Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:54 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैंने मामी के कान को अपने दांतों से चबाया मामी किसी सूखे पत्ते की तरह कांपने लगी मेरा तना हुआ लंड उनकी चूत वाले हिस्से पर अपना दवाब डालने लगा मामी की पकड़ मेरी पीठ पर कस गयी मामी के गोरे गाल टमाटर की तरह ललाल हो गए थे अगले ही पल मैंने मामी को गर्दन से पकड़ के पीछे की तारा किया और मामी के सुर्ख होंठो को अपने मुह में दबा लिया, डार्क चोकलेट फ्लेवर लिपस्टिक की खुशबू मेरे मुह में कैद हो गयी मामी के होंठो को बेदर्दी से चूसना शुरू किया मैंने कुछ डर बाद मैंने उनके निचले होंठ पर अपने दांत लगा दिए तो मामी सिसक उठी उत्तेजना से भर गयी वो 



इधर मैं उनके होंठो का रसपान कर रहा था इधर मामी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड को मसलने लगी थी मामी मुझे तब भी बेहद पसंद थी और आज भी उनको देख कर मेरा मन डोल गया था सच ही तो कहती थी नीनू ये मेरी भूख ही थी जिसने आज मुझे इस मोड़ पर ला खड़ा किया था खैर, होंठो के बाद मैं गालो पर आ चूका था मामी की कामुकता भड़क रही थी धीरे धीरे मैं मामी को कार तक लाया और उनको कार के बोनट पर बिठा दिया मामी के पैरो को खोला और उनकी कच्छी को उतार दिया मेरे हाथो ने मामी की चिकनी जांघो को मसला उनके पैर अपने आप फैलते गए 


मैंने अपने चेहरे को उनकी टांगो के बीच झुकाया चूत से उठती एक भीनी भीनी खुशबु मेरे फेफड़ो में समाती चली गयी मैंने उनके झांटो पर जीभ फेरी मामी का पूरा बदन हिल गया और अगले ही पल मैंने मामी की फूली हुई चूत को अपने मुह में भर लिया किसी गोलगप्पे की तरह मामी अब अपनी आहो को होंठो में कैद नहीं रख पायी मामी की चुतड थरथराने लगे मैंने चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया मामी की आहे चारो तरफ गूंजने लगी 


“ओह अआह देव, आह आउच ”


मामी की चूत बहुत गीली हो गयी थी मेरे दोनों होंठो पर चूत का पानी लगा हुआ था मैं जैसे उस चूत में खो गया था दीं दुनिया से बेखबर होकर मैं मामी की चूत में घुसा हुआ था मामी मेरी तेजी को ज्यादा नहीं सह पाई और पांच मिनट में ही ढेर हो गए चूत से टपकते नमकीन पानी को मैंने अपने गले में उतार लिया मामी ढीली हो गयी थी गहरी साँसे ले रही थी पर मैं बस चूत को चाटे जा रहा था मामी की हालात अब हुई ख़राब 


“देव, हट जाओ सुसु आ रहा है ”


“तो कर दो ”


“हटो ना ”


मामी ने मुझे जबरदस्ती वहा से हटाया और मेरे हटते ही चूत से मूत कीधार बह चली surrrrrrrrrrrrrrr की तेज आवाज मेरे कानो में गूंजने लगी मामी को मूत के चैन मिला 


“बहुत ही शरारती हो तुम ”


मैंने अपनी पेंट और कच्छा उतार कर कार पर ही रख दिया तना हुआ लंड हवा में झूलने लगा मैंने मामी को नंगा करना शुरू किया पर वो झिझक रही थी 


“”देव, खुले में कपडे मत उतारो कोई आ जायेगा “


“अपनी जमीन है, और वैसे भी इतने दिनों से यहाँ कोई नहीं आया तो अब कोई क्या आएगा वैसे भी चारो तरफ घना अँधेरा है ”
कुछ ही देर में हम दोनों पुरे नंगे खड़े थे मैंने मामी के हाथ गाड़ी के बोनट पर रखे और उनको झुकाया मामी के ऐसा होते ही उनकी गजब गांड मेरी तरफ हो गए मैं उनके पीछे आया और अपने लंड को सुडौल कूल्हों पर रगड़ने लगा

