Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे
01-17-2019, 02:16 PM,
#80
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
गोपालजी – अगला पोज है झुकना. मैडम, ये इम्पोर्टेन्ट पोज है इसका ख्याल रखना.

“क्यूँ ?”

मैंने सोचा इज़्ज़त ढकने के लिए तो (अगर कुछ बची हुई है तो) सभी पोज इम्पोर्टेन्ट हैं. इसमें ऐसा क्या ख़ास है.

गोपालजी – क्यूंकी इसमें आपको पता होना चाहिए की कैसे और कितना झुकना है.

मैं अनिश्चय से उसकी तरफ देख रही थी और वो अनुभवी आदमी समझ गया.

गोपालजी – मैडम देखो. एक उदाहरण देता हूँ.

उसने टेप को फर्श में गिरा दिया.

गोपालजी – मैडम अगर मैं बोलूँ की इस टेप को उठा दो तो आप इसे उठाने के लिए झुकोगी. लेकिन अभी आपने मिनी स्कर्ट पहनी है इसलिए आपको झुकने के तरीके में बदलाव करना होगा. कल्पना करो की आपने साड़ी पहनी है तो आप ऐसे उठाओगी ….

ऐसा कहते हुए वो आगे झुका और हाथ आगे बढ़ाकर टेप को पकड़ा और फिर नजरें ऊपर करके मुझे देखा.

“हाँ, मैं ऐसे ही करूँगी.”

गोपालजी – मैडम यही तो बात है. अगर आप ऐसे करोगी तो ज़रा सोचो अगर कोई आपके पीछे बैठा होगा या खड़ा होगा तो उसको आपकी मिनी स्कर्ट में क्या नजारा दिखेगा.

मैं समझ गयी की वो कहना क्या चाहता है.

गोपालजी – मैडम, कोई भी औरत जानबूझकर ऐसा नहीं करेगी. आपको अपनी टाँगें चिपकाकर घुटने मोड़ने हैं और फिर ऐसे टेप उठाना है.

गोपालजी ने करके दिखाया.

“हाँ सही है.”

मैंने भी गोपालजी की तरह पोज़ बनाकर फर्श से टेप उठाकर दिखाया. सच कहूँ तो मैं अपने मन में उस टेलर को धन्यवाद दे रही थी क्यूंकी इस बारे में मैंने इतनी बारीकी से नहीं सोचा था.

गोपालजी – ठीक है मैडम. लेकिन आपको ये भी मालूम होना चाहिए की बिना कुछ दिखाए आप अपनी कमर को कितना झुका सकती हो. क्यूंकी यज्ञ के दौरान हो सकता है की आपको ऐसे झुकना पड़े.

मैंने सोचा ये तो बुड्ढा सही कह रहा है. अब वो टेलर से ज़्यादा एक गाइड की भूमिका में था. 

गोपालजी – दीपू, मैं यहाँ पर बैठता हूँ और तुम्हें गाइड करूँगा की क्या करना है. ठीक है ?

दीपू – जी ठीक है.

ऐसा कहते हुए गोपालजी कुर्सी में बैठ गया.

गोपालजी – मैडम, आप मुझसे थोड़ी दूर दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी हो जाओ …..4-5 फीट . वहाँ पर.

उसने उस जगह के लिए इशारा किया और मैं टेलर से करीब 4-5 फीट की दूरी पर दीवार के करीब जाकर खड़ी हो गयी. दीपू भी मेरे पीछे आ गया और गोपालजी की तरफ मेरी पीठ थी.

गोपालजी – मैडम, अपनी टाँगें फैला लो. दोनों पैरों के बीच एक फीट से कुछ ज़्यादा गैप होना चाहिए.

मैंने टाँगें थोड़ी फैला लीं. दीपू नीचे झुका और उसने मेरी ऐड़ियों को पकड़कर थोड़ी और फैला दिया. मैं सोच रही थी की अब मेरे साथ और क्या क्या होनेवाला है. ऐसे टाँगें अलग करने से मेरे निप्पल्स में एक अजीब सी फीलिंग आ रही थी. मैं अपना दायां हाथ ब्लाउज पर ले गयी और मेरी चूचियों को ब्रा में एडजस्ट कर लिया. गोपालजी की तरफ मेरी पीठ थी और दीपू नीचे झुका हुआ था इसलिए वो दोनों ये देख नहीं पाए.

दीपू – जी अब ठीक है ? 

गोपालजी – हाँ बिल्कुल सही. मैडम, अब धीरे से कमर को आगे को झुकाओ.

“कैसे ?”

