RE: bahan ki chudai भाई बहन की करतूतें
जैसे ही मैंने अपनी बाँह को उसके ऊपर से उठाया, वो उठ कर खड़ी हो गयी, और अपने नेकर को उसने फ़र्श पर गिर जाने दिया, और फ़िर उसको अपने पैरों में से निकाल दिया। फ़िर वो सोफ़े पर मेरे पास मेरी दाँयीं तरफ़ सोफ़े के आर्म रैस्ट का सहार लेकर बैठ गयी, और फ़िर उसने अपने नीली पैण्टी को भी उतार कर सोफ़े के पास फ़र्श पर रख दिया। जिस तरह कुछ पल पहले उसकी झाँटों की झलक ने मुझे बेकरार कर दिया था, उसी तरह उसकी नँगी चूत की एक झलक पाकर मेरी साँसें रुक गयीं, और जिस तरह की फ़ीलिंग मुझे मुट्ठ मारते समय हुआ करती थी वैसी सी फ़ीलिंग मुझे होने लगी। अभी तक नँगी चूत मैंने बस गंदी मैगजीनों में या फ़िर पॉर्न वीडियोज में ही देखी थी। ''कम ऑन'' प्रीती मुस्कुराते हुए बोली, ''मैं देखना चाहती हूँ कि जब कोई लड़का मुझे वहाँ टच करता है तो कैसा फ़ील होता है।'' मैं सोफ़े पर खिसक कर प्रीती के सामने झुक गया, और धीमे से उसके नँगें खुले हुए झाँटों के त्रिकोण पर अपना हाथ रख दिया, और उसकी झाँटों को अपने हाथ से सहलाने लगा। प्रीती की झाँटों के बाल नैचुरल काले और ज्यादा घने नहीं थे, और त्रिकोणीय शेप लिये हुए थे।
मैंने धीमे धीमे अपने दाँयें हाथ की उँगलियाँ प्रीती की जाँघों के बीच घुमाना शुरु कर दिया, और उसकी चूत के ऊपर भी टच करने लगा, लेकिन मैंने अपनी उँगली उसकी चूत में घुसाने का ट्राई नहीं किया। उसने मेरी तरफ़ मुस्कुरा कर देखा और बोली, ''बहुत अच्छा लग रहा है।'' मैंने अपनी उँगली कि साइड को चूत की फ़ाँक पर नीचे से उपर तक लेजाकर एक दो बार सहलाया और फ़िर उसकी झाँटों को सहलाने लगा। हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ घुसाकर फ़्रैन्च किस कर रहे थे, और मैं साथ साथ उसकी चूत को बाहर से ही घिसते हुए सहलाये जा रहा था। जब हमने किस करना बंद किया तो मैं झुककर अपना मुँह नीचे प्रीती की चूत के पास ले गया, और मैंने पहली बार किसी लड़की की चूत की मादक गँध का अनुभव किया। वो गँध ना सिर्फ़ मादक थी बल्कि इतनी ज्यादा सैक्सी और उत्तेजक थी कि उसको सूँघकर किसी का भी लण्ड खड़ा हो जाये। हाँलांकि मेरा हाथ मेरे लण्ड पर नहीं था, लेकिन फ़िर भी मुझे वो मुट्ठ मारने वाली फ़ीलिंग का एहसास होने लगा।
प्रीती मुझे ये सब करते हुए अचरज से देख रही थी, तभी मैंने उसके चेहरे की तरफ़ देखा और फ़िर अपने चेहरे की लेफ़्ट साईड को उसकी झाँटों के ऊपर टिका दिया, और उसकी झाँटों को अपने गालों से मेहसूस करने लगा, और उसकी चूत की मादक गँध को सूँघते हुए उसकी चूत को बाहर से सहलाने लगा। मैंने उसकी चूत में ऊँगली घुसाने की कोई चेष्टा नहीं की, मुझे इस बात का भी कहीं ना कहीं डर था कि मैं कहीं मर्यादा की सीमा ना लाँघ जाऊँ, इसलिये मैं अपनी बहन के गुप्ताँगों को सिर्फ़ बाहर से ही छू रहा था। जब से प्रीती ने पैण्टी उतारी थी, उसके बाद से हमारे बीच शायद ही कोई सँवाद हुआ था।
