Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:53 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
सबकी सांसे रुकी हुई थी , निगाहे बस माधुरी की और ही लगी थी मैं आगे आया निचे सारे मगरमच्छ जैसे इंतजार ही कर रहे थे की कब कोई चूक हो और कब उनको नाश्ता मिले जैसे ही माधुरी ने आर्यन को वहां से हटाया मैंने चिल्ला के उसको बताया की बुर्ज की रस्सी को खोल दे मैं जानता था की दो का बोझ माधुरी नहीं उठा पायेगी पर रस्से खुलते ही वो प्रेशर से उस तालाब की हद से दूर हो जाएगी हलाकि मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं था की मेरा आईडिया काम करेगा ही पर ये रिस्क तो लेना ही था क्योंकि माधुरी दोनों का बोझ नहीं संभाल पाती 

और तभी मुझे एक आईडिया आया मैंने सभी से कहा की गाजी के गुंडों की लाशो को इकठ्ठा करो और तालाब के दूसरी और ले चलो दरअसल मैं मगर्मछो का ध्यान उस और करना चाहता था और किस्मत से ऐसा ही हुआ अब भोजन को कैसे छोड़ते वो तो वो लोग एक के बाद एक लाशे अन्दर फेकने लगे हमारी वाला हिस्सा खाली हुआ और जैसे ही रस्सी खुली माधुरी और आर्यन गिरने लगे पर उम्मीद जितना प्रेशर नहीं बना वो लोग पानी में ही गिरे पर इतना काफी था मैं अन्दर घुसा और उनको सही सलामत खीच लाया 

कुछ देर उधर ही पड़ा रहा फिर उन दोनों को बाँहों में भर लिया अब जाके करार आया मेरे मन को सब लोग राजी ख़ुशी थे गाजी का चैप्टर हुआ क्लोज फिर मैंने रिपोर्ट ली हमारे भी कुछ साथी घायल हुए थे पर गनीमत थी की किसी पुलिसवाले की जान नहीं गयी थी घायलों के लिए अम्बुलेंस मंगवा ली गयी थी बची खुची लाशो को इकठा किया गया नीनू कभी आर्यन को गले लगाये कभी मुझे सारी कार्यवाही करते करते रात हो गयी थी उसके बाद मैं हॉस्पिटल गया अपने घायल साथियो का हाल चल पुछा अपनी मरहम पट्टी करवाई घाव गहरा नहीं था तो टाँके लगवाने की नोबत नहीं आई 

पता नहीं कितने बजे थे जब मैं नीनू के बंगले पे आया पर अब भी सब लोग जाग ही रहे थे थका हारा मैं सोफे पर पड़ गया पिस्ता मेरे लिए चाय ले आई आर्यन के बारे में पुछा तो नीनू ने बताया की वो सो रहा है अभी भी सदमे में है सब लोग मेरे आस पास ही बैठ गए थे कुछ सवाल मेरे मन में थे कुछ उन लोगो के कुछ पलो के लिए शांति रही फिर पिस्ता बोली- ये सब क्या चक्कर है कभी दिलवाला कभी पुलिसवाला ये क्या खेल खेल रहे हो तुम हमारे साथ 

मैं- कोई खेल नहीं है , सच यही है की मैं पुलिसवाला हु और गाजी को ख़तम करने के लिए ही इस शहर में पोस्टिंग मिली थी 

नीनू- पर तुम कब आये पुलिस में 

मैं- लम्बी कहानी है , तुम्हे ये तो बता ही दिया था की अवंतिका ने मुझे बचाया था उसने मेरे रहने का भी इंतजाम किया था पर उसके पति को शक हो गया था की वो कुछ तो गड़बड़ कर रही है तो एक दिन दिन मैं गयाब हो गया और आ गया इलाहाबाद सबसे पहले शरीर को ठीक करना था उसके बाद मैंने बड़ी मेहनत की अपने शरीर में जान लाने की पढाई का एक ही साल बचा था तो फिर प्रायवेट से ग्रेजुएशन कर ली याद है 

नीनू, तुम हमेशा कहती थी की पुलिस की नोकरी करोगे तो मैं भी कहता था की मैं भी पुलिस बनूँगा बस मैंने भी कोशिश की और शायद उस ऊपर वाले का भी यही मन था फर्स्ट चांस में ही काम बन गया 
बस इतनी सी ही बात है , अब जीने के लिए कुछ तो करना था तो ये काम ही कर लिया पर अब तुम मुझे बताओ की आर्यन का क्या रोल है 