गोपालजी – मैडम, अपनी टाँगें सीधी रखो और आगे को झुको. मैं आपको बताऊँगा की कहाँ पर रुकना है. इससे आपको क्लियर आइडिया हो जाएगा की लोगों के सामने कितना झुकना है.

अब मुझे बात करने के लिए उस टेलर की तरफ मुड़ना पड़ा.

“लेकिन गोपालजी अगर मैं ऐसे झुकी तो ये बहुत भद्दा लगेगा.”

मैं बहुत कामुक लग रही हूँगी क्यूंकी मैंने देखा गोपालजी की आँखें मेरे जवान बदन पर टिकी हुई हैं. मैं उसकी तरफ गांड करके टाँगें फैला के खड़ी हुई थी और बातें करने के लिए मैंने सिर्फ अपना चेहरा पीछे को मोड़ा हुआ था. 

गोपालजी – क्या भद्दा मैडम ? यहाँ आपको कौन देख रहा है ?

“नहीं , लेकिन…”

गोपालजी ऐसे बात कर रहा था जैसे दीपू और वो खुद उस कमरें में हैं ही नहीं. लेकिन मैं उन दो मर्दों को नज़र अंदाज़ कैसे कर देती.

गोपालजी – मैडम, ये तो आपकी मदद के लिए हम कर रहे हैं वरना तो आप लोगों के सामने अपनी पैंटी दिखाती रहोगी.

मैं उस टेलर से बहस नहीं कर सकती थी. क्यूंकी सच तो ये था की वो स्कर्ट बहुत छोटी थी और मुझे मालूम नहीं था की उस छोटी स्कर्ट में मेरे बड़े नितंब चलते समय या झुकते समय कैसे दिख रहे हैं.

“ठीक है, जैसा आप कहो.”

मैं अनिच्छा से राज़ी हो गयी और अपना मुँह दीवार की तरफ कर लिया. दीपू मेरे पास खड़ा हो गया.

गोपालजी – तो फिर जैसा मैं कह रहा हूँ वैसा करो. धीरे से अपने बदन को आगे को झुकाओ. दीपू मैडम की टाँगें पकड़े रहना ताकि वो टाँगों को ना मोड़े.

दीपू ने तुरंत पीछे से मेरी टाँगें पकड़ ली और मुड़ने से रोकने के लिए घुटनों पर पकड़ने के बजाय उसने मेरी नंगी जांघों को पकड़ लिया. मुझे अंदाज़ा हो रहा था की वो मेरी मांसल जांघों पर हाथ फिराने का मज़ा ले रहा है.

मैंने अपने बदन को आगे को झुकाना शुरू किया. खुशकिस्मती थी की मेरे आगे कोई नहीं था क्यूंकी ऐसे आगे को झुकने से मेरे ब्लाउज में गैप बनने लगा और मेरी बड़ी चूचियों का ऊपरी भाग दिखने लगा था. 

गोपालजी – मैडम, धीरे से बदन को झुकाओ. जब तक की मैं रुकने को ना बोलूँ. ठीक है ?

“ठीक है…”

मैं धीरे से आगे को झुकती रही और मुझे अंदाज़ा हो रहा था की स्कर्ट मेरी जांघों पर ऊपर उठ रही है. अब मेरा सर नीचे को झुक गया था तो मुझे पीछे बैठा दीपू दिखने लगा और जब मैंने देखा की वो बदमाश क्या कर रहा है तो मैं जड़वत हो गयी. 

वो मेरे पीछे मेरे पैरों के पास बैठा हुआ था और उसका चेहरा मेरी जांघों के करीब था. मैं झुकी हुई पोजीशन में थी और वो बदमाश इसका फायदा उठाकर मेरी स्कर्ट के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था. वो अंदर झाँकने को इतना उतावला हो रखा था की सर ऊपर करके सीधे स्कर्ट में देख रहा था. उसकी आँखें मेरी पैंटी से कुछ ही दूर थी और वो बिना किसी रोक टोक के मेरी पूरी गांड का नज़ारा देख सकता था.

जैसे ही उसकी नजरें मुझसे मिली, जल्दी से उसने अपना मुँह नीचे को कर लिया और मेरी जांघों पर उसकी पकड़ टाइट हो गयी. मेरा मन हुआ की इस बदमाश छोकरे को एक कस के थप्पड़ लगा दूँ पर मैंने अपने को काबू में रखा. मुझे समझ आ रहा था की इस पोज़ में मैं बहुत ही कामुक लग रही हूँगी. मैंने पीछे गोपालजी को देखा और वो अपने हाथ से अपने पैंट को वहाँ पर खुजा रहा था और उसकी नजरें मेरे पीछे को उभरे हुए नितंबों पर टिकी हुई थी.

