Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
01-18-2019, 01:50 PM,
#6
RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
उसने नेट वाली रेड और ब्लेक कलर की शॉर्ट नाईटी पहन रखी थी...जो उसकी जाँघो को भी सही से कवर नही कर पा रही थी...और इस वजह से उसकी मोटी और चिकनी टांगे सभी को दिखाई दे रही थी....यहाँ तक की अंदर पहनी पेंटी की भी झलक दिख रही थी...उपर से वो काफ़ी टाइट था...और सबसे बड़ी बात की उसने ब्रा नही पहन रखी थी...भले ही छाती वाले हिस्से पर नेट नही बल्कि कॉटन का कपड़ा था...लेकिन उसके बड़े-2 बूब्स,जिनके निप्पल्स सॉफ उजागर थे, उसमे देखे जा सकते थे....इसलिए सभी को एक नज़र में ये एहसास हो रहा था की उसने ब्रा नही पहनी हुई...

आज की रात एक नया चैप्टर शुरू होने वाला था सभी की जिंदगी में ....



शशांक ने पहले से ही सब इंतज़ाम कर रखा था....एक कोने मे स्टैंडिंग बार बना रखी थी, जिसमे सभी मर्द जाकर खड़े हो गये और शशांक उन्हे सर्व करने लगा...लेडीज़ के लिए सुमन ने डाइनिंग टेबल पर वोड्का और ब्रीज़र की बॉटल्स रखी हुई थी...वो सब भी एक साथ शुरू हो गयी...सबा ने आज तक शराब को मुँह तक नही लगाया था...सब उसे पीने के लिए बोलने लगी तो उसने बेचारगी भरी नज़रों से राहुल की तरफ देखा...उसने आँखो ही आँखो में उसे पीने के लिए बोला..वैसे तो वो हमेशा से चाहता था की सबा भी पीने में उसका साथ दिया करे लेकिन जिस माहौल में वो पली-बड़ी थी,उसमें ऐसा करना पाप माना जाता था...इसलिए उसे थोड़ी बहुत हिचकिचाहट हो रही थी..

राहुल की स्वीकृति मिलने से और अपनी फ्रेंड्स के बार-2 कहने से उसने वोड्का का एक ग्लास ले ही लिया...और सुमन ने जान बूझकर उसे स्ट्रॉंग पेग बना कर दिया..पांचो ने हाथ में ग्लास लेकर चियर्स किया और एक ही घूंठ में आधे से ज्यादा ग्लास पी गए



1-2 पेग पीने के बाद सभी मर्द टेबल पर पहुँच गये, जहाँ पर ताश की गड्डी लगी हुई थी.

जिस घड़ी का सभी को इंतजार था, वो आ चुकी थी

तीन पत्ती का खेल शुरू हो चुका था

शशांक ने पत्ते बाँटने शुरू किए..पहली बाजी नॉर्मल थी ..यानी जिसके पत्ते बड़े ,वो बाजी ले जाएगा...

ब्लाइंड की रकम 500 रुपय थी...और चाल या शो डबल की ..

सभी ने 2-2 ब्लाइंड चली और उसके बाद एक-2 करके सभी ने अपने पत्ते उठा कर देखे..

इसी बीच सभी औरतें अपने-2 पतियों की बगल में आकर बैठ गयी...

सभी की नज़रें या तो शशांक की बीबी सुमन पर थी या सबा पर...क्योंकि इस वक़्त यही दोनो एक दूसरे को टक्कर दे रही थी...एक हुस्न के मामले में और एक सैक्सी दिखने के मामले में ..

सुमन तो जिस अंदाज से शशांक की बगल में बैठी थी वो देखते ही बनता था...उसकी नाईटी तो टांगे ढकने में बिल्कुल असमर्थ थी...और उपर से वो जान बूझकर अपने मखमली कपड़े को ऐसे खिसका रही थी जिसकी वजह से बार-2 उसकी नंगी टांगे सबके सामने उजागर हो रही थी...

और सभी मर्दों की नज़रें उसकी चिकनी टाँगो और उसके झांकते हुए बूब्स को को अपनी आँखो से चूस रही थी.



ये बात उनकी बीबियां भी नोट कर रही थी...लेकिन वो भी जानती थी की ऐसे में अच्छा भला मर्द भी देखे बिना नही रह सकता...वैसे भी उन सबमे इतनी टोका-टाकी चलती नहीं थी.

राहुल भी अपने बॉस की बीबी सुमन की नंगी टाँगो को देखकर थोड़ा बहुत विचलित हो रहा था...जबकि उसकी बीबी सबसे सुंदर थी...लेकिन दूसरी औरत ही ऐसी बेशर्मी से अपना बदन दिखाए तो वो भी भला क्या करे..

सबके मन में कुछ ना कुछ चल रहा था..लेकिन कोई भी बोल नही रहा था...बस गेम के बारे में ही बाते चल रही थी...गुप्ताजी तो बड़ी मुश्किल से अपने खड़े हो रहे लंड को संभालने की असफल कोशिश कर रहे थे...ऐसे में उनके पत्ते भी बेकार से आए...सिर्फ़ 3,4 और 8 नंबर...और वो भी अलग-2 कलर के..उन्होने एकदम से पेक कर दिया...

