Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:54 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
पिस्ता- देव तुमने मुझमे ऐसा क्या देखा था 

मैं- अब इन बातो का क्या मतलब जो देखा था तुम्हे भी पता है मुझे भी क्या इतना काफी नहीं है तुम हो तो मैं हु मैं हु तो तुम हो 

वो- बाते बड़ी अच्छी करते हो 

मैं- देखो वक़्त कितना बदल गया है जब चोरी चोरी मिलते थे आज देखो हक़ से तुम्हारा हाथ थामे खड़ा हु पर वो भी क्या दिन थे याद है एक बार लकड़ी काटने के बहाने से हम जंगल में मिले थे सच कहू तुम्हारा वो दिलेर अंदाज ही मेरे मन को भा गया था आज जो जी रहे है वो क्या ख़ाक जिंदगी है 

वो- अब जैसे भी है जीना तो पड़े ही गा 

मैं-वो तो है 

पिस्ता- देव, तुमने बहुत कुछ सहा है, मैं बस इतना चाहती हु की अब तुम आराम से जिओ, 

मैं- तुम साथ हो तो आराम ही है 

वो- हां, पर ये जो अनजाना दुश्मन है ना जाने कब क्या वार कर दे , बिमला के आते ही तुम बात करो उस से 

मैं- कोशिश करूँगा 

वो- देव, हम पहले ही सब कुछ खो चुके है जल्दी ही आर्यन भी यहाँ होगा हम हमेशा तो उसको यहाँ से दूर नहीं रख पाएंगे और फिर जब तुमने अब सोच ही लिया है की गाँव में रहोगे तो सुरक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा है 

मैं- पिस्ता, देखो मैं बहुत थक गया हु , ऐसा नहीं है की मैंने इन सब बातो के बारे में विचार नहीं किया है पर मैं सच में थका हु , थक गया हु इ जिंदगी से थोडा आराम करना चाहता हु थोड़ी देर तुम्हारे आँचल तले सोना चाहता हु 

मैंने पिस्ता की गोदी में अपना सर रखा और आँखों को मूँद लिया वो धीरे धीरे मेरे बालो में हाथ फेरती रही क्या मैंने झूठ कहा था आजतक अगर मुझे कही सुकून मिला था तो बस पिस्ता के पास ही , उसमे ही मुझे रब दीखता था वो ना जाने किस मिटटी की बनी थी मेरी खातिर उसने खुद को दांव पर लगा रखा था , कुछ देर मैं लेता रहा , ठंडी हवा चल रही थी तो मूड रोमांटिक सा होने लगा था पर पिस्ता ने ये कह कर टाल दिया की उसका महिना आ गया है 

तो क्या किया जा सकता था , एक बार फिर से हमारी बाते चालू हो गयी और मैंने पिस्ता कोक आखिर बता ही दिया कीमेरे और मामी के बीच क्या बात हुई थी और मामी ने चाचा से शादी भी कर ली थी , सारी बात सुनकर पिस्ता ने अपना माथा पीट लिया और बोली- तभी क्यों नहीं बताया मुझे, देखो साफ़ है वो दोनों साथ है तो कुछ तो बात होगी ही मैं दो मारती उसकी गांड पे तो सब बता देती वो 


मैं- पर तुमने इस बात पे ध्यान नहीं दिया की चाचा ने बिमला को छोड़ दिया 

वो- मैं भी यही कहने वाली थी 

मतलब-अजीब नहीं लगता जिस बिमला के लिए वो पुरे परिवार से ख़राब हो गए उस बिमला को छोड़ दिया 

मैं- या फिर शायद बिला ने उनको 

वो- हो भी सकता है , वैसे हमे बिमला को धर लेना चाहिए उसकी वजह से ही ये सब शुरू हुआ था वो ही बताएगी 

मैं- उसकी वजह से नहीं बल्कि मेरी वजह से सब शुरू हुआ था ये मत भूलो की उसको बहकाने वाला मैं ही था 

वो- कब तक इस बात का मलाल करते रहोगे, वो क्या नासमझ थी उसे क्या पता नहीं था की इस रस्ते पर अंजाम क्या होगा और क्या तुमने चाचा से चुदने को कहा था उसको , उसको भी सब पता था की वो किस आग से खेल रही है, अब मुझे ही देखो क्या मैंने आजतक जो भी किया वो अनजाने में हुआ नहीं ना, मुझे हर पल पता था तो ये बात को समझो जरा 


