Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे
01-17-2019, 01:48 PM,
#24
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
जल्दी ही हम नदी के किनारे पहुँच गये और वास्तव में वो बहुत ही प्यारी जगह थी. हम दोनों के सिवा वहाँ कोई नही था. नदी किनारे काफ़ी घास उगी हुई थी और वहाँ ठंडी हवा चल रही थी. चाँद भी धीमी रोशनी दे रहा था और हम दोनों नदी किनारे घास पे चल रहे थे , बहुत ही रोमांटिक माहौल था. 

विकास – कैसा लग रहा है मैडम ?

विकास मेरा हाथ पकड़े हुए था. फिर उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया. उसके पौरुष की गंध, चौड़ी छाती और मजबूत कंधों से मैं होश खोने लगी और मैंने भी उसे मजबूती से अपने आलिंगन में कस लिया. विकास मेरे जवान बदन पर अपने हाथ फिराने लगा और मेरे चेहरे से अपना चेहरा रगड़ने लगा. मैं बहुत उत्तेजित हो गयी और उसके होठों को चूमना चाहती थी. उसके चूमने से पहले ही अपनी सारी शरम छोड़कर मैंने उसके होठों का चुंबन ले लिया. तुरंत ही उसके मोटे होंठ मेरे होठों को चूमने लगे और उसकी लार से मेरे होंठ गीले हो गये. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे होठों का रस वो एक ही बार में निचोड़ लेना चाहता है. जब उसने मेरे होंठ कुछ पल के लिए अलग किए तो मैं बुरी तरह हाँफने लगी. 

“विकास….”

मैं विकास के चूमने और बाद पर हाथ फिराने से बहुत उत्तेजित हो गयी थी और सिसकारियों में उसका नाम ले रही थी. मेरी टाँगें काँपने लगी पर उसकी मजबूत बाँहों ने मुझे थामे रखा. मेरा पल्लू कंधे से गिरकर मेरी बाँहों में आ गया था. चूँकि विकास का दिया हुआ ब्लाउज बहुत ढीला था इसलिए मेरी चूचियों का ऊपरी हिस्सा साफ दिख रहा था. विकास ने अपना मुँह मेरी क्लीवेज पर लगा दिया और मेरी चूचियों के मुलायम ऊपरी हिस्से को चूमने और चाटने लगा. मैं उत्तेजना से पागल सी हो गयी. मैंने भी मौका देखकर अपने दाएं हाथ से उसके पैंट में खड़े लंड को पकड़ लिया.

“ऊऊऊऊहह…...”

विकास के मोटे लंड को पैंट के बाहर से हाथ में पकड़कर मैंने ज़ोर से सिसकारी ली . उसके लंड को पैंट के बाहर से छूना भी बहुत अच्छा लग रहा था. उसके पैंट की ज़िप खोलने में विकास ने मेरी मदद की . उसके अंडरवियर में लंड पोले की तरह खड़ा था. मैं उसके अंडरवियर के बाहर से ही खड़े लंड को सहलाने लगी. अचानक विकास ने मेरी चूचियों से मुँह हटा लिया. मैं कुछ समझ नही पाई की क्या हुआ . मेरा पल्लू गिरा हुआ था और बड़ी क्लीवेज दिख रही थी और एक हाथ में मैंने विकास का लंड पकड़ा हुआ था , मैं वैसी हालत में खड़ी थी. तभी मैंने देखा विकास नदी की ओर देख रहा है. मैंने भी नदी की तरफ देखा, एक नाव हमारी तरफ आ रही थी.

विकास – मैडम , लगता है आज हमारी किस्मत अच्छी है. मेरे साथ आओ.

विकास ने नाव की तरफ हाथ हिलाया और नदी की तरफ दौड़ा. मैं भी उसके पीछे जाने लगी. उसने नाववाले से बात की और उसको 50 रुपये का नोट दिया. नाववाला लड़का ही लग रहा था, 18 बरस का रहा होगा. 

विकास – मैडम , इसका नाम बाबूलाल है. मैं इसको जानता हूँ ,बहुत अच्छा लड़का है. इसलिए कोई डर नही , हम सेफ हैं यहाँ. ये हमको आधा घंटा नाव में घुमाएगा.

“विकास , तुम तो एकदम जीनियस हो.”

बाबूलाल – विकास भैय्या, जल्दी बैठो. यहाँ पर ऐसे खड़े रहना ठीक नही .

मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा, बहुत ही रोमांटिक माहौल था. चाँद की धीमी रोशनी , नदी में छोटी सी नाव में हम दोनों. मेरी पैंटी गीली होने लगी थी अब मैं और सहन नही कर पा रही थी.