कुछ पल के बाद मुझे प्रीती के चूतड़ देखने का मन किया, मैंने प्रीती के लैफ़्ट हिप पर अपना हाथ रख दिया और धीमे से अपनी तरफ़ खींचा, वो मेरा इशारा समझ गयी और अपने पेट के बल औंधी लेट गयी, और अपना सिर बायीं तरफ़ कर लिया जिससे वो देख सके कि मैं क्या कर रहा हूँ। प्रीती का पिछ्वाड़ा एक्दम मस्त था, उसकी कसी हुई गाँड़ का मैं मन भर के देखा करता था जब वो जीन्स या डेनिम शॉर्ट पहना करती थी। और आज अभी वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी, क्या मस्त नजारा था। प्रीती अपनी स्किन की बॉडी लोशन, मॉइशचराईजर लगाक बहुत देखभाल करती थी इस वजह से उसकी स्किन एकदम चिकनी और गोरी थी। मैंने अपना राईत हैण्ड उसके राईट हिप पर रख दिया और धीरे धीरे उसको सहलाने लगा, और फ़िर अपनी ऊँगलियाँ उसके बट क्रैक में घुसाने लगा, मैं उसकी गाँड़ के गुलाबी छेद से कुछ पहले रुक गया। प्रीती के गुप्तांगों को इस तरह देख कर मेरा गला सूख गया था, और मेरे पूरे बदन में उत्तेजना की झुरझुरी सी दौड़ रही थी। एक क्षण को मेरे दिमाग में विचार आया कि प्रीती की गाँड़ को देखकर मुझे ये क्या हो रहा है, लेकिन मैं उसका दीदार कर के इस कदर खोया हुआ था कि मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था। मैंने झुककर प्यार से धीमे से उसकी बट क्रैक को ऊपर से चूम लिया, और उसकी स्किन की गन्ध को सूँघने लगा, और फ़िर मैंने उसके राईट हिप को गाँड़ के छेद के बेहद करीब, जितना करीब मेरा मुँह जा सकता था, वहाँ चूम लिया। मैं अपनी छोटी बहन के अर्ध नग्न बदन को देखकर, सहलाकर और उसके साथ अपनी इच्छानुसार खेलकर, किस कदर एक्साईटेड हो गया था, उसको शब्दों में बयान कर पाना नामुमकिन है।
मैंने अपने घुटनों के ऊपर आ रहे वजन को अपने राइट घुटने पर लिया और अपनी राईट हथेली से प्रीती की राईट जांघ के पिछले चिकने हिस्से को सहलाने लगा, और एक पल को मैंने अपना लैफ़्ट गाल उसके राईट हिप पर रख दिया, और एक बार फ़िर से उसको वहाँ किस कर दिया, और अपना लैफ़्ट हाथ बढाकर अँगुठे और ऊँगली से उसकी गाँड़ की गोलाईयों को प्यार से अलग अलग करते हुए उसकी कुँवांरी चूत के छोटे से छेद को देखने लगा। एक बार फ़िर से मैंने अपनी पहली ऊँगली से उसकी चूत की स्लिट को ऊपर से नीचे तक सहलाया, लेकिन उसमें अन्दर घुसाने का कोई प्रयास नहीं किया, बस उसकी चूत से निकल रही चिकनाई को अपनी ऊँगली को ऊपर नीचे करते हुए मेहसूस करता रहा।
प्रीती बहुत देर से कुछ नहीं बोली थी, लेकिन उसने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूछा, ''क्या तुम को मुझे इस तरह से टच कर के अच्छा लग रहा है?"
