Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे
01-17-2019, 02:10 PM,
#56
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
लेकिन जो कुछ भी आज हुआ उससे नटवर की हिम्मत बहुत बढ़ गयी. दूसरे दिन फ्राइडे था और बदक़िस्मती से दोपहर बाद फिर से तेज बारिश शुरू हो गयी. आज फ्राइडे था तो मैंने छोटी पीटी स्कर्ट पहनी हुई थी और हर फ्राइडे की तरह सुबह मम्मी ने मुझसे कहा था की अपनी स्कर्ट का ध्यान रखना और यूँ ही इधर उधर मत घूमना. हमारा गर्ल्स स्कूल होने से स्कूल में तो कोई दिक्कत नहीं थी पर मेरा बदन उन दिनों डेवलप हो रहा था और उस छोटी स्कर्ट में मैं सेक्सी लगती थी , इसलिए मम्मी रोड पे यूँ ही इधर उधर घूमने को मना करती थी. 

स्कूल से घर लौटते वक़्त आज नटवर मुझसे पहले रिक्शा में नहीं चढ़ा और मैं सीट में बैठ गयी. तभी मैंने ख्याल किया की नटवर के हाथ में एक झोला (बैग) है जिसे वो रिक्शा में मेरे पैरों के पास रख रहा था. रिक्शा वाला बारिश की वजह से जल्दी बैठने को कह रहा था पर नटवर झोले को एडजस्ट करने में वक़्त लगा रहा था और एक हाथ से उसने अपने सर के ऊपर छाता लगा रखी थी. पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया , फिर अचानक मुझे लगा की वो मेरी स्कर्ट के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा है. वो छाता लिए रोड में झुक कर खड़ा था और मैं ऊपर सीट पर बैठी थी. उसने रिक्शा के फर्श में मेरे दोनों पैरों के बीच झोला रख दिया था. 

असल में उसके छाता की वजह से मुझे उसका चेहरा नहीं दिख रहा था पर एक पल को छाता थोड़ी हटी तो मैं ये देख के सन्न रह गयी की वो झुककर मेरी स्कर्ट के अंदर झाँक रहा था और इसीलिए झोला एडजस्ट करने में इतना वक़्त लगा रहा था. मैंने जल्दी से अपनी टाँगें चिपकाने की कोशिश की पर उसने बीच में झोला रख दिया था इसलिए पूरी नहीं चिपका सकी. मुझे एहसास हुआ की इसने मेरी पिंक कलर की पैंटी देख ली होगी और शरम से मेरा मुँह लाल हो गया. क्लास में भी कभी मेरी पेन फर्श पे गिर जाती थी और मैं उसे उठाने को अपनी चेयर पे झुकती थी तो मुझे पीछे की सीट पे बैठी लड़कियों की पीटी स्कर्ट के अंदर पैंटी दिख जाती थी. वैसा ही दृश्य नटवर को दिखा होगा.

मैंने अपने स्कूल बैग को गोद से नीचे खिसकाकर अपनी इज़्ज़त ढकने की कोशिश की पर तब तक नटवर का काम हो चुका था. उसने अपनी छाता बंद की और फटाफट मेरे बगल में बैठ गया. अब बारिश बढ़ने लगी थी और घने बादलों की वजह से रोशनी भी कम हो गयी थी. 

नटवर – बेबी, मैं तुम्हारी तरफ साइड से छाता लगा देता हूँ, इससे तुम भीगोगी नहीं.

मुझे उसकी बात ठीक लगी क्यूंकी रिक्शा में ठीक से कवर ना लगा होने से मेरी दायीं तरफ से बारिश का पानी अंदर आ जा रहा था और मेरे टॉप की दायीं बाँह भी गीली हो गयी थी. नटवर ने छाता को थोड़ा सा खोला और मेरे पीछे से हाथ ले जाकर मेरी दायीं तरफ लगा दिया. उसने आधी खुली छाता का एक कोना मुझसे पकड़ने को कहा ताकि मेरी पूरी दायीं साइड छाता से ढकी रहे.

“नटवर भैया , तुम मेरा बैग पकड़ लो.”

