Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे
01-17-2019, 01:47 PM,
#23
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
जिस तरह का व्यवहार उस लुच्चे लफंगे पांडेज़ी ने मेरे साथ किया , उसके कारण मैं विकास से बहुत नाराज़ हो गयी थी और मन ही मन उसे कोस रही थी की मुझे ऐसे लफंगे के पास भेजा. लेकिन बाद में मुझे अहसास हुआ की विकास की इसमें कोई ग़लती नही है , वो तो सिर्फ़ गुरुजी के आदेश का पालन कर रहा था. मुझे याद आया की गुरुजी ने इस दो दिन के उपचार के शुरू में क्या कहा था. उन्होने कहा था की दो दिन तक रोज़ कम से कम दो बार ओर्गास्म लाने हैं. और इसके लिए जो भी सिचुयेशन वो देंगे वहाँ मुझे सिर्फ़ अपने शरीर से स्वाभाविक प्रतिक्रिया देनी है और अच्छा बुरा ये सब दिमाग में नही सोचना है, जो हो रहा है उसे होने देना. बिस्तर में लेटे हुए मेरे मन में मंदिर की घटना घूमने लगी. मुझे ऐसा लगा , मेरे खूबसूरत बदन की वजह से पांडेजी बहक गया होगा और मेरा ओर्गास्म निकलने के बाद भी उसने मुझे नही छोड़ा. अपना पानी निकालने के लिए उसने मेरे बदन का इस्तेमाल किया. शायद कामोत्तेजना में वो गुरुजी के निर्देशों से भटक गया होगा. आख़िरकार वो था तो एक मर्द ही , अपने ऊपर काबू नही रख पाया. 

ये सब सोचकर अब मेरा मन शांत हो गया था. बल्कि मैं गर्व महसूस करने लगी थी की 30 वर्ष के करीब पहुँचने वाली हूँ और अब भी छोटू से लेकर पांडेजी और गोपालजी जैसे छोटी बड़ी सभी उम्र के मर्द मेरे खूबसूरत बदन की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. मुझे अब सिर्फ इस बात का अपराधबोध रह गया था की मंदिर के गर्भ गृह जैसी पवित्र जगह में मैंने उन दो मर्दों को अपने बदन से छेड़खानी करने दी. मैंने भगवान से प्रार्थना की और इस ग़लत काम के लिए क्षमा माँगी.

बिस्तर में लेटे हुए मेरे दिमाग़ में मंदिर के वही दृश्य घूम रहे थे. और इन सब में वो दृश्य सबसे शर्मिंदगी भरा था जब पांडेजी ने मुझे लाइन में अधनंगी चलने पर मजबूर किया था, मेरी साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा रखी थी. वो दृश्य याद आते ही मैं बहुत ही अपमानित महसूस कर रही थी. पांडेजी ने बहुत ही बेशर्म होने पर मजबूर किया. मैंने कभी इतना ह्युमिलिएटेड नही महसूस किया था. 

यही सब सोचते हुए पता नही कब मुझे नींद आ गयी. परिमल ने जब दरवाज़ा खटखटाया तो मेरी नींद खुली. वो चाय और बिस्किट्स लेकर आया था. परिमल ने ट्रे रख दी और उसकी नज़रें मेरी चूचियों पर ही थी. मैं सो रही थी इसलिए मैंने ब्रा नही पहनी हुई थी , इसलिए मेरी बड़ी चूचियाँ इधर उधर हिल रही थी. मुझे आश्चर्य हुआ की बिना ब्रा के भी ऐसे एक मर्द के सामने खड़े होकर मुझे शरम नही महसूस हो रही थी. मैंने अपनी चूचियों को देखा तो पाया की ब्लाउज में मेरे निप्पल साफ दिख रहे हैं , तभी परिमल की नज़रें बार बार उन पर जा रही थी. मैं जल्दी से पीछे मुड़ी और ब्रा पहनने के लिए बाथरूम जाने लगी.

परिमल – मैडम, जब आप आरती देखने मुक्तेश्वरी मंदिर जाओगी , उससे पहले मैं आपके लिए नया पैड ले आऊँगा.

“ठीक है. प्लीज़ जाते समय दरवाज़ा बंद कर देना.”

परिमल चला गया और मैं बाथरूम चली गयी. मैं 15 मिनट में तैयार हो गयी. फिर पैंटी में पैड लगा लिया और आश्रम से बाहर जाने से पहले दवा खा ली. जब मैं कमरे से बाहर आई तो देखा अंधेरा होने लगा था. मैं काफ़ी देर तक सो गयी थी. पर अच्छी नींद आने से अब मैं बहुत ताज़गी महसूस कर रही थी. 

