Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:52 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
खेल की खिलाडी बेशक वो थी इस समय पर खेल को ख़तम मुझे करना था पूजा मेरे लंड को अपने मुह में गोल गोल घुमा रही थी मेरे बदन में सनसनाहट फ़ैल रही थी मेरे सुपाडे पर उसकी जीभ का जादू चलने लगा था कुछ पलो के लिए मैं उन्माद में खोता चला गया “ओह पूजा हाय आः आह्ह्ह ” उसे पता था की मैं तड़प ने लगा हु तो वो और जोर से लंड चूसने लगी पर येसमय इस चीज़ के लिए नहीं था 

मैं- पूजा जल्दी करो 

पूजा ने अपनी चूत पर थूक लगाया और मेरे लंड पे बैठने लगी अब सिचुएशन चाहे जो भी हो चुदाई तो चुदाई ही होती है एक बार जो उसकी गरम चूत का मजा मिला मैं अपनी सुध बुध खोलने लगा पूजा के मुह से आहे निकल रही थी और जल्दी ही वो जोर जोर से कूदने लगी कुर्सी के पाए चरमराने लगे थे वो हमारे बोझ से कराहने लगी थी पर पूजा सेक्स की खुमारी में डूब चुकी थी वो अपने दोनों हाथ मेरे कंधो पर रखे अपने चूतडो का पूरा जोर लगाते हुए धक्के लगा रही थी कुर्सी के पाए अब जैसे उस फर्श पर कांप रहे थे और वो कमजोर कुर्सी जैसे तैसे करके हमारे बोझ को थामे हुए थी वो ज्यादा देर झेल नहीं पाई और धडाम से हम दोनों निचे फर्श पर गिर पड़े

निचे गिरते ही कुर्सी टूट गयी और मेरे बंधन आज़ाद हो गयी पूजा इस से पहले कुछ समझ पाती मैंने मेरे हाथ से बंधे कुर्सी के हत्थे से उस पर वार किया पूजा लहरा कर गिरी और बेहोश होती चली गयी अब मुझे यहाँ से निकलना था पर मैं नंगा था तो कैसे मैं दुसरे कमरे में आया तो मुझे कपडे मिल गए फिर मैंने बेहोश पूजा को गाड़ी में लादा और वहां से निकल गया मैंने गाडी को पूरी रफ़्तार से दौड़ा दिया मेरे दिमाग में सिर्फ और सिर्फ पिस्ता ही घूम रही थी और उसके लिए मैं कुछ भी कर सकता था 


मैंने पूजा के फ़ोन से नीनू को फ़ोन किया तो वो घबराई सी थी पूछने पर पता चला की आर्यन का किडनैप हो गया है ये खबर किसी शोक से कम नहीं थी अब आर्यन को कोई क्यों किडनैप करेगा मैंने नीनू को समझाया की वो घबराये ना मैं कुछ ही देर में कोतवाली पहुच जाऊंगा फिर देखते है पिस्ता के बाद आर्यन कोई तो बात थी खेल शुरू हो गया था बस इस खेल में ट्रोफियो की जगह जिन्दगिया दांव पे लगी थी तभी मेरे दिमाग के कुछ आया और मैंने माधुरी के फ़ोन पर घंटी लगाई पर ताज्जुब की बात उसने भी फ़ोन नहीं उठाया 


मेरा दिमाग सुन्न होने लगा था सामने वाले ने अपनी चाल चल दी थी मेरे मन में विचारो का मेला लगा था मैं सच से भागता आया था पर आज सच से सामना करना ही था और अब मुझे कमजोर नहीं पड़ना था अपनों की जिंदगी दांव पर जो लगी थी रस्ते में एक जगह मैंने गाडी रोकी कुछ जरुरी फ़ोन किये उधर से कुछ जवाब लिए और अब ये दिलवाला तैयार था मैंने गाडी कोतवाली की तरफ मोड़ दी थोड़ी देर बाद chrrrrrrrrrrrrrrr करके गाड़ी ने ब्रेक मारे और मैं उतरते ही भगा अन्दर की और 


पुलिसवालों के हाथ अपने आप सलूट मारने को उठ रहे थे पर मुझे उनकी कोई परवाह नहीं थी मैंने दो कोरिडोर पार किये और फिर सीधे अन्दर पहुच गया मुझे यु वर्दी में देख कर चौंक गयी उसका ही क्या वहां मोजूद हर पुलिसवाले का यही हाल था एक तो आर्यन की वजह से नीनू बेहद परेशान थी ऊपर से मैंने उसको 440 वाल्ट का झटका दे दिया था , कुछ देर वो भोचक्की सी मुझे देखती रही और फिर मेरे सीने से आ लगी रोने लगी वो. बोली- वो लोग आर्यन को उठा के ले गए 

मैं- फिकर मत करो गाजी का समय पूरा हो गया है , फाॅर्स को आर्डर दो तैयार करो सबको मुझे सब लोग दस मिनट में चाहिए 

नीनु- यस सर, 

नेनू ने मुझे अजीब सी नजरो से देखा और फिर तेजी से बाहर चली गयी आर्यन को किडनैप करना नहीं चाहिये था उसको माना पिस्ता वाला लॉजिक समझ आता था पर आर्यन को क्यों शायद गाजी को मेरे और नीनू के अतीत का पता चल गया हो किसी तरह से पर इक बात और थी की पिस्ता को किडनैप करते ही उन्होंने मुझे बता दिया था फिर आर्यन का जीकर क्यों नहीं किया कुछ तो गड़बड़ थी कोई तो बात थी ही जिसे मेरा पुलिसिया दिमाग समझ नहीं पा रहा था समय बड़ी तेजी से भाग रहा था पर मुझे कुछ सूख नहीं रहा था क्या इस बारे में नेनू से बात करनी चाहिए थी शायद हाँ शायद ना 