मामी ने अपने कुलहो को हिलाया मैंने उनकी कमर में हाथ डाला और लंड को आगे को सरकाया वो मामी की चूत को फैलाते हुए अन्दर घुसने लगा मामी ने आह भरी और अगले धक्के से साथ आधा लंड अन्दर पहुँच गया मैंने कमर को दबाया और मामी की चुदाई शुरू की जल्दी ही वो भी अपनी गांड हिला हिला के चुदाई का मजा ले रही थी चूत ने मेरे लंड को अपने अन्दर समा लिया था मस्ती में हम दोनों चूर, मेरे हाथ अब उनकी चूचियो तक पहुच गए थे चूचिया जो समय अनुसार थोड़ी सी ढीली हो गयी थी पर फिर भी मजा आ रहा था उनको दबाने में


मैं उनके स्तनों को कठोरता से दबा रहा था तो वो भी वाइल्ड होने लगी थी बार बार खड़ी होके पीछे को हो रही थी अब मैंने मामी को अपने सामने खड़ी किया मामी ने अपने एक पैर को मेरी कमर पर लपेट लिया मैंने उनको अपने से सटा लिया और उनके होंठो को चूमते हुए चोदने लगा मस्ती हम दोनों के सर चढ़ के बोल रही थी मैं धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था हम दोनों के बदन में कंपकंपाहट होने लगी थी जो की संकेत था की बस काम होने ही वाला है 


और फिर करीब पाच सात मिनट बाद हम दोनों करीब करीब साथ ही झड़ गए मैंने अपना पानी चूत के अन्दर ही गिरा दिया कुछ पल अपनी साँसों को सँभालने के बाद हम दोनों कार की पिछली सीट पर आके लेट गए मामी मेरे सीने को अपने हाथो से सहलाने लगी


मैं- आज मेरे साथ ही रुको 


वो-ठीक है तुम्हारे चाचा को बता देती हु 


मामी ने चाचा को फोन करके बताया की वो मेरे साथ आई है किसी काम से और सुबह तक ही आ पायेगी उसके बाद वो मेरी गोद में लेट गयी मैंने उनकी चूचियो से खेलने लगा मामी का जिस्म मुझे गर्मी देने लगा और फिर कुछ देर बाद वो मेरा लंड चूस रही थी मामी की जीभ मेरे लंड के चारो और घूम रही थी कभी कभी वो लंड को अपने गले तक अंदर ले लेती ऊऊ करते हुए वो मेरे लंड को पुरे जोश में चूस रही थी कुछ समय बाद थूक से सने हुए लंड को बाहर निकाला


और फिर मेरे अन्डकोशो को चाटने लगी उनपर थूकती फिर उस थूक को चाटती मामी के प्रयास फलसवरूप मैं जल्दी ही फिर से उत्तेजित हो गया था मैं सीट पर लेट गया और मामी को ऊपर चढ़ने को बोला , मामी मेरे ऊपर आ गयी और मेरे लंड को पकड कर अपनी चूत पर हौले हौले से रगड़ने लगी फिर वो धीरे धीरे उसपे बैठ गयी और अपनी गांड हिलाने लगी वो पूरी तरह से मुझ पर झुक गयी थी छातिया मेरे मुह पर झूल रही थी मैंने उनकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया और वो लंड पर धक्के लगाने लगी 


मैंने अपनी आँखों को बंद कर लिया और खुद को मामी को सौंप दिया कभी मामी मेरे गालो को चूमती कभी होंठो को कुछ देर कूदने के बाद वो रुक जाती फिर मैं निचे से धक्के लगाता मामी के मुह से जोश जोश में अजीब आवाजे निकल रही थी अब उन्होंने मेरे मुह में अपनी चूची दे दी जिसे मैं पिने लगा तो वो और उत्तेजित होने लगी पर इंसान जितना उत्तेजित होता है उतनी ही जल्दी वो झाड़ता है मामी का भी हाल कुछ ऐसा ही था जल्दी ही वो झड के मेरे ऊपर पड़ी थी उनकी हालात आधी बेहोशी जैसी हो गयी थी कुछ देर मामी मेरे ऊपर पड़ी रही 