मैं- तो फिर ठीक है बिमला के आते ही मिलूँगा उस से 

वो- घर चलते है, सांझ घिर आई है 

पैदल ही घूमते हुए हम लोग घर की तरफ बढ़ रहे थे रस्ते में देखा की ताई के मकान पे ताला लगा है शायद गयी होगी कही पे रस्ते में कुछ और लोगो से दुआ-सलाम हुई और हम लोग घर आ गए मजदूर लोग भी जाने की तयारी कर ही रहे थे अन्दर जाकर हाथ-पाँव धोये पिस्ता कुछ काम करने लगी मैं कुछ पुराने कमरों में देखने लगा बस ऐसे ही देख रहा था शायद कुछ ऐसा मिल जाये कोई पुरानी याद या फिर ऐसा चारो तरफ बस पुराना सामान ही बिखरा हुआ था और तभी मुझे एक डायरी मिली हालात थोड़ी खस्ता थी पर क्या लिखा था पढ़ा जा सकता था 


लिखाई को मैं देखते ही पहचान गया था वो पिताजी की लिखाई थी, शायद किसी तरह का हिसाब था पैसो के लेनदेन का रकम तो लिखी हुई थी पर लेनदारो या देनदारो के नाम की जगह शायद कुछ अजीब सा लिखा हुआ था मैंने कुछ और पन्नो को पलटा एक बात तो साफ़ थी की रकम बहुत बड़ी थी मैं वो डायरी लेकर वापिस आया और पिस्ता को दिखाया उसने कई देर तक सब देखा फिर बोली- “देव, तुमने इस बात पे गौर नहीं किया की रकम बहुत बड़ी है इतना पैसा आया कहा से होगा ”


मैं- शायद पार्टनरशिप रही हो किसी तरह की 


वो- पर किस से , चलो मान भी लिया जाए की पार्टनरशिप थी तो भी ये रकम बहुत बड़ी होती है माना की तुम्हारा परिवार अमीर था घर में नोकरिया भी थी और जमीं जायदाद भी खूब थी , ज़मीन इतना पैसा दे सकती है अगर उसको बेचा जाये पर मुझे नहीं लगता की तुम्हारी कोई जमीन बेचीं गयी हो 


मैं- और जो भी नकद पैसा था वो बैंक में जमा है पाई पाई का हिसाब है पिस्ता मुझे लगता है इस रकम का कुछ तो झोल है 

वो- हो सकता है , अगर ये नाम स्पस्ट होते तो अभी काम बन जाना था 

मैं- एक मिनट, एक अंदाजा है की रकम कहा से आई होगी 

वो- बताओ 

मैं- देखो, हमेशा से ही गाँव की सरपंची हमारे पास रही है मुझे तो याद ही नहीं आता की कबसे और गाँव के विकास का पैसा सरकार की तरफ से खूब आता था अब उस ज़माने में किसकी हिम्मत थी की सरपंच से हिसाब मांगे , कम से कम गाँव वालो की तो नहीं तो क्या पता ये बरसो से गबन की गयी रकम हो 


पिस्ता- देव, मुझे ये बात थोड़ी कम जंचती है क्योंकि तुम्हारे परिवार ने गाँव वालो के लिए बहुत कुछ किया है और मत भूलो की अगर तुमने चाल नहीं चली होती तो बिमला को गाँव ने जीता ही दिया था 


मैं- मानता हु पर कई बार चीज़े ऐसी भी नहीं होती जैसी की दिखती है चलो मान लिया की मेरा अंदाजा गलत है पर अब कुछ तो लेनदेन है तभी लिखा गया है
पिस्ता –मैं कहा इस बात को नकार रही हु लेनदेन तो है और जब इतनी बड़ी रकम है तो क्या पता वो सब साजिश इसके लिए ही हुए हो 


पिस्ता की इस बात में दम था पर अगर इस बात को मान लू तो अब तक जो भी हुआ था जो भी समझा था जाना था उस से बात एक अलग दिशा में घूम जाती थी जहाँ मैं आजतक इसे पारिवारिक दुश्मनी मान रहा था अब बात दूसरी हो जाती थी कुछ भी हो खेलने वाले ने खेल बहुत ही तगड़ा खेला था पर कौन हो सकता था इन सब के पीछे सवाल लाख टके का था 


