालत को बयां कर रही थी

उसके हाथ मेरे कंधो से होते हुए मेरे बालो पर पहुच गए थे उसकी उंगलियां मेरे बालो में कंघी कर रही थी बार बार मैं उसकी चुत को दांतों से काटता तो वो मस्ती भरे उस दर्द को महसूस करती पूजा मेरी इन शरारतों को ज्यादा देर नहीं झेल पायी और 5 मिनट के अंदर ही मेरे मुह में झड गयी
पूजा पूरी तरह से पसीने में नाहा गयी थी इस से पहले वो अपनी उखड़ी साँसों को संभाल पाती मैंने उसे उसी बेड पे पटक दिया जहाँ थोड़ी देर पहले कृष्णा चुद रही थी पूजा जस्ट झड़ी थी तो अभी लंड लेने को तैयार नहीं थी पर यही तो सही मौका था 

मैंने सुपाड़े पे थूक लगाया और चूत पे रख दिया इस से पहले वो कुछ कहता मेरा लण्ड चुत को चीरते हुए उसके अंदर घुस गया सूखी पड़ी चुत जलन के मारे सिसक पड़ी और पूजा तड़पने लगी आह थोड़ी देर तो रुको ओह मम्मी मरी रे

पर इन चीखो को ही तो सुनना था मुझे वो मुझे अपने ऊपर से हटाना चाहती थी मैंने उसके हाथों को पकड़ लिया और चोदने लगा उसने मेरे हाथ पे दांत गड़ा दिए तो मैंने एक थपड़ दिया साली के मुह पे और उसके टमाटर से लाल गालो को अपने मुह में भर लिया

मेरे दांतो के निशान उसके गालो पे पड़ने लगे 
पूजा- काटो मत निशान लग जायेंगे प्लीज़
पर उसकी कौन सुनने वाला था इधर उसकी चुत गीली होने लगी थी तो वो शांत पड़ने लगी थी पर मेरी हरकते बढ़ती जा रही थी उसके गाल गरदन सीना हर जगह मेरे होंठो के निशान पड़ गए थे 

हुस्न की आग में जलते दो बदन अब हर हद को पार करने को आतुर हो चले थे मैंने उसको टेढ़ी किया और उसके पीछे आ गया उसके बदन से उठती पसीने की स्मेल मुझे मदहोश कर रही थी एक टांग को ऊपर किया और फिर से लण्ड को पंहुचा दिया अंदर

हम दोनों के जिस्म धाड़ धाड़ करके टकरा रहे थे जितने तेज धक्के मैं लगा रहा था उतना ही जोर से वो चीख़ रही थी उसकी आँखे तकरीबन बंद हो चुकी थी मस्ती के मारे मैंने पलटी खायी और फिर से उसके ऊपर आ गया उसके होंठो को चूसते हुए मैं बस धक्के पे धक्का लगा रहा था 

पूजा का जिस्म मेरी बाहों में पल पल पिघल रहा था पता नहीं कितनी देर से वो चुद रही थी कितनी बार झडी थी पर मेरा पानी छूट नहीं रहा था तो बिना उसकी परवाह किये बस मैं रगड़ रहा था उसको वो छटपटाते हुए कभी मेरे कंधे पे काटती तो कभी मुझे अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करती 

पर आज उसका पाला सही आदमी से पड़ा था वो एक बार फिर से झड़ रही थी और इसी के साथ वो निढाल होकर गिर गयी मैं बस किनारे पे ही था और कुछ देर बाद मैं अपने पानी से उसके खेत को सींचने लगा 

उस लड़की ने मुझे भी तोड़ दिया था जान ही निकाल दी थी कुछ देर पड़े रहने के बाद उसने अपनी आँखे खोली वो उठी और नंगी ही बाथरूम की तरफ जाने लगी प्यास से मेरा गला सुख रहा था मैंने उसे पानी लाने को कहा कुछ देर बाद वो पानी लायी गटागट मैं आधे से ज्यादा बोतल पी गया पानी पीकर मैं उठने को ही था कि मेरे पैर कांप गए आँखों के आगे अँधेरा छा गया कुछ समझ पाता उस से पहले ही बेहोशी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:52 PM

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