RE: bahan ki chudai भाई बहन की करतूतें
प्रीती ने किस करना बन्द किया और थोड़ा पीछे होकर बैठ गयी। ''ऐसे ही करते हैं ना?" उसने पूछा।
''मेरे विचार से कोई रूल तो होते नहीं हैं,'' मैंने कहा, मेरी बाँहें अभी भी उसके कंधों पर ही थीं। मैं उम्मीद कर रहा था कि ये यहीं पर खत्म ना हो।
''तुमने पूनम के साथ ऐसे ही किया होगा ना?" प्रीती ने पूछा, वो थोड़ा और पीछे खिसक गयी, और मैंने अपनी बाँहें उसके कन्धों पर से हटा लीं और मैं सोफ़े पर बैक का सहारा लेकर बैठ गया। मैंने सोचा कि किसिंग अब खत्म हो गयी है, लेकिन फ़िर भी मुझे कुछ कुछ हो रहा था।
''हाँ काफ़ी कुछ इसी तरह से,'' मैंने कहा।
''एक बार फ़िर से करना चाहोगे?" प्रीती ने पूछा। उसकी आवाज में उत्सुकता था, और वो मुझे उकसा रही थी। इससे पहले कि मैं कुछ जवाब देता, वो घूमकर मेरे सामने आ गयी और अपनी लम्बी सुडौल टांगें मेरी गोद में रख दीं, और थोड़ा पीछे खिसक कर सोफ़े की साईड का सहारा लेकर बैठ गयी। मैं अभी तक चुप था और वो बोले जा रही थी, ''इमेजिन करो कि मैं अभी जो हम मूवी देख रहे थे उसकी हिरोइन हूँ और तुम हीरो।'' वो बिना हिले वैसे ही आराम से अधलेटी होकर बैठी थी, उसकी टाँगें मेरी गोद में थीं, मैं उसको निहार रहा था। मैं घूमकर उसके सामने आ गया, और मैंने दोनों हाथ एक क्षण को उसकी टाँगों की पिंडलियों पर रख दिये, और उसकी कोमल मुलायम त्वचा को स्पर्ष करने लगा। मैंने मुँह में आया हुआ थूक निगला, और फ़िर थोड़ा आगे बढा, और प्रीती की टाँगों पर हाथ ऊपर खिसकाने लगा, उसके घुटनों के ऊपर, और फ़िर मैं सोफ़े पर ही थोड़ा और उसके ऊपर आ गया, मैं उसके ऊपर तो था लेकिन मेरा पूरा भार मेरी कोन्हीयों पर ही था, और मेरी बाँहें उसके कन्धों के पीछे। मैंने प्रीती के मुँह पर दबाकर किस किया, जैसे मूवी में उस हीरो ने किया था। उस मूवी में किस करते हुए जीभ का भी भरपूर इस्तेमाल दिखाया गया था, तो मैंने भी प्रीती के मुँह में धीरे से अपनी जीभ घुसा दी। एक पल को उसने मेरी जीभ को अपने मुँह में पूरी तरह विचरण करने दिया। मैं बेहद उत्तेजित हो गया था, और मुझे ऐसा लग रहा था नस नस में उबाल आ रहा हो।
हम दोनों इसी तरह कुछ मिनट तक बिना कुछ बोले, एक दूसरे के मुँह के कोने कोने की जीभ से तलाशी लेते हुए किस करते रहे। ये सब अपने आप हो रहा था क्योंकि हम दोनों में से ही किसी को भी इस चीज का कोई तजुर्बा नहीं था। इसी बीच हम दोनों अपने आप सोफ़े पर इस पोजीशन में आ गये कि मैं अपनी बाँयीं तरफ़ साईड से लेटा हुआ था और प्रीती अपनी दाँयीं तरफ़ साईड से मुझसे चिपकी हुई थी। हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाँहों मे भर रखा था, और मैं उसकी चूँचियों को अपनी छाती से दबता हुआ मेहसूस कर रहा था, जिससे मजा दोगुना हो रहा था। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ये सब सचमुच में हो रहा है, और जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी कमर पर फ़िराया, तो मेरा हाथ उसकी नंगी कमर को छू रहा था क्योंकि उसका टॉप सोफ़े पर इस तरह इधर उधर खिसकने से ऊपर सरक गया था।
उसकी त्वचा का स्पर्श सुख जादुई था, और जैसे ही मैंने अपना हाथ थोड़ा और सरकाया, मेरा हाथ उसके डेनिम शॉर्ट के वेस्ट बैण्ड को छूने लगा। जब मेरा दाँयां हाथ उसके शॉर्ट के वेस्ट बैण्ड पर था तब मैं अँगुठे से उसकी कमर के निचले हिस्से को सहलाने लगा, तभी प्रीती ने किस को ब्रेक कर अपने सिर थोड़ा पीछे कर लिया। मैं उसकी गर्म गर्म साँसों को अपने चेहरे पर मेहसूस करने लगा, और तभी वो फ़ुसफ़ुसाते हुए बोली, ''क्या तुमने कभी किसी लड़की को नीचे वहाँ टच किया है?"
