Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
01-18-2019, 01:51 PM,
#15
RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
इस बार सबा का माथा ठनका ....क्योंकि गुप्ता जी ने जिस अंदाज से खड़े खंबे की उपमा दी थी, वो लंड के सिवा कुछ और हो ही नही सकता था... और ना चाहते हुए भी उसकी नज़र गुप्ता जी के लंड की तरफ चली गयी जो उनकी पेंट में मे किसी खंबे जैसा ही खड़ा हुआ था..पराए मर्दों के बीच बैठी हुई सबा अचानक डर सी गयी... वो सोचने लगी की ये कहा फँस गयी वो... लेकिन फिर उसे अंदर ही अंदर एक अलग से रोमांच का अनुभव भी हुआ... ये वो अनुभव था जो वो स्कूल या कॉलेज टाइम में महसूस किया करती थी..

वो हमेशा से ही पढ़ने में अव्वल रही थी, इसलिए उसकी दोस्ती भी ऐसे लोगो से ही होती थी जो उसकी तरह पड़ने में तेज थे.. लेकिन वो जब भी दूसरे बदमाश टाइप के लड़को का ग्रुप देखती तो उसे अंदर ही अंदर ना जाने क्या हो जाता था की वो उनकी तरफ आकर्षित सी हो जाती थी... उन बदमाश लड़को के बोलने के स्टाइल, गाली गलोच के साथ बात करने का तरीका, हर बात में सेक्स से रिलेटेड टॉपिक को बीच में लेकर आ जाना, ये सब उसे अंदर से रोमांचित सा कर देता था...लेकिन समाज के डर से, अपने दोस्तों में अच्छी इमेज को बनाए रखने की वजह से और अपने माँ-बाप का नाम ना खराब हो जाए, इस डर से वो उन सबसे दूर ही रहा करती थी...

इसलिए उसको प्यार भी अपने ग्रुप के सबसे शरीफ लड़के राहुल से हुआ और शादी भी उसने उससे ही की ... और धीरे-2 वो उन सब एहसासों को भूलती चली गयी... लेकिन आज जिस अंदाज से ये सोसायटी के मर्द उसके सामने बैठकर उसी अंदाज में बाते कर रहे थे, जो उसे ना जाने कब से पसंद थी तो उसका शरीर काँप सा उठा...और उसका अंग-2 कड़क सा हो उठा..और धीरे-2 उसके अंदर दबे हुए वो एहसास फिर से कुलबुलाने लगे..

शशांक का पूरा ध्यान सबा के उपर था...वो सामने से बोली जा रही हर बात पर सबा का रिएक्शन बड़ी बारीकी से नोट कर रहा था... और जब उसने देखा की वो बाते सुनकर सबा का सीना तेज गति से उठ-बैठ रहा है, वो बार -2 अपने होंठों पर जीभ फेर रही है...उसका शरीर काँप सा रहा है , तो उसे समझते देर नही लगी की वो सब सुनकर वो एक्ससाइटिड हो रही है...और ये उसने उसके निप्पल देखकर भी जाना, जो उसकी टी शर्ट पर बुरी तरह से उभरकर बाहर झाँक रहे थे..

शशांक समझ गया की अगर वो लोग ऐसी ही बाते करते रहे तो शायद काम बन सकता है....वो अपने तरीके से सोच रहा था, इस बात से अंजान की सबा पर ऐसी बातों का ये असर किसलिए हो रहा है, वो तो बस ये समझ रहा था की एक मर्द के साथ बँधे रहने के बाद,आज इतने मर्द जब सेक्सी बाते कर रहे है तो वो उत्तेजित हो रही है...इसलिए उसने आँखो ही आँखो में सभी को ऐसी ही बाते करते रहने के लिए जारी रहने को कहा...

अगला नंबर शशांक का था...उसने पत्ते फिर से देखे और बोला : "आज तो मेरे पत्तो की माँ चुद कर रहेगी...लेकिन मैं भी हार मानने वाला नहीं हूँ ...ये लो मेरे भी 2 हज़ार...आज सबा ही लेकर रहेगी हम सबकी....''

इतना कहते हुए शशांक ने पैसे बीच में फेंक दिए..

अपने पति के बॉस शशांक के मुँह से ऐसी गाली सुनकर एक पल के लिए तो सबा सकपका सी गयी...वो तो एकदम जेंटलमेन टाइप का बंदा था...आज से पहले तो उन्होने ऐसी कोई बात नही की थी जिसमे वो चीप भाषा का इस्तेमाल करे... लेकिन आज जिस तरीके से उसने ये बात इतनी आसानी से बोल दी, वो सबा ने एक्सपेक्ट नही किया था...किया तो उसके दोस्तों ने भी नही था..वो भी सबा के सामने शशांक को ऐसी गंदी भाषा का इस्तेमाल करते देखकर हैरान रह गये...लेकिन अंदर ही अंदर ये भी समझ गये की जब उनके ग्रुप के बॉस ने ऐसा कह दिया है तो उन्हे तो और भी आगे निकलना पड़ेगा इस मामले में ..और इसके साथ-2 सभी सबा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश भी कर रहे थे..