छाता को पकड़ने के लिए मुझे अपना स्कूल बैग उसको देना पड़ा. पीटी स्कर्ट में मेरी जांघों का आधा हिस्सा दिख रहा था जो मैंने अब तक बैग से ढक रखा था. उसने मेरे पैरों के बीच झोला रख दिया था इससे टाँगें थोड़ी फैली होने से स्कर्ट भी थोड़ी ऊपर हो गयी थी. अपना स्कूल बैग नटवर को देने के बाद मुझे एहसास हुआ की मेरी तो आधी जाँघें नंगी दिख रही हैं.

मैं चुपचाप छाता के कोनों को पकड़े हुए बैठी रही क्यूंकी मैं नहीं चाहती थी की नटवर को पता चले की मुझे अपनी स्कर्ट के ऊपर उठने से अनकंफर्टेबल फील हो रहा है. लेकिन मन ही मन मुझे इस बात की फिकर थी की तेज हवा आ गयी तो कही मेरी पैंटी ना दिख जाए . मैंने आँखों के कोनों से देखा की नटवर की नज़रें भी मेरी जांघों पर ही हैं. मेरी मम्मी मुझे एक मर्द के साथ ऐसे बैठे हुए देख लेती तो उसे हार्ट अटैक आ जाता. मेरी साँसें भारी हो गयीं. लेकिन मुझे इस बात का सुकून था की नटवर आज मेरे साथ कुछ हरकत नहीं कर रहा था. पर ये राहत थोड़ी देर तक ही रही और फिर उसने अपनी गंदी चालें चलनी शुरू कर दी.

नटवर – ओह…अब मेरी साइड से भी पानी आ रहा है .

“ये लोग ठीक से कवर क्यूँ नहीं लगाते हैं ?”

नटवर – बेबी, ये रिक्शा वाले ऐसे ही होते हैं. मेरे पास एक पॉलिथीन है, उसे निकालता हूँ.

मुझे आशंका थी की नटवर आज भी मुझसे अपनी गोद में बैठने को कहेगा ताकि सीट के बीच में बैठकर साइड से आने वाली बारिश से बचाव हो सके. लेकिन शुक्र था की उसने ऐसा नहीं कहा पर वैसे भी आज मैंने पक्का ठान रखी थी की इसकी गोद में नहीं बैठूँगी. 

अब नटवर ने अपने पैंट की जेब से एक थैली निकाली और उसे खोलने लगा. तभी सड़क में किसी गड्ढे की वजह से रिक्शा को झटका लगा और उसके हाथ से थैली फिसल गयी. थैली में कुछ सिक्के थे जो बिखर गये. नटवर ने थैली पकड़ने की कोशिश की पर फिर भी कुछ सिक्के बाहर गिर गये. झटका ऐसे लगा की वो सिक्के मेरे ऊपर गिर गये.

नटवर – अरे …अरे …….

“नटवर भैया, घबराओ नहीं, रिक्शा के बाहर कोई नहीं गिरा है.”

नटवर – हाँ यही गनीमत रही. बेबी तुम थैली पकड़ लो , मैं सिक्के ढूंढता हूँ.

अब मैंने बाएं हाथ से उसकी थैली पकड़ ली क्यूंकी दाएं हाथ से छाता का कोना पकड़ा हुआ था. मैंने देखा फर्श में मेरे पैरों में, मेरी सीट में और इधर उधर सिक्के गिरे हुए थे.

नटवर – बेबी तुम हिलो नहीं. मैं सिक्के उठाता हूँ.

उसने मेरी स्कर्ट और टॉप में गिरे हुए सिक्कों को उठाना शुरू किया. उसने मेरी जांघों को पकड़ा और वहाँ गिरे हुए सिक्के उठाने लगा. मैं कांप सी गयी और अपनी दायीं तरफ छाता की ओर नज़रें घुमा लीं. फिर उसका हाथ मुझे अपने पेट पर महसूस हुआ वो मेरे टॉप में गिरे हुए सिक्के उठा रहा था. उसकी अँगुलियाँ मेरी बायीं चूची को भी छू गयीं. उसके बाद वो सीट में झुक गया और मेरे पैरों के पास गिरे सिक्के उठाने लगा. मैंने तिरछी नज़रों से देखा की ऐसे झुकने से उसे मेरी स्कर्ट के अंदर दिख रहा था. मैंने अपनी टाँगें चिपकाने की कोशिश की पर बीच में झोला रखा होने की वजह से ऐसा नहीं कर पाई.

नटवर – बेबी , अपनी टाँगें थोड़ी सी ऊपर उठाओ. नीचे सिक्के गिरे हैं.