पिस्ता- अगर किसी गाँव वाले का इस से ताल्लुक है तो हम कल ही जांच-पड़ताल करेंगे की बीते समय में किस किस ने अस्चार्य्जनक रूप से तरक्की की है 


मैं- हां, 


पिस्ता- ये काम मैं करुँगी , वैसे देखो हमेशा से ही गाँव में दो ही परिवार ऐसे थे जिनका रसूख था तुम्हारा और अवंतिका का तो तुम्हारे आलावा मैं किसी तीसरे से शुरू करुँगी 


मैं- सही है बिलकुल 

वो-तो सबसे पहले किसको पकडू 

मैं- तू जाने 

वो- कल गाँव में कुछ जानकारी इकठ्ठा करती हु तभी कुछ बात बनेगी पर कल तुम एक काम करो पटवारी से मिलके तुम्हारी पूरी जमीं के रकबे की जानकारी लो इस से हमे वास्तव में पता चलेगा की जमीन है कितनी हो सकता है की कोई ऐसी जमीन हो जिसका हम लोगो को पता ही ना हो मतलब कोई और जमीन खरीदी गयी हो 

मैं- हां, कल सुबह ही पटवारी से मिलता हु 

वो- हा, मैं एक काम और करवाना चाहती हु 

मैं- बताओ 

वो- देखो ये घर सड़क से काफी अन्दर को है तो मैं चाहती हु की सडक से लेके घर के चारो तरफ ऊंची चारदीवारी करवा लू कुछ ही दिनों में बाकि लोग भी आ जायेंगे तो सुरक्षा चाहिए होगी खासकर आर्यन की क्योंकि हमारे दुश्मनों को जैसे ही पता चलेगा की आर्यन वारिस है वो कुछ न कुछ तो जरुर करेंगे 

मैं- हां ये बात मैंने भी सोची थी तुम कल से ही चारदीवारी का काम शुरू करो मजदूर बढ़ा दो पर ये काम उनलोगों के आने से पहले ही होना चाहिये 

पिस्ता- कल से ही सुरु करवाती हु हां, एक बात और कल कुछ पैसे ले आना जरुरत है 


मैं- ठीक है 


तो अगले दिन मैं पटवारी से मिला और मेरे परिवार की हर जमीं के आंकड़े मांगे साथ ही गाँव के उन सभी लोगो की जानकारी भी मांगी जिन्होंने पिछले कुछ सालो में जमीने खरीदी थी अब ये काम थोडा लम्बा था तो पटवारी ने दो दिन की मोहलत मांगी उसके बाद मैं बैंक गया कुछ पैसे निकाले उसके बाद एक गाड़ी खरीदनी थी अब कब तक पैदल ही घूमना होता तो उसकी कार्यवाई होते होते शाम ही हो चली थी बस घर ही जाना था तो सोचा थोड़ी मिठाई खरीद लू खरीदारी के बाद मैं टेम्पो स्टैंड आया और इंतजार करने लगा 



कुछ मिनट बाद एक कार आई और मेरे पास रुक गयी शीशा उतरा तो मैंने देखा ये तो अवंतिका थी वो गाडी से उतरी 


वो- देव, तुम देव ही हो ना 


मैं- हां अवंतिका 


वो खुश हो गयी बोली- तुम, इतने समय बाद कब आये 


मैं- कुछ दिन हुए 


वो-चलो मेरे साथ 


मैं गाड़ी में बैठ गया रस्ते भर बाते होती रही उसने बताया की वो किसी काम से बाहर गयी हुई थी 


वो- ये तुमने बहुत सही किया जो वापिस आ गए अपना घर तो अपना ही होता है अब आराम से रहो मेरे लायक जो भी सेवा हो वो बताना 


मैं- तुमसे मुलाकात हो गयी बहुत है 


वो- तुम अचानक से गायब हो गए कम से कम मुझे तो बता सकते थे 


मैं- छोड़ो पुरानी बातो को ये बताओ क्या चल रहा है 


वो- बस टाइमपास हो रहा है पतिदेव की तबियत कुछ ठीक रहती नहीं तो घर की जिम्मेवारी मुझ पर ही है देवर अपना हिस्सा लेकर अलग हो गया तो घर और कारोबार मुझे ही देखना पड़ता है 


मैं- दिखाया नहीं किसी अच्छे डॉक्टर को 


वो- इलाज चल रहा है 


मैं- हो जायेगा ठीक 


वो- कल आती हु मिलने 


मैं- आ जाना 
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