Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
01-04-2019, 01:42 AM,
#33
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
उनके काम पे जाने के बाद मैं आधा महसूस करने लगी..... जबतक वो घर पे थे मैंभले ही उनसे कुछ नहीं बोली पर जानती थी कि वो बिना मेरे कहे मेरी बात समझते हैं पर उनके जाने के बाद मेरी मूक भाषा को समझने वाला कोई नहीं था| माँ अवश्य थीं और वो मुझे आज बहुत लाड कर रहीं थीं..ऐसा नहीं है कि वो मुझे कभी प्यार नहीं करती थीं पर आज वो मेरा बहुत ज्यादा ही ख़याल रख रहीं थीं| बार-बार कुछ न कुछ कोशिश कर के मुझसे बातें करतीं..... कभी सीरियल के बहाने ...कभी किसी recipe के बहाने..... उन्होंने तो बच्चों से भी कहा कि वो मेरे साथ खेलें...हंसी-मजाक करें....पर मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे सब का प्यार मेरे दिल को छूना चाहता है पर नजाने क्यों सब कुछ मेरे जिस्म को बिना छुए ही कहीं निकल जाता है....मैं उनका प्यार महसूस ही नहीं कर पा रही थी! मेरे दिमाग ने मुझे एक cocoon में बंद कर दिया था....जहाँ ना कोई ममता आ सकती थी...न ही किसी का प्यार! खुद को इस कदर अपनी नजरों से गिरा चुकी थी कि............. मुझे उनकी कमी खेलने लगी....लगने लगा कि मुझे उन्हें जाने को नहीं कहना चाहिए था? अगर वो यहाँ होते तो मैं अकेला महसूस नहीं करती......पर ये मैं क्या सोच रही हूँ? मैं स्वार्थी कैसे हो गई? उनका काम जिससे हमारी रोटी चलती है ...वो भी तो जर्रुरी है! मैं अपने प्यार कि बेड़ियां उनके काम पे कैसे डालने कि सोच सकती हूँ? ये मुझे क्या होने लगा था....??????????
माँ ने मुझे बहुत मन किया कि मैं खाना ना बनाउन और आराम करूँ पर मैंने सोचा कि शायद इसी बहाने मैं अपना ध्यान उन बातों से हटा सकूँ तो...मैं खाना बनाने जुट गई| पर एक पल के लिए भी मैं दिन कि घटनाओं को भूल ना पाई और इसी चक्कर में मैंने खाने में नमक ही नहीं डाला! जब सब खाना खाने बैठे तो ना पिताजी ने ना माँ ने खाने में नमक कि कमी कि बात कही और चुप-चाप खाना खाते रहे| बच्चों तक ने खाने में नमक नहीं होने कि बात नहीं की!!! वो भी जानते थे की मम्मी परेशान हैं....जब भी ये घर पे नहीं होते थे तो मैं हमेशा अंत में खाना खाती थी और मुझे खाना माँ ही परोस के देती थी...इतना प्यार करती थी माँ मुझे! आज जब उन्होंने खाना परोस के दिया तो वो नमक की बरनी में से नमक निकाल के डालने लगीं, हालाँकि वो बड़े ध्यान से ये कर रहीं थीं की मेरी नजर उनपे ना पड़े...पर मैंने फिर भी देख लिया| तब मुझे एहसास हुआ की मैंने आज अपने माता-पिता को और बच्चों को बिना नमक का खाना खिला दिया......मुझे खुद पे बहुत ग्लानि होने लगी की हे भगवान ये मुझसे कैसा अनर्थ हो गया? पर माँ ने ऐसा कुछ नहीं जताया...वो समझ सकती थीं की मेरी मनो-स्थिति कैसी है इसलिए आज पहलीबार उन्होंने अपने हाथों से मुझे खाना खिलाया| मैंने भी उन्हें मन नहीं किया क्योंकि मैं उस cocoon से बाहर निकलना चाहती थी| इस तरह मौन रह के मैं अपने ही परिवार को और दुःख नहीं देना चाहती थी| खाना खाने के बाद मैं और माँ अपने कमरे में आ गए और बिस्तर पे लेट गए| तभी माँ के फोन पे उनका फोन आया....वो जब भी साइट पे रुकते थे तो माँ को फोन कर के पूछते थे की सबने खाना खाया की नहीं और सब कुछ ठीक ठाक तो है ना?| मैं बिस्तर में लेट चुकी थी और रजाई ओढ़ चुकी थी....मैं सिर्फ माँ की ही बात सुनाई दे रही थी| माँ उन्हें बता रही थीं की; "बहु ने कहाँ खा लिया है...और मैंने अपने हाथों से उसे खाना खिलाया है....अभी लेटी है...तू कहे तो मैं उठाऊँ?" मैं जानती हूँ...उन्होंने ना ही कहा होगा फिर माँ ने उनसे पूछा की; "बेटा तूने खाना खाया? हम्म्म्म...ठीक है|" मैं ये नहीं समझ पाई की उन्होंने खाना खाया की नहीं...ना ही मेरी इतनी हिम्मत थी की मैं माँ से पूछ सकूँ इसलिए मैं सोने का नाटक करने लगी और फिर से सोच में डूब गई .....की मेरी वजह से मेरे पति ने खाना नहीं खाया...ये भी मरी ही गलती है! पर तभी माँ बोलीं; "बेटी....मैं जानती हूँ तू सोई नहीं है..... देख समझ सकती हूँ की उस दर्दनाक हादसे को भूलना आसान नहीं है...अपर बेटी अगर कोशिश नहीं करेगी तो कैसे चलेगा? मानु तुझे इतना प्यार करता है....बाहर से भले ही वो मजबूत दिखे पर अंदर से वो भी तेरे जितना ही दुखी है| वो अपनी पूरी कोशिश कर रहा है की चीजों को संभाल ले...और मैं के बात कहूँ.....