Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:53 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
चारो तरफ खूब हरियाली फैली हुई थी गीता ने खूब अच्छे से जमीं को संभाला था कुछ जमीं पर पशुओ के चारे के लिए चरी बोई हुई थी और बाकी जमीं पर गन्ने बोये हुए थे ताई ने कुवे पर बना कमरा खोला और हम अन्दर आ गए , अन्दर आते ही मैंने ताई को पकड़ लिया और ताई के मदहोश कर देने वाले जिस्म से खेलने लगा 


ताई- छोड़ो ना कोई आ जायेगा 


मैं- किसकी हिम्मत 


वो- मुझे पता था आज मेरी बजाने वाले हो 


मैं- ओह मेरी ताई तू है ही इतनी मस्त जवान लडकिय भी तेरे आगे पानी भरे तेरे में जो रस है वो कही नहीं अब मुझे और मत रोक बस करने दे तेरे इस जिस्म को देखने दे मैंने ताई के ब्लौस को खोलना चाहां तो ताई बोली- यहाँ नहीं 


मैं- तो कहा 


वो- ये चारपाई उठा ओ और मेरे साथ आओ 


मैंने खाट उठाई उअर ताई के पीछे पीछे चल पड़ा ताई गन्नो के बीच बनी पगडंडी पर चलते हुए मुझे जल्दी ही ऐसी जगह ले आई की मैं सोच भी नहीं सकता था खेतो के बीच ये 7*7 की खाली जगह थी मैंने वो खाट वहा पर बिछा दी ये ऐसी जगह थी की बस अगर कोई ऊपर से ही दिखे तो कोई देख पाए वर्ना खड़ी फसल हो तो कोई सोच भी न सके की ऐसा है 


ताई- तेरे ताऊ ने बनायीं थी 



मैं- अच्छा, तो ताऊ इधर ही चोदता था तुझे 

व्- शर्म करलो 


मैं- शर्म कैसी मेरी जान क्या नहीं चुदेगी तू अभी 


वो- हां चुदुंगी तभी तो तुझे यहाँ लायी हु 


मैं- तो देर किस बात की मैं तो मारा जा रहा हु तेरी चूत देखने को 


वो- तो दूर क्यों खड़ा है आजा कर दे मुझे नंगी आज बरसो बाद तेरी बाहों में आने का सुख मिलेगा मुझे 


मैंने ताई को अपने आगोश में लिया और ताई को चूमने लगा माथे पर गोरे गालो पर और रसीले होंठो पर ताई के चेहरे पर जगह जगह मेरा थूक लगा हुआ था ताई ने भी अपने होंठ मेरे लिए खोल दिए थे हमारी जीभ आपस में टकरा रही थी मैंने ताई के ब्लाउज को खोल दिया अन्दर ब्रा थी नहीं तो 37” की मस्त चूचिया मेरे सामने खुली पड़ी थी , जैसे ही मैंने उनको दबाया ताई सिसक पड़ी कुछ देर बाद मैंने इक चूची को मुह में ले लिया और चूसने लगा ताई मस्ताने लगी 


ताई ने मेंरे पजामे को निचे कर दिया और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेके भीचने लगी खेने लगी उस से मैंने ताई की घाघरे के नाड़े को खोल इया और वो निचे आ गिरा तभी ताई आगे को घूम गयी ताई की ४४” इंच की गांड मेरे लंड से रगड़ खाने लगी मैंने दोनों हाथो से बोबो को मसलते हुए ताई की गर्दन पर चूमने लगा ताई ने मेरे लंड को अपनी जांघो के बीच दबा लिया जहाँ चूत की गर्मी पाके वो और भी फूलने लगा 


ताई- ओह देव तू कहा चला गया था मुझे तू तड़पती छोड़ गया 


मैं- चिंता मत कर मेरी रानी, अब जी भरके तुझे चोदुंगा तेरी चूत की सारी तड़प मिटा दूंगा 


मैंने ताई के कंधे में अपने दांत गदा दिए तो ताई दर्द से आह भरने लगी वो जानती थी की ये मजे का दर्द है ताई की चूत से टपकता रस लंड को भिगोने लगा था मैंने ताई की नंगी पीठ को चूमना शुरू किया गीता की हलकी हलकी आहे हवा में घुलने लगी थी मांसल पीठ पर मैंने जगह जगह काटा लाल हो गयी गोरी पीठ मैंने ताई को निचे को झुकाया तो उन्होंने खाट पर अपने हाथ रख लिए और अपनी ठोस गांड को मेरी तरफ उभर लिया ताई की इस मस्त गांड पर ही तो मैं हमेशा से फ़िदा था 


“ओह! गीता रानी कितनी मस्त गांड है तेरी क्या चुतड है जी कर रहा है खा जाऊ इनको ”