विकास मुझे ले जाने के लिए नही आया था मैं उसे ढूंढने लगी. आश्रम के प्रांगण में मुझे वो खो खो खेलते हुए दिख गया. उसके साथ समीर, राजकमल , मंजू और कुछ लड़के लड़कियाँ खेल रहे थे. विकास ने मुझे देखकर हाथ हिलाया और इंतज़ार करने का इशारा किया. खेलते हुए वो इधर उधर दौड़ रहा था, मैं सिर्फ़ उसको ही देख रही थी. उसका मजबूत बदन दौड़ते हुए मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. ये साफ था की मैं विकास की तरफ आकर्षित होने लगी थी. मुझे अपने दिल की धड़कनें तेज होती हुई महसूस हुई ठीक वैसे जब कॉलेज के दिनों में मैं पहली बार एक लड़के की तरफ आकर्षित हुई थी. वो मेरा पहला और अंतिम अफेयर था.

जल्दी ही उनका खेल खत्म हो गया. विकास ने अपने हाथ पैर धोए और हम आश्रम से बाहर आ गये. आज फिर बैलगाड़ी से जाना था.

विकास – मैडम, सुबह मंदिर की घटनाओ के लिए तुम मुझसे नाराज़ हो ?

“हाँ बिल्कुल हूँ. तुम मुझे उस लफंगे के पास छोड़कर चले गये. ”

मैंने ऐसा दिखाया जैसे मैं विकास से नाराज़ हूँ. मैं चाहती थी की विकास मुझे मनाए , मुझसे विनती करे.

विकास – मैडम, मेरा विश्वास करो. मेरा इसमे कोई रोल नही है. ये तो गुरुजी का आदेश था .

“मुझे नही मालूम , क्या सच है. पर वो आदमी मुझसे बहुत बदतमीज़ी से पेश आया.”

विकास – मैडम, अगर उसने कोई बदतमीज़ी की तो ये आकस्मिक रूप से हो गया होगा. शायद तुम्हारी खूबसूरती देखकर वो अपने ऊपर काबू नही रख पाया होगा.

मैं चुप रही और विकास की तरफ से मुँह मोड़ लिया. मैं उसका रिएक्शन देखना चाहती थी की मुझे कैसे मनाता है. उसने मेरी कोहनी पकड़ी और मुझे मनाने लगा.

विकास – मैडम, प्लीज़ बुरा मत मानो. प्लीज़ मैडम.

मैं उसकी तरफ मुड़ी और मुस्कुरा दी. इस तरह से मैंने ये जता दिया की मेरे ओर्गास्म निकलने के बाद भी पांडेजी ने मेरे साथ जो किया , अब मैं उसका बुरा नही मान रही हूँ. विकास भी मुस्कुराया और बड़ी बेशर्मी से मेरी दायीं चूची को अपने अंगूठे से दबा दिया. मैं शरमा गयी पर बिल्कुल बुरा नही माना. एक ऐसा आदमी जिसे मैं सिर्फ़ दो दिनों से जानती थी , उसके ऐसे अभद्र व्यवहार का भी मैं बुरा नही मान रही थी. मैं खुद ही हैरान होने लगी थी की हर गुज़रते पल के साथ मैं बेशर्मी की नयी ऊंचाइयों को छू रही हूँ. 

जल्दी ही बैलगाड़ी आ गयी. विकास ने कहा की पहले मुक्तेश्वरी मंदिर ही जाना पड़ेगा वरना बैलगाड़ीवाला आश्रम में बता भी सकता है. विकास ने मुझसे वादा किया था की शाम को वो मंदिर नही ले जाएगा पर उसकी बात भी सही थी. आश्रम में किसी के पूछने पर बैलगाड़ीवाला बता भी सकता था की हम मंदिर नही गये. मैं बैलगाड़ी में बैठ गयी और विकास मुझसे सट के बैठ गया. हमारी तरफ बैलगाड़ीवाले की पीठ थी और बाहर भी अंधेरा होने लगा था , इससे मैं एक कम उम्र की लड़की के जैसे रोमांचित थी . मेले को जाते वक़्त बैलगाड़ी का सफ़र बोरियत भरा था पर आज का सफ़र मज़ेदार होने वाला था.

विकास – मैडम, रोड पर नज़र रखना. लोगों को हम बहुत नज़दीक़ बैठे हुए नही दिखने चाहिए.

विकास मेरे कान में फुसफुसाया. उसके मोटे होंठ मेरे कान को छू रहे थे और उसने अपनी बाँह पीछे से डालकर मुझे हल्के से आलिंगन में लिया हुआ था. इस रोमांटिक हरकत से मेरे बदन में कंपकपी दौड़ गयी और मैं बहुत शरमा गयी. मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे मैं एक कॉलेज की लड़की हूँ और अपनी पहली डेट पर जा रही हूँ. बैलगाड़ी में हमारी सीट के ऊपर गोलाई में मुड़ा हुआ कवर था , जो पीछे से खुला हुआ था. कोई भी पीछे से आता आदमी हमें देख सकता था इसलिए विकास ने जल्दी ही मेरी पीठ से हाथ हटा लिया. हमारी टाँगें एक दूसरे से सटी हुई थीं . बैलगाड़ी में झटके बहुत लगते थे और जब भी ऐसा कोई झटका लगता तो मैं विकास को टाँगों से छूने की कोशिश करती. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था और मेरी भावनायें बिल्कुल वैसी ही थी जैसे कॉलेज के दिनों में डेटिंग पर जाते हुए हुआ करती थीं. 

