Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे
01-17-2019, 01:49 PM,
#29
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
खट …खट …..चाचू दरवाज़ा खटखटाने लगे.

चाचू – रश्मि जल्दी आ.

अब मेरे पास कोई चारा नहीं था सिवाय इसके की मैं दरवाज़ा खोलूं और उस बदन दिखाऊ नाइटी में चाचू के सामने आऊं. हिचकिचाते हुए मैंने दरवाज़ा खोल दिया पर शरम की वजह से मैं कमरे से बाहर नहीं आ पाई. दरवाज़ा खुलते ही चाचू अंदर आ गये और मुझे देखने लगे. मैं सर झुकाए और अपनी टाँगों को चिपकाए हुए खड़ी थी. चाचू की आँखों के सामने मेरी गोरी जाँघें और टाँगें पूरी नंगी थीं.

चाचू – वाउ . रश्मि तू तो बड़ी सेक्सी लग रही है इस ड्रेस में. किसी हीरोइन से कम नहीं.

चाचू के मुँह से ‘सेक्सी’शब्द सुनकर मुझे एक पल को झटका लगा . वो मुझसे काफी बड़ी उम्र के थे और मैंने पहले कभी चाचू से इस तरह के कमेंट्स नहीं सुने थे. लेकिन सच कहूँ तो उस समय अपनी तारीफ सुनकर मुझे खुशी हुई थी. वो मेरे नजदीक़ आए और मेरे पेट को ऐसे छुआ जैसे उन्हें उस ड्रेस में मैं अच्छी लगी हूँ. मैंने देखा उनकी नजरें मेरे पूरे बदन में घूम रही थीं. मैं उस कमरे में चाचू के सामने अधनंगी हालत में खड़ी थी. मैंने ख्याल किया की अब चाचू बाएं हाथ से अपनी लुंगी के आगे वाले हिस्से को रगड़ रहे हैं, बल्कि लुंगी के अंदर वो अपने लंड को सहला रहे थे, ये देखकर मैं बहुत असहज महसूस करने लगी.

चाचू – रश्मि एक काम करते हैं , मेरे कमरे में चलते हैं.

ऐसा कहते हुए चाचू ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे कमरे से बाहर खींच लिया. फिर वो अपने कमरे की तरफ जाने लगे. मेरे पास भी उनके पीछे जाने के सिवा कोई चारा नहीं था. चलते समय ड्रेस का पतला कपड़ा मेरे हर कदम के साथ ऊपर उठ जा रहा था. मुझे चिंता होने लगी की कहीं पीछे से मेरी पैंटी तो नहीं दिख जा रही है. मैं खुद अपने पीछे नहीं देख सकती थी इसलिए मुझे और भी ज़्यादा घबराहट होने लगी. पर जल्दी ही ये बात मुझे खुद चाचू से पता चल गयी.

जब हम चाचू के कमरे में पहुचे तो उन्होंने लाइट्स ऑन कर दी. कमरे में पहले से ही उजाला था इसलिए मुझे समझ नहीं आया की चाचू ट्यूबलाइट और एक तेज बल्ब को क्यूँ जला रहे हैं. कमरे में तेज रोशनी होने से मुझे ऐसा लगा जैसे मैं और भी ज़्यादा एक्सपोज हो गयी हूँ.

“चाचू, लाइट्स क्यूँ जला रहे हो ? उजाला तो वैसे ही हो रहा है.”

चाचू – क्यूँ ? तुझे क्या परेशानी है लाइट्स से ?

“नहीं चाचू परेशानी नहीं है. पर ये ड्रेस इतनी छोटी है की…....”

चाचू – की तुझे शरम आ रही है. है ना ?

मैंने हामी में सर हिला दिया.

चाचू – चल तू आधी नंगी है तो मैं भी वही हो जाता हूँ. तब चीज बराबर हो जाएगी और तुझे शरम नहीं आएगी.

“नहीं चाचू मेरा वो मतलब नहीं……..”

मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी की चाचू ने अपनी लुंगी फर्श पर गिरा दी. मुझे कुछ कहने का मौका दिए बिना उन्होंने अपनी बनियान भी उतार दी. अब वो मेरे सामने सिर्फ कच्छे में खड़े थे और उसमें उभार मुझे साफ दिखाई दे रहा था. कच्छे के अंदर उनका लंड कपड़े को बाहर को ताने हुए बहुत अश्लील लग रहा था. उस समय तक मैंने कभी किसी मर्द को अपने सामने ऐसे नंग धड़ंग नहीं देखा था. मुझे अपने जवान बदन में गर्मी बढ़ती हुई महसूस हुई.

चाचू ने मुझे तेज रोशनी वाले बल्ब के नीचे खड़े होने को कहा. मैंने वैसा ही किया , मेरी आँखें चाचू के कच्छे में खड़े लंड पर टिकी हुई थीं. चाचू की नजरें मेरी गोरी टाँगों पर थी. अब वो मेरे बहुत नजदीक़ आ गये और गौर से मेरे पूरे बदन को देखने लगे. 

चाचू – रश्मि , तेरी ब्रा तो दिख रही है.

“जी चाचू. कंधों पर कोई कवर नहीं है ना इसलिए ब्रा के स्ट्रैप दिख रहे हैं.”

चाचू – ये एक एडवांटेज है तेरी चाची को अगर वो ये ड्रेस पहनती है. क्यूंकी उसके बाल लंबे हैं तो कंधा उससे ढक जाएगा.

“जी चाचू.”

अब चाचू ने मेरे कंधे में ब्रा के स्ट्रैप को छुआ. मेरे कंधे नंगे थे, वहाँ पर सिर्फ ड्रेस के फीते और ब्रा के स्ट्रैप थे. चाचू के मेरी ब्रा के स्ट्रैप को छूने से मेरे बदन में कंपकपी दौड़ गयी.

चाचू – ये क्या फ्रंट ओपन ब्रा है रश्मि ?

वो मेरी ब्रा के स्ट्रैप को छूते हुए पूछ रहे थे. मेरे बहुत नजदीक़ खड़े होने से उनको मेरी थोड़ी सी क्लीवेज भी दिख रही थी. मैं उनको ऐसे अपना बदन दिखाते हुए और उनके अटपटे सवालों का जवाब देते हुए बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी.

“नहीं चाचू. ये बैक ओपन है. फ्रंट ओपन इतनी रिस्की होती है , एक बार हुक खुल गया था तो……..”

चाचू – हम्म्म ……लेकिन तेरी उमर की बहुत सारी लड़कियाँ फ्रंट ओपन ब्रा पहनती हैं क्यूंकी बैक ओपन ब्रा की हुक खोलना और लगाना आसान नहीं है.

“हाँ वो तो है. मैं भी तो कितनी बार नेहा दीदी को बोलती हूँ हुक लगाने के लिए.”

“शुक्र कर आज किसी को बुलाना नहीं पड़ा, नहीं तो मुझे तेरी ब्रा का हुक लगाना पड़ता.

मैं शरमा गयी और खी खी कर हंसने लगी. वो मेरी मासूमियत से खेल रहे थे पर उस समय मुझे इतनी समझ नहीं थी.

चाचू – रश्मि , मैं यहाँ कुर्सी में बैठता हूँ. तू एकबार मेरे सामने से दरवाज़े तक जा और फिर वापस आ.

“पर क्यूँ चाचू ?”

चाचू – तू जब यहाँ आ रही थी मुझे लगा की ड्रेस के नीचे से तेरी पैंटी दिख रही है, तेरे चलने पर दिख रही है. ऐसा तो होना नहीं चाहिए.