ताई- तो किसने रोका है खा जा 


मैंने ताई के चूतडो पर बटके मारने शुरू किये वो चुतड हिलाने लगी अब मैंने चूतडो की फंको को फैलाया तो ताई की गांड का भूरा छेद और रस से भरी चूत दिकने लगी मैंने अपने होंठो पर जीभ फेरी और और ताई की गांड और चूत दोनों पर अपनी जीभ फेरने लगा ताई का जिस्म मस्ती के मारे लहराने लगा गीता की चूत आज भी बिलकुल ताज़ी थी भीनी भीनी सी उठती सुंगंध और वो नमकीन स्वाद वो बार बार अपनी गांड को हिला रही थी 


“ओह देव, थोडा प्यार से मेरे राजा , आउच ओह आह तो जान ही निकलेगी मेरी आराम से ” ताई की मादक सिसिकरिया मुझे भी अब मदहोश करने लगी थी मेरे दोनों होठ चूत के पानी से सन चुके थे अब मैंने ताई की गांड के भूरे छेद पर जीभ फेरनी शुरू की तो वो जैसे पागल ही हो गयी थी ताई की नशीली गांड उफ्फ्फ्फ़ काश मेरा बस चलता तो हर समय अपना लंड उसकी चूत में घुसाए ही रखता ताई का पूरा बदन उत्तेजना से कांप रहा था अब उनको लंड की सख्त जरुरत थी और मुझे चूत की मैंने ताई को खाट पर लिटाया ताई ने मुस्कुराते हुए अपनी जांघो को हल्का सा फैला लिया ऍम की शेप में मैं भी चढ़ गया खाट पे उअर अपने सुपाडे को ताई की चूत से सटा दिया 


जैसे ही चूत ने लंड को महसूस किया वो रस बहाने लगी मैंने ताई की जांघो को पकड़ा और लंड को अन्दर की तरफ ठेल दिया ताई की चूत की फांके चोडी होने लगी और मेरा लंड अन्दर की तरफ जाने लगा 


गीता- देव, आराम स घुसाओ, कई दिन में करवा रही हु थोडा सा आराम स 
मैं- ताई तुझे देख के आराम हराम हो गया है 


मैंने एक धक्का और लगाया और आधा लंड ताई की चूत में फस गया ताई ने अपनी टांगो को और ऊपर किया और अगले धक्के के साथ मैं ताई के ऊपर चढ़ गया गीता चूत मारने के लिए सच में में पहली पसंद थी उसकी चूत मारने में एक अलग सा ही मजा आया करता था जिसे मैं ही समझता था धीरे धीरे धक्कम पेल शुरू हो गयी ताई ने अपनी बाहों में भर लिया मुझे और अपने होंठो को मेरे होंठो से जोड़ दिया मेरी पीठ पर अपने नाख़ून रगड़ते हुए ताई चुदाई के सुख को अनुभव कर रही थी
ताई का निचला होंठ मेरे दांतों में दबा होने से थोडा सा कट गया था पर ताई को कहा परवाही थी वो तो इस समय अगर कोई जवान लड़की ताई को यु चुदते देख ले तो शर्म से पानी पानी हो जाये ताई की चूत का चालला लंड पर कसा हुआ था जैसे जैसे मस्ती बढती जा रही थी ताई का उन्माद भी बढ़ रहा था थोड़ी देर बाद पोजीशन चेंज हो गयी ताई अब मेरे ऊपर चढ़ गयी थी ताई थोडा झुकी और अपना एक बोबा मेरे मुह में दे दिया ताई की इन्ही अदाओ पर तो मैं मरता था 


मेरे दोनों हाथ ताई के सुडौल कुलहो पर थे और मस्ती में चूर ताई गपागप मेरे लंड पर कूद रही थी अब ताई ने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रखे और सहलाते हुए चुदने लगी पल पल ताई के धक्के तेज होते जा रहे थे और फिर कुछ पल बाद ताई मेरे ऊपर धडाम से गिर गयी चूत से निकले रस ने लंड को पूरी तरह नेहला दिया था , ताई स्खलित हो गयी थी पर आज मैं भी पुरे मूड में था तो मैंने ताई को अपने निचे लिया और अच् अच् ताई को चोदने लगा


ताई- छोड़ ना थोड़ी देर तो रुक 

मैं- बस होने ही वाला है 


वो- दो मिनट 


मैं- बस बस 


वो- मूत आ रहा है 


मैं- इधर ही मूत दे 


वो-छोड़ मुझे 


मैं- ना 


ताई का चेहरा एकदम लाल हो गया था उनका बदन टाइट हो गया था और इस बार जैसे ही मैंने अपने लंड को बाहर की तरफ खीचा ताई की चूत से पेशाब की मोटी धार निकल कर गिरने लगी सुर्र्र की आवाज आने लगी ताई का मूत निकल गया था , मूतने के बाद ताई बोली- हट नहीं सकता था क्या सारी खाट को गीला कर दिया 


