Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे
01-17-2019, 01:50 PM,
#33
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
अब मैं टेबल में बैठ गयी और गुरुजी फिर से दूसरी टेबल के पास चले गये. मैंने अपनी कमर से साड़ी का पल्लू निकाला और साड़ी ठीक ठाक करके पीठ के बल लेट गयी. लेटने से पल्लू मेरी छाती के ऊपर खिंच गया , मैंने देखा मेरी चूचियाँ दो बड़े पहाड़ों की तरह , मेरी साँसों के साथ ऊपर नीचे हिल रही हैं. मैंने पल्लू को ब्लाउज के ऊपर फैलाकर उन्हें ढकने की कोशिश की. 

अब गुरुजी मेरी टेबल के पास आ गये थे. दूसरी टेबल से वो बीपी नापने वाला मीटर, स्टेथेस्कोप और कुछ अन्य उपकरण ले आए थे. 

गुरुजी – रश्मि तुम तैयार हो ?

“हाँ गुरुजी.”

गुरुजी – सबसे पहले मैं तुम्हारा बीपी चेक करूँगा. तुम्हें अपने बीपी की रेंज मालूम है ?

“नहीं गुरुजी.”

गुरुजी – ठीक है. अपनी बाई बाँह को थोड़ा ऊपर उठाओ.

मैंने अपनी बायीं बाँह थोड़ी ऊपर उठाई. गुरुजी ने मेरी बाँह में बीपी नापने के लिए मीटर का काला कपड़ा कस के बाँध दिया और पंप करने लगे. मेरा बीपी 130/80 आया , गुरुजी ने कहा नॉर्मल ही है . वैसे ऊपर की रीडिंग थोड़ी ज्यादा है . फिर वो मेरी बाँह से मीटर का कपड़ा खोलने लगे. मैंने देखा बीच बीच में उनकी नज़रें मेरी ऊपर नीचे हिलती हुई चूचियों पर पड़ रही थी.

गुरुजी – अब तुम्हारी नाड़ी देखता हूँ.

ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरी बायीं कलाई पकड़ ली. उनके गरम हाथों का स्पर्श मेरी कलाई पर हुआ , पता नहीं क्यूँ पर मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. शायद कुछ ही देर पहले विकास ने जो मुझे अधूरा गरम करके छोड़ दिया था उस वजह से ऐसा हुआ हो.

गुरुजी – अरे …..

“क्या हुआ गुरुजी ..?”

गुरुजी – रश्मि , तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज चल रही है , जैसे की तुम बहुत एक्साइटेड हो . लेकिन तुम तो अभी अभी पूजा करके आई हो , ऐसा होना तो नहीं चाहिए था…...फिर से देखता हूँ.

गुरुजी ने मेरी कलाई को अपनी दो अंगुलियों से दबाया. मुझे मालूम था की मेरी नाड़ी तेज क्यूँ चल रही है. मैं उनके नाड़ी नापने का इंतज़ार करने लगी, पर मुझे फिकर होने लगी की कहीं कुछ और ना पूछ दें की इतनी तेज क्यूँ चल रही है .

गुरुजी – क्या बात है रश्मि ? तुम शांत दिख रही हो पर तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज भाग रही है.

“मुझे नहीं मालूम गुरुजी.”

मैंने झूठ बोलने की कोशिश की पर गुरुजी सीधे मेरी आँखों में देख रहे थे .

गुरुजी – तुम्हारी हृदयगति देखता हूँ.

कहते हुए उन्होंने मेरी कलाई छोड़ दी. फिर स्टेथेस्कोप को अपने कानों में लगाकर उसका नॉब मेरी छाती में लगा दिया. उनका हाथ पल्लू के ऊपर से मेरी चूचियों को छू गया. मुझे थोड़ा असहज महसूस हो रहा था. . गुरुजी मेरी छाती के ऊपर झुके हुए थे पर मेरी आँखों में देख रहे थे. मेरा गला सूखने लगा और मेरा दिल और भी ज़ोर से धड़कने लगा. अब गुरुजी ने नॉब को थोड़ा सा नीचे खिसकाया , मेरे बदन में कंपकपी सी दौड़ गयी. वो पल्लू के ऊपर से मेरी बायीं चूची के ऊपर नॉब को दबा रहे थे. मेरी साँसें भारी हो गयीं.

गुरुजी – रश्मि तुम्हारी हृदयगति भी तेज है. कुछ तो बात है.

मैंने मासूम बनने की कोशिश की.

“गुरुजी , पता नहीं ऐसा क्यूँ हो रहा है ?”

गुरुजी ने अभी भी नॉब को मेरी बायीं चूची के ऊपर दबाया हुआ था. उनके ऐसे दबाने से अब ब्लाउज के अंदर मेरी चूचियाँ टाइट होने लगीं. फिर उन्होंने मेरी छाती से स्टेथेस्कोप हटा लिया लेकिन उनकी नज़रें मेरी चूचियों पर ही थीं. औरत की स्वाभाविक शरम से मैंने चूचियों के ऊपर पल्लू ठीक करने की कोशिश की पर ठीक करने को कुछ था ही नहीं क्यूंकी गुरुजी ने पल्लू नहीं हटाया था.

