RE: bahan ki chudai भाई बहन की करतूतें
प्रीती सहारा लेकर बैठ गयी, और अपनी बायीं हथेली पर थोड़ी सी क्रीम ली, और फ़िर ट्यूब को नीचे फ़र्श पर अपनी बायीं तरफ़ फ़ेंक दिया। और फ़िर वो अपनी दायीं तरफ़ करवट लेकर लेट गयी, और अपने बाँयें हाथ से मेरे लण्ड को मुट्ठियाने लगी। ''मैं जब ऐसे कर रही हूँ, तो अच्छा लग रहा है तुमको?" उसने मेरी तरफ़ देखते हुए, और मेरे लण्ड को हिलाते हुए पूछा। मुझे बेहद मजा आ रहा था, लेकिन ये सब मैं इतने सालों से अपने आप कर रहा था, और अभ्यस्त हो चुका था कि ये कैसे किया जाता है, लेकिन प्रीती ने ये सब पहले कभी नहीं किया था, इसलिये ये बेहद रोमांचक था कि वो मेरे लण्ड को मुट्ठिया रही थी, लेकिन वो मजा नहीं आ रहा था हो मुझे अपने आप करने में आता था, लेकिन फ़िर भी मैंने कहा, ''तुम बहुत अच्छा कर रही हो।'' वो अपनी प्रशंसा सुनकर मुस्कुरा दी, और मेरे लण्ड को मुट्ठियाते हुए , मेरे होंठों पर किस करने को झुक गयी।
''लो अब तुम अपने आप हो जाओ,'' प्रीती ने मेरे तन कर खड़े लण्ड को देखकरे मुट्ठियाते हुए कहा। ''मैं तुमको झड़ते हुए देखना चाहती हूँ।'' उसने मेरे लण्ड को छोड़ दिया, और मेरी तरफ़ उम्मीद भरी नजरों के साथ देखा। मैं अपने लण्ड को अपने हाथ मे लेकर मुट्ठियाने लगा, मेरे टट्टों की गोलीयों में प्रेशर बढने लगा था, प्रीती ने मेरे होंठों पर एक-दो बार फ़िर से सॉफ़्ट किस करते हुए अपने होंठों को मेरे होंठों पर काफ़ी देर तक रखे रही, और फ़िर मेरी आँखों में आँखें डाल कर देखा, और फ़िर अपनी पींठ के बल सीधी लेट कर मेरे शो का मजा लेने लगी। मुट्ठियाते हुए प्रीती के किस करने से मजा दोगुना हो गया था, और मुझे लग रहा था कि ऑर्गस्म ज्यादा दूर नहीं है।
मैं अपने लण्ड को हमेशा की तरह सहलाते हुए मुट्ठ मार रहा था, मजा बढता जा रहा था, और शायद ज्यादा उत्तेजना की वजह से, प्रीती को किस करना, उसके नंगे बदन को सहलाना, उसको अपनी चूत को सहलाते हुए हस्तमैथुन करते हुए देखना, और इस तरह प्रीती के मेरे पास लेटे होने की वजह से, मेरे लण्ड के नीचे की तरफ़ से हमेशा से कहीं ज्यादा वेग के साथ, वीर्य का लावा यकायक विस्फ़ोट की तरह फ़ूट पड़ा, और अचानक ही मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारियाँ बिना किसी कन्ट्रोल के निकलने लगीं।
''ओह गॉड, लुक ऐट दैट!" प्रीती ने अचम्भित होकर आँखें फ़ाड़ कर पिचकारी की पहली धार को देखते हुए कहा, जो चरम सुख, एक मीठे आनंद के साथ मेरी छाती पर आकर गिरी, उसके बाद दो और मोटी मोटी वीर्य की क्रीम भरी पिचकारियाँ हवा में उछलती हुई मेरे पेट पर आ गिरीं, चौथी पिचकारी प्रीती के बाँयें कन्धे पर आकर गिरते ही वो अचकचा गयी और बोली, ''ओह विशाल, ये ते मेरे ऊपर गिर गया!" और अन्तिम पिचकारी मेरी राईट तरफ़ बैडशीट पर आ गिरी, और उसके बार लण्ड में से किसी ज्वालामुखी में से लावा की तरह बाकी वीर्य मेरे हाथ पर गिरकर बहने लगा। ''दैट्स इन्क्रेडिबल!" प्रीती अचम्भित होते हुए बोली। ''लुक एट इट, ये सब जगह फ़ैल गया है, मेरे ऊपर भी!"
