Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे
01-17-2019, 02:10 PM,
#55
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
मुझे याद है की उस दिन थर्सडे था और मानसून की तेज बारिश हो रही थी. मैं छाता लेकर रिक्शा के पास आई तो नटवर रिक्शा में चढ़ गया और मुझसे स्कूल बैग देने को कहा. मैंने उसे अपना बैग पकड़ा दिया.

नटवर – ओह.....सीट तो गीली हो रखी है.

“नटवर भैय्या , ये रुमाल ले लो और सीट पोंछ दो.”

बारिश से सीट गीली हो गयी थी और नटवर ने रुमाल से उसे पोंछ दिया और सीट में बैठ गया. मैं रिक्शा में चढ़ गयी और जैसे ही सीट में बैठने को हुई उसने बड़ी अजीब सी बात कही.

नटवर – बेबी, सीट अभी भी गीली ही है. अपनी स्कर्ट में मत बैठो, गीली हो जाएगी.

मैंने उसकी तरफ उलझन भरी निगाहों से देखा क्यूंकी मुझे उसकी बात समझ नहीं आई.

नटवर – बेबी, जैसे फर्श में बैठती हो ना वैसे बैठो. उससे तुम्हारी स्कर्ट गीली नहीं होगी.

असल में हम लड़कियाँ जब फर्श या खुले में घास में बैठती हैं तो स्कर्ट को गोल फैलाकर बैठती हैं क्यूंकी उससे टाँगें अच्छे से ढकी रहती हैं. लेकिन यहाँ रिक्शा में एक आदमी के साथ ऐसे बैठना कुछ अजीब लग रहा था. मैं रिक्शा की सीट में बैठने को आधी झुकी हुई खड़ी थी और नटवर सीट में बैठा हुआ था. मैंने दोनों हाथों से स्कर्ट के कोनों को पकड़कर थोड़ा ऊपर उठाया और सीट में बैठ गयी. मेरी पीठ सीट की तरफ थी और नटवर सीट में बैठा हुआ था तो पीछे से मेरा स्कर्ट उठाकर सीट में बैठने का वो दृश्य देखना उसके लिए रोमांचित कर देने वाला रहा होगा. 

अब मैंने स्कर्ट को गोल फैलाकर अपनी टाँगों के ऊपर कर दिया. लेकिन सीट गीली होने से मेरी जाँघों के निचले हिस्से में गीलापन महसूस होने लगा और कुछ ही देर में मेरी पैंटी भी नीचे से गीली हो गयी. लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकती थी इसलिए चुप बैठी रही. पर नटवर के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था.

नटवर – सीट तो अभी भी गीली लग रही है. मेरी पैंट गीली होने लगी है.

“हाँ, सीट थोड़ी गीली है पर क्या कर सकते हैं. चलेगा.”

मैंने बात को टालने की कोशिश की पर …….

नटवर – बेबी, कैसे चलेगा ? मेरे पैंट के अंदर कच्छा भी गीला होने लगा है और तुम कह रही हो की थोड़ी सी गीली है.

रिक्शा चलते जा रहा था और मुझे समझ नहीं आ रहा था की नटवर की बात का क्या जवाब दूँ.

नटवर – बेबी अपना रुमाल दे दो. मैं फिर से पोंछ देता हूँ.

“लेकिन तुम सीट को पोछोगे कैसे ? हम तो बैठे हैं.”

मेरे मुँह से अपनेआप ये सवाल निकल गया और वो नौकर इसी बात को पूछने का इंतज़ार कर रहा था.

नटवर – मैं थोड़ा सा कमर ऊपर उठाऊँगा फिर तुम मेरे नीचे पोंछ देना और ऐसे ही मैं तुम्हारे नीचे पोंछ दूँगा.

ऐसा कहते हुए उसने अपने नितंबों को सीट से थोड़ा ऊपर उठा दिया, मेरा स्कूल बैग उसने अपनी छाती से चिपकाकर पकड़ा हुआ था. मैं थोड़ा उसकी तरफ मुड़कर उसके नीचे सीट पोछने लगी. रिक्शा को झटके लगने से मेरा हाथ उसके नितंबों पर छू जा रहा था और उसकी तरफ मुड़ने से मेरे चेहरे पर उसके छाती पर फोल्ड किये हुए हाथ की अँगुलियाँ छू जा रही थीं . झटकों की वजह से कभी मेरे कानों पर तो कभी मेरे गालों पर उसकी अँगुलियाँ छू रही थीं. लेकिन जब वो मेरे होठों को भी छूने लगीं तो मुझे असहज महसूस होने लगा और मैंने जल्दी से सीट पोछना खत्म किया और सीधी हो गयी. उसकी अंगुलियों के मेरे होठों को छूने से मेरा चेहरा लाल हो गया. 

“नटवर भैय्या, हो गया . अब तुम बैठ जाओ.”

वो बैठ गया और मैंने उसको रुमाल दे दिया और उसने मुझे स्कूल बैग पकड़ा दिया. अब उठने की बारी मेरी थी. मैं थोड़ा सा ऊपर को उठी और सपोर्ट के लिए मैंने एक हाथ से रिक्शा के फ्रेम को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मैंने बैग पकड़ा हुआ था . थोड़ा ऊपर उठने से पीछे से मेरी स्कर्ट नीचे हो गयी और सीट को ढक दिया. अब नटवर ने सीट पोछने के लिए पीछे से मेरी स्कर्ट ऊपर उठा दी . असल में थोड़ी सी स्कर्ट ऊपर करके सीट पोछने की बजाय उसने पीछे से मेरी स्कर्ट मेरे नितंबों तक पूरी ऊपर उठा दी . शरम से मुझे कुछ कहना ही नहीं आया. रिक्शा चलता जा रहा था और चारो तरफ से पॉलिथीन कवर लगा हुआ था. रास्ते में किसी को पता नहीं चल रहा होगा की रिक्शा के अंदर एक लड़की झुकी हुई खड़ी है और उसकी स्कर्ट पीछे से उसके गोल नितंबों तक उठी हुई है.

