Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे
01-17-2019, 02:09 PM,
#52
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
नौकर – हाँ मैडम , पैंटी….. पैंटी…... मैं इसका नाम भूल जाता हूँ. पता नहीं क्यूँ. 

मैं सोच रही थी की अब फिर से इसे बोलूं की कमरे का दरवाज़ा बंद कर दे ताकि मैं बाथरूम से बाहर निकलूं लेकिन इसका मुँह ही बंद नहीं हो रहा था.

नौकर – लेकिन मैडम, ये तो इतनी छोटी सी होती है , मुझे समझ नहीं आता की आप लोग इसे पहनते ही क्यूँ हो ? मैडम, सेठानी भी इसे पहनती है. जब वो इसे धोने के लिए देती है तो मेरी हँसी नहीं रुकती.

“क्यूँ ?”

धीरे धीरे मुझे उसकी बातों में इंटरेस्ट आ रहा था इसलिए मेरे मुँह से अपनेआप ‘क्यूँ’ निकल गया. फिर मुझे लगा की बेकार ही पूछ बैठी क्यूंकी जवाब तो जाहिर था.

नौकर –मैडम, आपने तो सेठानी को देखा ही होगा. क्या गांड है उसकी. ये छोटी सी चीज़ क्या ढकेगी मैडम ? ना गांड , ना चूत.

उसने बड़े आराम से बातचीत में ऐसे अश्लील शब्द बोल दिए , मैं तो शॉक्ड रह गयी और दरवाज़े के पीछे अवाक खड़े रही. मैंने अपने मन को ये सोचकर दिलासा देने की कोशिश की, कि ये तो लोवर क्लास आदमी है तो ऐसे शब्द बोलने का आदी होगा. मैंने इसे इग्नोर करने की कोशिश की लेकिन एक मर्द के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी.

मुझे शरम भी आ रही थी और इरिटेशन भी हो रही थी कि एक अंजान आदमी, वो भी घर का नौकर, मुझसे ऐसी भाषा में बात कर रहा है. जब मैं शादी के बाद अपनी ससुराल आई तो खुशकिस्मती से वहाँ कोई मर्द नौकर नहीं था लेकिन शादी से पहले मेरे मायके में एक नौकर था पर बोलचाल में मैंने कभी उसके मुँह से ऐसे अश्लील शब्द नहीं सुने. वैसे उसका बोलना ठीक ठाक था लेकिन रवैया ठीक नहीं था. मुझे याद है की जब मैं स्कूल में पढ़ती थी तो कई बार उसने मुझसे छेड़छाड़ की थी लेकिन वो हमारे घर का पुराना नौकर था इसलिए मैं कभी भी उसका विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई.

मैंने सोचा ये नौकर लोग ऐसे ही होते हैं और इस आदमी के अश्लील शब्दों को वैसे ही इग्नोर करने की कोशिश की जैसे मैं अपनी मम्मी के घर पे नौकर की छेड़छाड़ को इग्नोर किया करती थी. 

अब मुझे बाथरूम से बाहर आना था लेकिन जब मैंने अपने को देखा तो मेरे ऊपरी बदन में टॉवेल था और निचले बदन में काजल की टाइट स्कर्ट थी, और मैं ऐसे बहुत कामुक लग रही थी. अगर कोई भी मुझे इस हालत में देख लेता तो मेरे बारे में बहुत ग़लत सोचता. इसलिए मैंने फिर से दरवाज़ा बंद करने के लिए कहा.

“तुमने दरवाज़ा बंद कर दिया ?”

नौकर – नहीं मैडम. अभी करता हूँ.

मैंने दरवाज़ा बंद करने की आवाज़ सुनी और थोड़ी राहत महसूस की.

नौकर – मैडम मैंने दरवाज़ा तो बंद कर दिया है पर आप बाहर कैसे आओगी ? आपके सारे कपड़े तो बेड में पड़े हैं.

“तुम्हें उसकी फिकर करने की कोई ज़रूरत नहीं.”

नौकर – मैडम, आप वैसे ही बाहर आओगी जैसे पहले आयी थी ? मुझे तो भगवान का शुक्रिया अदा करना पड़ेगा.