अब चाल चलने की बारी सबा की थी...उसने फिर से 2 हज़ार रुपय निकाले और नीचे फेंक दिए...और साथ ही बड़ी ही धीमी आवाज़ में बोली : "मैं कैसे मारूँगी शशांक जी...वो काम तो मर्दों का होता है...यहाँ तो मेरे पत्ते मारेंगे आप सभी को ...''

शशांक को इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नही थी...लेकिन उसकी तरफ से जवाब आता देखकर वो समझ गया की वो भी उनके रंग में रंगना चाहती है...शशांक के साथ-2 सभी उसकी बात सुनकर खुश हो गये...ये सोचकर की चलो इसी बहाने अब वो खुलकर उसके साथ बात तो कर सकते है...यानी अपने-2 दिल की बातें वो खुल कर उसे सुना सकते है..

अगला नंबर सरदारजी का था...वो पैसे फेंकते हुए बोले : "अरे भाभिजी...आप चाहो तो सब कर सकते हो...मारने के लिए मर्द होना ज़रूरी थोड़े ही होता है...हे हे...''

उसकी बात पर सब हंस दिए...और सबा भी....वो साफ़ -2 समझ रही थी की इन शब्दों का मतलब क्या है...और उनकी ये बातचीत किस दिशा में जा रही है....लेकिन ये सब समझने के बावजूद वो कुछ नही बोल रही थी...बल्कि एंजाय कर रही थी...और अब तो वो मन ही मन ये प्रार्थना भी कर रही थी की राहुल जल्दी ना आए...क्योंकि उसके आने के बाद तो कोई भी कुछ नही बोलेगा...और वो अभी ये नहीं चाहती थी की ये बातचीत बंद हो

सुमन भी बीच-2 में उनके टेबल पर देखकर वहां का जायजा ले रही थी...और अपने पति शशांक की आँखो में देखकर मंद-2 मुस्कुरा भी रही थी...

कपूर साहब को तो जैसे खजाने की चाबी मिल गयी थी...सभी को इतने खुले तरीके से बाते करता देखकर, और सबा को भी वैसी ही बातो में जवाब देते देखकर वो घोड़े की तरह हिनहीना उठे , और बोले : "आज तो सबा भाभी मूड में है...काश ये टेबल के बदले बेड होता तो इनके मूड का अच्छे से फायदा उठा लेते हम सभी.... हा हा...''

एक तरह से उसने सबा को सामूहिक रूप से चोदने की बात कह डाली थी....सभी के लंड ये सोचकर ही हिनहीना उठे की सबा उन सबसे चुदवायेगी ...और सबा भी ये सोचकर काँप सी गयी जैसे ये सब असली में होने जा रहा हो... एक बड़े से बेड पर वो बैठी है और उसके चारों तरफ ये सारे मर्द अपने हाथ में लंड लिए उसे ही घूर रहे है और अपने-2 लंड को मसल रहे है... ये सोचते हुए उसकी आँखे एकदम गुलाबी सी हो गयी.... उसकी चूत में अजीब सी खुजली होने लगी...जिसे उसने बड़ी मुश्किल से अपनी जांघे रगड़कर शांत किया....

लेकिन इन सबके बीच जो रोमांच का एहसास वो अपने शरीर पर महसूस कर पा रही थी, ये उन सभी एहसासों से कही ज़्यादा था जो उसने आज तक अपनी जिंदगी में महसूस किये थे..

सरदारजी बोले : "यार, मेरा तो एकदम से मूड कर गया है ये सुनकर, काश ऐसा हो सकता , मई तो सबसे पहले कूद पड़ता बेड पर ... ''

शशांक बीच में बोला : "यार गुरपाल, तुझसे अपनी बीबी की तो ली नही जाती, और तू सबा की लेने में लगा है...''

शशांक की बात सुनकर सरदारजी बोले : "तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे डिंपल ने तुझे आकर बोला है की सरदारजी मेरी ले नही रहे है....मेरा छोटा सिपाही हमेशा तैयार है, चाहे तो अभी कन्फर्म करवा देता हू डिंपल से...''

ये सब मज़ाक में चल रहा था...
शशांक : "भाई, मुझे तो सुमन ने बताया था की कल रात को , घर जाने के बाद उसका बहुत मन था लेकिन तूने ही मना कर दी....''

गुरपाल ये सुनकर झेंप सा गया....बात तो सच थी...कल रात को जुए की पार्टी के बाद वो काफ़ी थक सा गया था...डिंपल के कहने के बाद भी उसका चुदाई का मन नही किया था....

गुरपाल : "साली , इस सरदारनी के पेट में कोई भी बात पचती नहीं है ''

बेचारा खिसियानी हंसी हँसता हुआ ये बोल रहा था

और दूसरी तरफ सबा का चेहरा लाल हो चूका था, क्योंकि उसने भी वाली चुदाई की बात सुमन को बता दी थी , और जब सुमन ये डिंपल की बात उनकी बताई होगी , बेचारी किसी से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी

लेकिन शशांक समझ चूका था की उसके दिमाग में क्या चल रहा है

अब इस खेल को दूसरे मुकाम टाइम आ चुका था 



शशांक ने बड़ी ही बेशर्मी से अपने लंड को मसलते हुए कहा : "वैसे एक बात और भी है...जिसे सुनकर आप सभी को काफ़ी मज़ा आएगा...''
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