तेरे कारण वो इतना जिम्मेदार हुआ है! तेरे प्यार ने उसे इतना लायक बना दिया...वरना पहले वो अपनी जिम्मेदारियाँ इतनी गंभीरता से नहीं लेता था? हमेशा मैं ही उसका बचाव करती थी.....पर याद है अपने जन्मदिन वाले दिन वो शराब पी के तेरे पास रुका था? और अगले दिन उसने तेरे साने कसम खाई की वो दुबारा ऐसी गलती नहीं करेगा....और होटल में जब हम दोनों ने उसे पीने को कहा वो भी इस लिए की उसकी खांसी-जुखाम ठीक हो जाए तो उसने कैसे मना कर दिया? ये सब तेरे कारन हुआ है..... मैं जानती थी की तेरे आने से पहले वो कभी-कभार शराब पी कर घर आया पर उसने कभी कोई ड्रामा नहीं किया...ना ही मैंने ये बात उसके पिताजी से कही पर मुझे गर्व है तुझ पे की तूने मेरे बेटे को सीधा कर दिया|" माँ ने कोशिश की कि मैं उनकी सीधा कर दूँ कि बात पे हंस दूँ ...पर नहीं ...मैं हँस नहीं पाई! उनकी बातों ने मेरे दिल को छू लिया और वो guilty वाली feeling कुछ हद्द तक काम हुई और पर खत्म नहीं हुई!
माँ मेरे सर पे हाथ फेरती रहीं कि शायद ,उझे नींद आ जाये पर नींद ने तो मुझसे कट्टी कर ली थी! मैं आँखें खोले अपने उसी cocoon में सड़ने लगी| उम्र का तगजा था कि माँ कि आँख लग गई ...और मैं माँ को देखने लगी मन ही मन उनसे माफ़ी मांगने लगी कि मेरे कारण आज वो भी उदास हैं| भले ही वो मेरे सामने अपने भाव आने ना देती हों पर मेरा दिल महसूस तो आर ही रहा था कि मैं अपने परिवार को अन्तः दुखों कि ओर धकेले जा रही हूँ| रात के कूप अँधेरे और सन्नाटे में मैं घडी कि टिक-टिक साग सुन रही थी....हर एक सेकंड...हर एक मिनट....हर एक घंटे को बीतते हुए महसूस कर रही थी| मैं इस कदर निराश हो चुकी थी कि मन कह रहा था कि "ऐ दिल...तो थम जा... कि अब इस धड़कन को सुनाके कोई फायदा नहीं| छोड़ दे ये मोह....शायद तेरी इस कुर्बानी से मेरे पति की चिंताएं कुछ काम हो जाएं?" पर अगले ही पल मैंने खुद को झिंझोड़ा और उठ के बैठ गई, "अपने मचलते मन को काबू करने लगी...की तू ये क्या कह रहा है? भूल गया की इस शरीर के साथ अभी एक और जिंदगी जुडी है? और मेरे पति का क्या होगा? वो मेरे बिना कैसे जिन्दा रहेंगे? मेरे बचचे....नहीं...नहीं....ये मुझे क्या हो रहा है| मैं उठी और जाके अपना मुंह धोया...ये सोच के की इसके साथ मेरे अंदर उठ रहे ये गंदे विचार भी बह जाएँ| मुंह धो के मैं वापस आके लेट गई पर आँखें अब भी खुली थीं और मन उनकी आवाज सुनने को बेताब होने लगा...सोचा की कॉल कर लूँ? फिर सोचा की कॉल करके कहूँगी क्या? अगर कुछ कहा और मैं रो पड़ी तो वो काम छोड़के अभी यहाँ पहुँच जायेंगे ...इसलिए मन मार के लेटी रही...और घडी की टिक-टिक सुनती रही| सुबह मेरी आँखों के सामने ही हुई और माँ जब उठीं तो मुझे जागता हुआ पाया; "बेटी तू सारी रात सोई नहीं?" मैं कुछ नहीं बोली और चुप-चाप उठ के बैठ गई| फिर माँ के पाँव छुए आशीर्वाद लिया और चाय बनाने चली गई| माँ ने बहुत कोशिश की मुझे रोकने की पर मैं नहीं मानी....उनकी आज्ञा की अवेहलना करने लगी| पिताजी डाइनिंग टेबल पे बैठे अखबार पढ़ रहे थे...मैंने उनके पाँव छुए और उन्होंने आशीर्वाद दिया और मुझसे हाल-चाल पूछा पर मैं अब भी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी और हाथजोड़ के बिना कुछ कहे ही माफ़ी मांग ली| वो कुछ नहीं बोले......माँ को आवाज दी और उनसे मेरे हाल-चाल पूछा तो माँ ने कहा; "बहु अब तक कुछ नहीं बोली है....मुझे उसकी बहुत फ़िक्र है|" पिताजी बोले; "मैं अभी मानु को फोन करता हूँ|" पर इससे पहले की फोन उन्हें खनकता, ये खुद ही आ गए|
Reply


Messages In This Thread
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन - by sexstories - 01-04-2019, 01:42 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,572,581 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 552,493 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,263,610 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 955,488 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,694,572 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,115,294 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,010,803 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,256,698 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,102,370 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 291,760 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)