“विकास , बाबूलाल से दूसरी तरफ मुँह करने को बोलो. वो हमें देख लेगा.”

विकास – मैडम, उधर को मुँह करके बाबूलाल नाव कैसे चलाएगा ? ऐसा करते हैं, हम ही उसकी तरफ पीठ कर लेते हैं.

“लेकिन विकास , वो तो हमारे इतना नज़दीक़ है. मुझसे नही होगा.”

विकास – मैं मदद करूँगा मैडम.

“अपने कपड़े उतारो” विकास मेरे कान में फुसफुसाया.

मैंने बनावटी गुस्से से विकास को एक मुक्का मारा. 

विकास – मैडम, देखो कितना सुहावना दृश्य है. बाबूलाल की तरफ ध्यान मत दो , वो तो छोटा लड़का है. ये समझो यहाँ सिर्फ़ मैं और तुम हैं और कोई नही.

सुबह मंदिर में उस छोटे लड़के छोटू ने मेरे साथ जो किया उसके बाद अब मैं इस छोटे लड़के को पूरी तरह से इग्नोर भी नही कर सकती थी . सुबह छोटू को मैंने नहाते हुए देखा था , उसका लंड देखा और फिर मेरे पूरे बदन में उसने हाथ फिराया था. 

नाव बहुत छोटी थी और बाबूलाल मुश्किल से 7 – 8 फीट की दूरी पर बैठा था. अगर मैं या विकास कुछ भी करते तो उसको सब दिख जाता. किसी दूसरे मर्द के सामने विकास के साथ कुछ करना तो बहुत ही शर्मिंदगी भरा होता . पर सच्चाई ये थी की मैं अब और देर भी बर्दाश्त नही कर पा रही थी. पिछले दो दिनों से मेरे ब्लाउज और ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को बहुत दबाया और निचोड़ा गया था , पर ऐसे आधे अधूरे स्पर्श से मैं उकता चुकी थी. अब मैं चाहती थी की विकास की अँगुलियाँ मेरे ब्लाउज और ब्रा को उतार दें, मैं अपनी चूचियों पर उसकी अंगुलियों का स्पर्श चाहती थी. लेकिन ये नाववाला मेरे अरमानो पर पानी फेर रहा था. फिर से एक अजनबी आदमी के सामने अपने बदन से छेड़छाड़ को मैं राज़ी नही हो पा रही थी.मेरी उलझन देखकर विकास मेरे कान में फुसफुसाया.

विकास – मैडम , तुम इस बाबूलाल के ऊपर क्यूँ समय बर्बाद कर रही हो. ये तो छोटा लड़का है.

छोटा लड़का है , इसका मतलब ये नही की मैं इसके सामने कपड़े उतार दूं. सिर्फ़ 7 – 8 फीट दूर बैठा है. लेकिन मैं विकास से कुछ और बहस करती इससे पहले ही उसने मुझे पकड़ा और बैठे हुए ही घुमा दिया और मेरी पीठ बाबूलाल की तरफ कर दी.

“आउच…”

विकास ने मुझे कुछ और नही बोलने दिया और बैठे हुए ही अपने आलिंगन में कसकर मुझे चूमने लगा. पहले तो मैंने विरोध करना चाहा क्यूंकी नाववाले के सामने वो खुलेआम मुझे अपने आलिंगन में बांधकर चूम रहा था पर कुछ ही पलों बाद मैं भी सब कुछ भूलकर विकास का साथ देने लगी.

विकास – मैडम, तुमने शुरू तो किया पर अधूरा छोड़ दिया.

“क्या…?”

विकास – तुमने मेरी ज़िप खोली , अब अंडरवियर नीचे कौन करेगा ?

“क्यूँ ? अपनी गर्लफ्रेंड को बोलो, जिससे तुम मेरे लिए ये साड़ी लाए हो.”

हम दोनों खी खी करके हँसने लगे और एक दूसरे को आलिंगन में कस लिया. मैंने विकास को निचले होंठ पर चूमा और उसने मेरे निचले होंठ को देर तक चूसा. उसने मेरे हाथ को अपने पैंट की ज़िप में डाल दिया. फिर विकास ने मेरा पल्लू हटाया और मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगा. वो दोनों हाथों से मेरे ब्लाउज के हुक एक एक करके खोलने लगा और मेरे होंठ उसके होठों से चिपके हुए थे. मुझे पीछे बैठे लड़के का ख्याल आया और मैंने विरोध करने की कोशिश की पर उसके चुंबन ने मुझे बहुत कमज़ोर बना दिया. मैं फिर से उसकी ज़िप में हाथ डालकर खड़े लंड को सहलाने लगी.

“ऊऊहह…..”