“क्या बकवास कर रहे हो. मतलब क्या है तुम्हारा ?”

उसके बेहूदे सवाल से मेरा धैर्य समाप्त हो गया और मैं बाथरूम का दरवाज़ा खोलकर बाहर आ गयी. मैंने ख्याल किया की मुझे देखकर उस नौकर की आँखों में चमक सी आ गयी और वो मेरे चेहरे की तरफ नहीं देख रहा था बल्कि मेरे बदन को घूर रहा था. वो इतनी बेशर्मी से हवस भरी निगाहों से मुझे घूर रहा था की असहज महसूस करके मैंने अपनी नजरें झुका लीं . वो स्कर्ट मेरी मांसल जांघों पर टाइट हो रही थी इसलिए मैं ठीक से नहीं चल पा रही थी. मैंने बाएं हाथ से कमर पे स्कर्ट को पकड़ रखा था क्यूंकी स्कर्ट का बटन टाइट होने से नहीं लग पा रहा था.

नौकर – आआहा….मैडम आप तो बिल्कुल करीना कपूर लग रही हो.

मैंने उसकी बात को इग्नोर किया और बेड की तरफ जाने लगी जहाँ मेरे कपड़े रखे थे. मुझे मालूम था की मेरी पीठ नंगी है और ब्रा का हुक ना लग पाने से ब्रा के स्ट्रैप पीठ में लटक रहे हैं इसलिए मैंने ऐसे चलने की कोशिश की ताकि मेरी नंगी पीठ इस नौकर को ना दिखे. लेकिन पलक झपकते ही सारा माजरा बदल गया.

नौकर – कहाँ जा रही है रानी ?

अचानक वो मेरा रास्ता रोककर खड़ा हो गया. उसकी इस हरकत से मैं हक्की बक्की रह गयी और मेरे बाएं हाथ से स्कर्ट फिसल गयी . मैंने जल्दी से स्कर्ट को पकड़ लिया पर उस कमीने ने मौके का फायदा उठाया और मेरे दाएं हाथ से टॉवेल छीन लिया जिससे मैंने अपनी छाती ढक रखी थी. अब फिर से मेरी छाती नंगी हो गयी हालाँकि चूचियाँ थोड़ा बहुत काजल की ब्रा से ढकी थीं पर हुक ना लग पाने से ब्रा भी खुली हुई ही थी. 

“ये क्या बेहूदगी है ? मुझे टॉवेल दो नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी.”

नौकर – तू शोर मचाना चाहती है रानी ? ठीक है.

उसने अचानक मेरी बायीं कलाई पकड़ी और मरोड़ दी. मेरे हाथ से स्कर्ट छूट गयी और फर्श में गिर गयी. 

नौकर – अब मचा शोर. मैं देखना चाहता हूँ अब कितना शोर मचाती है मेरी रानी. शोर मचा.

अचानक हुए इस घटनाक्रम से मैं हक्की बक्की रह गयी और उस नौकर के सामने अवाक खड़ी रही. मेरी हालत ऐसी थी जैसे की मैं बिकिनी में खड़ी हूँ. काजल की ब्रा से मेरी बड़ी चूचियों का सिर्फ़ ऐरोला और निप्पल ही ढक पा रहा था. मैंने अपनी बाँहों से चूचियों को ढकने की कोशिश की. 

नौकर – क्या हुआ मैडम ? शोर मचा. सबको आने दे और देखने दे की तेरे पास दिखाने को क्या क्या है.

मेरे बदन में सिहरन दौड़ गयी. मुझे समझ आ गया था की मैं फँस चुकी हूँ. मैं सिर्फ़ अंडरगार्मेंट्स में खड़ी थी , इसलिए शोर भी नहीं मचा सकती थी. मेरा दिमाग़ सुन्न पड़ गया और मैं नहीं जानती थी की क्या करूँ ? कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलूं ? मैं खुली हुई छोटी ब्रा और गीली पैंटी में , अपनी चूचियों को ढकने के लिए बाँहें आड़ी रखे हुए, उस नौकर के सामने खड़ी रही.

