Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:53 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
अगला पूरा दिन कुछ कार्यवाहियों में बीता था नीनू पूजा को रिमांड पे लेना चाहती थी पर मैंने मना किया और उसको इस मामले से आउट करने को कहा हालाँकि नेनू का पूरा मूड था पूजा की बैंड बजाने का पर जाने दिया उसके बाद कुछ अधिकारियो से मिला कुछ मीटिंग सी थी फिर मीडिया वाले भी थे तो शाम तक हाल बुरा हो गया था रात को खाने की टेबल पर सब बैठे थे तो मैंने कहा की गाँव जाने का विचार है अबमुझे लगता है की टाइम आ गया है घर जाने का 

नीनू- ऐसे ही प्लान बना लिया कम से कम बता तो देते ताकि हम लोग भी अपनी तैयारिया कर लेते 

मैं- तुम्हारी वहा पोस्टिंग का जुगाड़ करवा दिया है थोडा टाइम लगेगा पर काम हो जायेगा 

वो- हम्म 

मैं- पर तब तक तुम्हे यही रहना होगा और आर्यन भी तुम्हारे साथ रहेगा उसकी सेफ्टी बहुत जरुरी है और माधुरी तुम अपने एग्जाम तक नीनू केसाथ ही रहोगी आर्यन का ख्याल रखना तुम्हारे पेपर होने में ज्यादा समय नहीं है तब तक नीनू की पोस्टिंग भी हो जायगी फिर तुम गाँव आ जाना फ़िलहाल मैं और पिस्ता जा रहे है 

पिस्ता- देखो नेनू की बात सही है हमे अपनी पूरी तयारी से जाना चाहिए क्योंकि अब वहा क्या हालात है इसका हमे बस अंदाजा है एक समय था जब वहा पर अपना था सब कुछ पर अब वहां कुछ नहीं 

मैं- अपना जो रह गया था वो ही लेने तो जा रहे है 

नीनू- क्या तुमने तबादला करवा लिया है वहां 

मैं- नहीं छुट्टी ली है 

वो- तो कब जाने का सोचा है 

मैं- जब तुम परमिशन दोगी 

नीनू की हंसी छुट गयी पर मै जानता था की अन्दर ही अन्दर वो थोडा घबरा गयी है पर यही तो जिन्दगी थी कुछ पुराने हिसाब थे जो चुकाने का वक़्त हो चला था तो ये तय हुआ की दो दिन बाद मैं और पिस्ता गाँव के लिए निकल जायेगे मैं अपने कमरे में गया तो देखा की नीनू पहले से ही वहा थी 

मैं- सोयी नहीं अभी तक 

वो-नींद नहीं आ रही 

मैं- कोई ना, बैठो इधर ही 

वो- जब मैं तुमसे दूर थी तो तुमने मुझे याद किया 

मैं- क्या तुम्हे कभी हिचकिया नहीं आई 

वो मुस्कुरा कर रह गयी , 

मैं- नीनू वो हालात ही कुछ ऐसे थे तुम ही बताओ क्या करता मैं , जानती हो रोज जीता था रोज मरता था पर दिल में एक आस थी की कभी न कभी किसी ना किसी मोड़ पर तुम जरुर मिलोगी, तुम कहती हो की कभी याद आई एक मिनट रुको 

मैंने अपना पुराना संदूक खोला और उसमे से वो खातो का ढेर निकाला जो बस नीनू के लिए लिखे थे वो बात और थी की पोस्ट करने के लिए पता नहीं था 

मैं- पढो इनको जान जाओगी 

नीनू की आँखों से आंसू निकल आये और वो बिना कुछ बोले मेरे सीने से लग गयी मैंने भर लिया उसको अपनी बाँहों में
दो दिन बाद हम निकल पड़े उस रस्ते पर जो मेरे घर जाता था ये घर भी पता नहीं क्या चीज़ होता है पूरी दुनिया घूम आओ पर सुकून घर आके ही प्राप्त होता है सफ़र लम्बा था कुछ बातो से काट लिया कुछ सो कर गुजार लिया जब गाँव की देहलीज पर पहुंचे तो अँधेरा हो चूका था कुछ घरो में बल्ब जल रहे थे मैंने गाँव की मिटटी को चूमा एक जानी पहचानी महक मेरी सांसो में घुलती चली गयी टेढ़ी मेढ़ी गलियों को पार करते हम आगे बढ़ रहे थे समय के साथ गाँव भी बदल गया था 

कुछ कच्चे मकान हुआ करते थे उनकी जगह अब कोठिया खड़ी थी , जैसे जैसे कदम आगे बढ़ रहे थे यहाँ बिताया हर पल याद आ रहा था इन गलियों में कितनी होली-दिवाली की यादे थी एक उमर ही तो जी थी मैंने यहाँ , दिल थोडा सा नरम सा हो गया था रस्ते में मंजू का घर आया किवाड़ बंद थे एक नजर के बाद मैं आगे बढ़ गया बस अब थोडा सा आगे चलके एक मोड़ ही तो मुड़ना था और फिर मेरा घर आ जाना था मैं तेजी से चलने लगा सच कहू तो दोड़ने ही लगा था 

