Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे
01-17-2019, 01:48 PM,
#25
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
बाबूलाल ने एक पोल में मेरी ब्रा लटका दी थी और उस तेज हवा में मेरी ब्रा सफेद झंडे की तरह लहरा रही थी.

विकास ने बाबूलाल की इस हरकत पर रिएक्ट करने का मुझे मौका नही दिया. उसने बाबूलाल की तरफ पीठ कर ली और मुझे भी दूसरी तरफ घुमा दिया. अब मैं बाबूलाल की तरफ पीठ करके खड़ी थी और मेरे पीछे विकास खड़ा था. विकास का लंड उसके अंडरवियर से बाहर निकला हुआ था और पेटीकोट के बाहर से मेरे गोल नितंबों पर चुभ रहा था. शरम से मेरी बाँहें अपनेआप मेरी नंगी चूचियों पर चली गयी और मैंने हथेलियों से तने हुए निपल्स और ऐरोला को ढकने की कोशिश की. मेरे हल्के से हिलने डुलने से भी मेरी बड़ी चूचियाँ उछल जा रही थीं , विकास ने पीछे से अपने हाथ आगे लाकर मेरी चूचियों को दबोचना और मसलना शुरू कर दिया.

मैं अपनी जिंदगी में कभी भी ऐसे खुले में टॉपलेस नही हुई थी , सिर्फ़ अपने पति के साथ बेडरूम में होती थी. लेकिन पानी के बीच उस हिलती हुई नाव में मुझे स्वर्ग सा आनंद आ रहा था. विकास के हाथों से मेरी चूचियों के दबने का मैं बहुत मज़ा ले रही थी . उसके ऐसा करने से मेरी चूचियाँ और निपल्स तनकर बड़े हो गये और मेरी चूत पूरी गीली हो गयी. मैं धीमे धीमे अपने मुलायम नितंबों को उसके खड़े लंड पर दबाने लगी.

विकास ने अब अपना दायां चूचियों से हटा लिया और नीचे को मेरे नंगे पेट की तरफ ले जाने लगा. मेरी नाभि के चारो ओर हाथ को घुमाया फिर नाभि में अंगुली डालकर गोल घुमाने लगा.

“आआआह……...उहह……”

मैं धीमे धीमे सिसकारियाँ ले रही थी और मेरे रस से गुरुजी के दिए पैड को भिगो रही थी. विकास मेरी नंगी कमर पर हाथ फिराने लगा फिर उसने अपना हाथ मेरे पेटीकोट के अंदर डाल दिया. उसकी अँगुलियाँ मेरी प्यूबिक बुश (झांट के बालों) को छूने लगीं और धीरे से वहाँ के बालों को सहलाने लगीं. अपनेआप मेरी टाँगें आपस में चिपक गयी लेकिन विकास ने पीछे से मेरे नितंबों पर एक धक्का लगाकर जताया की मेरा टाँगों को चिपकाना उसे पसंद नही आया. मैंने खड़े खड़े ही फिर से टाँगों को ढीला कर दिया. विकास ने फ़ौरन मेरे पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया , जैसे ही पेटीकोट नीचे गिरने को हुआ मुझे घबराहट होने लगी. मैंने तुरंत हाथों से पेटीकोट पकड़ लिया और अपने बदन में बचे आख़िरी कपड़े को निकालने नही दिया.

“विकास , प्लीज़ इसे मत उतारो. मैं पूरी …..” (नंगी हो जाऊँगी)

विकास – मैडम , मैं तुम्हारा नंगा बदन देखना चाहता हूँ.

वो मेरे कान में फुसफुसाया और मेरे पेटीकोट को कमर से नीचे खींचने की कोशिश करने लगा.

“विकास , प्लीज़ समझो ना. वो हमें देख रहा होगा.”

विकास – मैडम , बाबूलाल की तरफ ध्यान मत दो. वो छोटा लड़का है. वैसे भी जब मैं तुम्हें चूम रहा था तब उसने तुम्हारी चूचियाँ देख ली थीं , है ना ? अब अगर वो तुम्हारी टाँगें देख लेता है तो क्या फर्क पड़ता है ? बोलो .”