मैं- कोई ना मेरी जान धो लेंगे पर अभी मेरी आग को बुझाओ 

ताई मुस्कुराई और खाट पर घोड़ी बन गयी और फिर से हमारी खेचातान शुरू हो गयी ताई की रसीली चूत में मेरा लंड घमासान मचा रहा था ताई की सिस्कारिया वातावरण को गरमा रही थी मेरे हाथ उनकी कमर से होकर उनके खरबूजों पर पहुच गए थे और मैं बेदर्दी से उनको दबाते हुए ताई की चूत मार रहा था ताई की चूत की चिकनाई फिर से बढ़ गयी थी और वो फिर से अपने उसी मादक अंदाज में आ चुकी थी मेरे अंडकोष बार बार ताई की मांसल जांघो से टकरा रहे थे 



“ओह! ताई कितनी मस्त है तू आज तू ऐसी है तो जवानी के दिनों में तेरा क्या हाल होगा , काश ये वक़्त यही पर थम जाये काश मेरा जोर चलता तो उम्र भर तुझे चोदता रहता ”


“तुझे पता नहीं क्यों मैं इतनी पसंद हु इतना प्यार तो तेरे ताऊ ने भी नहीं किया कभी ”


“तेरी कदर वो क्या जाने मेरी प्यारी, तू तो गज़ब है तू तो अमृत का वो प्याला है की अगर नहीं चखा तो क्या फायदा फिर जीने का ”


ताई अपनी तारीफ सुन कर खुस हो गयी और बार बार अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए चुदने लगी ताई ने तो आज जैसे मेरी बरसो की प्यास को बुझाने का काम कर दिया था ऐसे लग रहा था की जैसे सदियों बाद सूखी जमीन पर बारिश की कुछ बूंदे पड़ी हो आधे घंटे के घामासन के बाद ताई का किला एक बार फिर से ढह गया पर इस बार उसने मेरी दिवार को भी गिरा दिया था मेरा वीर्य ताई की चूत के रस से मिलने लगा जब कुछ शांति आई तो मैं ताई से अलग हुआ सांसे धोंकनी की तरह चल रही थी 



कुछ देर हम दोनों एक दुसरे की बाँहों में लिपटे पड़े रहे फिर गीता उठी और खेत के किनारे पर जाके मुझे आने को कहा हम नंगे ही एक तरफ बढ़ गए कुछ दूर पर पानी की एक छोटी सी होदी थी गीता उसमे उतर गयी मैं भी उसके पीछे हो लिया पानी में घुसते ही कंपकंपी चढ़ गयी पानी बेहद ठंडा था मैंने ताई को अपने से लिपटा लिया तो उसके जिस्म की गर्मी से चैन आया मैं एक बार फिर से उसके होंठो को पीने लगा ताई ने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और उसको सहलाने लगी ताई की गर्मी पाते ही वो फिर से अपना सर उठाने लगा 



होंठो के बाद गोरे गालो का नुम्बर था ताई ने अपने आप को मुझे सौंप दिया था उनके जिस्म के हर कतरे पर बस मेरा ही हक़ था सिर्फ मेरा थोड़ी देर की चूमा चाटी के बाद मैं होदी के किनारे पर बैठ गया और ताई झुक कर मेरे लंड को चूसने लगी उनकी लाल जीभ का रगडा जब मेरे लंड पर पड़ता तो पूरा बदन झनझना जाया करता था , गीता में सच में ही एक नशा सा था ताई की लम्बी जीभ मेरे पुरे लंड का अवलोकन कर रही थी मस्ती के मारे मेरी आँखे बंद होने लगी थी 



करीब पांच मिनट बाद उसने लंड को मुह से बाहर निकला और अब मेरी गोलियों पर टूट पड़ी मुझ पर तो जैसे अफीम का नशा हो गया था दोनों गोलिया ताई के थूक से सन चुकी थी और ताई उन्हें बेतहाशा चूम रही थी चूस रही थी थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना मुह वहा से हटा लिया मैंने पानी में ही ताई को अपने घुटनों पे झुकाया और ताई की गांड के छेद पर ढेर सारा थूक लगा दिया ताई ने अप्पने चूतडो को सिकोडा तो मैंने एक थाप लगायी तो उसने तुरंत ही कुलहो को ढीला छोड़ दिया 