नीनू- आर्यन तुम्हारा और रति का बेटा है क्या तुमने उसकी आँखों को देखा बिल्क्कुल रति जैसी ही तो है 

मैं-हाँ उसे देखते ही मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था पर रति कहा है और वो आर्यन के साथ क्यों नहीं है 

वो- रति अब इस दुनिया में नहीं है 

मरे ऊपर एक बिजली सी गिरी , रति इस दुनिया में नहीं है क्या हुआ उसको क्या अनहोनी हुई 

नीनू- अब ऐसे मत देखो मर गयी वो और उसकी मौत के ज़िम्मेदार तुम हो तुम्हारी ये हवस है बर्बाद कर दी तुमने उसकी जिंदगी नीनू गुस्से से बोली 

मै चुप रहा सब लोगो का ध्यान बस हमारी बातो पर ही था 

नीनू- काश उसकी जिंदगी में तुम ना आते, जानते हो उसके साथ क्या हुआ तुम्हारे आने के बाद , तुमने उसकी जिंदगी में फूल नहीं बल्कि जलते हुए अंगार पिरो दिए थे जो पल तुम दोनों ने साथ बिताये थे वो ही उसकी खता बन गए थे तुम्हारे आने के बाद रति ने जिंदगी को जीने की सोची थोड़े दिन बाद वो अपने पति के पास चली गयी उस टाइम वो गर्भवती थी उसके पेट में तुम्हारा अंश पल रहा था

उसको उल्टइया लागि थी ख़राब तबियत देख कर उसके पति ने डॉक्टर बुलाया तो पता चला की रति माँ बनने वाली है पर उसके पति ने तो उसको कभी उस नजर से देखा ही नहीं था तो रति कैसे प्रेग्नेंग हो सकती थी उसने उसी समय रति का साथ छोड़ दिया वो बेचारी वापस लौट आई घुटती रही अपने आप में वो चाहती तो बच्चे को गिरा सकती थी पर कही न कही वो भी तुम्हे चाह ने लगी थी तो उसने तुमाहरे अंश क जन्म देने का सोचा 

पर उसकी तबियत बस बिगडती रही मैं अक्सर उस से फ़ोन पर बात करती रहती थी पर उसने कभी मुझे कुछ नहीं बताया और फिर एक दिन उसका फ़ोन आया उसने मुझे तुरंत जोधपुर आने को कहा था वो घबराई सी थी अगले ही रोज मैं निकल पड़ी जोधपुर के लिए और तभ मुझे पता चला की तुमने क्या पाप कर डाला है मैं थोड़े दिन उसके पास ही रही ये प्रायश्चित तो नहीं था पर शायद वो भी मेरी कुछ लगती थी और फिर वो दिन आया मैं उसके साथ हॉस्पिटल में गयी 

रति को बेटा हुआ था पर कुछ ही घंटो बाद रति की तबियत हद से ज्यादा बिगड़ गयी और वो इस दुनिया को छोड़ गयी और मुझे सौंप गयी तुम्हारी इस अमानत को इस वादे के साथ की इसको मैं माँ- बाप का प्यार दूंगी , वो चली गयी थी पर अपने साथ मेरी आत्मा का एक हिस्सा भी ले गयी थी

नीनू-जानते हो कितने मुस्किल पल थे मेरे लिए पर साथ ही मुझे यकीन था की एक दिन तुम जरुर आओगे और फिर मैंने अपने गोदी में कैद इस नन्ही जान को देखा जो तुम्हारी और रति की छाया था तो कैसे न संभालती इसको अपने घर वालो से लड़ कर दुनिया से लड़ कर पला मैंने इसको 

ये क्या हो गया था यार , रति मर गयी थी मैंने बस अपने हाथ जोड़ लिए नीनू के आगे और आर्यन के पास आया उसके माथे पर हाथफेरा दिल को सुकून मिला उसके हाथ को अपने हाथ में लिया तो ऐसा लगा की जैसे रति ने छु लिया हो मुझको बरसो बाद उस जाने पहचाने अहसास को महसूस किया था मैं वो अपना जो थोडा सा हिस्सा मैं जोधपुर में छोड़ आया था आज आर्यन के रूप में वापिस मिल गया था मुझ को आँखों से पानी की बूंदे गिरने लगी थी जिन्हें जानबूझ कर मैंने रोका नहीं शायद इसी बहाने से थोडा जी हल्का हो जाना था कुछ देर उधर ही बैठने के बाद मैं बाहर आ गया 