विकास ने मेरे जवाब का इंतज़ार नही किया और मेरे हाथों को पेटीकोट से हटाने की कोशिश करने लगा. उसने पेटीकोट को मेरी जांघों तक खींच दिया और फिर मेरे हाथों से पेटीकोट छुड़ा दिया. पेटीकोट मेरे पैरों में गिर गया और अब मैं पूरी नंगी खड़ी थी सिवाय एक छोटी सी पैंटी के , जो इतनी छोटी थी की मेरे बड़े नितंबों को भी ठीक से नही ढक रही थी. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं अपने बाथरूम में खड़ी हूँ क्यूंकी खुले में ऐसे नंगी तो मैं कभी नही हुई. 

विकास – मैडम , तुम बिना कपड़ों के बहुत खूबसूरत लग रही हो. शादी के बाद भी तुम्हारा बदन इतना सेक्सी है …..उम्म्म्म……

विकास मेरे होठों को चूमने लगा और मेरे नंगे बदन पर हर जगह हाथ फिराने लगा. विकास ने मुझे नंगी कर दिया था पर फिर भी हैरानी की बात थी की इतनी कामोत्तेजित होते हुए भी मुझे चुदाई की तीव्र इच्छा नही हो रही थी. सचमुच गुरुजी की दवा अपना असर दिखा रही थी. मुझे ऐसा लगा की शायद विकास इस बात को जानता है. अब उसने धीरे से मुझे नाव के फर्श में लिटा दिया . अभी तक मैं विकास के बदन से ढकी हुई थी पर नीचे लिटाते समय बाबूलाल की आँखें बड़ी और फैलकर मुझे ही देख रही थी. फिर मैं शरम से जड़वत हो गयी जब मैंने देखा वो हमारी ही तरफ आ रहा था.

“विकास…..”

मैंने शरम से आँखें बंद कर ली और विकास को अपनी तरफ खींचा और उसके बदन से अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश की. लेकिन विकास ने मेरी बाँहों से अपने को छुड़ाया और मेरा पेटीकोट उठाकर बाबूलाल को दे दिया. और मुझे बेशरमी सी एक्सपोज़ कर दिया. मैं एक 28 बरस की हाउसवाइफ , बीच नदी में एक नाव में नाववाले के सामने पूरी नंगी थी सिवाय एक छोटी सी पैंटी के. मेरी भारी साँसों से मेरी गोल चूचियाँ गिर उठ रही थी और उनके ऊपर तने हुए गुलाबी निपल्स , उस दृश्य को बाबूलाल और विकास के लिए और भी आकर्षक बना रहे थे. मेरे पेटीकोट को विकास से लेते समय बाबूलाल ने अपनी जिंदगी का सबसे मस्त सीन देखा होगा. उस छोटे लड़के के सामने मैं नंगी पड़ी हुई थी और वो मेरे पूरे नंगे बदन को घूर रहा था , मुझे बहुत शरम आ रही थी पर उसके ऐसे देखने से मेरी चूत से छलक छलक कर रस बहने लगा.

बाबूलाल – विकास भैय्या, तेज हवा चल रही है , इसलिए मुझे बार बार उठकर यहाँ आने में परेशानी हो रही है. अगर मैडम पैंटी उतार दें तो मैं साथ ही ले जाऊँ.

उसकी बात सुनकर मैं अवाक रह गयी. अब यही सुनना बाकी रह गया था. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मैं कैसे रिएक्ट करूँ इसलिए मैं चुपचाप पड़ी रही.

विकास – बाबूलाल , अपनी हद में रहो. अगर तुम्हारी मदद की ज़रूरत होगी तो मैं तुमसे कहूँगा.

विकास ने उस लड़के को डांट दिया . मुझे बड़ी खुशी हुई. पर मेरी खुशी कुछ ही पल रही.

विकास – तुम क्या सोचते हो ? मैडम क्या इतनी बेशरम है की वो तुम्हारे सामने पूरी नंगी हो जाएगी ?

बाबूलाल – सॉरी विकास भैय्या.

विकास – क्या तुम नही जानते की अगर कोई औरत सब कुछ उतार भी दे तब भी उसकी पैंटी उसकी इज़्ज़त बचाए रखती है ? अगर पैंटी सही सलामत है तो समझो औरत सुरक्षित है. है ना मैडम ?