नौकर – शोर मचा ? अब क्या हुआ ? साली रंडी.

उस नौकर के मुँह से अपने लिए ऐसा घटिया शब्द सुनकर अपमान से मेरी आँखों में आँसू आ गये. आज तक कभी भी किसी ने मेरे लिए ये शब्द इस्तेमाल नहीं किया था. इस लो क्लास आदमी के हाथों ऐसे अपमानित होकर मैं बहुत असहाय महसूस कर रही थी.

नौकर – जैसा मैं कहता हूँ वैसा कर. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगा और सबको यहाँ बुला लूँगा. समझी ?

वो बहुत कड़े और रूखे स्वर में बोला. उससे झगड़ने की मेरी हिम्मत नहीं हुई. मैं अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए उससे विनती करने लगी.

“प्लीज़ मुझे छोड़ दो. मुझसे ऐसा बर्ताव मत करो. मैं किसी की पत्नी हूँ.”

नौकर – तो फिर अपने मर्द के सामने नंगी घूम. यहाँ क्यूँ ऐसे घूम रही है ?

“मेरा विश्वास करो. मुझे नहीं मालूम था की तुम कमरे में हो.”

नौकर – चुप साली. गुरुजी अपने साथ ऐसी हाइ क्लास रंडी रखते हैं ? क्या मखमली बदन है साली का.

उसकी बात सुनकर मैंने अपमान से आँखें बंद कर लीं और जबड़े भींच लिए. अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पायी. मेरे गालों में आँसू बहने लगे. कोई और रास्ता ना देखकर मैं भगवान से प्रार्थना करने लगी.

नौकर – नाटक करके मेरा समय बर्बाद मत कर. तू तो बहुत खूबसूरत बदन पायी है. पैंटी उतार और चूत दिखा मुझे साली.

“प्लीज़ भैया. मैं उस टाइप की औरत नहीं हूँ. मुझ पर दया करो प्लीज़.”

नौकर – साली , भैया बोलना अपने मर्द को. अब नखरे मत कर. उतार फटाफट.

ऐसा कहकर वो एक कदम आगे बढ़ा. मैं इतना डर गयी की उसके आगे समर्पण कर दिया.

“अच्छा, अच्छा , मैं ….”

मैंने हिचकिचाते हुए अपनी छाती से बाँहें हटाई और मैं अच्छी तरह से समझ रही थी की ये आदमी मुझे फिर से नंगी देखना चाहता है. वो मेरे लिए होपलेस सिचुयेशन थी और उसकी इच्छा पूरी करने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था. मेरे गालों में आँसू बह रहे थे और मैंने दोनो हाथों से पैंटी के एलास्टिक को पकड़ा और नीचे करने लगी. मैं शरम से नजरें झुकाए हुई थी और वो कमीना अपनी धोती में लंड पकड़े हुए मेरे सामने खड़ा था. मैं सोचने लगी जब से इस आश्रम में आई हूँ , किसी ना किसी वजह से कितनी बार मुझे पैंटी उतारनी पड़ी है. मैं आगे की भी सोच रही थी. क्यूंकी ये तो तय था की मुझे नंगी करने के बाद ये आदमी मुझे बेड में जाने के लिए मजबूर करेगा और फिर मुझे चोदने की कोशिश करेगा. फिर मैं क्या करूँगी ? क्या मैं चिल्लाऊँगी ? लेकिन अगर गुप्ताजी , नंदिनी और गुरुजी मुझे इस नौकर के साथ नंगी देखेंगे तो मेरे बारे में क्या सोचेंगे ?

नौकर – क्या चूत है तेरी रानी.

मैं यही सब सोच के उलझन में थी और समझ नहीं पा रही थी की अपने को कैसे बचाऊँगी तभी अचानक एक झटका सा लगा और उसके टाइट आलिंगन से मैं बेड में गिर पड़ी. इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती , मैं बेड में गिरी हुई थी और वो मेरे ऊपर था.

