Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 03:03 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
अगले घंटे भर तक हम खोदते रहे पर कुछ नहीं मिला दो घंटे हुए पर खाली हाथ सब तरफ से करीब तीन तीन फीट खुदाई हो चुकी थी पिस्ता ने तो अपनी कुदाल फेक ही दी थी 



वो- देव, तुम्हारे फ़ालतू के ख्याल ने मेहनत जाया करवा दी है 



मैं- पिस्ता हार मत मानो हम 6 फीट तक देखेंगे मेरे हिसाब से इतने में काम बन जाना चाहिए वर्ना बाकि अपना नसीब पर मेरा दिल कहता है हम उस चीज़ के बेहद करीब है जिसके बारे में लोगो ने बस सुना ही होता है 



तो एक बार फिर जोश के साथ हम जुट गए पर जैसे जैसे खुदाई होते जा रही थी उम्मीद कम हो रही थी और फिर नीनू की गैंती किसी धातु से टकराई जैसे उलझी हो उसमे औ जी ही नीनू ने गैंती को बाहर खीचा उसके साथ लिपटा हुआ आया कुछ ये एक हार था मिटटी में सना हुआ पर बात बन गयी थी सभी के चेहरे दमक उठे थे अब हम सारे उस जगह को लगे खोदने और फिर दो बड़े से संदूक जिनमे वो सारा माल भरा था जो रह गया था मतलब संदूक में ना समा पाया था उसे साथ ही दफना दिया गया था 




अथक मेहनत के बाद सारे माल को धरातल तक खीचा हमने वाह री किस्मत तेरे अजब खेल कितना पास होकर भी वो खजाना सबके इतना नजदीक था त्रिदेव, आखिर क्यों कोई इस बात को पहल्ले नहीं समझ पाया था 



पिस्ता- देव, खजाना , तुम्हारा हिस्सा 



मैं- कह सकती हो पर ये मेरा हिस्सा नहीं है शायद हुआ यु होगा की शायद पिताजी ने वहा से यहाँ इसको हिफाजत के लिए छपाया होगा की बाद में ले लेंगे पर वो बाद कभी आ ही नहीं पाया 



नीनू- पर जब उन्होंने वहा से यहाँ तक लाया तो घर भी तो ल जा सकते थे 



मैं- शायद उस समय हालात ऐसे नहीं था चुनाव थे घर में कलेश था ऊपर से रतिया काका का एक्सीडेंट यहाँ सिर्फ इसलिए रखा गया होगा की उस उवे का पता किसी को चल भी गया हो तो और कोई चुरा ना सके


पिस्ता- एक वजह और हो सकती है देव 



मैं- क्या 



वो- लालच की क्यों बंटवारा किया जाये देखो देव बुरा मत मानना पर ऐसा भी तो हो सकता है की लालच हो की रतिया तो बचे ना बचे तो सारा माल अपना अब उसके बारे में बस दो लोग तो जानते थे की है कहा और ये भी तो हो सकता है की हिस्सेदार को रस्ते से हटाने के लिए अब इन्सान की फितरत कब बदल जाए और यहाँ तो मामला खजाने का है अभी भी इन संदूको में और बाहर का मिला कर 50-60 किलो तो है ही 



मैं- देखो पिस्ता मैं तुम्हरी बात को समर्थन देता पर जिनको खजाना मिला वो दोनों ही लोग इस दुनिया में नहीं है और मैं इस बात की पुष्टि करता हु की दोनों की मौत का कारण लालच तो हो सकता है पर खजाना हरगिज़ नहीं है 



पर तुम्हारी इस बात ने मेरे मन में कुछ ऐसी बात ला दी है जो शायद मुझे नहीं करनी चाहिए पर तर्क जरुरी है देखो दो लंगोटिया यार जिनमे भाइयो जैसा प्यार , एक महा ठरकी, तो ऐसा होनाही सकता की दुसरे को उसके बारे में पता ना हो माना की मेरे पिता थे उनमे से एक और ऐसी बात करना उचित भी नहीं पर देखो हम दोस्तों के कई गुण-अवगुण अनजाने में ही ले लेते है तो ऐसा भी हो सकता है की पिताजी पता नही मैं आगे की बात क्यों नहीं कह पाया 



“पिताजी भी रतिया काका के हर पाप में भागीदार रहे हो ”नीनू ने मेरी बात पूरी की 



नहीं पिताजी की जो छवि मेरे मन म थी वो तद्कने लगी थी अगर ऐया हुआ तो पर इनकार भी तो नहीं किया जा सकता था सम्भावना से जिंदगी ये कैसे मोड़ पर ले आई थी मेरे मन में नीनू की वो बात आने लगी की सारा कुनबा ही ठरकी है

नीनू- देखो जब तक हमे कोई ठोस सबूत नहीं मिल जाता आकलन करने से क्या फायदा अब सवाल ये है की गाड़ी दूर है इतने वजन को कौन ढोयेगा और सबसे महत्वपूर्ण बात की ये पता कैसे चला की ये सोना यहाँ है 