कुछ देर अकेले रहना ठीक रहता पर नीनू मेरे पास आ गयी हम दोनों लॉन में लगे झूले पर बैठ गए उसने मुझे चाय का कप पकडाया और बोली- तो जैसा की अब सब बाते खुल गयी है क्या सोचा तुमने 

मैं- क्या सोचना है 

वो- जो ये सब बिखरा पड़ा है इसे कैसे समेटना है 

मैं- क्या लगता है ये सिमट जायेगा 

वो- कोशिश तो करनी होगी न 

मैं- तुम सब जानती हो कैसे करू कोशिश ये तुम ही बतादो 

वो- तुम आखिर कब समझोगे 

मैं- पता नहीं 

वो- ये बहाने नहीं बना सकते तुम , तुम्हारे पीछे कितनी जिन्दगिया उलझी पड़ी है सुलझाते क्यों नहीं ये उलझाने 

मैं- देखो मैं बहुत थक गया हु सहारा चाहिए मुझे , अपना परिवार चाहिए बहुत रह लिया अकेला अब अपनों का साथ चाहिये 

वो- मैं भी तो इतनी देर से यही कह रही हु 

मैं- पर इसमें मुश्किल है 

वो- पिस्ता की बात कर रहे हो

मैं- हाँ 

वो- अब तुमने इतना रायता फैलाया है तो साफ करना ही होगा , वो भी हमारे परिवार का ही हिस्सा है तो हमारे साथ ही रहेगी और क्या 

मैं- नीनू मैं झूठ नहीं बोलूँगा मैंने मोहब्बत बस तुमसे की पर वो भी मेरा हिस्सा है उसने अपनी ग्रहस्थी छोड़ दी मेरे लिए

वो- और मेरा क्या कभी सोचा तुमने 

मैं- तुम्हारा गुनेह्गार हु अं जो सजा दो मंजूर है मुझे 

वो- शादी करोगे मुझसे 

मैं- हां

वो- ये अहसान है तुमपे, वैसे देखा जाये तो हम सब की तक़दीर अपसा में ही जुडी है वैसे भी बहुत भाग लिए सब अब ठहर जाते है कम से कम् कुछ पल तो मिले सुकून के 

मैं- हां 

वो- मैं पिस्ता को बुलाती हु 

कुछ देर बाद वो आ गए माधुरी भी उनके साथ ही थी तो मैंने अपने मन की बात उन को बताई तो पिस्ता बोली- मुझे लगता है की तुम नीनू से शादी करो और मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो 

मैं- पागल हुई है क्या देख बात खाली पति-पत्नी के रिश्ते की नहीं है हम सब एक परिवार ही तो है और फिर तुम सब लोगो के सिवा मेरा है ही कौन दुःख तो बहुत झेल लिया अब कुछ लम्हे सुख के भी जी लेते है बोलो क्या कहते हो 

पिस्ता- ठीक है जब तुम ने निर्णय ले ही लिया है तो फिर ये ही सही 

माधुरी- और मेरा क्या 

मैं- तुम अपने घर जाओगी सुबह होते ही 

वो- तो आपने मुझे पराया कर दिया 

मैं- पागल हुई है क्या पर कोई भाई अपनी बहन को पराया कर सकता है क्या पर तुम्हारी मंजिल अपने परिवार में ही है

वो- तो क्या मैं इस परिवार का हिस्सा नहीं 

मैं- ऐसा किसने कहा 

वो- फिर जाने को क्यों कहते हो 

मैं- अब क्या कहू तुझे 

वो- मुझे नहीं पता कुछ भी मैं भी आप लोगो के साथ ही रहूंगी 

मैं- तेरी मर्ज़ी 

तो दोस्तों, वो रात बस ऐसे ही बाते करते करते गुजर गयी एक छोटा सा परिवार फिर स जुड़ गया था मेरा जिसमे सब एक से बढ़कर एक थे मैं एक आवारा , एक हद से ज्यादा बढ़कर साथ देने वाली दोस्त पिस्ता, एक फूल सा बेटा आर्यन, एक अनकही मोहबत नेनू और एक प्यारी सी बहन माधुरी जीने के लिए और क्या चाहिए था पर अभी कुछ सवाल और रह गए थी जिनके जवाबो की तलाश थी दिल पर एक बोझ पड़ा था उसको भी हटाना था 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:53 PM

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