कपूर साहब का भी यही हाल था...उनकी नज़रे तो कभी सबा और कभी सुमन पर घूम रही थी..ऐसे में जब उन्होने पत्ते देखे तो वो ज़्यादा कमाल के नही थे...9, K और इक्का था इनके पास....काफ़ी सोचने के बाद उन्होने इकके और बादशाह के बल पर एक हज़ार की चाल चल दी..

और अपने सरदारजी गुरपाल सिंह ने दरियादिली दिखाते हुए बिना पत्ते देखे ही एक और ब्लाइंड चल दी..वो ऐसा हमेशा करता था.....और ब्लाइंड चलने के बाद उसने बड़ी ही बेबाकी से अपनी बगल में बैठी सरदारन की जाँघ पर हाथ रखा और उसे सहलाने लगा...और उसका सहलाना ऐसा था की हर कोई देख पा रहा था की वो क्या कर रहा है..पर वो सेक्स के मामले में औरों से थोड़ा अलग ही था...वो दिन दुनिया की परवाह किए बिना अपने काम में मग्न रहता था..ठीक शशांक की तरह...

क्योंकि वो भी अपनी बीबी सुमन की नंगी टाँगे इस वक़्त बड़े ही कामुक तरीके से सहला रहा था...और वहां बैठे दूसरे मर्द बस यही सोच रहे थे की काश सुमन की नंगी टांगो पर इस वक़्त उनके हाथ होते..

राहुल ने अपने पत्ते देखे और हज़ार का नोट फेंककर तुरंत चाल चल दी...उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की उसके पास जानदार पत्ते आए है..

शशांक ने सुमन की टांगे सहलाते-2 अपने पत्ते देखे और उसने भी हज़ार का नोट फेंककर एक चाल चल दी...

कपूर साहब तो इकके और बादशाह के बल पर चाल चल बैठे थे...सामने से 2-2 चालें आती देखकर उन्होने चुपचाप पैक कर दिया..

अब सरदरजी ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे...कुछ ख़ास नही आया था उनके पास...इसलिए मन मसोसकर उन्होने भी पैक कर दिया...

अब सिर्फ़ राहुल और शशांक ही बचे थे..

राहुल को अपने बॉस के सामने चाल चलने में झिझक हो रही थी..पर ये तो खेल था...इसलिए उसने थोड़ा रुककर अपनी तरफ से हज़ार की चाल और चल दी...

जवाब मे शशांक ने डबल करते हुए 2 हज़ार की चाल चल दी..

अब तो राहुल को चिंता होने लगी....उसके पास पान के पत्तो का कलर आया था...2,5 और बेगम के साथ...

उसकी ये पहली गेम थी...इसलिए वो ज़्यादा रिस्क भी नही लेना चाहता था...क्योंकि जिस अंदाज में शशांक ने 2 हज़ार की चाल चली थी, राहुल को लग गया की उसके पास बड़े पत्ते होंगे...इसलिए राहुल ने तुरंत 2 हज़ार बीच में फेंककर शो माँग लिया...

शशांक ने अपने पत्ते दिखाए तो राहुल ने अपना माथा पीट लिया...शशांक के पास सिर्फ़ 3 का पेयर था...जिसके बल पर वो इतना खुलकर खेल रहा था जैसे सीक्वेन्स आ गया हो....

पर फिर भी...राहुल को पहली ही गेम में करीब 10 हज़ार मिल गये...उससे ज़्यादा तो सबा खुश थी...ऐसे एकदम से 10 हज़ार सिर्फ़ 5 मिनट में ही आ जाने से उसका चेहरा गुलाब सा खिल चुका था...राहुल ने सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए और उन्हे उठा कर सबा को दे दिया...वो चमकती हुई आँखो से उन नोटों को सही ढंग से इकठ्ठा करने लगी...बाकी के सारे मर्द उसे ऐसा करते देखकर अपनी-2 जीभ होंठों पर फेर रहे थे.

जहाँ एक तरफ राहुल अपनी पहली ही बाजी में मिली जीत से खुश था वही शशांक मन ही मन अपनी चालाकी पर खुश हो रहा था...वो खुद जानता था की उसके पास छोटे पत्तो का पेयर है...और राहुल के चेहरे को देखकर ही वो समझ गया था की उसके पास काफ़ी अच्छे पत्ते आए है...लेकिन वो जान बूझकर ज्यादा पैसों से हारना चाहता था..ताकि राहुल को थोड़ा कॉन्फिडेन्स मिले...और वो मिल भी चुका था...

अगली गेम शुरू होने से पहले शशांक ने सुमन को सभी के लिए पेग बनाने को कहा...ये सबके लिए एक झटके जैसा था...क्योंकि आज तक उनके ग्रुप की किसी भी औरत ने पेग नही बनाए थे...लेकिन सुमन जैसी रसीली भाभी के हाथ से पेग बनवाकर पीने की बात सोचकर किसी ने कुछ नही कहा ..ये भी शशांक और सुमन का पहले से सोचा हुआ आईडिया था
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