गुरुजी –रश्मि तुम कोई छोटी बच्ची नहीं हो की तुम्हें मालूम ही ना हो की तुम्हारी नाड़ी और हृदयगति तेज क्यूँ हैं. तुम एक परिपक़्व औरत हो और तुम्हें मुझसे कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए.

अब मैं दुविधा में थी की क्या कहूँ और कैसे कहूँ ? गुरुजी से कुछ तो कहना ही था . मैंने बात को घुमा दिया.

“गुरुजी वो …मेरा मतलब……मुझे रात में थोड़ा वैसा सपना आया था शायद उसका ही प्रभाव हो …”

गुरुजी – लेकिन तुम कम से कम एक घंटा पहले उठ गयी होगी. अब तक उस सपने का प्रभाव इतना ज़्यादा तो नहीं हो सकता .

मैं ठीक से जवाब नहीं दे पा रही थी. इस सब के दौरान मैं टेबल पर लेटी हुई थी और गुरुजी मेरी छाती के पास खड़े थे.

गुरुजी – रश्मि जिस तरह से तुम्हारी चूचियाँ ऊपर नीचे उठ रही हैं , मुझे लगता है कुछ और बात है.

अपनी चूचियों के ऊपर गुरुजी के डाइरेक्ट कमेंट करने से मैं शरमा गयी . मैंने उनका ध्यान मोड़ने की भरसक कोशिश की.

“नहीं नहीं गुरुजी. ये तो आपके …”

मैंने जानबूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी और अपने दाएं हाथ से इशारा करके बताया की उनके मेरी चूची पर स्टेथेस्कोप लगाने से ये हुआ है. मेरे इशारों को देखकर गुरुजी का मनोरंजन हुआ और वो ज़ोर से हंस पड़े.

गुरुजी – अगर इस बेजान स्टेथेस्कोप के छूने से तुम्हारी हृदयगति इतनी बढ़ गयी तो किसी मर्द के छूने से तो तुम बेहोश ही हो जाओगी.

वो हंसते रहे. मैं भी मुस्कुरा दी.

गुरुजी – ठीक है रश्मि . मैं तुम्हारी बात मान लेता हूँ की तुम्हें रात में उत्तेजक सपना आया था. और अब मेरे चेकअप करने से तुम थोड़ी एक्साइटेड हो गयी.

ये सुनकर मैंने राहत की साँस ली.

गुरुजी –लेकिन मैं तुम्हें बता दूं की ये अच्छे लक्षण नहीं हैं. तुम्हारी नाड़ी और हृदयगति इतनी तेज चल रही हैं की अगर तुम संभोग कर रही होती तब भी इतनी नहीं होनी चाहिए थी.

मैंने गुरुजी को प्रश्नवाचक नज़रों से देखा क्यूंकी मेरी समझ में नहीं आया की इसके दुष्परिणाम क्या हैं ?

गुरुजी – अब मैं तुम्हारे शरीर का तापमान लूँगा. इसको अपनी बायीं कांख में लगाओ.

कहते हुए गुरुजी ने थर्मामीटर दिया. अब मेरे लिए मुश्किल हो गयी. घर में तो मैं मुँह में थर्मामीटर लगाती थी पर यहाँ गुरुजी कांख में लगाने को बोल रहे थे. लेकिन मैं तो साड़ी ब्लाउज पहने हुए थी और कांख में लगाने के लिए तो मुझे ब्लाउज उतारना पड़ता.

“गुरुजी , इसको मुँह में रख लूँ ?”

गुरुजी – नहीं नहीं रश्मि. ये साफ नहीं है और अभी यहाँ डेटोल भी नहीं है. मुँह में डालने से तुम्हें इन्फेक्शन हो सकता है.

अब मेरे पास कोई चारा नहीं था और मुझे कांख में ही थर्मामीटर लगाना था.

गुरुजी – अपने ब्लाउज के दो तीन हुक खोल दो और ….

गुरुजी ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी . पूरी करने की ज़रूरत भी नहीं थी. मैं उठ कर बैठ गयी और पल्लू की ओट में अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगी. गुरुजी सिर्फ़ एक फुट दूर खड़े थे और मुझे ब्लाउज खोलते हुए देख रहे थे. मैंने ब्लाउज के ऊपर के दो हुक खोले और थर्मामीटर को कांख में लगाने को पकड़ा.

गुरुजी – रश्मि एक हुक और खोलो नहीं तो थर्मामीटर ठीक से नहीं लगेगा. और फिर ग़लत रीडिंग आएगी.