गोपालजी – मैडम, बस रुक जाओ. इस एंगल से मुझे आपकी पैंटी दिखने लगी है.

अब मेरा दिमाग़ घूमने लगा था. अभी अभी मैंने टेलर के साथी को अपनी स्कर्ट के अंदर झाँकते हुए रंगे हाथों पकड़ा था और अब टेलर कह रहा था की उसे मेरी पैंटी दिख रही है.

गोपालजी – मैडम, इस पोज़ में आपकी गांड ऐसे लग रही है जैसे स्कर्ट के अंदर दो कद्दू रखे हों.

मैं उसके कमेंट पर ज़्यादा ध्यान ना दे सकी क्यूंकी दीपू के हाथ मेरी नंगी जांघों पर ऊपर को बढ़ने लगे थे और एक मर्द के मेरी नंगी जांघों को छूने से मुझपे नशा सा चढ़ रहा था. वो मेरी जांघों के एक एक इंच को महसूस कर रहा था और अब उसके हाथ मेरी स्कर्ट के पास पहुँच गये थे.

गोपालजी – मैडम, इसी पोज़ में रहो. दीपू मैडम की मदद करो ताकि मैडम और ज़्यादा ना झुके.

मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था. दीपू ने मुझे उस पोज़ में रोकने के बहाने अपने हाथ स्कर्ट के अंदर डाल दिए और उसकी अँगुलियाँ मेरे नितंबों के निचले भाग की छूने लगी.

गोपालजी कुर्सी से उठकर मेरे पास आने लगा. मैंने एक नज़र अपनी छाती पर डाली और ये देखकर शॉक्ड रह गयी की मेरी गोल चूचियों का ज़्यादातर हिस्सा ब्लाउज से बाहर लटक रहा है.

गोपालजी – ठीक है मैडम. अब आप सीधी हो जाओ. मैंने पोजीशन नोट कर ली है.

मैं उस समय तक उत्तेजना से काँपने लगी थी क्यूंकी दीपू की अँगुलियाँ मेरी स्कर्ट के अंदर मनमर्ज़ी से घूम रही थी और एक दो बार तो उसने पैंटी के ऊपर से मेरे भारी नितंबों को मसल भी दिया था. मेरी साँसें उखड़ने लगी थी तभी गोपालजी ने मुझे सीधे होने को कहा.

दीपू को अब अपनी हरकतें रोकनी पड़ी. उसने एक आख़िरी बार अपनी दोनों हथेलियों को मेरी स्कर्ट के अंदर फैलाया और मेरी गांड की पूरी गोलाई का अंदाज़ा किया. मैं सीधी खड़ी तो हो गयी पर मुझे असहज महसूस हो रहा था क्यूंकी दीपू ने मेरी काम भावनाओं को भड़का दिया था. मैंने अपने दाएं हाथ से अपनी गांड के ऊपर स्कर्ट को सीधा किया और ब्लाउज के अंदर चूचियों को एडजस्ट कर लिया.

अब जो अनुभव मुझे अभी हुआ था उससे मेरे मन में एक डर था की यज्ञ के दौरान पीछे से मेरी स्कर्ट के अंदर लोगों को दिख सकता है.

गोपालजी – मैडम, अगला पोज़ है ऐड़ियों पर बैठना (स्क्वाटिंग). लेकिन इस स्कर्ट में आप ऐसे नहीं बैठ सकती हो. है ना ?

गोपालजी शरारत से मुस्कुरा रहा था. मैंने सिर्फ सर हिला दिया.

दीपू – मैडम, अगर आपको ऐसे बैठना ही पड़े तो बेहतर है की आप अपनी स्कर्ट खोल दो और फिर अपनी ऐड़ियों पर बैठ जाओ.

उसकी इस बेहूदी बात पर वो दोनों ठहाका लगाकर हंसने लगे. मैं गूंगी गुड़िया की तरह खड़ी रही और बेशर्मी से व्यवहार करती रही जैसे की उस कमरे में फँस गयी हूँ.

गोपालजी – मैडम, सीढ़ियों पर चढ़ते समय भी ध्यान रखना होगा. क्यूंकी इस स्कर्ट को पहनकर अगर आप सीढ़ियां चढ़ोगी तो पीछे आ रहे आदमी को फ्री शो दिखेगा……

“हाँ गोपालजी मुझे मालूम है. आशा करती हूँ की ऐसी सिचुयेशन नहीं आएगी.”

दीपू – हाँ मैडम. पता है क्यों ?

मैंने उलझन भरी निगाहों से दीपू को देखा.

दीपू – क्यूंकी आश्रम में सीढ़ियां हैं ही नहीं……हा हा हा……

इस बार हम सभी हंस पड़े. मेरी साँसें भी अब नॉर्मल होने लगी थी.