जब कुछ नहीं सुझा तो मैंने इस खायाल को अपने जेहन से झटक दिया और बहार आ गया मेरी टीम अपने नए एस पी के लिए तैयार थी अब इस सहर में बदनाम दिलवाला था वो एस पी के रूप में बात कुछ जमने वाली तो थी नहीं और मेरे पास इतनी फुर्सत नहीं थी की बता सकू हाँ पर आज इतना जरुर था की इस सहर से कुछ लोगो का नाम जरुर मिट जाना था जल्दी ही पालिक की कई गाडिया गाजी की हवेली की और दौड़ रही थी नीनू मेरे पास ही बैठी थी थी 

मैं- घबराओ मत, आर्यन को कुछ नहीं होगा 

वो- जानती हु 

उसके माथे से पसीना टपक रहां था ऐसा लग रहा था की अन्दर से बहुत घबराई सी सी थी वो मैं उसके दिल का हाल समझ सकता था था जिसका बेटा मुसीबत में हो उस माँ को कैसे चैन मिल सकता है कुछ देर गाडी में एक चुप्पी छाई रही फिर नीनू बोली- एक बात बोलनी थी 

मैं- हाँ कहो 

वो- वो , वो .............................. 

मैं- वो क्या 

वो- आर्यन को कुछ नहीं होना चाहिये चाहे कुछ भी हो जाये 

मैं- जान देके भी उसकी हिफाज़त करूँगा तुम्हारा बेटा मेरा भी बेटे जैसा ही हुआ ना तुम टेंशन मत लो जिगर मजबूत रखो 

वो- बस उसको कुछ नहीं होना चाहिए 

मैं- कुछ नहीं होगा 

वो- वो अमानत है तुम्हारी ये बोलके वो खामोश हो गयी 

मैं उसके चेहरे को देखने लगा एक टक , क्या कहा तुमने 

वो- जो तुमने सुना , आर्यन मेरा बेटा नहीं है वो अमानत है तुम्हारी जिसे मैं सहेज रही थी 

मैं- मेरा बेटा, पर कैसे 

वो- कभी उसकी आँखे देखि गौर से तुमने मैंने सोचा था उसको देखते ही समझ जाओगे तुम 
अब मेरा कलेजा कामपा , वो आँखे जब पहली बार आर्यन को देखा था तो लगा तो था मुझे जैसे की कोई जान पहचान हो उन आँखों से इस से पहले की मैं कुछ कह पाता
इस से पहले की मैं कुछ कह पाता नीनू मेरे सीने से लग गयी और फूट फूट के रोने लगी ना जाने क्यों मैंने उसको चुप नहीं करवाया पर वर्दी वाली को यु आंसू बहाना भी ठीक नहीं था पर ये हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे अन्दर से मैं टूट रहा था पर फ़र्ज़ की बेडियो ने पाँवो को बाँध रखा था अपने द्वन्द से तो बाद में झुझता पहले गाजी की खबर लेनी थी अपने को संभालना ही था पर आसां नहीं था जिंदगी के एक ऐसे मोड़ पर आ खड़ा हुआ था मैं की दिमाग के जैसे टुकड़े टुकड़े हो गए थे 

तो एक बार फिर मैंने खुद पे फर्ज़ को तवज्जो दी, जिस काम के लिए इस शहर में आया था वक़्त आ गया था उसे मुक्कमल करने का पर शायद मेरे पैर कांप रहे थे ऐसा लग रहा था की जैसे किसी ने मुझे टुकडो में बाँट लिया हो साला जिंदगी में जो मिला वो ऐसा ही मिला कभी दो घडी सुख की साँस ना मिली सच कहू तो जी तो मैं माँ-बाप के राज में ही लिया था अब तो बस टाइमपास ही हो रहा था विचारो का चक्रवात मेरे सीने को ऐसे मथ रहा था जैसे की कभी समुद्मंथान हुआ था 

पता ही नहीं चला की कब शहर को पीछे छोड़ कर हम लोग गाजी की हवेली के पास आ पहुचे थे , गाड़ी से उतरते ही एक पुलिसवाला मुझ पर हावी होने लगा गाजी की हवेली सहर से बाहर की तरफ थी सच कहू तो वो बड़ा ही दिलकश सा नजारा था एक तरफ पहाड़ थे दूसरी तरफ घने जंगल और साथ बहती एक नदी और उनके बीच बड़ी शान से अकदते हुए वो विशाल हवेली पर जल्दी ही मैंने अपना ध्यान काम पे लगाया अब ऐसा तो था नहीं की गाजी को हमारे आने की खबर न हो उसने भी अपनी पूरी तयारी की होगी 

इस से पहले की मैं अपनी टीम के साथ आगे बढ़ पता हवेली की छत से माइक की आवाज आई –“sp,सबकी सलामती चाहता है तो अकेला अन्दर आजा 5 मिनट का समय है अगर तू अकेला अन्दर नहीं आया तो सबसे पहले तेरी प्यारी बहन माधुरी की चीखे सुनेगा तु”

मेरा तो दिमाग ही घूम गया माधुरी को भी इन्होने अगवा कर लिया था , ओह तो तभी उसने मेरा फ़ोन नहीं उठाया था गाजी ने बड़ी तगड़ी चोट मारी थी नीनू भी टेंशन में आ गयी थी पर माधुरी को तो सिक्यूरिटी थी मेरी फिर कैसे ? ये भगवन आज तो फंसा दिया तूने जिन जिन की अहमियत थी मेरे लिए वो सब तो गाजी के कब्ज़े में थे इस से पहले की मैं कुछ सोचता माइक पर माधुरी की चीख गूंजी “”भाई” अआह्ह बचाओ 
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