मैं विकास का हाथ पकड़े हुए थी और वो मेरी पतली अंगुलियों से खेल रहा था. उसकी हथेली गरम महसूस हो रही थी और इससे मुझे और भी उत्तेजना आ रही थी. हम गांव की रोड में धीमे धीमे आगे बढ़ रहे थे. एक जगह पर सुनसानी देखकर विकास ने मेरी साड़ी के पल्लू के अंदर हाथ डाल दिया और मेरी मुलायम चूचियों को सहलाने लगा. उसके प्यार से मेरी चूचियों को सहलाने से मैं मन ही मन मुस्कुरायी क्यूंकी अभी तक तो जो भी मुझे यहाँ अनुभव हुए थे उनमे सभी मर्दों ने मेरी चूचियों को कामवासना से निचोड़ा था. बैलगाड़ी की हर हलचल के साथ विकास धीरे से मेरी चूची को दबा रहा था. मुझे इतना अच्छा लग रहा था की मैंने आँखें बंद कर ली. उसकी अंगुलियों को मैं अपने ब्लाउज के ऊपर घूमती हुई महसूस कर रही थी. उसकी अँगुलियाँ ब्लाउज के ऊपर से मेरी ब्रा में निपल को ढूंढने की कोशिश कर रही थीं.

विकास – मैडम, तुमने अपने निपल्स कहाँ छुपा दिए ? मैं ढूंढ नही पा रहा.

मैंने शरमाकर बनावटी गुस्से से उसके हाथ में थप्पड़ मार दिया. अब उत्तेजना से मेरे कान गरम होने लगे थे. पर विकास कुछ और करता तब तक मुक्तेश्वरी मंदिर आ गया. ये सुबह के मंदिर के मुक़ाबले बहुत छोटा मंदिर था. विकास ने बैलगाड़ी वाले से दो घंटे बाद आने को कहा और हम मंदिर की तरफ बढ़ गये.

विकास – मैडम, हम भगवा कपड़ों में हैं इसलिए हर कोई हमें पहचान लेगा की हम आश्रम से आए हैं. पहले हमें अपने कपड़े बदलने होंगे. मैं अपने लिए और तुम्हारे लिए बैग में कुछ कपड़े लाया हूँ. चलो मंदिर के पीछे चलते हैं और कपड़े बदल लेते हैं.

मैंने सहमति में सर हिलाया और हम मंदिर के पीछे चले गये. वहाँ कोई नही था. विकास ने बैग में से एक हाफ शर्ट और पैंट निकाला . फिर वो अपने आश्रम के कपड़े बदलने के लिए पास में ही एक पेड़ के पीछे चला गया. मैं उसका बैग पकड़े वहीं पर खड़ी रही. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था की कहीं कोई आ ना जाए . पर कुछ नही हुआ और एक मिनट में ही विकास कपड़े बदलकर आ गया.

विकास – मैडम, अब तुम अपनी साड़ी और ब्लाउज जल्दी से बदल लो.

ऐसा कहते हुए विकास ने बैग में से एक साड़ी और ब्लाउज निकाला. मैंने उससे कपड़े ले लिए और उसी पेड़ के पीछे चली गयी. मैंने जल्दी से साड़ी उतार दी और ब्लाउज उतारने से पहले इधर उधर नज़र दौड़ाई. वहाँ कोई नही था और शाम का अंधेरा भी था , इससे मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने अपना ब्लाउज भी खोल दिया. अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी. मैं मन ही मन अपने को दाद दे रही थी की आश्रम में आकर कुछ ही दिनों में कितनी बोल्ड हो गयी हूँ. वो ब्लाउज मेरे लिए बहुत ढीला हो रहा था. ज़रूर किसी बहुत ही बड़ी छाती वाली औरत का होगा. नयी साड़ी ब्लाउज पहनकर मैं पेड़ के पीछे से निकल आई. विकास ने मेरी आश्रम की साड़ी और ब्लाउज जल्दी से बैग में डाल दिए.

“ये किसकी साड़ी और ब्लाउज है ?”

विकास – मेरी गर्लफ्रेंड की है.

मैंने बनावटी गुस्से से विकास को देखा पर उसने जल्दी से मेरा हाथ पकड़ा और मंदिर से बाहर ले आया. रोड में गांव वाले आ जा रहे थे पर अब हम नॉर्मल कपड़ों में थे इसलिए किसी ने ज़्यादा ध्यान नही दिया.

विकास – मैडम, नदी के किनारे चलते हैं. सबसे सेफ जगह वही है. 5 मिनट में पहुँच जाएँगे.

“ठीक है. इस जगह को तुम ही बेहतर जानते हो.”

विकास – अभी इस समय वहाँ कोई नही होगा. 

जल्दी ही हम नदी के किनारे पहुँच गये और वास्तव में वो बहुत ही प्यारी जगह थी.
Reply


Messages In This Thread
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क... - by sexstories - 01-17-2019, 01:47 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,416,686 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 535,005 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,197,943 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 905,456 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,606,389 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,040,416 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,884,176 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,833,120 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,947,482 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 277,140 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 8 Guest(s)