विकास ने मेरी पैंटी से ढकी चूत की तरफ अंगुली से इशारा करते हुए मुझसे ये सवाल पूछा. मुझे समझ नही आया क्या बोलूँ और उन दोनों मर्दों के सामने वैसी नंगी हालत में लेटे हुए मैंने बेवक़ूफ़ की तरह हाँ में सर हिला दिया. पता नही बाबूलाल को कुछ समझ में आया भी या नही पर वो मुड़ा और नाव के दूसरे कोने में अपनी सीट में जाकर बैठ गया. विकास ने अब और वक़्त बर्बाद नही किया. वो मेरे बदन के ऊपर लेट गया और मुझे अपने आलिंगन में ले लिया. हम फुसफुसाते हुए आपस में बोल रहे थे.

विकास – मैडम, तुम्हारा बदन इतना खूबसूरत है. तुम्हारा पति तुम्हें अपने से अलग कैसे रहने देता है ?

मैंने उसे देखा और अपने बदन पर उसके हाथों के स्पर्श का आनंद लेते हुए बोली…..

“अगर वो मुझे अलग नही रहने देता तो तुम मुझे कैसे मिलते ?”

विकास ने मेरे चेहरे और बालों को सहलाया और मेरे होठों के करीब अपने होंठ ले आया. मैंने अपने होंठ खोल दिए. उसके हाथ मेरे पूरे बदन को सहला रहे थे और ख़ासकर की मेरी तनी हुई रसीली चूचियों को. फिर विकास मेरी गर्दन और कानों को अपनी जीभ से चाटने लगा , मैंने आँखें बंद कर ली और धीमे से सिसकारियाँ लेने लगी. और फिर वो पहली बार मेरे निपल्स को चूसने लगा , एक निप्पल को चूस रहा था और दूसरे को अंगुलियों और अंगूठे के बीच मरोड़ रहा था. इससे मैं बहुत कामोत्तेजित हो गयी.

“आआआआहह…...”

मैं उत्तेजना से सिसकने लगी. विकास मेरी पूरी बायीं चूची को जीभ लगाकर छत रहा था और दायीं चूची को हाथों से सहला रहा था. मैं हाथ नीचे ले जाकर उसके खड़े लंड को सहलाने लगी. फिर वो मेरी दायीं चूची के निप्पल को ज़ोर से चूसने लगा जैसे उसमें से दूध निकालना चाह रहा हो. और बायीं चूची को ज़ोर से मसल रहा था , इससे मुझे बहुत आनंद मिल रहा था. जब उसने मेरी चूचियों को छोड़ दिया तो मैंने देखा चाँद की रोशनी में मेरी चूचियाँ विकास की लार से पूरी गीली होकर चमक रही थीं. मेरे निपल्स उसने सूज़ा दिए थे. शरम से मैंने आँखें बंद कर ली. 

विकास अब मेरे चेहरे और गर्दन को चाट रहा था. पहली बार मेरे पति की बजाय कोई गैर मर्द मेरे बदन पर इस तरह से चढ़ा हुआ था. पर जो आनंद मेरे पति ने दिया था निश्चित ही उससे ज़्यादा मुझे अभी मिल रहा था. विकास के हाथ मेरी चूचियों पर थे और हमारे होंठ एक दूसरे से चिपके हुए थे. हम दोनों एक दूसरे के होंठ चबा रहे थे और एक दूसरे की लार का स्वाद ले रहे थे. फिर विकास खड़ा हो गया और मेरे निचले बदन पर उसका ध्यान गया.

विकास – मैडम , प्लीज़ ज़रा पलट जाओ.

मैं नाव के फर्श पर लेटी हुई थी और अब नीचे को मुँह करके पलट गयी. मेरी पैंटी सिर्फ़ मेरे नितंबों के बीच की दरार को ही ढक रही थी , इसलिए विकास की आँखों के सामने मेरी बड़ी गांड नंगी ही थी. पैंटी उतरने से मेरी चूत के आगे लगा पैड गिर जाता इसलिए विकास ने नितंबों के बीच की दरार से पैंटी के कपड़े को उठाया और दाएं नितंब के ऊपर खिसका दिया. फिर उसने मेरी जांघों को फैलाया और मेरी गांड की दरार में मुँह लगाकर जीभ से चाटने लगा.

