Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
01-04-2019, 01:40 AM,
#22
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
पर वो मेरे दिल की हर बात जानती थी;
संगीता: हम्म्म....clever .....
वो भी मेरे से सट के लेट गईं और मेरी कमर पे हाथ रखा ...फिर धीरे-धीरे हाथ मेरी छाती तक जा पहुंचा और वो मुझसे कस के लिपट गईं|
संगीता: जानू....आपको याद है..... एक बार मैं बीमार पड़ी थी...तब आपने साड़ी रात जाग के मेरा ख्याल रखा था?
मैं: हम्म्म.....
संगीता: रात में मुझे फिर से बुखार चढ़ा था और आपने कैसे अपने शरीर से मुझे गर्मी दी थी?
मैं: हम्म्म्म ....
संगीता: वो मेरे लिए ऐसा लम्हा था जिसे मैं हमेशा याद किया करती थी| सोचती रहती थी की मैं कब बीमार पडूँ और आप मेरी देखभाल करने के लिए भाग के मेरे पास आ जाओ!
मैं: तो इस बार कहीं फिर से बीमार पड़ने का इरादा तो नहीं?
संगीता: क्या मुझे बीमार पड़ने की जर्रूरत है? अब तो हम हमेशा संग रहते हैं| आप तो पहले से ही मेरा इतना ख्याल रखते हो.... और इन दिनों तो कुछ ज्यादा ही!
मैं: भई रखना ही पड़ेगा.... आप माँ जो बनने वाले हो|
संगीता: हाँ..I'm very excited about this. इस बार आप मेरे साथ होगे ना?
मैं: मैं तो हमेशा आपके संग हूँ|
संगीता: नहीं...मेरा मतलब है जब डिलीवरी होगी तब?
मैं: देखो अगर doctors ने aloow किया तो जर्रूर हूँगा|
संगीता: नहीं...Promise Me ...आप मेरे साथ रहोगे?
मैं: अच्छा बाबा PROMISE!
संगीता: Thank You! तो अब तो मेरी तरफ घूम जाओ?
मैं: यार....
संगीता: जानू प्लीज!!!!!!
मैं: ठीक है ....
मैंने उनकी तरफ करवट ले ली| हम दोनों एक दूसरे को देखते रहे...और देखते-देखते कब शाम हुई पता ही नहीं चला| मेरी वजह से उन्होंने Lunch तक skip कर दिया| मैं घडी देखि तो पांच बज रहे थे;
मैं: Hey ...आपने खाना खाया?
संगीता: नहीं
मैं: क्यों?
संगीता: आपने भी तो नहीं खाया?
मैं: यार.... मुझे भूख नहीं है| रुको I'll order something.
संगीता: अभी कुछ नहीं मिलेगा| आप ऐसा करो चाय ही बोल दो और हम माँ के कमरे में चलते हैं| चाय पीते-पीते, गप्पें मारते-मारते पिताजी और बच्चे भी आ गए| रात को खाना खा के सोने का समय था तो पिताजी ने सख्त हिदायत दी की आज बाहर घूमने नहीं जाना है| तो हम तीनों अपने कमरे में वापस आ गए| अब नेहा को कैसे समझों की वो मुझसे दूर रहे ....... मेरी इस मजबूरी का आनंद सबसे ज्यादा कोई अगर ले रहा था तो वो थीं संगीता जी! वो तो जैसे सांस रोके देख रही थीं की मैं नेहा से क्या तर्क करूँगा?
मैं: नेहा ...
नेहा: हाँ जी पापा?
मैं: बेटा आओ बैठो मेरे पास..कार्टून बाद में देखना|
नेहा आके मेरे पास कम्बल में बैठ गई|
मैं: okay बेटा....तो ....... aaaaaaaaa
मुझे शब्द नहीं मिल रहे थे की शुरूरत कैसे करूँ? मैंने संगीता की तरफ देखा तो वो हँसने के लिए तैयार कड़ी थीं...की मैं कुछ बोलूँ और नेहा तपाक से जवाब दे और वो खिलखिला के हँस सके|
मैं: बेटा...आप जानते ही हो की मुझे जुखाम और खांसी है....और ये communcable disease है...अगर आप मेरे साथ सोओगे तो आपको भी हो जायेगा! फिर आप स्कूल कैसे जाओगे ...पढ़ाई कैसे करोगे....और फिर आयुष आपके साथ खेलता है तो उसे भी बिमारी लग जाएगी.....फिर धीरे-धीरे सब बीमार हो जायेंगे| तो क्या आप यही चाहते हो?
नेहा: नहीं...पर मम्मी? वो तो आपके साथ.....
मैं: (नेहा की बात काटते हुए) बिलकुल नहीं...मैं सोफे पे सोऊँगा और आप दोनों Bed पे|
संगीता एक दम से बोली;
संगीता: अरे ....मुझे क्यों फंसा रहे हो?
मैं आदि से जोर से हँसा...
मैं: क्यों बड़ी हँसी आ रही थी ना आपको?
नेहा कुनमुनाते हुए बोली;
नेहा: पर पापा मैं....
मैं: बेटा आपको सुला के ही मैं सोऊँगा...और फिर मैं इसी कमरे में ही तो हूँ? आपको डर नहीं लगेगा|
नेहा: पापा आप surgical mask पहन लो?
मैं: (हँसते हुए) पर बेटा वो मेरे पास नहीं है?
नेहा: Idea ...
नेहा बिस्तर से उठी और cupboard में कुछ ढूंढने लगी| मैंने हैरान होते हुए संगीता की तरफ देखा की शायद उन्हें कुछ पता हो पर वो भी अनजान थी;
संगीता: ये नहीं मानने वाली| बिना आपको साथ लिए ये सोने वाली नहीं है| आपकी गैर मौजूदगी की बात और है पर आओके सामने होते हुए, मजाल है ये बिना आपके सो जाए?
मैं मुस्कुरा दिया....तभी नेहा अपने हाथ में कुछ छुपाये हुए आ गई| फिर अचानक से बोली;
नेहा: पापा आँखें बंद करो?
मैंने आँखें बंद की, अगले पल मुझे एहसास हुआ की मेरे मुंह पे कपडा बंधा जा रहा है| जब आँख खोली तो पाया, नेहा ने मेरी नाक और मुँह पे रुमाल बांधा था| ये देख के संगीता खिल-खिला के हँस पड़ी|
नेहा: लो पापा...अब हम में से कोई बीमार नहीं पड़ेगा|
मैं उसका तर्क देख के मुस्कुरा रहा था....
संगीता: Fantastic idea बेटा! अब बोलो क्या कहना है?
मैं: I GIVE UP!!!
बच्चों से हारने में एक अलग ही आनंद होता है| खेर हम तीनों एक साथ सो गए, नेहा बीच में थी और मेरा और स्नगीता का हाथ उसकी छाती पे था| कहानी सुनते-सुनते दोनों सो गयेपर मेरा मन अब भी बेचैन था ...तो मैं चुप-चाप उठा और सोफे पे जाके लेट गया| comfortable तो नहीं था...पर ADJUST तो करना ही था| करीब रात के दो बजे किसी ने कम्बल हटाया...मुझे लगा की संगीता होगीं पर जब मैंने आँख खोल के देखा तो नेहा थी....
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन - by sexstories - 01-04-2019, 01:40 AM

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