विकास का लंड हाथ में पकड़ना बहुत अच्छा लग रहा था. अपने पति का खड़ा लंड मैंने कई बार हाथों में पकड़ा था पर विकास का लंड पकड़ने में बहुत मज़ा आ रहा था , सच कहूं तो मेरे पति से भी ज्यादा. मैंने उसके अंडरवियर की साइड में से लंड को बाहर निकाल लिया. उसका लंड लंबा और तना हुआ था. मैं उसके सुपाड़े की खाल को सहलाने लगी और मेरी पैंटी हर गुज़रते पल के साथ और भी गीली होती जा रही थी.

मैं विकास के गरम लंड को सहला रही थी और अपने होठों पर उसके चुंबन का आनंद ले रही थी तभी मेरी चूचियों पर ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ. मैंने देखा विकास ने मेरे ब्लाउज के सारे हुक खोल दिए थे और अब मेरी सफेद ब्रा उसे दिख रही थी.

“उम्म्म्मम…..उम्म्म्म….”

मैं नही नही कहना चाह रही थी पर मेरे होंठ उसके होठों से चिपके हुए थे इसलिए मेरे मुँह से यही निकला. विकास मेरे बदन से ब्लाउज को निकालने की कोशिश कर रहा था. 

विकास ने ज़बरदस्ती मेरे ब्लाउज को खींचकर निकाल दिया , वो ब्लाउज ढीला था इसलिए उसे खींचने में ज़्यादा परेशानी भी नही हुई. जब तक उसने मेरा पूरा ब्लाउज नही उतार दिया तब तक उसने मुझे चूमना नही छोड़ा. 

ब्लाउज उतरने के बाद मेरी पीठ में कंपकपी दौड़ गयी. मैंने ब्लाउज को विकास से छीनने की कोशिश की पर उसने ब्लाउज को पीछे फेंक दिया और अब मेरी साड़ी उतारने लगा. उसने मुझे खड़ा कर दिया और कमर से साड़ी उतारने लगा. देखते ही देखते अब मैं विकास की बाँहों में सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी. मैंने पीछे मुड़कर देखा और मैं तो जैसी जड़वत हो गयी क्यूंकी बाबूलाल मेरी साड़ी और ब्लाउज को नाव से उठा रहा था और मेरी तरफ कामुकता से देख रहा था. औरत होने की स्वाभाविक शरम से मेरी बाँहें मेरी ब्रा के ऊपर आ गयीं .

विकास – मैडम , अपने कपड़ों की चिंता मत करो. बाबूलाल उनको सम्हाल कर रखेगा.

उस बदमाश बाबूलाल को देखकर मैं बहुत शरम महसूस कर रही थी , वो मेरी साड़ी और ब्लाउज को अपनी गोद में लिए हुए बैठा था और मुस्कुरा रहा था.

विकास – मैडम , तुम इतना क्यूँ शरमा रही हो ? वो छोटा सा लड़का है. 

“कुछ तो शरम करो विकास. मैं उसके सामने अपने कपड़े नही उतार सकती, छोटा लड़का है तो क्या हुआ.”

विकास ने बहस करने में कोई रूचि नही दिखाई और मुझे फिर से आलिंगन करके चूमना शुरू कर दिया. अब वो खुलेआम मेरे अंगों को छूने लगा था. एक हाथ से वो मेरी चूचियों को दबा रहा था और दूसरे हाथ से मेरे नितंबों को सहला रहा था , साथ ही साथ मेरे होठों को चूम रहा था. मैं उसकी हरकतों से उत्तेजित होकर कसमसाने लगी. मैंने उसके मजबूत बदन को आलिंगन में कस लिया और उसकी पीठ और नितंबों पर नाखून गड़ाने लगी. 

विकास – मैडम , एक बार मुझे छोड़ो.

“क्यूँ….?”

मेरे सवाल का जवाब दिए बिना , विकास अपने कपड़े उतारने लगा. मैं मुस्कुराते हुए उसे कपड़े उतारते हुए देखने लगी. कुछ ही पलों बाद अब वो सिर्फ अंडरवियर में था और बहुत सेक्सी लग रहा था. नाव अब बीच नदी में थी और चाँद की रोशनी में पानी चमक रहा था. अंधेरे की वजह से नदी के किनारे अब साफ नही दिखाई दे रहे थे. विकास कुछ कदम चला और बाबूलाल को अपने कपड़े दे आया क्यूंकी हवा चल रही थी और सम्हाल कर ना रखने पर कपड़ों के पानी में गिरने का ख़तरा था.