वो नौकर सीट पोछने में इतना वक़्त ले रहा था की मुझे टोकना पड़ा.

“हो गया क्या ?”

नटवर ने अंदर झाँकने के लिए एक हाथ से मेरी स्कर्ट ऊपर उठा रखी थी और दूसरे हाथ से सीट पोछने का बहाना कर रहा था. 

नटवर – नहीं बेबी. अभी भी गीला है. असल में रुमाल ही गीला हो गया है.

“कोई बात नहीं. मैं ऐसे ही बैठ जाती हूँ.”

और ऐसा कहते हुए मैं बैठने को हुई तो उसके हाथ मेरे नितंबों पर लग गये.

नटवर – बेबी तुम्हारी तो पैंटी भी गीली लग रही है. एक काम करो. मैं बीच में बैठ जाता हूँ, तुम मेरी गोद में बैठ जाओ और बैग साइड में रख दो. देखो बारिश तेज हो गयी है तुम साइड्स से भी भीग जाओगी.

ऐसा कहकर वो मेरी तरफ बीच में खिसक गया. उसकी बात से मैं हैरान हुई और शरमा गयी. मुझे तो बारिश बहुत तेज नहीं लग रही थी लेकिन पॉलिथीन कवर से साइड्स में पानी अंदर ज़रूर आ रहा था. मैंने सोचा मना कर दूँ पर वो मुझसे उमर में बहुत बड़ा था और सीट गीली भी थी और रिक्शा में कवर लगने से किसी के अंदर देखने की गुंजाइश नहीं थी तो मैं बाकी बचे रास्ते के लिए उसकी गोद में बैठने को राज़ी हो गयी. मैंने स्कूल बैग सीट में रखा और अपनी स्कर्ट नीचे को खींची और अनमने मन से उसकी जांघों में बैठ गयी. 

उस नौकर की जांघों में बैठकर मेरे जवान बदन में कंपकपी सी हो रही थी और मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था. मैंने अपने दाएं हाथ से सपोर्ट के लिए रिक्शा फ्रेम को पकड़ा हुआ था. इसलिए मेरे बदन का दायां हिस्सा चूची से लेकर कमर तक अनप्रोटेक्टेड था. कुछ ही देर में उसने अपना दायां हाथ मेरी दायीं जाँघ में स्कर्ट के ऊपर रख दिया और मुझे सपोर्ट देने के बहाने अपना बायां हाथ मेरी कमर पर रख दिया. जल्दी ही मुझे समझ आ गया की इसका कहना मानकर मैंने ग़लती कर दी है. उसके हाथ एक जगह पर स्थिर नहीं थे , रिक्शा को झटके लग रहे थे और उसके हाथ मेरी जाँघ, मेरी कमर और मेरे पेट को छू रहे थे. 

एक बार तो उसने हद ही कर दी . एक मोड़ पर जब रिक्शा ने टर्न लिया तो संतुलन बिगड़ने से मैं उसकी जांघों में फिसल गयी . उसने मेरी कमर से पकड़कर मुझे वापस गोद में खींच लिया. उसके बाद मुझे फिर से फिसलने से रोकने के बहाने उसने चालाकी से मेरी स्कर्ट को जांघों तक ऊपर करके मेरी नंगी जांघों को कस कर पकड़ लिया. मैं कुछ बोल नहीं पाई क्यूंकी उसने बड़ी चालाकी से ऐसा दिखाया जैसे वो मुझे फिर से फिसलने से रोकने के लिए ऐसा कर रहा है.

नटवर – बेबी , अब नहीं फिसलोगी.

मैं चुप रही लेकिन मुझे इतना असहज महसूस हो रहा था की मैंने अपनी स्कर्ट को अपनी जांघों पर उसके हाथों के ऊपर से ही नीचे खींच दिया. मैंने तो ऐसा अपनी जांघों को ढकने के लिए किया था लेकिन इससे उसको और भी अवसर मिल गया. कुछ ही देर में उसकी अँगुलियाँ मेरी स्कर्ट के अंदर नंगी जांघों पर ऊपर को बढ़ने लगी . मुझे इतना अजीब महसूस हो रहा था की बयान नहीं कर सकती. जब उसकी अँगुलियाँ मेरी पैंटी तक पहुँच गयी तो मुझसे अब और सहन नहीं किया गया. मैंने उसके ऊपर को बढ़ते हाथ को पकड़ लिया और उसने अपनी अश्लील हरकत रोक दी.

घर पहुँचकर ही मुझे उसकी हरकतों से छुटकारा मिला . मेरे मन में उसके लिए इतनी नफरत हो रही थी की उससे बात करने का भी मेरा मन नहीं हो रहा था. लेकिन जो कुछ भी आज हुआ उससे नटवर की हिम्मत बहुत बढ़ गयी. दूसरे दिन फ्राइडे था और बदक़िस्मती से दोपहर बाद फिर से तेज बारिश शुरू हो गयी.
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