“कमीने छोड़ दे मुझे…”

मैं आगे कुछ नहीं बोल पायी क्यूंकी उसने मेरे मुँह में अपना गंदा रुमाल ठूंस दिया. उसके बदन से आती हुई बदबू से मुझे मतली हो रही थी और उस गंदे रुमाल से मेरा दम घुटने को हो गया. मेरी आँखें बाहर निकल आयीं और उसके मजबूत बदन के नीचे दबी हुई मैं उसका विरोध करने लगी. अपने दाएं हाथ से उसने मेरे मुँह में इतनी अंदर तक वो रुमाल घुसेड़ दिया की मेरी आवाज़ ही बंद हो गयी. अब उसने अपना दायां हाथ मेरे मुँह से हटाया और दोनो हाथों से मेरे हाथों को पकड़कर दबा दिया और मेरे पेट में बैठ गया. मैं अपनी नंगी टाँगों को हवा में पटक रही थी लेकिन मुझे समझ आ गया था की कुछ फायदा नहीं क्यूंकी मैं उसके पूरे कंट्रोल में थी और हाथों को हिला भी नहीं पा रही थी.

मैं अपना सर भी इधर उधर पटक रही थी और मुँह से जीभ निकालने की कोशिश कर रही थी ताकि रुमाल बाहर निकल जाए लेकिन कमीने ने इतना अंदर डाल रखा था की जल्दी ही मुझे समझ आ गया की बेकार में ही कोशिश कर रही हूँ.

नौकर – रानी , अब क्या करेगी ?

मैंने उस कमीने से आँखें मिलाने से परहेज़ किया , मैं बेड में लेटी हुई थी और वो मेरे ऊपर बैठा हुआ था. अब मेरे बदन में कपड़े का एक टुकड़ा भी नहीं था क्यूंकी उसने मेरी ब्रा भी फर्श में फेंक दी थी. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था की इस नौकर के हाथों मेरी ऐसी दशा हो गयी है. अब उसने अपने एक हाथ से मेरी दोनों कलाई पकड़ लीं और दूसरे हाथ से मेरे गुप्तांगो को छूने लगा. पहले भी बचपन में एक नौकर ने मेरी असहाय स्थिति का फायदा उठाया था वही आज भी हो रहा था. तब भी मेरे मन में घृणा और नफरत की भावनाएं आयीं थी और आज भी वही भावनाएं मेरे मन में आ रही थीं.

मेरे नंगे बदन के साथ छेड़छाड़ करने से वो बहुत कामोत्तेजित हो गया. लेकिन उसने एक हाथ से मेरी कलाईयों को पकड़ा हुआ था इसलिए एक ही हाथ खाली होने से वो मनमुताबिक पूरी तरह से मेरे बदन से नहीं खेल पा रहा था और मुझे चोद नहीं पा रहा था. मैं भी अपनी भारी जाँघों से उसको लात मारने की कोशिश कर रही थी. उसका ज़्यादातर समय मेरे विरोध को रोकने की कोशिश में बर्बाद हो रहा था. अब वो मेरी रसीली चूचियों को एक एक करके मसलने लगा और उसने मेरे कड़े निपल्स को बहुत ज़ोर से मरोड़ दिया. फिर वो अचानक से मेरी छाती पे झुका और मेरे निप्पल को मुँह में भरकर चूसने और काटने लगा.

“मम्म्म…”

मैं और कोई आवाज़ नहीं निकाल पायी क्यूंकी उसके गंदे रुमाल ने मेरा मुँह बंद कर रखा था. लेकिन अगर कोई मर्द किसी औरत के निप्पल चूसे तो औरत को उत्तेजना आ ही जाती है. मेरी टाँगें अपनेआप खुल गयीं और उसके बदन के नीचे मैं बेशर्मी से कसमसाने लगी. उसका पूरा वज़न मेरे ऊपर था और अब उसका खड़ा लंड धोती से बाहर निकलकर मेरे नंगे पेट में चुभने लगा. उसके बदन से आती बदबू से मेरा दम घुटने लगा था और मुझे समझ आ गया था की अब ये मेरा रेप करने ही वाला है. असहाय होकर मेरी आँखों से आँसुओं की धार बहने लगी और मैं मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगी . हे भगवान ! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ. मुझे इस कमीने से बचा लो.
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RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क... - by sexstories - 01-17-2019, 02:09 PM

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