''हाँ," मैंने अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा, मेरी नजरें अभी भी उसकी चूत के द्वार को निहार रही थीं।
''मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है,'' वो धीमे से बोली। ज़ब से हमने किस करना शुरु किया था तभी से मेरा लण्ड एक दम लक्कड़ बना हुआ था, और मैं मुट्ठ मारने को बेकरार हो रहा था, लेकिन इस परिस्थिति में ऐसा करना सम्भव नहीं था। एक ऐसे लड़के के लिये जिसको चुदाई का कोई अनुभव ना हो, मेरा ऑर्गस्म और सेक्चुअल रिलीज का जो अनुभव था वो बस मुट्ठ मारने तक ही सीमित था, इसलिये मेरे दिमाग में बस वो करने के ही ख्याल आ रहे थे। और आखिरकार प्रीती मेरी बहन थी, और छूने की सीमा को लाँघने का मुझे ख्याल भी नहीं आ रहा था, मैं तो बस उसको इसी तरह छूते रहना चाहता था, जब तक वो मुझे ऐसा करने देती।
मैं अपने घुटनों के बल उपर खिसक कर अपना चेहर प्रीती के सिर के पास ले आया, और जब वो अपने कन्धे के ऊपर से मेरी तरफ़ पीछे की तरफ़ देख रही थी, तभी उसके होंठों को चूम लिया। जब मैंने किस करना बन्द किया तो फ़िर से वो पींठ के बल सीधी लेट गयी, और अपने होंठों को चूमने के लिये मुझे फ़िर से ऑफ़र कर दिया। उसने बिना कुछ बोले, चूमते हुए अपने बाँयें हाथ से मेरी गर्दन को हल्के से पीछे से पकड़ लिया। हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ घुसाकर किस कर रहे थे। एक बार फ़िर से ये एक लम्बी, प्यार से भरी और सैक्सी किस थी, मैं एक्साईट्मेंट में बेकरार हुए जा रहा था।
जब हमने किस करना बंद किया, तो एक बार फ़िर से मैंने प्रीती की नंगी चूत की तरफ़ देखा, और मैंने अपना दाँयां हाथ बढाकर उसकी चूत को छू लिया, और अपनी पहली उँगली की साईड को उसकी चूत की फ़ाँक पर रख दिया। प्रीती ने अपना बाँयां हाथ बढाकर मेरे हाथ को वहीं की वहीं पकड़ लिया, और मेरी तरफ़ देखने लगी। उसने कहा ''विशाल,'' शायद वो कुछ पूछना चाहती थी। मैंने घूमकर उसकी तरफ़ देखा, और उसने पूछा, ''क्या तुम भी अपने आप को वहाँ टच करते हो?"
''नहीं," मैंने झूठ बोला।
''सचमुच,'' प्रीती ने मुस्कुराते हुए पूछा, और फ़िर बोला, ''पूनम तो बता रही कि सब लड़के वहाँ अपने आप टच करते हैं।''
"सब लड़के नहीं करते,'' मैंने कहा, शायद मेरी आवाज में वो विश्वास नहीं था, और बनावट साफ़ झलक रही थी। मेरी मम्मी मुझे एक बार मुट्ठ मारते देख चुकी थीं, और उनका वो रिएक्शन और फ़िर वो लैक्चर जो उन्होने मुझे दिया था उससे मुझे बहुत शर्मींदगी मेहसूस हुई थी, हाँलांकि मैं फ़िर भी रोजाना मुट्ठ मारा करता था। मैं चाहता था कि प्रीती बातों का टॉपिक चेन्ज कर दे।
''तुम सच बोल रहे हो?" प्रीती ने मेरी आँखों में आँखें डालकर पूछा। वो बार बार पूछकर मुझसे सच उगलवाना चाह रही थी, और मुझे बचने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था।
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