मेरे ब्लाउज के हुक्स के ऊपर उनके डाइरेक्ट कमेंट से मैं चौंक गयी . मेरे पति को मेरे ब्लाउज को खोलने का बड़ा शौक़ था. अक्सर वो मेरे ब्लाउज के हुक खुद खोलने की ज़िद करते थे. मुझे हैरानी होती थी की मेरी चूचियों से भी ज़्यादा मेरा ब्लाउज क्यूँ उनको आकर्षित करता है .

मैं गुरुजी को मना नहीं कर सकती थी. मैंने थर्मामीटर टेबल में रख दिया और पल्लू के अंदर हाथ डालकर ब्लाउज का तीसरा हुक खोलने लगी. मैंने देखा पल्लू के बाहर से मेरी गोरी गोरी चूचियों का ऊपरी भाग साफ दिख रहा था. मैंने अपनी आँखों के कोने से देखा गुरुजी की नज़रें वहीं पर थी. मुझे मालूम था की अगर मैं ब्लाउज का तीसरा हुक भी खोल दूं तो मेरे अधखुले ब्लाउज से ब्रा भी दिखने लगेगी. लेकिन मेरे पास कोई और चारा नही था और मुझे तीसरा हुक भी खोलना पड़ा.

गुरुजी – हाँ अब ठीक है. अब थर्मामीटर लगा लो.

मैंने अपनी बायीं बाँह थोड़ी उठाई और आधे खुले ब्लाउज के अंदर से थर्मामीटर कांख में लगा लिया. फिर मैंने पल्लू को एडजस्ट करके गुरुजी की नज़रों से अपनी चूचियों को छुपाने की कोशिश की.

गुरुजी – दो मिनट तक लगाए रखो.

ये मेरे लिए बड़ा अटपटा था की मैं आधे खुले ब्लाउज में एक मर्द के सामने ऐसे बैठी हूँ. इसीलिए मैं चेकअप वगैरह के लिए लेडी डॉक्टर को दिखाना ही पसंद करती थी. वैसे मैं गुरुजी के सामने ज़्यादा शरम नहीं महसूस कर रही थी ख़ासकर की पिछले दो दिनों में मैंने जितनी बेशर्मी दिखाई थी उसकी वजह से. वरना पहले तो मैं बहुत ही शरमाती थी.

गुरुजी – टाइम हो गया. रश्मि अब निकाल लो.

मैंने थर्मामीटर निकाल लिया और गुरुजी को दे दिया. फिर फटाफट अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगी , मुझे क्या पता था कुछ ही देर में फिर से खोलना पड़ेगा.

गुरुजी –तापमान तो ठीक है. लेकिन इतनी सुबह तुम्हें पसीना बहुत आया है.

ऐसा कहते हुए उन्होंने थर्मामीटर के बल्ब में अंगुली लगाकर मेरे पसीने को फील किया. मुझे शरम आई और मेरे पास जवाब देने लायक कुछ नहीं था.

फिर मैंने जो देखा उससे मैं शॉक्ड रह गयी. गुरुजी ने थर्मामीटर के बल्ब को अपनी नाक के पास लगाया और मेरी कांख के पसीने की गंध को अपने नथुनों में भरने लगे. उनकी इस हरकत से मेरी भौंहे तन गयीं पर उनके पास हर बात का जवाब था.

गुरुजी – रश्मि, तुम्हें ज़रूर हैरानी हो रही होगी की मैं ऐसे क्यूँ सूंघ रहा हूँ. लेकिन गंध से इस बात का पता चलता है की हमारे शरीर का उपापचन (मेटाबॉलिज़म) कैसा है. अगर दुर्गंध आ रही है तो समझ लो उपापचन ठीक से नहीं हो रहा है. इसीलिए मुझे ये भी चेक करना पड़ता है.

ये सुनकर मैंने राहत की साँस ली. अब गुरुजी ने थर्मामीटर , बीपी मीटर एक तरफ रख दिए. मैं टेबल में बैठी हुई थी. गुरुजी अब मेरे अंगों का चेकअप करने लगे. पहले उन्होंने मेरी आँख, कान और गले को देखा. उनकी गरम अंगुलियों से मुझे बहुत असहज महसूस हो रहा था. उनके ऐसे छूने से मुझे कुछ देर पहले विकास के अपने बदन को छूने की याद आ जा रही थी. गुरुजी का चेहरा मेरे चेहरे के बिल्कुल पास था और किसी किसी समय उनकी गरम साँसें मुझे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी , जिससे मेरे बदन में कंपकपी दौड़ जा रही थी. उसके बाद उन्होंने मेरी गर्दन और कंधों की जाँच की. कंधों को जाँचने के लिए उन्होंने वहाँ पर से साड़ी हटा दी. मुझे ऐसा लग रहा था विकास के अधूरे काम को ही गुरुजी आगे बढ़ा रहे हैं. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था पर मैंने बाहर से नॉर्मल दिखने की भरसक कोशिश की.

गुरुजी – रश्मि अब तुम लेट जाओ. मुझे तुम्हारे पेट की जाँच करनी है.
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