Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
01-18-2019, 01:54 PM,
#29
RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
सभी मर्दों के मुँह से लार निकलने लगी...ख़ासकर कपूर और गुप्ता के....उन्हे तो अपनी इस बंबो भाभी के मोटे मुम्मे हमेशा से ही पसंद थे...

अब शशांक उठ खड़ा हुआ और बोला : "खेल का अगला नियम मैं बताता हूँ ....सभी अपने-2 पत्ते खोलेंगे...जिसके पत्ते सबसे छोटे हुए, उससे शुरूवात की जाएगी...उसने जो भी दाँव पर लगाया था,उसका बाकी के सभी लोग मज़ा लेंगे...एक-एक करके...और उसके बाद उससे नेक्स्ट जिसके पत्ते बड़े थे,उसका नंबर आएगा...ऐसे ही ये आखरी तक चलेगा,यानी जिसके सबसे बड़े पत्ते होंगे ,उसका नंबर सबसे लास्ट में आएगा...''

कहने का मतलब ये था की इस खेल में किसी की भी हार या जीत नही होगी, हर कोई इस खेल मे हारेगा और हर कोई इस खेल मे जीतेगा...

सभी शशांक की ये बात सुनकर काफ़ी खुश हुए...पर नीरू के मन में अभी तक भय बना हुआ था...वो सोच रही थी की कैसे वो किसी और को किस्स कर पाएगी...या कैसे अपने पति को किसी और के होंठों को चूसते देख सकेगी...पर महफ़िल का माहौल ही ऐसा बन चुका था की कुछ कहने या करने का सवाल ही नही उठता था...सुमन ने जब उसे इस तरह से सोचते हुए देखा तो एक ग्लास वोड्का और उसके हाथ में थमा दिया,जिसे वो एक ही झटके में गटक गयी....

खेर, सबने अपने-2 पत्ते एक साथ टेबल पर सीधे कर दिए...

गुरपाल के पास, कलर आया था, 2,4,9 के साथ

राहुल के पास बहुत घटिया पत्ते आए थे, 3,7, 10

गुप्ताजी के पास 4 का पेयर आया था.

कपूर साहब के पास सीक़वेंस आई थी, और वो भी 1,2,3 की

शशांक के पास 2,9 और बादशाह आया था...

यानी सबसे छोटे पत्ते राहुल के ही थे...शुरूवात उसी से होनी थी..

शशांक और सुमन का दिल भी इस वक़्त जोरो से धड़क रहा था...वो दोनो जानते थे की खेल का ये पड़ाव बहुत अहम है, इस वक़्त अगर कोई पीछे हट गया तो उन दोनो की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा...और अगर ये पड़ाव पार हो गया तो सभी के दिल से झिझक दूर हो जाएगी और अगली बार सब बढ़ चड़कर इस खेल में हिस्सा लेंगे...

पहला नंबर सबा का था..और दाँव के मुताबिक, सबा को 2 किस्सेस सभी को देनी थी...

सबा अपनी सीट से उठी और अपनी गांड मटकाती हुई बीच में आकर खड़ी हो गयी...सबसे पहला नंबर गुरपाल का ही था...वो किसी शेर की तरह उठा और उसने सबा को अपनी बाहों में पकड़कर अपने सीने से लगा लिया और उसके चेहरे को पकड़कर उसके होंठों को चूसने लगा...सबा भी उसका साथ दे रही थी...



सभी दम साधे उनकी इस किस्स को देख रहे थे...

नीरू और काजल को तो विश्वास ही नही हो रहा था की अभी तक जो वो सोच रही थी वो सही में हो रहा था...यानी हर कोई एक दूसरे की बिबियों को किस्स करेगा...और उनका नंबर भी आएगा...

गुरपाल साँस लेने के लिए रुका और एक बार फिर से उसके रस भरे होंठों पर टूट पड़ा...सबा को उसकी दाढ़ी और मूँछ के बाल अपने चेहरे और होंठों पर चुभ रहे थे और वो उनकी चुभन से और ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी...वो तो उसकी घनी मूँछो तक को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी...और सबा की इस हरकत पर गुरपाल को भी बहुत मज़ा आ रहा था और उत्तेजना में आकर उसने उसके दोनो मुम्मों पर हाथ रख दिया और उन्हे इतने ज़ोर से दबाया की सबा की चीख हि निकल गयी...और दोनो की दूसरी किस्स टूट गयी..

सुमन ने मज़ाक में कहा : "गुरपाल जी, बात तो किस्स की हुई थी, आपने तो सबा की ब्रेस्ट को ही निचोड़ दिया...देखो ना,बेचारी को कितना दर्द हो रहा है...हा हा..''