ये सुनकर मैं अवाक रह गयी. मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. शर्मिंदगी से मैं सर भी नहीं उठा पा रही थी. 
मैंने वैसा ही किया जैसा चाचू ने हुकुम दिया था. चलने से पहले मैंने ड्रेस को नीचे खींचने की कोशिश की पर बदक़िस्मती से वो छोटी ड्रेस बिल्कुल भी नीचे नहीं खिंच रही थी.

चाचू – रश्मि तेरी पैंटी तो साफ दिख रही है ड्रेस के नीचे से. तूने सफेद रंग की पैंटी पहनी है ना ?

चाचू के कमेंट से मैंने बहुत अपमानित और शर्मिंदगी महसूस की. मुझे समझ नहीं आ रहा था की क्या करूँ , इसलिए चुपचाप सहन कर लिया. मैंने सर हिलाकर हामी भर दी की सफेद पैंटी पहनी है.

चाचू – अच्छा अब एक बार मेरे पास आ. मैं जरा देखूं इसे कुछ किया जा सकता है की नहीं.

मेरे पास कहने को कुछ नहीं था , मैं चाचू की कुर्सी के पास आ गयी. वो मेरे सामने झुक गये और अब उनकी आँखें मेरी गोरी गोरी जांघों के सामने थीं. अब दोनों हाथों से उन्होंने मेरी ड्रेस के सिरों को पकड़ा और नीचे खींचने की कोशिश की पर वो नीचे नहीं आई.

चाचू – रश्मि , ये ड्रेस तो और नीचे नहीं आएगी. लेकिन एक काम हो सकता है शायद.

मैंने चाचू को उलझन भरी निगाहों से देखा. वो खड़े हो गये.

चाचू – ये जो ड्रेस के फीते तूने कंधे पर बाँधे हैं ना , उनको थोड़ा ढीला करना पड़ेगा, तब ये ड्रेस थोड़ा नीचे आएगी.

उनके सुझाव से मेरे दिल की धड़कन एक पल के लिए बंद हो गयी.

“पर चाचू उनको ढीला करने से तो नेकलाइन डीप हो जाएगी.”

चाचू – देख रश्मि, ये ड्रेस तो तेरी मम्मी की चॉइस है. दाद देनी पड़ेगी भाभी को. या तो पैंटी एक्सपोज करो या फिर ब्रा.

अब ये तो मेरे लिए उलझन वाली स्थिति हो गयी थी. मैंने चाचू पर ही बात छोड़ दी.

“चाचू मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. मम्मी ने ये कैसी ड्रेस खरीदी है.”

चाचू – तू सिर्फ चुपचाप खड़ी रह. मैं देखता हूँ.

अब चाचू ने मेरे कंधों पर ड्रेस के फीतों को ढीला कर दिया. फीते ढीले करते हुए चाचू ने ड्रेस के अंदर झाँककर मेरी ब्रा से ढकी हुई चूचियों को देखा जो मेरे सांस लेने से ऊपर नीचे हो रही थीं. चाचू ने शालीनता की सभी सीमाओं को लाँघते हुए मेरी ड्रेस को इतना नीचे कर दिया की मेरी आधी ब्रा दिखने लगी और ब्रा के दोनों कप्स के बीच पूरी क्लीवेज दिख रही थी. ड्रेस को इतना नीचे करके अब वो मेरे कंधों पर फीते बाँधने लगे. मैंने विनती करते हुए विरोध करने की कोशिश की .

“चाचू, प्लीज ऐसे नहीं. मेरी आधी दूध दिख रही हैं.”

चाचू – कहाँ दिख रही हैं. मैं तो सिर्फ ब्रा देख पा रहा हूँ.

“आप आज बड़े बेशरम हो गये हो चाचू.”

चाचू ने मेरे कंधों पर फीते ढीले करके बाँध दिए और अब ड्रेस मेरे नितंबों से थोड़ी नीचे तक आ गयी.

चाचू – अब जाके तेरी पैंटी सेफ हुई. एकबार घूम जा.

मैं चाचू की तरफ पीठ करके घूम गयी.
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