गोपालजी – मैडम, आख़िरी पोज़ है लेटना. अब आपको बहुत कुछ मालूम हो गया है, मैं चाहता हूँ की आप अपनेआप बेड में लेटो.

“ठीक है..”

गोपालजी – मैडम, हम इस तरफ खड़े हो जाते हैं.

वो दोनों उस तरफ खड़े हो गये जहाँ पर लेटने के बाद मेरी टाँगें आती. मैं बेड में बैठ गयी और तुरंत मुझे अंदाज़ा हुआ की ठंडी चादर मेरी नंगी गांड के उस हिस्से को छू रही है जो की पैंटी के बाहर है, वो स्कर्ट इतनी छोटी थी. मैंने अपनी टाँगें सीधी रखी और चिपका ली और उन्हें उठाकर बेड में रख दिया. गोपालजी और दीपू की नजरें मेरी कमर पर थी और मैं जितना हो सके अपनी इज़्ज़त को बचाने की कोशिश कर रही थी. लेकिन मुझे समझ आ गया की पैंटी को ढकना असंभव है. मेरी स्कर्ट चिकनी जांघों पर ऊपर उठने लगी और मैंने जल्दी से उसे नीचे को खींचा. लेकिन जैसे ही मैं बेड में लेटी तो मुझे थोड़ी सी अपनी टाँगें मोडनी पड़ी और उन दोनों मर्दों को मेरी स्कर्ट के अंदर पैंटी का मस्त नज़ारा दिख गया होगा.

कितनी शरम की बात थी. 

मैं एक हाउसवाइफ हूँ……….मैं कर क्या रही हूँ. बार बार अपनी पैंटी इन टेलर्स को दिखा रही हूँ. मेरे पति को ज़रूर हार्ट अटैक आ जाएगा अगर वो ये देख लेगा की मैं बिस्तर पे इतनी छोटी स्कर्ट पहन कर लेटी हुई हूँ और दो मर्द मेरी पैंटी में झाँकने की कोशिश कर रहे हैं.

गोपालजी – बहुत बढ़िया मैडम. अब तो महायज्ञ में इस ड्रेस को पहनकर जाने के लिए आप पूरी तरह से तैयार हो.

मैं बेड से उठी और सोच रही थी की जल्दी से इस स्कर्ट को उतारकर अपनी साड़ी पहन लूँ क्यूंकी मैंने सोचा टेलर की नाप जोख और ये एक्सट्रा गाइडिंग सेशन खत्म हो गया है.

लेकिन मैं कुछ भूल गयी थी……. जो की बहुत महत्वपूर्ण चीज थी.

गोपालजी – मैडम , अब आपकी नाप का ज़्यादातर काम पूरा हो गया है. बस थोड़ा सा काम बचा है फिर हम चले जाएँगे.

“अब क्या बचा है ?”

खट खट ………

दरवाजे पर खट खट हुई और हमारी बात अधूरी रह गयी क्यूंकी मैं जल्दी से अपनी स्कर्ट के ऊपर साड़ी लपेटकर अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी.

गोपालजी – मैडम, फिकर मत करो. मैं देखता हूँ.

वो दरवाजे पर गया और थोड़ा सा दरवाजा खोलकर बाहर झाँका. मैंने परिमल की आवाज़ सुनी की मैडम के लिए फोन आया है.

गोपालजी – ठीक है, मैं अभी मैडम को भेजता हूँ.

परिमल ‘ठीक है’ कहकर चला गया और मैं अपनी साड़ी और पेटीकोट लेकर बाथरूम चली गयी. मैं सोच रही थी की किसका फोन आया होगा और कहाँ से ? मेरे घर से ? कहीं राजेश के मामाजी का तो नहीं जो मुझसे मिलने आश्रम आए थे ?. यही सोचते हुए मैंने स्कर्ट उतार दी और पेटीकोट बांधकर साड़ी पहन ली.

मैं अपने कमरे से बाहर आकर अपना पल्लू ठीक करते हुए फोन रिसीव करने आश्रम के ऑफिस की तरफ जाने लगी. ऑफिस गेस्ट रूम के पास था. और मैं जैसे ही अंदर गयी , फोन के पास परिमल खड़ा था. उस बौने आदमी और उसके मजाकिया चेहरे को देखते ही मेरे होठों पे मुस्कुराहट आ जाती थी.
Reply


Messages In This Thread
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क... - by sexstories - 01-17-2019, 02:16 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,444,831 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,069 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,209,642 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 914,423 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,620,916 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,053,927 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,906,487 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,907,697 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,974,191 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,650 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 6 Guest(s)