डिंपल ने उसका जवाब दिया : "मेरे सरदारजी को संभालना हर किसी के बस की बात नही है....इन्हे संभालने के लिए बड़ा जिगर चाहिए...''

उसकी बात पर भी सब हंस दिए..

उसके बाद सबा ने सभी को अपने गुलाबी होंठों की शराब पिलाई...जब कपूर का नंबर आया तो उसे तो विश्वास हि नहीं हुआ की ये वही सबा है जिसे देखने भर से उनका लंड खड़ा हो जाता था, आज वही उन्हें खुद किस्स करने के लिए तैयार खड़ी है ...इसलिए जैसे ही सबा उनकी बाहों में आई,कपूर उसपर भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ा, और तब तक उसे चूसता रहा,जब तक उसकी साँस नही उखड गयी...



अपनी बीबी को दूसरे मर्दों के साथ किस्स करते देखकर राहुल का लंड बुरी तरह से खड़ा हो चुका था, उसे तो बस अपनी बारी का इन्तजार था.

गुप्ता ने भी सबा के होंठों को पीकर अपनी प्यास बुझाई और इस तरह से उसका रोल अभी के लिए ख़त्म हो गया,और वो अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी, उसकी चूत इस वक़्त बुरी तरह से पनिया रही थी 



शशांक ये सारा खेल बड़े इत्मिनान से देख रहा था...उसे सबा के उठते-गिरते सीने को देखकर ही ये अंदाज़ा हो गया था की उसकी चूत में इस वक़्त किस तरह का कोहराम मचा हुआ है...

अब किस्स करवाने का अगला नंबर सुमन का था...क्योंकि शशांक के पास 2,9 और बादशाह आए थे...जो राहुल से बड़े थे.

सुमन तो जैसे इसी पल का इंतजार कर रही थी...एक सच्ची रंडी बनने के सभी गुण मोजूद थे उसके अंदर,वो खुद ही अपने ग्राहक के पास,यानी पहले दावेदार गुरपाल के पास गयी और उससे लिपट कर बुरी तरह से चूमने लगी...कुछ देर पहले तक जो जादू सबा ने सभी के उपर बिखेर रखा था, वही अब सुमन फेला रही थी..

सुमन ने अपने नशीले बदन को मटकाते हुए उस कमरे में सभी को सम्मोहित सा करके अपनी जवानी का नशा सबमें भरना शुरू कर दिया, अपने होंठों के थ्रू...सभी ने एक-2 करके उसके होंठों का शहद पिया और मस्ती में झूम गये...कपूर और गुप्ता की झिझक पिछली बार से थोड़ी कम सी हो चुकी थी,इसलिए उन्होने सबा से ज़्यादा सुमन को चूस डाला..

खेर,सुमन के होंठों की चुसाई करने के बाद सभी के लंड में तंबू बन चुका था...दारू और वोड्का का एक और दौर चला,जिसकी वजह से माहौल में थोड़ा और सुरूर बिखर गया,सभी के दिमाग़ थोड़े और हल्के हो गये और उनके लंड और चूत की नमी भी थोड़ी और बड़ गयी..

महफ़िल गर्म होती जा रही थी ...शशांक बस ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था की इस गेम के बाद भी अगली गेम खेलने की ज़रूरत पड़ेगी या इसी में सब अपनी लाज-शर्म छोड़कर चुदाई के खेल में शामिल हो जाएँगे...पर उसकी सोच बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती थी की मिसेस कपूर और मिसेस गुप्ता कैसे किस्स करवाएँगी...यानी नीरू और डिंपल ने अगर बिना ना नुकुर के अपने होंठों की चुसाई करवा ली तो ठीक है,वरना अगली गेम में क्या दाँव पर लगवाना है,ये एक बार फिर से सोचना पड़ेगा.

वैसे ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नही थी उसे,अगला नंबर मिसेस गुप्ता यानी काजल का था..



अब काजल तो पिछले आधे घंटे से अपनी कॉलेज के दिनों की यादो में खोई हुई थी,और सबा के बाद सुमन ने जिस अंदाज में सभी को चूमा था,उसके बाद तो उसकी चूत ऐसे फड़क रही थी जैसे पिंजरे में बंद चिड़िया...पर उसे अपने पति की चिंता भी हो रही थी....और वैसे भी,एकदम से उठकर वो अपनी छुपी हुई बेशर्मी का परिचय नही देना चाहती थी.