“उूउऊहह…...”

मैं कामोत्तेजना से काँपने लगी. मेरी नंगी गांड को चाटते हुए विकास भी बहुत कामोत्तेजित हो गया था. पहले उसने मेरे दोनों नितंबों को एक एक करके चाटा फिर दोनों नितंबों को अपनी अंगुलियों से अलग करके मेरी गांड की दरार को चाटने लगा. वो मेरी गांड के मुलायम माँस पर दाँत गड़ाने लगा और मेरी गांड के छेद को चाटने लगा. उसके बाद विकास मेरी गांड के छेद में धीरे से अंगुली करने लगा.

“आआआअहह…... ओह्ह ….”

उसकी अंगुली के अंदर बाहर होने से मेरी सांस रुकने लगी. उसने छेद में अंगुली की और उसे इतना चाटा की मुझे लगा छेद थोड़ा खुल रहा है और अब थोड़ा बड़ा दिख रहा होगा. मैंने भी अपनी गांड को थोड़ा फैलाया ताकि छेद थोड़ा और खुल जाए.

विकास – बाबूलाल , नाव में तेल है क्या ?

मैं विकास के अचानक किए गये सवाल से काँप गयी. कामोत्तेजना में मैं तो भूल ही गयी थी की नाव में कोई और भी है जो हमारी कामक्रीड़ा देख रहा है. 

बाबूलाल – हाँ विकास भैय्या. मैं ला के दूँ क्या ?

विकास ने हाँ में सर हिलाया और वो एक छोटी तेल की शीशी ले आया. मैं नीचे को मुँह किए लेटी थी इसलिए मुझे बाबूलाल के सिर्फ़ पैर दिख रहे थे. वो मेरे नंगे बदन से सिर्फ़ एक फीट दूर खड़ा था. तेल देकर बाबूलाल चला गया. विकास ने अपने खड़े लंड पर तेल लगाकर उसे चिकना किया.

विकास – मैडम अब आपको थोड़ा सा दर्द होगा पर उसके बाद बहुत मज़ा आएगा.

अब तेल से भीगे हुए लंड को उसने मेरी गांड के छेद पर लगाया.

“विकास प्लीज़ धीरे से करना….”

मैंने विकास से विनती की. विकास ने धीरे से झटका दिया , उसके तेल से चिकने लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छेद में घुसने लगा. मुझे ज़्यादा तकलीफ़ नही हुई क्यूंकी चिकनाई की वजह से उसका लंड छेद में धीरे धीरे अंदर घुसता चला गया. अब वो लंड को गांड में अंदर बाहर करने लगा. मैंने नाव के फर्श को पकड़ लिया . विकास ने मेरे बदन के नीचे हाथ घुसाकर मेरी चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा.

“ओह्ह …..बहुत मज़ा आ रहा है…...”

मैंने विकास को और ज़्यादा मज़ा देने के लिए अपनी गांड को थोड़ा ऊपर को धकेला और अपनी कोहनियों के बल लेट गयी . इससे मेरी चूचियाँ हवा में उठ गयी और दो आमों की तरह विकास ने उन्हें पकड़ लिया. सच कहूँ तो मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था पर शुक्र था की विकास ने तेल लगाकर चिकनाई से थोड़ा आसान कर दिया था. और वैसे भी वो किसी हड़बड़ाहट में नही था बल्कि बड़े आराम आराम से मेरी गांड की चुदाई कर रहा था. हम दोनों ही धीरे धीरे से कामक्रीड़ा कर रहे थे. वो धीरे धीरे अपना लंड घुसा रहा था और मैं अपनी गांड पीछे को धकेल रही थी , जब तक की उसका लंड जड़ तक मेरे अंदर नही घुस गया. अब उसने धक्के लगाने शुरू किए और मैं उसके हर धक्के के साथ कामोन्माद में डूबती चली गयी. कुछ देर तक वो धक्के लगाते रहा और मैं काम सुख लेती रही. कुछ देर बाद मैं चरम पर पहुँच गयी और मुझे ओर्गास्म आ गया. 