फिर मैंने उनको सीट पर औंधी लिटाया और चूतडो केछेद पर थूक लगा कर उसको चिकना करने लगा काफी सारा थूक लगाने ले बाद मैंने अपने लंड को मामी की गांड पर टिकाया और अनदर डालने लगा मामी को दर्द हो रहा था पर वो भी जानती थी की थोड़ी देर की बात है जैसे जैसे लंड अन्दर जा रहा था उनका जिस्म अकड रहा था धीरे धीरे मैंने लंड को आगे पीछे करना चालू किया वो दर्द भरी सिसकिय ले रही थी मैं मामी के कंधे को चूमते हुए उनकी गांड मारने लगा 


जल्दी ही उनके चुतड मेरे लंड से ताल मिलाने लगे तो मुझे बहुत मजा आने लगा मेरे बदन का तार टार हिल रहा था पर गांड मारने में पूरा मजा आ रहा था और थोड़ी देर में मैं भी ढेर हो गया मैंने अपने लंड को निकाला तो छेद से से मेरा वीर्य भी बाहर निकलने लगा मामी उठी और बाहर निकल गयी सायद मूतने गयी थी मैं सीट पर ही लेट गया थोड़ी देर बाद वो भी मेरे पास ही लेट गयी खुमारी में कब नींद आ गयी तो पता नहीं चला थकान ऐसी थी की फिर सीधा सुबह ही आँख खुली मैंने घडी में टाइम देखा 8 बज रहे थे 


गाड़ी के दोनों दरवाजे खुले पड़े थे और हम नंगे पड़े थे मैंने मामी को जगाया तो उसने सबसे पहले अपने कपडे पहने और मैंने भी हाथ मुह धोये तो फिर मैंने मामी को कहा की शाम को मैं उनके घर आ रहा हु उसके बाद हम लोग अपने अपने घर चले गए , जाते ही मैंने थोडा बहुत खाया पिया पिस्ता ने सवाल जवाब किये जिनको मैंने टाल दिया मैं नहाने के लिए चल पड़ा तो बाथरूम अन्दर से बंद था मैं वापिस आया और पुछा 


पिस्ता- माधुरी नहा रही होगी 


मैं- कब आये ये लोग नीनू कहा है 


वो- कल शाम को ही आ गए थे ,नीनू ठाणे गइ है दोपहर तक आने को कह गयी है 

मैं- तो बताना चाहिए था न 


वो- फ़ोन नहीं किया था क्या मैने पर तुमने सुनी ही नहीं मेरी वैसे रात को तुम थे कहा पर 


मैं- वो जाने दे, ये बता रिकॉर्ड लायी 


वो- हां, मुझे कुछ भी संदेहास्पद नहीं लगा कुछ खर्च ऊपर निचे है पर इतना चलता है ऐसा कुछ नहीं है की कोई मोटी रकम का ही झोल हो 


मैं- ठीक है 

वो- तुम कचेहरी गए 


मैं- ना, अब तो कल ही जाऊंगा आज शाम को एक काम और करना है 

वो-क्या 

मैं- बता दूंगा पर तुम ये बताओ की घर का काम पूरा कब होगा 


पिस्ता- टाइम लगेगा अभी बस एक साइड की ही दिवार पूरी हुई है उसके आलावा घर के ऊपर वाले हिस्से की मरम्मत भी बाकि है ऊपर का काम होगा तब तक निचे पेंट करवा लेते है तुम पसंद के कलर बताओ 


मैं- यार, तुम सब को जो पसंद हो करवा लो हां मजदुर बढाओ मैं चाहता हु की काम जल्द ख़तम हो 


वो- हो जायेगा आओ तुम्हे कुछ दिखाती हु 


वो मुझे बैठक में ले गयी सामने दिवार पर रति की एक बड़ी सी तस्वीर लगी थी पिस्ता ने बड़ी बनवा ली थी 


वो- पसंद आई 


मैं- कब किया 


वो- सफाई में तुम्हारा पुराना सामान मिला उसमे थी मैंने सोचा हो ना हो ये रति की ही होंगी तो उनमे से एक को बड़ा बनवा लिया 


मैं- ये अच्छा किया तुमने
अचानक से मेरे दिमाग में पुरानी बाते ताज़ा होने लगी ये सच था की रति किसी ठन्डे झोंकी की तरह मेरी जिंदगी में आई थी माना की हमारा कोई रिश्ता नहीं था उस अजनबी ने मुझे अपने घर में जगह दी थी पता नहीं कब किस पल हम दोनों एक दुसरे के इतने करीब आ गए थे दस दिन, वो दस दिन मेरी पूरी जिंदगी मिला के भी इतना सकूँ नहीं है जितना उन दस दिनों में मिला था , कौन थी वो मेरी एक दोस्त, एक प्रेमिका मेरे बच्चे के माँ, रति खुद तो चली गयी थी पर मुझे अपनी निशानी दे गयी थी वो दूर कही से आज भी हमे देख रही थी 