मैं- किस्मत नीनू किस्मत बस हमारी अच्छी थी और उसकी ख़राब जिसने कवर की लाश को यहाँ गाडा देखो दोनों में बस थोड़ी ही दूरी है उसने भी कम से कम पांच फीट खुदाई की थी लाश को छुपाने की पर यही तो खेल है कीमत का अगर वो बीच की जगह यहाँ खोदता तो आज इस सोने का मालिक वो होता 

देखो इस पूरी जमीन में ये पेड़ सबसे अलग दीखते है क्योंकि ये बरगद के तीन पेड़ एक जद से निकले है और एक साथ है ये निशानी है तीन भाइयो की ये तीन त्रिदेव हा जबकि हमने उस दिन इन्हें त्रिवेणी समझ लिया था पर पिताजी ने इन्हें त्रिदेव समझा ये पेड़ तीन भाई है और पिताजी हर भी तीन भाई थे वो इस दुनिया में सबसे ज्यादा किसी को चाहते थे तो बस अपने परिवार को अपने भाइयो को ये बात सबको पता है इन तीन पेड़ो में उन्होंने खुद को अपने भाइयो को देखा और शायद इसलिए ही उन्होंने खजाना यहाँ छुपाया 


मतलब हम इंसानों की फितरत अजीब होती है, कई बार छोटी छोटी चीज़े हमे टच कर जाती है जैसे मैं आज भी रडियो सुनता हु , केसेट सुनता हु जबकि अरसा हुआ केसेट आणि बंद हुए तो शायद ऐसे ही इमोशनल टच कह सकते है और शायद ये ही कारण हो क उनके वारिस को आज वो सब मिला है जो कभी उन्हें मिला था किसी ने मुझे तीन भाइयो त्रिदेव के बारे में बताया था बातो बातो में बताया था और तभी मुझे ये ख्याल आया 


तो चलो , अब हमे यहाँ से निकलना चाहिए हम इस वक़्त सेफ नहीं है अगर दुश्मन की नजर में है तो अब गाडी तो आ नहीं सकती जैसे तैसे करके गाड़ी तक सामान को घसीटना ही होगा 


पिस्ता- अगर हम गाड़ी को उस तरफ से ले आये जिस तरफ से ममता भागी थी तो घसीटना ना पड़े 


मैं- पिस्ता गाड़ी उस तरफ लाने के लिए बहुत दूर का चक्कर लगाना पड़ेगा और जितनी देर लगेगी उस से आधी में तो हम लोग पैदल गाड़ी तक पहुच जायेंगे 


बोलने को आसन था पर करना बहुत मुस्किल दम निकल आया सबका बुरा हाल हुआ पड़ा था पर गाड़ी तक जाना ही था करीब करीब डेढ़ घंटा तो लगा ही होगा बल्कि ज्यादा है खैर उसको लादा गाडी में और फिर चले हम घर के लिए सूरज ढलने लगा था पूरा दिन ही बीत गया था मैंने सुबह से बस थोडा बहुत अवंतिका के साथ ही खाया था तो भूख लगी पड़ी थी पर सब थके हुए पड़े थी इधर उधर आखिर नीनू ने ही हिम्मत की और कुछ बनाने रसोई में चली गयी 
मैंने अंदर पुराना सामान देखा तो कुछ बट्टे और पुराना तराजू मिल गया तो मैंने सारे सोने को तोलना शुरू किया तो करीब वो 62 किलो के आस पास था मैंने कहा देखो सब इस को अपने अपने हिसाब से बाँट लो 


पिस्ता- देव तुम ये बात कह कर हमे शर्मिंदा करते हो 


मैं- तो जैसे रखना है तुम जानो मुझे बड़ी भूख लगी है बस खाने को कुछ दो यार 


फिर खाना वाना खाके थोड़ी जान आई फिर कोई नहाने चला गया कोई आराम करने आज मजदुर लोग पैसा मांग रहे थे तो मैं उनका हिसाब करने लग गया तो उसमे बहुत देर लग गयी मैंने फ्फिर अवंतिका को फोन किया तो पता चला की वो फार्म हाउस पर है तो मैंने कहा मैं वही आ रहा हु घंटे भर में अब अवंतिका ने ही तो वो क्लू दिया था तो मैंने सोचा की उसको भी हिस्सा देना चाहिए तो मैंने एक बैग में सोना भरा और फिर बहाना बना के गाड़ी को मोड़ दी फार्म हाउस की तरफ 