पिस्ता थोड़ी पीछे रह गयी थी और फिर मेरा घर मेरी आँखों के सामने था उस अँधेरे में वो किस खंडहर जैसा लग रहा था और लगे भी क्यों न वक़्त ने जैसे उसे भुला सा ही दिया था अब तो जाने का रास्ता भी नहीं बचा था चारो तरफ झाड-झंखाड़ खड़ा था घास थी ऊँची ऊँची और होती भी क्यों न बरसो से किसी ने इसकी सुध भी नहीं ली थी एक ज़माने में ये भी आबाद था हसी गूंजा करती थी मेरे घरवालो की यहाँ पर 

पिस्ता- एक काम करते है मेरे घर चलते है सुबह आते है 

मैं- वो घर भी तो बंद पड़ा है तो इधर ही देखते है 

वो भी समझ रही थी मेरे जजबातों को जैसे तैसे करके हमने थोडा सा रास्ता बनाया और पहुच गए मुख्य दरवाजे तक दरवाजा जगह जगह से जंग खा गया था एक ताला लटका हुआ था मेरी नजर उस चबूतरे पर पड़ी जहा बैठ के मैं कपडे धोया करता था पिस्ता कही से एक बड़ा सा पत्थर उठा लायी थी हमने ताला तोडा और अन्दर आ गए सीलन सी भरी थी हर जगह पर हालात खस्ता थी पुरे घर की पिस्ता ने मोमबत्तिया जला ली थी बिजली थी नहीं किसी के न रहने से मीटर हटा लिया होगा बिजली वालो ने अन्दर हर कमरे पर ताला लगा था मैंने एक कमरे का ताला तोडा 

ये मेरे मम्मी पापा का कमरा था अन्दर के सामान को इस तरह से पैक किया गया था की उसको कोई नुकसान नहीं पहुचे पर फिर भी धुल मिटटी तो थी ही 

मैं- पिस्ता ये माँ पिताजी का कमरा है पिस्ता ने उधर रौशनी की दीवारों पर उनकी तस्वीरे लगी थी मैंने उन पर लगी धुल को साफ़ किया ऐसा लगा की जैसे अभी बोल पड़ेंगी और मुझसे सवाल करेंगी की कहा चला गया था कितना इंतजार करवाया पर सच तो था की घर तो था पर घरवाले नहीं थे जी तो रोने को हो रहा था पर आंसुओ की भी कीमत होती है तो अपने अन्दर ही समेत लिया 

पिस्ता- खाना खाओगे 

मैं- हां भूख तो है 

पिस्ता ने बैग से खाने के पैकेट निकाले और हम खाना खाने लगे बरसो बाद अपनी छत के निचे आया था ये शब्दों में बताने की बात ही नहीं है बस दी ही समझता है कुछ बाते बस दिल की ही होती है खाने के बाद नहाने की इच्छा थी पर रात बहुत हुई थी और अब नलके का भी पता नहीं था चलता है या नहीं ऊपर से सफ़र की थकन भी थी तो पिस्ता ने झाड पोंछ कर सोने का जुगाड़ किया और उसकी बाँहों में ही मैं नींद के आगोश में चला गया 

सुबह आँख खुली तो पिस्ता साथ नहीं थी उबासी लेते हुए मैं बाहर आया तो देखा की वो सफाई करने में लगी हुई थी रस्ते से झाड़ियो को हटा रही थी 

मैं- रहने दे मैं मजदुर बुला के करवा दूंगा वैसे भी घर की मरम्मत भी तो करवानी है 

वो-हां पर थोडा आने जाने का रास्ता भी तो ठीक हो जाये 

मैंने उसको मनाया और कहा की आजा नहा धोके आते है 

वो- चल मेरे घर का ताला तो लेंगे 

मैं- ना री, तेरे भाई को पता चलेगा तो हार्ट अटैक ही आ जायेगा 

वो- क्या कुछ भी 

मैं- यार गाँव है अपना किसी के भी घर नहा धो लेंगे 

वो- तो मेरा घर क्या पराया है 

मैं- तेरा मेरा किसने बता पगली चल बैग ले आ 

और और हम लोग गली से मुड़े ही थे की मुझे राहुल मिल गया वो देखे मेरी और 

मैं- ऐसे क्या देख रहा है मैं ही हु 

वो भागकर मुझसे लिपट गया रोने लगा पागल 

मैं- रोता क्यों है मैं आ गया हु 

वो- घर चलो भाई 

अब उनसे पारिवारिक सम्बन्ध थे तो मना कैसे करता और पहुच गए उनके घर उन लोगो को तो जैसे विश्वाश ही नहीं हुआ की इतने सालो बाद मैं यु अचानक वापिस आ गया हु पर सच तो यही था की मैं घर आ गया था पिस्ता नहाने चली गयी थी काकी ने तब तक खाने की तयारी कर दी थी रतिया काका के बारे में पुछा तो पता चला की वो किसी काम से बहार गये है रात तक ही वापिसी होगी बातो बातो में पता चला की राहुल की शादी हो गयी है , मंजू भी ससुराल चली गयी चलो सब बढ़ गए थे जिंदगी में आगे 
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