नॉर्मली, मुट्ठ मारने के बाद हाँलांकि मुझे संतुष्टी तो मिलती थी लेकिन साथ साथ मुझे एक प्रकार की ग्लानि भी हुआ करती थी, लेकिन इस बार मुझे थोड़ी ज्यादा सन्तुष्टी तो मिली ही थी लेकिन ग्लानि मेहसूस नहीं हो रही थी, शायद इसलिये कि मैंने ये प्रीती के कहने पर किया था। जैसे ही मैं नॉर्मल होने लगा, मैंने एक गहरी लम्बी साँस ली, और प्रीती की तरफ़ देखा, जो अपनी गर्दन घुमाकर अपने कन्धे पर पड़े वीर्य के थक्के को देख रही थी। ''देखो!" उसने वीर्य को देखते हुए कहा, ''तुमने मेरे ऊपर भी गिरा दिया!"
मैं ये देखकर थोड़ा विस्मित जरूर था कि उसके ऊपर वीर्य गिरा हुआ था, लेकिन फ़िर भी वो तनिक भी विचलित नहीं थी, बल्कि उसने अपने राईट हैण्ड से उसको पोंछ लिया और बोली, ''ऊप्स, मुझे ऐसा नहीं नहीं करना चाहिये,'' और फ़िर मेरी तरफ़ देखते हुए बोली, ''स्कूल में सैक्स एजूकेशन की क्लास में मैडम ने बताया था कि यदि हाथों में भी वीर्य लगा हुआ तो खुद के गुप्तांगों को नहीं छूना चाहिये।'' फ़िर वो हँसते हुए बोली, ''वीर्य, हाँ, इसी शब्द को यूज किया था मैडम ने, वीर्य, थोड़ा अटपटा है ना, और तो और सबसे पहले उन्होने हमको ये भी नहीं बताया था कि ये हाथ पर लगेगा कैसे।'' वो फ़िर से खिलखिलाने लगी, और बोली, ''शायद उनको पता होगा कि कुछ दिनों में हम सब लड़कियों को पता चल जायेगा कि ये हाथ पर लगता कैसे है, पर कम से कम ये तो बता देतीं कि खुद के गुप्तांगों को छूने की क्या जरूरत पड़ती है।'' वो फ़िर से खिलखिलाने लगी, और बोली, ''और सुनो तो वो इनको गुप्तांग कह रही थीं! ऐसा लग रहा था मानो गुप्ता जी का कोई अंग हो! वो मैडम इतनी ज्यादा स्ट्रिक्ट हैं कि किसी भी लड़की की हिम्मत नहीं थी कि जरा सा भी हँस जाये।''
प्रीती ने बैड पर लेटे लेटे ही करवट ली, और अपने बायें कन्धे को बैड शीट पर घिसकर साफ़ कर लिया, और फ़िर मेरे वीर्य में सने हुए हाथों को देखा, और बोली, ''तुम भी इनको बैडशीट से पोंछ कर साफ़ कर लो। मैं इसको कल सुबह वॉशिंग मशीन में धो लूँगी, नहीं तो मम्मी को पता चल जायेगा।'' फ़िर वो पहले की तरह आराम से बैड पर लेट गयी, और मुस्कुराते हुए बोली, ''लेकिन मम्मी थोड़ा तो जरुर सरप्राईज़ होंगीं कि मैं अपने आप, बिना उनके बोले कपड़े कैसे धो रही हूँ।''
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