पर रस्ते भर मैं यही सोचता रहा की आखिर वो कौन दुश्मन हो सकता है हमारा जो मेरे पास होकर भी इतना दूर है रतिया काका तो रहे नहीं थे बचे चाचा, बिमला और मामी स्लै सब ढोंग कर रहे थे अपना होने का पर कालान्तर में इन्होने ही मारी थी मेरी साला दर्द भी अपना और दर्द देने वाले भी अपने मेरे तन पे मेरे मन पे मेरे अपनों के ही तो ज़ख्म थे कहने को तो परिवार ख़तम होने के बाद ये मेरे अपने थे पर सालो ने एक दिन भी नहीं संभाला चाचा और बिमला को तो कभी अपनी प्यास से फुर्सत ही नहीं आई 


और नाना मामा सब साले चोर किसी को ये परवाह नहीं की मेरे मन में क्या है सब को बस लालच सबके मन में हवस किसी न य्नाही सोचा की देव भी कोई है माना की मुझसे गलति हुई अपने लालच की वजह से मैं माँ सामान भाभी के रिश्ते को कलंकित किया वो सही कहती थी उसको ये राह मैंने ही दिखाही थी वो मैं ही था जिसने खून को गन्दा किया था अगर कोई सबसे बड़ा दोषी था वो मैं ही था ये अजीब खेल जिंदगी के आंसू भी अपना नमक दर्द भी अपना और दिलदार भी अपना 


जहाँ देखो बस गम ही गम है सोचते क्सोहते मैं अवंतिका के फार्महाउस पर पंहुचा वो अकेली ही थी हम अन्दर आये मैंने उसको बैग दिया 


वो- क्या है इसमें 


मैं- तुम्हारे लिए मेरी तरफ से कुछ 


उसने जैसे ही बैग खोला उसकी आँखे फटी रह गयी 


वो- ये,,,,,,,,,,,,,,,,,, ये सब क्या है देव 


मैं- तोहफा है तुम्हारे लिए मेरी तरफ से 


वो- पर मैं इतना सोना कैसे 


मैं- अवंतिका तुम्हे मेरी कसम ये लेना ही होगा 


उसने बैग साइड में रख दिया और मेरे पास आके बैठ गयी 


बोली- तुमने कभी मोहब्बत की है देव 


मैं- पता नहीं कभी आवारापन से फुर्सत ही नहीं आई तुम्हे तो सब पता ही है ना 


वो- देखो, जिंदगी वैसी भी नहीं होती जैसा हम सोचते है अक्सर हम लोगो के बस एक टैग दे देते है की वो ऐसा है वो वैसा है जब मैंने पहली बार तुम्हारे बारे में सुना था की बस तुम ही हो जो चुनावो में मेरी नैया को पार लगा सकता है मैने सुना तुम्हरे बारे में गाँव के छैल छबीले नोजवान पर मैं सोचती थी की क्या ये लड़का मेरे लिए अपने परिवार को हरवा देगा क्योंकि हमारे लिए तो परिवार ही सबकुछ होता है और वो भी जब तुम्हरे और मेरे परिवार में सम्बन्ध ठीक नहीं थे 


जब तुमने वो एक रात वाली शर्त रखी तो मैंने तुम्हे तोलने का सोचा और हाँ कर दी मेरे मन में ये था की शायद तुम अपने परिवार से धोका नहीं करोगे पर तुमने अपना वादा निभाया और उसके बाद भी तुमने उस रात वाली बात का जिक्र नहीं किया मैं सोचने लगी तुम्हारे बारे में हर पल पल पल मैं सोचती की क्या कहूँगी जब तुम अपना वचन निभाने को कहोगे क्योंकि आसन कहा होता है किसी भी औरत के लिए वो सब , जबकि मेरी दो खास पिस्ता और गीता तुम्हरी बड़ाई करते नहीं थकती थी ये कैसा जादू सा था जो उनके साथ साथ मुझ पर भी अपना रंग चढाने लगा था 

और फिर ना जाने कब मैं तुमसे जुड़ने लगी हर पल सोचती थी की कब तुम पहल करोगे पर फिर वो हादसा हो गया जिसने सब बदल कर रख दिया इस से पहले की मैं तुम से मिल पाती तुम गाँव छोड़ गए , और फिर मुलाकात हुई भी तो किस हाल में तुम घायल थे तदप रहे थे वो बस किस्मत की ही बात थी खैर, तुम बिना बताये गायब हो गए वक़्त बड़ा गया यादे धुंधला गयी अपने अजनबी हो गए

मैं- अवन्त्का कुछ बाते बस याद ही रहनी चाहिए मेरी जिंदगी का एक मात्र उद्देश्य उस इन्सान की तलाश है जिसने मेरे परिवार को मार डाला मुझे अनाथ बना दिया जानती हो हर पल उस आग में जलता हु मैं जब उस दिन मैं हॉस्पिटल पंहुचा तो पिताजी की सांस चल रही थी खून से लथपथ जब मैंने देखा उनको तो जानती हो क्या गुजरेगी उस बेटे पर जिका बाप पल पल मौत की तरफ बढ़ रहा हो , जब उनकी सांसो की डोर टूटी उनका हाथ मेरे हाथ में था 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 03:03 PM

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