सुमन ने जब उसका नाम पुकारकर उसे उठने के लिए कहा तो उसके दिल की धड़कन बहुत तेज हो गयी, सभी की नज़रें उसपर थी...पर शशांक की नज़र उसके पति यानी गुप्ता पर थी, जिसके मन में कब से अंतर्द्वंद चल रहा था, अभी कुछ देर पहले तक उसने सबा और सुमन को तो अच्छी तरह से चूमा, चूसा..पर जब अपनी पत्नी का नंबर आया तो उसे समझ नही आ रहा था की उसे कैसे रिएक्ट करना चाहिए...वैसे उसे कोई आपत्ति तो नही थी, उसे डर था तो सिर्फ़ काजल की तरफ से ना बोलने का, क्योंकि उसके हिसाब से तो काजल एक आदर्श और पतिव्रता स्त्री थी, लेकिन वो उसकी पिछली जिंदगी की वो बाते जानता या इस वक़्त काजल के मन में क्या चल रहा है, ये जानता तो शायद ऐसा ना सोचता और खुद ही उसे उठाकर दूसरों के सामने फेंक देता..पर अपनी मर्यादा वो भी जानता था,इसलिए अपने पैर के नाखुनो से ज़मीन कुरेदता हुआ काजल के कुछ बोलने का इंतजार करने लगा..

सुमन : "अब उठ भी जाओ काजल भाभी...आप इस मजेदार खेल को इस तरह बीच में रोककर इसका मज़ा ना खराब करो...प्लीज़ उठो ना...''

पर वो चोर नज़रों से अपने पति यानी गुप्ता जी को ही देखे जा रही थी...

सुमन भी समझ गयी की जब तक गुप्ता जी खुद उसे उठने के लिए नही कहेंगे वो नही उठेगी, इसलिए सुमन अपनी मोटी गांड मटकाती हुई गुप्ता जी के पास आई और उनके घुटने पर हाथ रखकर वो अपने पंजों पर उनके सामने ऐसे बैठ गयी जैसे उनका लंड चूसने आई हो...गुप्ता जी भी आँखे फाड़ कर उसकी साड़ी के पल्लू गिरने के बाद का नज़ारा देखकर अपनी जीभ निकाले उसके अर्धनग्न मुम्मो को देखे जा रहे थे...



सुमन (बड़े ही सेक्सी अंदाज में ,उनकी जाँघ रगड़ते हुए बोली) : "गुप्ता जी...कहिए ना काजल से की वो ऐसे सबका मूड स्पायिल ना करे...मैने और सबा ने भी तो किया ना...अब वो देखो ना कैसे नखरे कर रही है...आप बोलिए ना इन्हे...''

कहते-2 सुमन का हाथ गुप्ता जी के कुर्ते के नीचे से खिसकता हुआ उनके लंड तक पहुँच गया...सिर्फ़ काजल की नज़रें ज़मीन की तरफ थी,उसके अलावा सभी देख पा रहे थे की सुमन किस अंदाज में गुप्ता जी को कनविंस कर रही है...

और गुप्ता जी की तो हालत खराब थी, सुमन ने सीधा उनके लंड पर अटैक कर दिया था...और वो भी खड़े लंड पर...

कहते है मर्द का लंड सहलाकर औरत उससे कोई भी बात मनवा सकती है....यहाँ भी यही होने जा रहा था...उन्होने उखड़ते स्वर में अपनी बीबी को कहा : "उः....उम्म....का..काजल....अगर सब इतना कह रहे है तो कर लो....आई एम ओके विद दिस...''

उनके इतना कहने की देर थी की काजल का सिर एक झटके में उनकी तरफ घूम गया...अपने पति की आँखो में देखकर उसने स्वीकृति ली...और एक बार फिर से शरमाने का नाटक करते हुए वो धीरे-2 उठकर गुरपाल की तरफ चल दी...

गुरपाल के तो आज मज़े थे...उसका नंबर पहला था इस वजह से हर लड़की को चखने का पहला मौका भी उसे ही मिल रहा था...

गुरपाल भी जानता था की काजल का ये पहला मौका है,इसलिए उसे ज़्यादा ज़ोर से चूमकर वो उसे डराना नही चाहता था...वो उसके करीब गया और बड़े ही प्यार से उसने काजल को बाहों में लेकर चूम लिया...काजल भी अपनी तरफ से कोई हरकत करके अपना उतावलापन सभी को पहली ही बार में दिखाना नही चाहती थी...इसलिए चुपचाप गुरपाल के होंठों द्वारा अपने होंठ चुसवाती रही..

लेकिन जब राहुल का नंबर आया तो काजल से रहा नही गया, राहुल उसे हमेशा से ही पसंद था इसलिए उससे लिपटकर एक जोरदार सिसकारी उसके मुँह से निकल ही गयी...और उसने उसके गले में बाहें डालकर उसे अपनी तरफ खींचा और ज़ोर से चूम लिया...
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