मैंने अच्छे से खूब थूक ताई की गांड पे लगाया और अपने लंड को छेद पर रगड़ने लगा ताई जैसे पिघलने लगी थी मैंने ताई के जिस्म को मजबूती से थामा और पूरी ताकत लगते हुए अपने औजार को अन्दर घुसाने लगा ताई की चीख निकल गयी बदन थरा गया पर एक बार जो छेद खुला तो फिर खुलता ही चला गया ताई को दर्द हो रहा था पर वो जानती थी की ये थोड़ी देर का दर्द है मैंने धक्के मारने शुरू किये वो मेरी बाहों में लरज़ने लगी 



और जल्दी ही दर्द भरी आहे भरते हुए मेरा साथ देने लगी करीब पंद्रह मिनट तक ताई के चुतड मारने के बाद मैंने अपना पानी वही छोड़ दिया और थकान से चूर हम दोनों पानी में गिर गए उस दिन शाम तक बस मैं ताई के जिस्म का ही मजा लता रहा ताई ने अपने हुस्न को खोल दिया था मेरे लिए ताई का पुर्जा पुर्जा हिला दिया जब हल्का हल्का अँधेरा होने लगा तो हम लोग वापिस हुए

ताई को उसके घर छोड़ा और मैं अपने घर आ गया मजदूरो ने काफी काम कर दिया था जहाँ कल तक झाड झंखाड़ था अब वहा खुली जगह थी मैं घर के अंदर गया तो रौशनी थी मतलब बिजली लग गयी थी जैसे ही मैं बैठक में गया मैं मुस्कुरा पड़ा सामने दिवार पर मम्मी- पापा की तस्वीरे लगी हुई थी एक दम साफ़ कोई धुल मिटटी नहीं 


“मैंने सोचा यहाँ लगा दू तुम्हे अच्छा लगेगा ” बोली पिस्ता 


मैंने उसका माथा चूम लिया 


वो- कहा थे पूरा दिन 


मैं- बस ऐसे ही घूम रहा था 


वो- अकेले रहना ठीक नहीं है 


मैं- बस ऐसे ही गया था 


वो- तुम्हारा ऐसे ही पूरा दिन है 


मैं- अब जाने भी दे बहुत भूख लगी है 


वो-खाना लगाती हु 


मैं- क्या बनाया है 


वो- खुद ही देख लो 


मैंने देखा आलू के परांठे बने थे उसने जानती थी की मुझे सबसे ज्यादा ये ही पसंद है मेरे होंठो पर मुस्कान आ गयी 


वो- क्या हुआ 


मैं- तूने जानके बनाये न ये 


वो- हां ,सोचा इसी बहाने तुम खुश हो जाओगे 


मैं- जब तू साथ है तो खुश ही हु 


वो-पता है जब तू नहीं था बहुत याद आती थी तेरी, जी करता था की उड़ के तेरे पास पहुच जाऊ और तू निर्मोही क्या तुझे कभी याद ना आई 


मैं- तुझे क्या लगता है 


वो- तो फिर इतने साल दूर क्यों रहा 


मैं- कहा ढूंढता तुझे , और फिर तू खुश तो थी अपनी जिंदगी में और मेरा हाल तो तुझे पता ही है 


वो- हां, तभी तो अब तेरे साथ आई अब चाहे जान निकल जाये पर तेरा साथ ना छोडूंगी 


मैं-दिन में और कुछ हुआ था क्या 


वो-ना एक दो लोग आये थे तुझसे मिलने बस 


मैं- राहुल आया था 


वो- ना शाम को तो ना आया 


मैं- काम हो गया होगा कुछ 


वो- कल मैं सहर जाने का सोच रही हु, 


मैं- हो आना 


वो- तू भी चल 


मैं- ठीक है , घर की मरामत हो जाये फिर थोड़ी पेंटिग करवा लेना अब रहने लगे है तो अच्छा दिखना चाहिए 


वो- हो जायेगा वैसे मेरे मन में एक बात है कहे तो पूछ लू 


मैं- पूछ 


वो- तूने ये नहीं बताया की वो गाड़ी में कौन था 


मैं- जाने दे, क्या करेगी पूछ के 


वो- अब तू मुझसे भी छुपाने लगा है ,देख हम लोग गाँव तो आ गए है पर यहाँ किसी पर भी आँख मूँद कर भरोसा मत करना समझ रहा है न मैं क्या कह रही हु जब भी अपनो ने धोखा दिया था अब भी अपने ही है 


मैं- तुझे क्या लगता है वैसे बिमला को खबर होने के बाद भी मिलने नहीं आई 


वो-वो है ही नहीं गाँव में


मैं- कहा गयी 


वो- बड़े बड़े लोग में उठती बैठती है आजकल सुना है देहरादून गयी है 


मै- भाद में जाये अपने को क्या 


वो- अब मैं क्या कह सकती हु , खाना ठंडा हो रहा है जल्दी से खालो, मैं दूध लाती हु 
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