मैंने अपनी गर्दन जोर से ना के इशारे में हिलायी, लेकिन उसके सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। जिस तरह से हम दोनों भाई बहन किस कर रहे थे, उसके बीच इस तरह कुछ भी बोल पाना मेरे लिये बहुत मुश्किल था, लकिन एक प्रीती थी जो मुझसे ये सवाल पूछ रही थी। क्या वो सचमुच कुछ और भी आगे करना चाहती थी?
''टच करना चाहोगे?" प्रीती ने पूछा।
टच करना चाहोगे? ये तो किसी प्यासे से पानी पीने की इच्छा है क्या? इस तरह का सवाल पूछने जैसा था। फ़िर भी मैंने इस तरह जवाब दिया मानो मुझे इस से कोई ज्यादा फ़र्क नहीं पड़ता, ''अगर तुम मुझे टच करने दोगी तो।''
प्रीती करवट लेकर अपनी पींठ के बल लेट गयी, मेरी दाँयीं बाँह अभी भी उसके ऊपर थी, और मैंने उसको कमर पर से इस तरह पकड़ रखा था जिस से वो सोफ़े से नीचे ना गिर जाये। उसने हाथ नीचे ले जाकर अपने डेनिम शॉर्ट का बटन खोला, और फ़िर उसकी ज़िप खोल दी। उसने मेरी तरफ़ उम्मीद भरी नज़रों के साथ देखा, मानो कह रही हो कि अगला कदम मुझे उठाना होगा। मैं असमंजस में था कि वो मुझसे अपना नेकर उतरवाना चाहती है या फ़िर ऐसे ही अपने नेकर में मेरा हाथ घुसवाकर मुझे टच करने देना चाहती है। मैंने उसके खुले हुए जिपर को देखा और मुझे उसकी अन्दर पहनी हुई नीले रँग की पैन्टी दिखायी दी, फ़िर मैंने नजर उठाकर उसके चेहरे की तरफ़ देखा। प्रीती ने अपने हिप्स थोड़ा ऊपर उठा लिये, और हाथ नीचे ले जाकर अपना शॉर्ट घुटने तक नीचे कर दिया, अब वो मेरे सामने नीले रँग की पैन्टी पहने लेटी हुई थी।
मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि मुझे क्या करना चाहिये, लेकिन किसी तरह मैंने अपना दाँया हाथ ले जाकर उसके नेकर के ऊपर घुमाने लगा। मैं उसके वहाँ छूना चाहता था, लेकिन ये अनुभव मेरे लिये एकदम नया और अनजान था कि मैं कन्फ़्युज था कि मैं क्या करूँ। सैक्स की सारी फ़ैन्टेसीज में तो मैं सभी लड़कियों को बेझिझक टच करता था, उनको खूब मसलता था और फ़िर ज़ी भर के उनकी चुदाई किया करता था, और आज जब असलियत में लड़की मेरे सामने थी, और वो लड़की भी कोई और नहीं, मेरी सगी छोटी बहन तो मेरी गाँड़ फ़ट रही थी।
मैंने धीमे से पैण्टी के ऊपर से ही अपना हाथ उसके झाँटों के त्रिकोण के ऊपर रखा, और अपनी छोटी ऊँगली को उसकी टाँगों के बीच घुसा के, उस से सहलाने लगा। उसकी चूत से निकल रही गर्माहट को मैं मेहसूस कर रहा था, और मैं भी बहुत एक्साईटेड हो रहा था। प्रीती ने मुझे फ़िर से किस किया, उसके मुलायम गर्म होंठ मेरे होंठों को छू रहे थे, और फ़िर वो बोली, ''तुम इसको उतार क्यों नहीं देते?''
मैंने अपने आप पर काबू रखते हुए पैण्टी के वेस्टबैण्ड को अपने हाथ से पकड़ कर पैण्टी को थोड़ा सा खींचकर नीचे कर दिया, और मैं पहला व्यक्ति था जिसने प्रीती की झांटों को पहली बार देखा था। प्रीती की झांटों को देखकर मुझे कुछ कुछ होने लगा, और जैसे ही प्रीती ने अपनी गाँड़ थोड़ा सा ऊपर उठायी मैंने उसके नेकर को नीचे तक खिसका दिया, लेकिन जिस पोजिशन में हम दोनों उस वक्त थे, उसको पूरी तरह उतारना सम्भव नहीं था। ''एक मिनट,'' प्रीती ने धीमे से कहा, ''मैं इसको खड़े होकर उतार देती हूँ।''
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