अब माहौल बहुत गरमा गया था और सच कहूँ तो मैं भी अब उस रोमांटिक माहौल में विकास की बाँहों में नंगी होने को उत्सुक थी. सिर्फ़ बाबूलाल की वजह से मैं दुविधा में थी. कपड़े उतरने के बाद विकास ने मुझे अपनी बाँहों में लिया और मेरी ब्रा को चूचियों के ऊपर उठाने की कोशिश करने लगा. मैंने उसे वैसा करने नही दिया तो उसने मेरी चिकनी पीठ में हाथ ले जाकर मेरी ब्रा के हुक खोलने की कोशिश की. मुझे मालूम था की बाबूलाल मेरी नंगी गोरी पीठ देखने का मज़ा ले रहा होगा क्यूंकी सिर्फ 1 इंच का ब्रा का स्ट्रैप पीठ पर था.

“विकास प्लीज़ , मत खोलो.”

मैंने अपनी आँखें बंद कर ली क्यूंकी विकास ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया था और अब मेरी पीठ पूरी नंगी हो गयी थी और मेरी चूचियां ढीली ब्रा में उछल गयीं. मैं उस हालत में उत्तेजना में काँपते हुए खड़ी थी और ठंडी हवा मेरी उत्तेजना को और भी बढ़ा दे रही थी. विकास ने जबरदस्ती मेरी बाँहों को मेरी छाती से हटाया और मेरी ब्रा को खींचकर निकाल दिया. अब मैं ऊपर से पूरी नंगी थी , शरम से मैंने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. मैं अब बीच नदी में एक खुली नाव में एक ऐसे आदमी की बाँहों में अधनंगी खड़ी थी जो मेरा पति नही था और वो भी उस नाववाले की आँखों के सामने.

विकास – बाबूलाल यहाँ आओ , ये भी रखो.

बाबूलाल – ठीक है विकास भैय्या.

मैंने थोड़ी सी आँखें खोली और देखा उस हिलती हुई नाव में बाबूलाल मेरी ब्रा लेने आ रहा था. मुझे शरम महसूस हो रही थी पर मैं जानती थी की अगर सम्हाल के नही रखी तो तेज हवा से पानी में गिर सकती है. मैंने अपना सर विकास की छाती में टिकाया हुआ था और मेरी नंगी चूचियों को भी उसकी छाती से छुपा रखा था. मैं बाबूलाल के वापस अपनी जगह में जाने का इंतज़ार करने लगी.

बाबूलाल – विकास भैय्या , मैडम की ब्रा तो पसीने से भीगी हुई है. इसको पहनकर तो उसे ठंड लग जाएगी.

बाबूलाल अब मेरी ब्रा को उलट पुलट कर देख रहा था और मेरी ब्रा के कप्स के अंदर देख रहा था. विकास ने मुझे अपने आलिंगन में लिया हुआ था और बाबूलाल से बात करते हुए उसका एक हाथ मेरे तने हुए निपल्स को मरोड़ रहा था.

विकास – इसको खुले में रखो ये ….

बाबूलाल ने विकास की बात काट दी.

बाबूलाल – विकास भैय्या , मैं इसको पोल में बाँध देता हूँ. तेज हवा से मैडम की ब्रा जल्दी ही सूख जाएगी.

“क्या…???”

ऐसी बेतुकी बात सुनकर मैं चुप नही रह सकी. बाबूलाल मेरी ब्रा को एक पोल से हवा में लटका कर लहराने के लिए छोड़ देगा. मैं सीधे बाबूलाल से बात करने के लिए सामने नही आ सकती थी क्यूंकी मेरे बदन के ऊपरी हिसे में कपड़े का एक धागा भी नही बचा था इसलिए मैं विकास के बदन से छुपी हुई थी.

“विकास प्लीज़ इस लड़के को रोको.”

विकास – मैडम , यहाँ कौन देख रहा है. अगर कोई दूर से देख भी लेगा तो समझेगा की पोल में कोई सफेद कपड़ा लटका हुआ है. कोई ये नही समझ पाएगा की हवा में ये तुम्हारी ब्रा लहरा रही है.

ऐसा कहते हुए विकास मुझे बाबूलाल के सामने चूमने लगा. उसके ऐसा करने से मेरी नंगी चूचियां बाबूलाल को दिखने लगी. वो एक निक्कर पहने हुआ था और उसमें बना तंबू बता रहा था की इस लाइव शो को देखकर उसे बहुत मज़ा आ रहा है. मैं विकास के चुंबन का आनंद ले रही थी पर मुझे उस लड़के को देखकर शरम भी आ रही थी. देर तक चुंबन लेकर विकास ने मेरे होंठ छोड़ दिए. तब तक बाबूलाल ने एक पोल में मेरी ब्रा लटका दी थी और उस तेज हवा में मेरी ब्रा सफेद झंडे की तरह लहरा रही थी.
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RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क... - by sexstories - 01-17-2019, 01:48 PM

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