“आआआअहह…...ओह्ह ….” 

पैंटी में लगे पैड को मैंने चूतरस से पूरा भिगो दिया. मेरे साथ ही विकास भी झड़ गया. हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही लेटे रहे और ठंडी हवा और नदी की पानी के आवाज़ को सुनते हुए नाव में उस प्यारी रात का आनंद लेते रहे. फिर विकास उठा और अपने अंडरवियर से मेरी गांड में लगा हुआ अपना वीर्य साफ किया. मुझे पता भी नही चला था की कब उसने अपना अंडरवियर उतार दिया था और वो पूरा नंगा कब हुआ. मेरी गांड पोंछने के बाद उसने मेरी पैंटी के सिरों को पकड़कर मेरे दोनों नितंबों के ऊपर फैला दिया. अब मैं कोई शरम नही महसूस कर रही थी , वैसे भी मुझे लगने लगा था की अब मुझमें थोड़ी सी ही शरम बची थी. फिर मैं सीधी हुई और बैठ गयी , मेरा मुँह बाबूलाल की तरफ था. वो मेरी नंगी चूचियों को घूर रहा था. लेकिन मैंने उन्हें छुपाने की कोशिश नही की बल्कि बाबूलाल की तरफ पीठ कर दी. मैंने विकास के लंड को देखा जो अब सारा रस निकलने के बाद केले की तरह नीचे को लटक रहा था. 

“विकास , प्लीज़ मेरे कपड़े दो. मैं ऐसी हालत में अब और नही रह सकती.”

विकास – बाबूलाल , मैडम के कपड़े ले आओ. मैडम , अब तुम नदी के किनारे की तरफ जाना चाहोगी या कुछ देर और नदी में ही ?

“यहीं थोड़ा और वक़्त बिताते हैं.”

विकास – ठीक है मैडम, अभी बैलगाड़ी के मंदिर में आने में कुछ और वक़्त बाकी है.

बाबूलाल ने विकास को मेरे कपड़े लाकर दिए और मैं जल्दी से कपड़े पहनने लगी . मैंने ब्रा पहनी और विकास ने पीछे से हुक लगा दिया. मैं इतना कमज़ोर महसूस कर रही थी की मैंने उसके ‘पति की तरह’ व्यवहार को भी मंजूर कर लिया. मेरी ब्रा का हुक लगाने के बाद वो फिर से मेरी चूचियों को सहलाने लगा.

“विकास अब मत करो. दर्द कर रहे हैं.”

विकास – लेकिन ये तो फिर से तन गये हैं मैडम.

मेरे तने हुए निपल्स को छूते हुए विकास बोला. वो ब्रा के ऊपर से ही अपने अंगूठे और अंगुली के बीच निपल्स को दबाने लगा. मैंने भी उसके मुरझाए हुए लंड को पकड़कर उसको माकूल जवाब दिया.

“लेकिन ये तो तैयार होने में वक़्त लेगा, डियर.” 

हम दोनों हंस पड़े और एक दूसरे को आलिंगन किया. फिर मैंने ब्लाउज पहन लिया और पेटीकोट अपने ऊपर डाल लिया. विकास ने मुझे साड़ी नही पहनने दी और कुछ देर तक उसी हालत में बिठाए रखा.

विकास – मैडम, ऐसे तुम बहुत सेक्सी लग रही हो.

बाबूलाल को भी काफ़ी देर तक मेरे आधे ढके हुए बदन को देखने का मौका मिला और इस नाव की सैर के हर पल का उसने भरपूर लुत्फ़ उठाया होगा. समय बहुत धीरे धीरे खिसक रहा था और उस चाँदनी रात में ठंडी हवाओं के साथ नाव नदी में आगे बढ़ रही थी. हम दोनों एक दूसरे के बहुत नज़दीक़ बैठे हुए थे, एक तरह से मैं विकास की गोद में थी और उस रोमांटिक माहौल में मुझे नींद आने लगी थी. नाव चुपचाप आगे बढ़ती रही और मुझे ऐसा लग रहा था की ये सफ़र कभी खत्म ही ना हो.
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RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क... - by sexstories - 01-17-2019, 01:48 PM

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