मैंने नटवर की तरफ देखा. मैं जानती थी की झुके हुए नटवर के सामने इस छोटी स्कर्ट में टाँगें ऊपर उठाऊँगी तो बहुत भद्दा लगेगा लेकिन मेरे पास कोई चारा नहीं था. मैंने शरम से थोड़ी सी ही टाँगें ऊपर की पर मुझे मालूम था की वो इतने से नहीं मानेगा.

नटवर – बेबी , थोड़ा और ऊपर करो. ठीक से दिख नहीं रहा.

अनमने मन से मुझे अपनी टाँगें थोड़ी और ऊपर उठानी पड़ीं. मुझे मालूम था की ये लो क्लास आदमी बहाने से मुझसे बदमाशी कर रहा है , पर उसके पास सिक्के ढूँढने का बहाना था. टाँगें उठाने से मेरी गोरी गोरी चिकनी जांघों का निचला हिस्सा भी नटवर को दिखने लगा. मैं उस समय बहुत अश्लील लग रही हूँगी. एक लड़की छोटी स्कर्ट में टाँगें उठाए बैठी है और एक मर्द उसकी टाँगों के बराबर में झुका हुआ देख रहा है.

नटवर – ठीक है बेबी. लगता है अब नीचे फर्श पर कोई सिक्का नहीं बचा है.

अब वो सीट में सीधा बैठकर अपने सिक्के गिनने लगा और मैंने राहत की सांस ली. पर जल्दी ही उसकी बेहूदी हरकतें फिर शुरू हो गयीं.

नटवर – इसमें तो पूरे नहीं हैं, ज़रूर सीट में ही होंगे.

उसने मेरी स्कर्ट की तरफ देखा और फिर मेरी पीठ की तरफ देखने लगा.

“लेकिन मुझे तो लगा की सिक्के मेरे आगे ही गिरे हैं.”

नटवर – नहीं बेबी. ये देखो एक यहाँ है.

ऐसा कहकर उसने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए , पैंट की ज़िप के पास नीचे से एक सिक्का निकाला. मेरी नज़र उसके पैंट के उभार पर पड़ी. शायद जानबूझकर उसने मुझे वहाँ देखने को कहा. थोड़ी देर तक सिक्के ढूँढने के बहाने वो अपने लंड पर हाथ फेरता रहा. और फिर अपनी पैंट घुटनों तक उठाकर सिक्के ढूँढने का बहाना करने लगा. बालों से भरी हुई उसकी काली काली टाँगें मुझे दिखीं . मैंने उसके पैंट के उभार से नज़रें फेर लीं और नॉर्मल रहने की कोशिश करने लगी.

नटवर – बेबी, एक बार थोड़ी खड़ी हो जाओ ताकि मैं सीट पर देख लूँ.

“नटवर भैया, रिक्शा चल रहा है और मैंने छाता पकड़ा हुआ है. मैं खड़ी कैसे हो जाऊँ ?”

नटवर – हाँ ये तो है . तुम थोड़ा सा आगे को खिसक जाओ बस.

मैं जैसे ही सीट में आगे को खिसकी , वो मेरे पीछे सीट पर सिक्के ढूँढने लगा. इसी बहाने उसने स्कर्ट के बाहर से मेरे गोल नितंबों पर हाथ फिरा दिए और वो बेहूदा इंसान इतने पर ही नहीं रुका. बल्कि वो मेरे नितंबों के नीचे अँगुलियाँ घुसाने लगा जैसे की वहाँ कोई सिक्का घुसा हो. एक बार तो मुझे उसकी अँगुलियाँ स्कर्ट और पैंटी के बाहर से अपने नितंबों के बीच की दरार में महसूस हुई.

“आउच…”

नटवर – क्या हुआ बेबी ?

वो एकदम से सतर्क हो गया और अपनी अँगुलियाँ बाहर खींच ली.

“कुछ नहीं. सारे सिक्के मिल गये क्या ?”

नटवर – बेबी, 5 के दो सिक्के नहीं मिल रहे.

मैं उसकी इस ढूँढ खोज से परेशान हो गयी थी और जल्द से जल्द इसे खत्म करना चाहती थी.

“ठीक है. मैं एक बार उठ रही हूँ. तुम पूरी सीट चेक कर लो.”