वो आज भी मेरे अन्दर कही जिंदा थी जी थोडा ख़राब सा होने लगा था पर आंसुओ को थाम लिया था अब साला रोये तो कितना रोये जिंदगी ही रोने में गुजर गयी थी जब देखो जिंदगी गांड पे लात देती थी कुछ देर रति की तस्वीर को निहारने के बाद मैं घर से बाहर आ गया चल रहे काम को देखने लगा थोड़ी देर बाद मुझे मंजू आती दिखी तब मुझे ध्यान आया की राहुल कह रहा था की मंजू को लेने जा रहा है आते ही मंजू मुझसे लिपट गयी कुछ गिले शिकवे हुए 


बाते हुयी , पता चला कुछ दिन रहेगी वो इधर अब मंजू और पिस्ता का तो बरसो से 36 का आंकड़ा था दोनों को एक दूसरी फूटी आँख नहीं सुहाती थी तो मैंने दोनों को समझाया की अब हम सब जिंदगी में आगे बढ़ गए है अब क्या बचपना कुछ देर बाद नीनू भी आ गयी दोपहर हो चुकी थी माधुरी ने लंच के लिए कहा तो मैंने कहा आज सब साथ ही खायेंगे, ऐसा लग रहा था की जैसे पुराना जमाना फिर से लौट आया है आज बरसो बाद दिल खोल कर हंस रहा था मैं


माधुरी समझ नहीं पा रही थी की हो क्या रहा है तो मैंने उसको बताया की कभी हमारी ऐसी चोरी-छिपे वाली दोस्ती होती थी नीनू भी हैरान थी पर शायद उसने समझौता कर लिया था की वो मेरी आवारगी पे ध्यान नहीं देगी शाम को मंजू वापिस चली गयी पिस्ता मजदूरो का हिसाब कर रही थी मैंने नीनू को आने को कहा 


वो- क्या हुआ 


मैं- आओ थोडा घुमने चलते है 


वो- चलो 


हम दोनों घर के पीछे उस तरफ आ गए जहा पहले हम लकडिया वगैरा रखते थे 


मैं- उदास सी लगती हो 


वो- कुछ नहीं 


मैं- तुम कबसे छिपाने लगी 


वो- कुछ नहीं आज परिवार को देखा तो घर की याद आ गयी 


मैं- तो हो आओ तुम्हारा गाँव कौन सा दूर है 


वो- नहीं जा सकती घर छोड़ दिया मैंने तुम्हारा साथ क्या किया मैं भी फ़क़ीर हो गयी 


मैं- क्या हुआ 


वो- तुम्हारी अमानत का ख्याल रखना था उस बात को लेकर मेरे घरवालो और मेरा थोडा पंगा हो गया था वो समझने को तैयार ही नहीं थे मेरी बात तो फिर हार कर मैंने उनसे नाता तोड़ लिया 


मैं- नीनू, तुमने मेरे लिए बहुत कुछ किया है मेरे लिए पर अब तो तुम्हारे पास घर जाने की वजह है कल हम तुम्हारे घर चलते है 
अब नीनू क्या कहती, उसने बहुत सक्रिफ़ाइज किया था मेरे लिए तो मुझे उसके घरवालो से बात तो करनी ही थी उनको मानना था जो भी अपने रूठे थे उनको मानना था मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में लिया 


मैं- देखो, नीनू हम सब वक़्त के मारे है पर हम सब साथ है हर मुश्किल को पार कर लेंगे , मैं जानता हु तुमने और मैंने कई सपने देखे थे पर वक़्त ने ऐसा खेल खेला की हमारा हर सपना बिखर गया मैं जानता हु की मैंने बहुत गलति की है पर मैं जानता हु की इस दुनिया में अगर मेरे दिल को किसी ने पढ़ा है तो बस तुमने तुमसे कुछ नहीं छुपा है और ना मैंने छुपाया है सब तुम्हारा है और बीते वक्त में हम सब अलग अलग हालात से गुजरे है हमे एक दुसरे के सहारे की जरुरत है 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:54 PM

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