लेकिन इससे बात और भी बिगड़ गयी. जैसे ही मैंने सीट से अपने नितंब ऊपर को उठाए , रिक्शा ने एक टर्न लिया और मेरा संतुलन बिगड़ गया. नटवर एक हाथ से मेरे नीचे सीट पर सिक्के ढूँढ रहा था और दूसरे हाथ से अपनी गोद में मेरे स्कूल बैग को पकड़े हुआ था. जैसे ही मेरा संतुलन बिगड़ा , मैं उसके सीट पर रखे हाथ के ऊपर गिर गयी और मुझे सम्हालने के चक्कर में नटवर ने मेरी बायीं चूची को पकड़ लिया. जब तक मैं संभलती तब तक हमारे नौकर ने मेरे बदन को अच्छी तरह से दबा दिया था. 

नटवर को कुछ ही पलों का वक़्त मिला था पर मैं हैरान हो गयी की उतने कम समय में ही उसके दाएं हाथ ने मेरी गांड को अपनी हथेली में पकड़कर दबा दिया और बाएं हाथ ने मेरी बायीं चूची को कसकर निचोड़ दिया. मैंने तुरंत उसके हाथ के ऊपर से उठने की कोशिश की और अपनी कमर ऊपर उठाई और अब नटवर ने सारी हदें पार कर दी.

नटवर – बेबी , ऐसा मत करो. तुम गिर जाओगी.

ऐसा कहते हुए उसने मुझे पकड़ने के बहाने से मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल दिया और मेरी पैंटी के बाहर से चूत को अंगुलियों से दबाने लगा. हालाँकि ये कुछ ही पल के लिए हुआ और उसने मेरे नितंबों को पकड़कर वापस सीट में बैठा दिया. उसके मेरे नितंबों को पकड़कर बैठाने से पीछे से मेरी स्कर्ट पैंटी के ऊपर तक उठी रही. मैं जल्दी से सीट में बैठ गयी पर मेरे बैठने तक उसने मेरे नितंबों को अपनी हथेलियों में पकड़े रखा.

मेरे ऊपरी बदन में भी उसकी गंदी हरकतें जारी रही. शुरू में गिरते समय उसने मेरी बायीं चूची को दबोच लिया था . फिर मैं संभली तो मैंने अपनी बायीं बाँह नीचे कर दी. अब उसका हाथ मेरी बाँह और बदन के बीच मेरी कांख में दब गया. उसका हाथ अभी भी मेरी बायीं चूची पर था और वो उसे अपनी हथेली में भरकर दबा रहा था. जब मैं सीट में बैठ गयी तो मैंने उसके हाथ को झटक दिया. मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया था. उसके मेरे बदन से छेड़छाड़ करने से मेरी चूची में और मेरी पैंटी में अजीब सी सनसनाहट होने लगी थी.

नटवर – बेबी , मेरे दो सिक्के अभी भी नहीं मिले.

मैं उस नौकर की गंदी हरकतों से इतनी असहज और परेशान हो गयी थी की रास्ते भर उससे नहीं बोली. ऐसा लग रहा था की अभी भी उसके हाथ मेरे बदन में घूम रहे हैं. जिस तरह उसने मेरी चूची और नितंबों को दबोचा और मेरी चूत को छुआ मुझे ऐसा मन हो रहा था की उसे थप्पड़ मार दूँ. मैं सोचने लगी की मुझे ऐसे छूने की इसकी हिम्मत कैसे हुई. मुझे समझ आया की ये नौकर लोग ऐसे ही होते हैं और मौके का फायदा उठाने की ताक में रहते हैं. शर्मीली होने की वजह से मैं किसी से कुछ कह भी ना सकी.

“आंटी ….आंटी…”

मैं जैसे सपने से जागी. मेरी गोद में मैगज़ीन खुली हुई थी पर गुप्ताजी के नौकर ने कुछ समय पहले जो बदसलूकी मेरे साथ की थी उससे मेरा मन बचपन की उन बुरी यादों में खो गया था. हालाँकि आज की घटना बहुत ही शर्मिंदगी वाली थी क्यूंकी अब मैं 28 बरस की शादीशुदा औरत थी.

काजल मुझे बुला रही थी.

काजल – आंटी …आंटी….

“ओह……हाँ….क्या हुआ ?”

काजल – गुरुजी बुला रहे हैं.

“हाँ…. हाँ , चलो.”
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RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क... - by sexstories - 01-17-2019, 02:10 PM

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